RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वैसवी आने वाली संभावना को सोचती हुई और अपने सपनो को साकार करने के लिए, जो लड़का उसे चाहिए था वो तो राकेश बिल्कुल नही था, इसलिए वो ये बाय्फ्रेंड वाला झूठ बोल गयी. राकेश का तो जैसे सपना ही टूट गया हो. मायूसी से उसने बिना कुछ बोले अपनी बाइक स्टार्ट किया और वैसवी को चलने के लिए बोला.
जैसे हम किसी के साथ रहते रहते उसकी आदत सी होने लगती है वैसा ही कुछ वैसवी के साथ था, आज रास्ते भर राकेश चुप था, वैसवी को अंदर से अजीब लग रहा था पर उसे खुद पता नही क्या हो रहा था.
खैर वैसवी कॉलेज पहुँची, आज थोड़ा गुम्सुम थी सुबह की बातों को लेकर, पर अपनी सारी चिन्ताओ पर विराम लगाती उसने नीमा को कॉल लगा दी....
नीमा..... ओह्ह्ह माइ गॉड ! वासू तुझे ही कॉल लगाने वाली थी, मिस यू डार्लिंग सो मच. कैसी है
वैसवी.... कल रात से मैं भी तुम से बात करना चाहती थी, पर वक़्त ज़्यादा हो गया था इसलिए कॉल नही कर पाई.
नीमा..... पागल हो गयी है, तेरे लिए कौन सा टाइम, सोई भी रहूं तो जगा कर बात किया कर. छोड़ ये सब फॉर्मल बातें और सुना कॉलेज कैसा चल रहा है, कोई बाय्फ्रेंड बनाई या अकेली ही मज़े कर रही है.
वैसवी.... तुम भी ना नीमा क्या कॉलेज का नाम ले रही है, बापू मेरे प्रोफ़ेसर नही होते तो कॉलेज कभी नही आती, पर उनकी नज़र रहती है अटेंडेन्स पर उपर से तू भी चली गयी मुझे आधे रास्ते छोड़, बिल्कुल अच्छा नही लगता यहाँ. प्लीज़ लौट आ मन नही लगता तेरे बिना.
नीमा..... हहे, पागल इतना अटकेगी तो लाइफ कैसे जिएगी, एक काम कर थोड़ा घूम फिर, कुछ दोस्त बना, हो सके तो 4,5 लड़को को अपने पिछे घुमा खुद इतनी बिज़ी हो जाएगी कि फिर किसी की याद नही आएगी.
वैसवी.... ऐसा होता है क्या बता, तेरी याद तो दिल से आती है.
नीमा, वैसवी की बातों मे थोड़ी उलझन महसूस की, ऐसा लगा कोई बात है जो अब तक बता नही पाई .......
नीमा.... वासू कोई बात है क्या, ऐसा लगा जैसे कुछ कहना चाह रही है पर कह नही पा रही. क्या चल रहा है तेरे मन मे अब बताएगी ज़रा.
वैसवी, नीमा की बात सुन'ने के बाद थोड़ी देर गुम्सुम रही... इस बीच नीमा ने एक बार फिर दोहराई ... "बात क्या है" ... वैसवी, नीमा की बात का जबाव देती हुई....
"नीमा थोड़ी कन्फ्यूज़ हूँ, कल रात को मेरे मॅन मे ख़याल आया कि क्यों ना मेरा भी एक बाय्फ्रेंड हो, और इसी बारे मे मैं तुमसे बात करना चाहती थी, पर सुबह वो राकेश है ना......
नीमा.... हां, वो तेरे स्कूल से जो साथ पढ़ता है, अब बता ना क्या किया उसने, यदि कोई उल्टी सीधी हरकत किया है तो तू बता मैं उसका मर्डर करवा दूँगी.
वैसवी.... अर्रे गुस्सा क्यों होती है, अच्छा लड़का है यार. लेकिन आज जब सुबह आई तो थोड़ा हँसी मज़ाक चल रहा था गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड के टॉपिक पर. उसके हाव-भाव से लगा वो मेरे लिए फीलिंग रखता है, लेकिन मैने उसे साफ समझा दिया कि, यदि कोई उसकी फीलिंग है मेरे लिए तो दिल से निकाल दे.
"बस इत्ति सी बात थी, लेकिन वो सीरीयस हो गया, ऐसा लगा जैसे उसने ये उम्मीद नही किया था. पूरे रास्ते चुप रहा, उसका चुप रहना मुझे अच्छा नही लगा"
नीमा.... हहहे, कहीं तू प्यार तो नही कर बैठी...
वैसवी.... नीमा तू भी ना, नही रे ऐसी कोई बात नही. मैं इसलिए परेशान हूँ कि मैने तो उसे क्लियर कर दिया कि हमारा रीलेशन संभव नही, बस इस बात को लेकर सीरीयस हो गया और हमारा इतना लंबा साथ रहा है तो उसका चुप रहना थोड़ा अखर गया. जबकि कल हम पूरे दिन साथ मे घूमे भी थे.
नीमा.... डफर तू खुद कन्फ्यूज़ है और मुझे भी कर रही है. रात को तू सोची, कि तू एक बाय्फ्रेंड बनाना चाहती है, और सुबह जब तुमने राकेश को मना कर दी तो तुम्हे फील भी हो रहा है कि वो उदास क्यों है, तो जब तुम्हे बाय्फ्रेंड ही बनाना है और तुम्हे राकेश का चुप रहना फील भी हो रहा है, देन व्हाई नोट गिव हिम आ चान्स, और तू तो अच्छे से जानती भी है उसे.
वैसवी.... लेकिन यार मैने कभी उसके बारे मे नही सोचा, उस फट-फटिया छाप की मैं गर्लफ्रेंड बनू यक्ककक, कभी नही. मेरा तो बाय्फ्रेंड कोई राजकुमार टाइप होगा, हे ईज़ नोट इल्लिजिबल फॉर माइ बाय्फ्रेंड.
वैसवी की बातें सुन कर नीमा हँसने लगी, और हँसते हुए जबाव दी...
"ओह्ह्ह ! तो ऐसी बात है, तेरे बातों से तो साफ हो गया तुम्हे बाय्फ्रेंड नही टाइमपास चाहिए, और ये भी कि तुम्हे आदत सी हो गई है राकेश के साथ बात करने की. चल कोई बात नही घर मे भी जब लोग बात नही करते तो थोड़ा फील होता है, पर कुछ दिनो मे सब नॉर्मल हो जाता है. तू राकेश की चिंता छोड़ और अपने राजकुमार पर कॉन्सेंट्रेट कर"
अपनी छोटी सी उलझन बयान करने के बाद जो नीमा से जबाव मिला वो काफ़ी संतुष्टि जनक था. सच तो ये था कि वैसवी करना सब कुछ चाहती थी पर वो राकेश का साथ नही छोड़ना चाहती थी.
घर, कॉलेज और उसकी राजशर्मास्टोरीसडॉटकॉम पर कहानियाँ पढ़ने की चाहत बस इतने मे ही दिन बीत'ता था वैसवी का. वैसवी अब पहले से ज़्यादा आरएसएस को एंजाय कर रही थी, एरॉटिक स्टोरीस उसे काफ़ी आकर्षित करने लगी थी, और वो लगातार अपनी चाहतों पर वर्काउट कर रही थी यानी कि एक समृद्ध बाय्फ्रेंड की, जो उसकी इक्षाये पूरी कर सके.
इधर राकेश ने अपना एक तरफ़ा प्यार अपने अंदर दफ़न कर लिया और उसे बस इस बात की खुशी थी, कि कुछ भी हो कम से कम वैसवी उसके साथ है, क्या पता आज ना कल उसे भी राकेश के प्यार का एहसास हो जाए.
जिंदगी कुछ दिन रूटीन मे बिताने के बाद आख़िर वैसवी की तलाश ख़तम हुई. सनडे के दिन अपने घर से बोर होकर जब वो मार्केट घूम रही थी, पैसे तो थे नही वैसवी के पास, फिर भी अपनी अधूरी चाह लिए एक शॉपिंग कॉंप्लेक्स मे कुछ मॉडर्न आउटफिट देख रही थी.
वैसवी बहुत देर तक शो केस मे रखे रेड ड्रेस को घूर रही थी, नीचे टॅग देखी, दम था ₹12000, बस उस टॅग को देखी और मायूस वापस मूड गयी, और शॉपिंग कॉंप्लेक्स घूमने लगी.
घूम तो वो शॉपिंग कॉंप्लेक्स फालतू मे ही रही थी, पर बार बार उसका ध्यान उसी ड्रेस पर आता और वो रह-रह कर उसे देखती हुई वहाँ से गुजरती. दो बार ऐसे ही घूमती रही, बाद मे वैसवी तीसरी बार उस ड्रेस को देखने आई तो वो ड्रेस शोकेस मे नही थी.
बड़ी ही मायूस कदमों से खुद को कोस्ती हुई कि "क्यों वो ऐसे घर मे पैदा हुई जो ये ड्रेस तक नही खरीद सकी" अपनी चेतनाओ मे आगे चल रही थी. वैसवी के कदम आगे बढ़ रहे थे पर ध्यान कहीं और था, और वो टकरा गयी....
"आप ठीक तो है ना" .... 6 फिट लंबा बिल्कुल मॉडेल की पर्सनलटी का एक लड़का अपना हाथ आगे बढ़ाता हुआ वैसवी से बोला.
पर वैसवी को तो ड्रेस बिक जाने का गुस्सा था इसलिए वैसवी झुंझला कर बरस पड़ी उस पर....
"देख कर नही चल सकते, जान बुझ कर लड़कियों को परेशान करने के लिए टकराते है, नालयक लड़के, भागो यहाँ से"
वैसवी की बात सुनकर वो लड़का मुस्कुराता हुआ जबाव दिया ....
"मेडम देख कर मुझे नही आप को चलना चाहिए, क्योंकि मैं तो अपनी जगह पर ही खड़ा था, आकर तो आप टकराई"
वैसवी.... बस तुम लड़कों को मौका मिलना चाहिए, मैं यदि नही देख पाई तो तुम्हारे पास तो आँखें थी तुम क्यों नही साइड हो गये.
यूपी के वाराणसी का इलाक़ा और इतनी बातें हो और भला भीड़ ना जुटे ऐसा हो सकता है क्या, वैसवी को यूँ तेज-तेज चिल्लाते सुन वहाँ लोग जुट गये, भीर लगने लगी, उस लड़के ने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए वहाँ से निकालने मे ही अपनी भलाई समझी.
इधर कुछ लोग वैसवी से पुछ्ने लगे... "क्या हुआ, क्या हुआ"
वैसवी ने सारा दोष उसी लड़के पर माढ़ते हुए अपने साथ छेड़खानी का आरोप मढ़ दी उसके मत्थे, पर जबतक भीड़ कोई ऐक्शन लेती वो लड़का वहाँ से ओझल हो चुका था. वैसवी भी झल्लाती उठी और वहाँ से बाहर निकली.
ऑटो लेकर वैसवी अपने घर की ओर रवाना हुई ही थी, कि कुछ देर आगे जाने के बाद ऑटो वाले ने ब्रेक लगा कर ऑटो रोक दी. अचानक ब्रेक लगने से वैसवी थोड़ी अनबॅलेन्स हुई, इधर ऑटो वाला गुस्से मे तमतमाया चिल्लाते निकला... "हमारी छोटी गाड़ी है तो क्या हमें सड़क पर चलने नही दोगे"
ऑटो वाले को चिल्लाते हुए और ऑटो से उतरते देख वैसवी भी ऑटो से उतरी. कुछ ही फ़ासले पर एक आलीशान कार रुकी थी, वैसवी तो बस उस कार को ही देख रही थी, पर कार से जब वही शॉपिंग माल वाला लड़का उतरते दिखा तो वैसवी को बड़ा आश्चर्य हुआ...
ऑटो वाला लगातार बोले जा रहा था पर वो लड़का बिल्कुल मुस्कुराता हुआ ऑटो वाले के पास से गुजर गया और वैसवी के पास आकर खड़ा हो गया. वैसवी उसे देख थोड़ा घबरा गयी और इसी घबराहट मे उसने अपने कदमों को धीमे से पिछे लेते हुई उस लड़के से बोलने लगी ..... "प्लीज़ मुझे क्यों परेशान कर रहे हैं, मेरा पिछा छोड़ दीजिए"
वैसवी जितनी धीरे से अपने कदमों को पिछे ले रही थी, उस से काई गुना ज़्यादा स्पीड मे वो लड़का उसके सामने से बढ़ रहा था, लगभग 10 इंच का फासला होगा वैसवी और उस लड़के मे, कि उस लड़के ने वैसवी का एक हाथ पकड़ लिया.
वैसवी की धरकने बढ़ गयी, और वो बस तेज साँसे लेती हुए अपनी जगह पर खड़ी रही. वो लड़का मुस्कुराता हुआ अपने दूसरे हाथ से एक गिफ्ट पॅक का छोटा सा बॉक्स निकाला, और वैसवी के हाथों मे थमा कर वो लड़का मुस्कुराता चला गया.
वैसवी अब भी घबराई थी, सड़क पर वो भी खुले मे किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया, वैसवी का घबराना लाजमी था, वैसवी घबराई खड़ी रही इतने मे ऑटो वाला वैसवी को ऑटो मे बैठने को कहा.
वैसवी अपने मन के ख्यालों से जागती ऑटो मे बैठ गयी और ऑटो चल दिया वैसवी के घर की ओर. वैसवी के हाथो मे अब भी वो पॅकेट था, पर मन से घबराहट लिए ऑटो मे चुपचाप बैठी थी.
घर आ गया, ऑटो वाले को पैसे देकर वैसवी चली अपनी गली मे. वही रोज का नाटक लड़को के कॉमेंट आती जाती लड़कियों पर, और लड़कियाँ हमेशा दूर ही रही इन सड़क छाप मनचलों से, लेकिन वैसवी के साथ एक के बाद एक हुई घटनाओ ने चिढ़ा दिया था....
जैसे ही वो चौक से गुज़री एक लड़के ने कॉमेंट किया ... क्या पीस है यार, दिल करता है कच्चा चबा जाउ"
उस लड़के के कॉमेंट पर दूसरा लड़का अपनी टिप्पणी देते हुए.... यार कच्चा कैसे चबाएगा ये तो पूरी पकी हुई है.
वैसवी ने जब दोनो के कॉमेंट सुने तो गुस्से से पागल हो गयी, आओ देखी ना ताव और बड़ी तेज़ी से उनके पास गयी और एक थप्पड़ उस लड़के के गाल पर रसीद कर दी. कितना गुस्सा वैसवी को था उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता था कि थप्पड़ पड़ते ही कई लोगों का ध्यान उसी ओर खिंच गया.
वैसवी ने उसे एक थप्पड़ मारने के बाद अपना सारा गुस्सा उसपर उतारती हुई.... कमीनो अगर आज के बाद कोई फालतू बकवास की इस चौराहे पर बैठ कर , तो चप्पल से मारूँगी, भाग यहाँ से हरामज़ादे.
वैसवी का गुस्सा देख वहाँ से सारे लड़के खिसक लिए, इधर वैसवी भी अपनी बात बोलने के बाद घर चली आई.... घर आते ही माँ ने उसके चेहरे की उड़ी रंगत देखी और समझ गयी, कि एक जवान लड़की का यूँ परेशान होकर घर आना किस ओर इशारा करता है.
वैसवी की माँ ने उसे हाथ मुँह धो कर खाना खाने को कही, और अपने काम मे लग गयी. वैसवी जब खाना खा कर फ़ुर्सत हुई तो सीधी अपने कमरे मे घुस गयी और आज हुई घटनाओ पर सोचने लगी.
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