RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
सैली ना ना करती आख़िर राज़ी हुई और दोनो मिले. गौरव ने जब सैली को देखा तो अवाक रह गया. जैसे दिल मे बेचैनी सी हो गयी हो, उसका चेहरा बिल्कुल उतरा हुआ और आँखें ऐसी लग रही थी जैसे बैठ कर कितनी देर रोई हो.
गौरव जैसे ही उसके पास पहुँचा, सैली का हाथ थाम कर बड़ी बेचैनी से पुच्छने लगा कि "क्या हुआ सैली, और तुम रो क्यों रही थी?
सैली बिना कोई जवाब दिए बस उस से लिपट कर रोने लगी. बहुत पुछा गौरव ने लेकिन सैली सिर्फ़ इतना कही..... "घर मे डाँट दिया मुझे, इसलिए रोना आ रहा है. सॉरी मैने आप की शाम बिगड़ दी. अब प्लीज़ मुझे जाने दीजिए".
इतना कह कर सैली चली गयी. यूँ तो चाय की तपरी पर उतनी भी सीरीयस बातें नही हुई थी, पर कभी-कभी छोटी-छोटी बातें भी बड़ा दर्द दे जाती है, और शायद यही वजह हो कि सैली बस उन बातों को याद कर कॉलेज भी नही गयी और रोना भी आ रहा हो.
गौरव बहुत आवाज़ लगाता रहा लेकिन सैली ने कोई रेस्पॉंड नही की. जैसे कोई तीर चुभो रहा हो गौरव के सीने मे, और सीने से उठती दर्द की लहर पूरे बदन मे दौड़ रही हो.
दो दिन की ही तो मुलाकात थी, और ये कैसा जादू था सैली का, या उसके प्यार का, कि दिलों दिमाग़ पर सैली ही हावी थी. दर्द का भंवर जैसे सिने मे उठ रहा हो गौरव के, और उसी दर्द मे मायूस हॉस्टिल वापस आकर लेट गया.
आज फिर से नेनू शाम के टाइम गौरव को लेने आया, पर गौरव की हालत देख कर, वो उसके पास बैठ गया....
नेनू.... क्या हुआ तुझे, तेरी तबीयत तो ठीक है ना ?
गौरव..... कुछ नही यार बस यूँ ही, मैं आज साथ नही चल पाउन्गा, तू चला जा घूमने.
नेनू..... गौरव मैं कल से देख रहा हूँ तुझे ऐसे, आख़िर बात क्या है, कहीं तू सैली के चक्कर मे तो नही पड़ा.
गौरव थोड़ा अस्चर्य से देखते हुए.... चक्कर से क्या मतलब नेनू, तू ज़रा खुल कर बताएगा ?
नेनू.... खुल कर क्या बताना, बस इतना जान ले कि तू जैसा सोचता है वैसी बिल्कुल बात नही है, वो बस ... बस तुम्हे अपना टाइम पास समझती है.
फिर नेनू ने सुबह हुई सारी घटनाओ को बता दिया. गौरव बहुत ध्यान से सुन रहा था. जब नेनू ने अपनी पूरी बात समाप्त किया तो गौरव को लगने लगा कहीं ना कहीं सैली सुबह की बात को दिल से लगाए बैठी है, और जब ये ख्याल आया, उसे नेनू किसी जला हुआ इंसान की शक्ल मे नज़र आया जो उसका प्यार बस्ता नही देखना चाहता.
गौरव... नेनू तुमने ठीक नही किया, तुम्हे उस पर चिल्लाना नही चाहिए था.
नेनू.... वाह दोस्त, तुम्हे मेरी ही ग़लती नज़र आई. उसने तेरे कान भर दिए और तुम भी उसी की बोली बोलने लगे.
गौरव..... नेनू पता है तुम्हारी प्राब्लम क्या है, तुम्हे लगता है कि तुम जो सोचते हो और करते हो वो सब सही है. पर दोस्त हर बात अपनी राय कायम ना करो. और रही बात सैली की, यदि तुम्हे लगता है कि उसने मुझे कुछ कही है तुम्हारे बारे मे, तो तुम ग़लत हो. एक बार भी उसके ज़ुबान पर ना तो तुम्हारा और ना ही सुबह की घटना का कोई वर्णन था.
"यही अंतर है तुम दोनो मे, तुम्हे सैली मे अब भी वो बदतमीज़ लड़की नज़र आती है. जबकि बुरा तो हम ने भी उसके साथ किया, पर उसके दिल मे पिच्छली बातों की कोई धारणा नही. सॉरी बाद मे बात करता हूँ, अभी थोड़ा काम से जाना है".
गौरव की जानकारी मे सुबह की बात आते ही वो भी नेनू पर थोड़े गुस्से मे निकला, पर जैसे-जैसे आगे बढ़ता रहा नेनू और अपनी पुरानी बातें याद आती गयी, ग़लतफहमी का मामला ज़्यादा नज़र आया और थोड़ा सा अफ़सोस करता हुआ वो अपनी सोच मे आगे बढ़ता रहा.
पहुँच गया फिर एक बार ट्रेषर आइलॅंड, जहाँ कल के हुए वाकये ने दिल मे हलचल मचा दी, वहीं सैली का रोना देख कर आज दिल मे कसक सी उठी थी. गौरव मोबाइल निकालता हुआ सैली को कॉल करने लगा ....
सैली .... हां गौरव जी बोलिए
सैली के ज़ुबान से गौरव सुन कर जैसे कोई तीर चुभा हो, अजीब ही फीलिंग है जब प्यार करने वाले की भाषा मे कोई बदलाव हो, ख़ासकर वो बदलाव आप को एहसास करता हो कि आप की चाहत आप से दूर जा रही है.
गौरव खुद को संभालता हुआ..... सैली आज मैं अकेला हूँ उसी जगह जहाँ कल तुम थी, क्या तुम मुझे शॉपिंग करवा दोगि.
सैली.... सॉरी गौरव, मैं शायद आ ना पाऊ, तबीयत ठीक नही लग रही.
गौरव.... सैली प्ल्ज़ ना.......
सैली.... बात तो समझिए, आज थोड़ी अपसेट हूँ. कल का प्रॉमिस.
गौरव मायूस मन से "ठीक है" कहता हुआ फोन रख दिया. हालात को सोचते हुए उसने थोड़ा स्पेस देने का ही फ़ैसला किया. खुद मे थोड़ा उलझा थोड़ा खाली सा महसूस करते हुए हॉस्टिल पहुँचा.
आज तो जैसे भूख प्यास ही मिट गयी हो, बिना खाए बिस्तर पर लेटा रहा. रात मे जब तक जगा रहा तबतक सैली के मेसेज आने का इंतज़ार करता रहा ...
आज कस्टमर केर को गौरव खूब गालियाँ दे रहा था क्योंकि जब भी कस्टमर केयर के मेसेज आए गौरव का दिल जोरों से धड़कने लगता .. "कहीं ये मेसेज सैली का तो नही". और कसमर केर का नंबर देख कर .. दिल से 3/4 गालियाँ देकर फोन रख देता.
सुबह गौरव की नींद खुली और सुबह-सुबह वो पहुँचा विजानगर चौराहा. चाय वाले को आश्चर्य भी हुआ .. क्योंकि गौरव सुबह के 4.30 बजे पहुँच गया था. खैर, 8/10 कप चाय पीता गौरव किसी तरह 6.30आम बजे तक का समय काटा, फिर उसके सारे दोस्त भी पहुँचे उस चाय की तपरी पर.
गौरव का थोड़ा सा टाइम पास होने लगा. गौरव सब से बात कर रहा था पर नेनू को बिल्कुल इग्नोर कर रहा था. ऐसा नही था कि बात नही कर रहा था, पर उतना ही जितना पुछा गया हो.
समय बीत'ते-बीत'ते अंकित भी कॉलेज के लिए जाता नज़र आया पर उसके साथ सैली नही थी. गौरव को लगा शायद अकेली जाएगी इसलिए वो वहीं राह तकते इंतज़ार करने लगा. एक-एक करके उसके सारे दोस्त चले गये पर गौरव रुका रहा.
सुबह से दिन और दिन से शाम होने वाली थी. गौरव के लिए हर पर जैसे सदियों इंतज़ार मे काट रहा हो. वहीं बिता दिया पूरा दिन, फिर जब उसे लगा कि शायद सैली आज नही आई होगी,तो चिंताओं मे डूबा उठा और आहिस्ते कदमो से चल पड़ा.
बस सोच मे डूबा चला जा रहा था, तभी अंकित की बाइक गौरव के सामने रुकी.....
अंकित..... गौरव भाई, कहाँ खोए हुए हो...
गौरव ने एक बार अंकित को देखा .. "कुछ नही होस्टल जा रहा हूँ" .. कहते हुए आगे बढ़ गया.
अंकित फिर टोका उसे .... गौरव भाई उल्टे रास्ते पर हो, हॉस्टिल तो आप का उस तरफ है.
लेकिन अंकित की बातों का कोई भी असर नही था गौरव पर, वो बस अपनी चिंताओं मे डूबा चला जा रहा था.
अंकित बस मन मे सोचता.. "इसे क्या हुआ" ... और चल पड़ा अपने रास्ते. जब लौट कर आया अंकित अपने घर, तो सैली भी वहीं बैठी थी, और उसके पेरेंट से बात कर रही थी. अंकित भी महफ़िल मे शामिल हो गया".
बातों के दौरान अंकित ने हँसते हुए गौरव की भी हालत बयान कर दिया ये कहते हुए .... "हमारा एक दोस्त पागल हो गया"
सैली चौुक्ति हुई पुच्छने लगी .... कौन, क्यों
अंकित... क्यों का तो पता नही सैली, पर क्रेज़ीबॉय को देख कर लगा जैसे मानसिक संतुलन खो दिया हो. कह रहा था हॉस्टिल जा रहा हूँ और जा उल्टी दिशा मे रहा था. हा हा हा हा.....
भौह चढ़ाती सैली, अंकित को घूर्ने लगी, मानो ऐसा कह रही हो ... "चुप हो जा नही तो खून कर दूँगी" ..... सैली काम का बहाना कर के वहाँ से निकली, और बिना कोई देरी किए विजानगर रोड पर चल दी.
सैली ने जैसा सोचा था ठीक वैसा ही निकला. गौरव एक एक कदम, हर 5 सेकेंड पर जैसे रख रहा हो, चिन्ताओ और चेतनाओ मे डूबा बस खोया चला जा रहा था. सैली दूर से ही देखी, स्कूटी को बिल्कुल उसके सामने ब्रेक लगाई और रास्ता रोक कर गौरव को गुस्से मे देखने लगी.
"बैठो चुप-चाप".......
सैली को देखते जैसे थोड़ा सुकून सा महसूस किया हो गौरव ने, बिना कुछ बोले वो स्कूटी पर बैठ गया. सैली भी बिना कुछ बोले चल पड़ी. तकरीबन 10मिनट के बाद गाड़ी इंडियन कॉफी हाउस के पास रुकी और दोनो ने अपनी जगह ले ली एक टेबल पर.
गौरव, सैली के सामने चुप-चाप बैठा रहा, और सैली भी बैठ कर बस गौरव को ही देख रही थी.....
"अब कुछ कहोगे, या यूँ ही बैठे रहे" ... सैली थोड़ी चिढ़'ती हुए बोलने लगी.
गौरव.... मैं क्या कहूँ, तुम बताओ तुम कैसी हो ?
घुर्राती हुए सैली बोल पड़ी...... अनन्नह ! मुझे से ही पुच्छ लो मैं कैसी हूँ, मिस्टर. क्रेज़ीबॉय जाओ पहले वॉशरूम, आएने मे चेहरा देखना और हो सके तो मुँह धोकर आना.
गौरव ने सवालिया नज़रों से सैली को देखा, कि आख़िर वो कहना क्या चाह रही है, सैली ने भी प्रति-उत्तर मे कहने उसे ज़ोर से बोल पड़ी .... अब जाओ भी ! मेरा मुँह क्या तक रहे हो ?
गौरव कप-चाप उठकर वॉशरूम गया, अब तो दिल थोड़ा शांत था, तो अपनी सूरत भी देखी एक बार आईने मे ..... "यक्क, ये कौन है, छ्हि... इतना ब्क्वास लुक" .. गौरव ने चेहरे पर पानी मारा, बालों पर हल्का पानी डाल कर उसे थोड़ा सेट किया .... "नाउ लुक बेटर क्रेज़ीबॉय" ... मुस्कुराता खुद से कहता हुआ वापस चल दिया.
आकर सीधा सामने बैठ'ते हुए पुच्छ ने लगा..... "नाउ इट'स फाइन"
सैली..... हां, पहले से ठीक है. अब जर्रा ये बताओगे कि ये सब चल क्या रहा है ?
गौरव.... क्या सब, थोड़ी डीटेल प्लीज़, समझा नही.
सैली..... क्या डीटेल क्रेज़ीबॉय, जान कर भी अंजान ना बनो. ये पागलों की तरह दिन भर सड़क की खाक क्यों छान रहे थे और खुद का ऐसा हाल क्यों बनाए रखा है ?
गौरव....... कुछ नही, बस ऐसे ही. तुम कल क्यों रो रही थी ?
सैली आँखे गुर्राते हुए ...... पहले मैं पुछि इसलिए मेरे सवालों का जवाब दो, सवाल का जवाब सवाल से मत दो.
गौरव.... जवाब इसी बात से जुड़ा है, इसलिए सवाल किया.
गौरव की बात से सैली चिढ़ती हुई..... रहने दो मुझे कोई बात हे नही करनी इस पर अब, सुबह से कुछ खाए कि नही, सच बताना, झूट बोला तो खून कर दूँगी तुम्हारा.
गौरव.... अर्रे हंस कर एक नज़र इधर प्यार से देख लो मर तो वैसे ही जाएँगे, तुम खून कर के जैल क्यों जाना चाहती हो.
सैली.... मज़ाक सूझ रहा है तुम्हे, क्रेज़ीबॉय प्लीज़, इस वक़्त मैं मज़ाक के मूड मे बिल्कुल नही हूँ, तुम किसी भी बात का सीधे-सीधे क्यों नही जवाब देते....
गौरव.....
सूरत-ए-हाल वो सब मालूम किए, अंजाने से बैठे
वो सवालों मे खुद की ख्वाइश का, जवाब ढूँढ'ते हुई
हम बेसबरे कि उन्हे देख बस, दिल की आवाज़ सुनते हैं
और वो हैं कि, झूठी नाराज़गी से अंदर ही अंदर मुस्कुराते हैं
मूलयज़ा फरमाईएगा हुजूर ...
जब से देखी तेरी सूरत, खुद का होश कहाँ रहा बकीन
हम तो देख आप की इस सूरत, खुद को भूल जाते हैं
तेरी सूरत ऐसी कि देखते, कोई बात समझ नही आती
बस फिर दिल से जो आवाज़ निकली, वही सुना जाते हैं
सैली क्या रिएक्ट करती थोड़ी सी मुस्कुराइ, गौरव के बालों पर हाथ फेरी, और कहने लगी .... "पागल कहीं के, सच मे तुम्हे लोग क्रेज़ीबॉय क्यों कहते हैं मुझे समझ मे आ रहा है".
दोनो हँसने लगे, वहाँ फिर थोड़ा सा अल्पाहार लिया, और वापस से स्कूटी पर बैठ उड़ लिए दोनो.
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