non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:46 AM,
#29
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अब गौरव स्क्रीन पर नज़रें जमाए देख रहा था, और चिढ़ भी रहा था, साला ये आक्षन मूवी मे रोमॅन्स का कोई सीन भी नही आता. ये कैसी मूवी है. दोनो हॉलीवुड मूवी ग्रीन ज़ोन देख रहे थे जो एक कॉन्स्पिरेसी और मिलिटरी ओपरेशन पर बेस्ड थी. 


पूरी मूवी निकल गयी, रोमॅन्स सीन तो दूर, एक हग करने तक सीन नही था. बेचारा गौरव टक-टॅकी लगाए पूरी मूवी देख गया और अंदर से चिढ़ता रहा. मूवी ख़तम हुई और मुँह लटकाए गौरव बाहर निकला....


"तुम जानती थी ना इस मूवी के बारे मे पहले से"


सैली... नही क्रेज़ीबॉय सच्ची नही जानती थी, मैं भी नीरस हूँ


गौरव.... झूठी कहीं की, नीरस होती तो अब तक गले लग चुकी होती.


सैली, गौरव की बात पर मुस्कुराती कहने लगी, "चलो कोई शांत जगह, यहाँ बहुत भीड़ है". दोनो बड़ी बेकरारी से अपने लिए जगह ढूँढने लगे, पर नही मिल पा रही थी कोई खाली स्पेस.


ढूँढते ढूँढते उनको आख़िर एक जगह मिल ही गयी... ये था माल के अंदर बना एक हॉरर प्लेस, जहाँ दिन मे भी अंधेरा रहता और हॉरर आवाज़ के साथ स्कल्स और दरवानी शकल के सिर, पैर ये सब अचानक से सामने आते थे.


गौरव.... चलो हॉरर सीन देखने


सैली.... ये रोमॅन्स के बीच मे हॉरर, तुम पागल हो गये क्रेज़ीबॉय, वैसे भी मैं इन सब जगहों पर नही जाती.


गौरव..... सीधे कहो ना कि डर लगता है, वैसे यहाँ पर अभी रोमॅंटिक हॉरर सीन लिखा जाएगा .. इसलिए चलो चलते हैं.


गौरव ने दो टिकेट लिया और अंदर जाते हे सैली की आँखों को अपने हाथों से ढक दिया.


सैली.... अंधेरा है पूरा फिर भी आँखों को क्यों ढक रहे हो


गौरव.... क्योंकि डर के मारे तुम्हारा मूड ना बदले अब म्यूज़िक सुनो और बस मेरे साथ चलो.


पूरा अंधेरा था, गौरव जब अपना हाथ हटाया तो भी वही महॉल था जो आँखें मून्दने पर. सैली बिल्कुल कस कर चिपक गयी गौरव से, उसे भींच ली और कहने लगी ....


"यहाँ तो कुछ भी कर लो किसी को पता भी नही चलेगा, ऐसी जगह ये लोग बनाते ही क्यों हैं"


गौरव.... अर्ररे अब शांत ज़रा .. शांत्त .. शांत्त .. शांत्त


कहते हुए गौरव, सैली के बदन पर हाथ फेरने लगा और उसे किस करने लगा. सैली भी गौरव से खुल कर मिल रही थी, वो भी किस का आनंद उठा रही थी. अभी दोनो एक दूसरे मे डूबे ही होंगे कि उपर से एक हाथ सैली के सिर पर लगा और बिजली की तरह चमक हुई उस जगह मे.


झटके से चिल्लाती हुई सैली, गौरव से अलग हुई. डर से उसकी साँसें चढ़ गयी, और हाँफती हुई अपने सांसो को नॉर्मल करने लगी. सैली डरी सी आवाज़ मे कहने लगी ... "चलो यहाँ से बाहर" 


गौरव इस जगह को बनाने वालों को कोसने लगा, और बाहर आ गया. सैली बाहर आते ही वॉशरूम चली गयी, और वापस आकर लगी गौरव का क्लास लेने.


"भला अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कोई ऐसी जगह पर भी आता है. दूर हटो मुझ से, मुझ से बात करने की कोशिस भी मत करना. पागल कहीं के"


गुस्से मे वो बस बोले ही जा रही थी. दबी नज़रों से गौरव बस आस पास ही देख रहा था. पॉइंट ऑफ अट्रर्क्षन हुआ जा रहा था गौरव. गौरव हाथ ज़ोर कर शांत होने के लिए कहने लगा और इशारों मे समझने लगा, लोग देख रहे हैं यहाँ.


चिढ़ि हुई पूरी सैली, गौरव मुँह लटकाए खड़ा था. देल्ही घूमने और रोमॅन्स दोनो का भूत उस हॉरर प्लेस के आर्टिफिशियल भूत ने उतार दिया और दोनो वापस हॉस्टिल आ गये.


इंदु सब मे अकेली थी, और शायद उसे ऐसे रहना ही अच्छा लगता था. कोई उसके बारे मे ज़्यादा जाने उसे पसंद नही था. उसकी नज़रें तो बस पेज 3 के स्टार बन ने की थी, जिसकी शुरुआत वो कर चुकी थी, और आज के महॉल को देखती हुई, उसे लगने लगा था कि वो सही जगह पहुँच गयी है.


अब उसका मकसद यहाँ अपने कॉंटॅक्ट बनाने और उपर बढ़ने का था. क्योंकि उसे पता था कि बिना कॉंटॅक्ट के ग्लॅमर वर्ल्ड अधूरा है. 


वो बस अकेली इधर उधर टहल रही थी, और सारे चीज़ों का आंकलन कर रही थी. चलते चलते जब वो ऑफीस के पास पहुँची तो एक बड़ी सी कार आकर रुकी ऑफीस के सामने और सारे स्टाफ दौड़ कर उस कार के इर्द-गिर्द नज़र आने लगे.


इंदु को लगा जैसे फिर कोई स्टार उतर रहा हो उस कार से. पर उसमे से जो उतरा वो अंजान व्यक्ति था तकरीबन 40-42 साल का. बिल्कुल फिट बॉडी और प्रेसोनालिटी. इंदु वहाँ की चल रही गहमा गहमी को देख रही थी, और सोच रही थी कि अभी जो आया वो कौन हो सकता है. 


वो एक स्टाफ के पास जाकर पता की, तो पता चला ये आदमी इस कॉलेज का ट्रस्टी है, और पूरा कॉलेज इसी का है. इंदु को लग गया कि उसकी तलाश सही जगह रुकी है, ये है अपने काम का बंदा.


थोड़ी देर रुकी, देखी, सारे स्टार उस से हाथ मिलाते वहाँ से निकल गये, वो आदमी भी अपने कार की ओर बढ़ा और जाने ही वाला था, कि इंदु उसके पास पहुँच गयी.


थी तो बहुत ही खूबसूरत इसलिए उस आदमी का ध्यान भी इंदु की ओर गया, इंदु उसके पास जाकर "हेलो सर" कह कर उसको विश की.


आदमी.... कौन हो तुम 


इंदु... सर, मैं इंदु हूँ, फर्स्ट एअर मे. आज मेरा पहला दिन है..


आदमी... डॉन'ट कॉल मी सर, मैं भूपेन थापर हूँ. लोग मुझे विक्की के नाम से जानते हैं.


इंदु... सर, मुझे सिन्हा जी रेकमेंड किए थे.


इंदु भी अपना दाव खेल गयी, उसे अच्छे से पता था कि वो किसका नाम ले रही है और उसके बाद रिक्षन क्या आने वाला है.


विक्की.... ओह्ह्ह्ह ! वो तुम हो. वैसे मैं खुद तुम से मिलता. अच्छा कि जो मिल ली मुझ से. यहाँ सब ठीक तो लग रहा है ना.


इंदु.... विक्की सर, आज तो पहला दिन है, कुछ बता नही सकती.


विक्की.... पहले दिन से ही लोग स्टार की रेस मे आते हैं, जो बाद मे प्लान करते हैं वो गली स्टार बन कर रह जाते हैं. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कहना चाहता हूँ.


इंदु.... जी बिल्कुल सर, और मेरी भी इच्छा पहले दिन से ही है.


विक्की.... ओके इंदु, ये रखो मेरा कार्ड, कॉल मे 6 पीएम स्टार की रेस मे कैसे उतरना है मैं बता दूँगा.


विक्की उसे कार्ड देते चला गया, इंदु मुस्कुराती उसका कार्ड पर्स मे डाली और शाम 6 बजे की प्लॅनिंग अपने हिसाब से करने लगी.




ठीक सम 6 बजे इंदु, विक्की को कॉल की .... विक्की ने उसे वहीं पास के एक बंग्लॉ का पता दिया जहाँ उसे मिलना था. इंदु हॉस्टिल से ठीक 5 बजे निकली, बाहर आकर उसने विक्की के बताए अड्रेस की ओर रुख़ की और तकरीबन 5.30 मे वहाँ पहुँच गयी.


बाहर गेटकीपर ने वहीं इंतज़ार करने के लिए कह कर अंदर फोन लगाया, अंदर से जो भी बात हुई हो, गेटकीपर उसे वहीं इंतज़ार करने के लिए कहने लगा.


इंदु चारो ओर नज़र घुमा कर देख रही थी, आलीशान बंग्लॉ और आगे की फेन्सिंग काफ़ी लाजबाव थी. थोड़ी देर बाद विक्की भी बाहर आया, कार निकाला और इंदु को उसमे बैठ'ने के लिया कहा. मुस्कुराती इंदु बैठी उस कार मे, और निकल गयी बिना जाने किसी अंजाने के साथ अंजान राहों पर.


विक्की.... 6 बजे बोला था, पहले चली आई.


इंदु.... सर, आप ही तो कहे थे, स्टार्स स्टार्ट अर्ली, इसलिए पहले आ गयी.


विक्की.... काफ़ी तेज हो..


इंदु.... थॅंक यू सर, वैसे अभी कहाँ जा रहे हैं.


विक्की..... तुम्हे स्टार बनाने, सुनो वहाँ जो भी हो चुप-चाप सुन ना, और जब मैं तुम्हारी ओर देखूं, बस इतना कहना ... "चलो डार्लिंग, आइ म गेटिंग बोर". वहाँ बिल्कुल भी अपना दिमाग़ नही लगाना.


इंदु.... जैसी आप की मर्ज़ी सर.


कुछ ही पल मे दोनो एक 5 सितारा होटेल मे थे, विक्की, इंदु को अपने पिछे आने का इशारा किया. दोनो लॉबी मे पहले से बैठे एक कपल के पास पहुँचे. विक्की बैठते हुए उसे .. हेलो मिस्टर. अमोल. दोनो हाथ मिलाए और बातें शुरू हो गयी.


मज़े की बात तो ये थी कि वहाँ बैठी दोनो लड़कियाँ बस चुप-चाप थी, और दोनो की बातें सुन रही थी. इंदु को समझ मे आ गया कि ये अमोल काफ़ी भारी पड़ रहा है विक्की पर, काफ़ी गुस्सा था विक्की की किसी हरकत को लेकर और उस पर लगातार बोले ही जा रहा था. 


बात की बारीक़ियाँ तो समझ मे नही आई उसे क्योंकि मॅटर नही जानती थी, लेकिन कुछ तो विक्की ने ऐसा किया था जिस से दोनो की जान अटकी थी, और विक्की के किए पर उसे काफ़ी सुना रहा था, यहाँ तक कि ये भी कह दिया अमोल ने, "कि यदि जल्द हे मामला ठीक नही किए तो वो अपनी बर्बादी देखने के लिए तैयार हो जाए...."
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