Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:17 AM,
#62
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज-"ठीक है माँ,आज पापा के आने से पहले आप वो सेक्सी हॉट नायटी पहन लेना,पापा आज आपको देख कर खुश हो जाएंगे'
रेखा-"और अगर नहीं हुए तो,अब तक तो कुछ किया नहीं उन्होंने'रेखा चिंतित होते हुए बोली।
सूरज-"अगर नहीं हुए तो आप उनसे उम्मीद छोड़ देना" रेखा यह सुन कर मायूस हो जाती है।
रेखा-"हम्म तू ठीक बोलता है सूरज"
सूरज-"माँ आप परेसान मत हो,मेंरे पास एक उपाय है" रेखा चोंक जाती है।
रेखा-"क्या उपाय है?"
सूरज-"माँ एक रबड़ का पेनिस आता है वो में आपको ले आऊंगा,उससे आप कर लिया करना"
रेखा-" ये पेनिस क्या होता है?"अब सूरज शर्म की बजह से चुप हो जाता है ।
रेखा-"बोल न क्या होता है ये रबड़ का पेनिस,अब शर्मा क्यूँ रहा है,सब कुछ तो देख लिया और बात भी कर ली"
सूरज का हौशला बढ़ जाता है ।
सूरज-"पेनिस लंड को बोलते हैं,में रबड़ का पेनिस ले आऊंगा",रेखा यह सुन कर शर्म से लाल हो जाती है।
रेखा-'रबड़ का भी लंड...सॉरी पेनिस आता है?"रेखा चोंक जाती है चुकी आज से पहले उसने न तो देखा है और न सुना है। रेखा गर्म होती जा रही थी।
सूरज-'हाँ माँ"
रेखा-"ठीक है पहले मुझे ला कर दिखा,अब तू जा में नहा लू"
सूरज-"माँ नहाओगी या कुछ और करोगी"सूरज रेखा को छेड़ते हुए हस कर बोला। रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"और कुछ क्या?"
सूरज-"मालिस"रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"नहीं सिर्फ नहाउंगी"सूरज कमरे से निकल कर बाहर मेडिकल शॉप से एक छोटा सा डिडलो लाकर अपने कमरे में रख लेता है। इधर रेखा भी आज की घटना सोचते सोचते सो जाती है और 
सूरज भी बेड पर लेट कर रेखा केबारे में सोचने लगता है । सोचते सोचते सो जाता है ।
रात के 9 बजे आँख खुलती है सूरज की ।

रात के 9 बजे सूरज की आँख रेखा के जगाने पर खुलती है।
रेखा-'सूरज बेटा उठ जा तेरे पापा आने वाले हैं" सूरज उठ जाता है ।
सूरज-"पापा अभी तक आए नहीं माँ'
रेखा-"अभी नहीं बस आने वाले हैं"रेखा के चेहरे पर कामवासना की उत्तेजना और शर्म दोनों थी।
सूरज-" पापा के आने से पहले आप शार्ट बाली नायटी पहन लो" 
रेखा-'पहन तो लूंगी, लेकिन घबराहट सी हो रही है, आज से पहले शार्ट कपडे कभी नहीं पहने"
सूरज-"ओह्ह्ह माँ,पापा को आप आकर्षित करना चाहती हो या नहीं?"
रेखा-"हाँ करना चाहती हूँ"
सूरज-"तो आप जल्दी से नायटी पहन लो" रेखा कमरे से जाने लगती है।
सूरज-"सुनो माँ"
रेखा-"हाँ बोल"
सूरज-"अंदर ब्रा और पेंटी मत पहनना" रेखा शर्मा जाती है ।
रेखा-"धत् कैसा बेटा है तू" रेखा शरमाती हुई अपने कमरे में जाकर मेक्सी उतार कर नंगी हो जाती है,अंदर ब्रा पेंटी नहीं पहनी थी रेखा। जैसे शीशे के सामने जाती है तो अपनी कोमल और हलके बालो से सजी चूत को सहलाने लगती है,सहलाते ही अपनी चूत पर दो चपत लगाती है ।
रेखा-"(मन में) रेखा अपनी चूत पर चपत लगाती हुई बोली, फ़िक्र मत कर आज तुझे तेरा हमसफ़र मिलेगा,आज तू शुहागिन बनेगी,और पूरी रात ठुकेगी,बहुत रोती है न तू लंड के लिए,आज मेरे पतिदेव तेरी 22 साल की कसक निकाल देंगे"रेखा कामुक मुस्कान के साथ अपनी हॉट ब्रा पहनती है जिसमे जिसमे सिर्फ निप्पल ही ढके हुए थे,उसके बाद पेंटी जिसमे आगे जाली थी,चूत पूरी तरह से दिखाई दे रही थी। रेखा ब्रा पेंटी ही पहन पाई थी तभी उसे बीपी सिंह की आवाज़ सुनाई देती है।
बीपी सिंह-'वाह्ह्ह्ह् रेखा आज तो क़यामत लग रही हो"रेखा पलट कर दरबाजे पर देख कर शर्मा जाती है सामने बीपी सिंह खड़ा था। रेखा जल्दी से नायटी पहन लेती है जो उसकी गांड को ही ढक पा रही थी,और ऊपर आधे से ज्यादा बूब्स दिखाई दे रहे थे और ब्रा भी ।
रेखा-"अरे आप कब आए जी" रेखा शरमाती हुई बोली।
बीपी सिंह-"बस आकर खड़ा हुआ हूँ,कपडे बहुत अच्छे लाइ हो,इन कपड़ो में तुम बहुत सुन्दर लग रही हो,अगर में जवान होता तो अभी शुहागरात मना लेता" रेखा अपने पति की इस बात को सुनकर शंशय में पड़ जाती है की यदि वो जवान होता तो अभी शुहागरात मना लेता।
रेखा-'किसने कहा आप अभी जवान नहीं हो"रेखा जानबूझ कर अपने पति को उकसाती है जवानी का बास्ता देकर ।
बीपी सिंह-" अब क्या बताऊ तुम्हे रेखा,देखने से तो में जवान लगता हूँ लेकिन मेरी पुरुष शक्ति बीमारी के कारण नष्ट हो गई' रेखा सुन कर चोंक जाती है,उसके अरमानो पर पानी फिरता दिखाई दे रहा था उसे ।
रेखा-"मतलब नहीं समझी"
बीपी सिंह-"मेरी बन्दुक किसी काम की नही है"बीपी सिंह अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला तो रेखा के होश ही उड़ जाते हैं।
रेखा-"आपने इलाज नहीं करवाया?"
बीपी सिंह-"क्या करता इलाज करवा कर,मुझे सेक्स में कोई रूचि भी नहीं रही" बेचारी रेखा को ऐसा लगा जैसे उसका घर ही उजड़ गया हो।
रेखा-'कोई बात नहीं"बेचारी रूखे मन से अपनी प्रवल इच्छाओ की बली चढ़ती देख उसे बहुत गहरा धक्का सा लगा था।
बीपी सिंह-"अरे हाँ रेखा,मुझे अभी आस्ट्रेलिया जाना है, मेरी फ्लाइट एक घंटे बाद है,में खाना खा कर निकलता हूँ,तुम अपना ध्यान रखना" बेचारी रेखा तो शोक में खड़ी थी,सिर्फ "हाँ ठीक है"इतना ही बोल पाई, आज शुहागन होते हुए भी ऐसा लग रहा था जैसे विधवा हो गई हो। बीपी सिंह और रेखा डायनिंग टेवल पर जाकर खाना खाते हैं।
एक घंटे बाद बीपी सिंह जाने लगता है।
बीपी सिंह-"रेखा ध्यान रखना अपना,में तीन चार दिन में आ जाऊँगा"
रेखा-"जी ठीक है",बीपी सिंह रेखा को गले लगा कर निकल जाता है। रात के 11 बज चुके थे। रेखा का अब इस घर में मन नहीं लग रहा था। वो सूरज के कमरे में जाती है लेकिन सूरज उसे दिखाई नहीं देता है। रेखा समझ जाती है वो छत पर होगा,रेखा ऊपर जाती है । सूरज अकेला बैठा सड़क पर आते जाते लोगो को देख रहा था। रेखा सूरज के पास आकर खड़ी हो जाती है ।जैसे ही सूरज रेखा को देखता है तो उछल जाता है।
सूरज-"अरे माँ आप,क्या बात है थकी थकी सी लग रही हो,लगता है पापा ने आज बहुत मेहनत की है" सूरज रेखा के मायूस चेहरे को देख कर बोला,उसे क्या पता थी उसकी दुनिया और सारे सपने उजड़ गए हैं उसी के शोक और वियोग में खड़ी है। सूरज की नज़र रेखा की नायटी पर जाती है जिसमे उसके आधे से ज्यादा बूब्स और थोड़ी सी गांड दिखाई दे जाती है । सूरज लोअर पहना हुआ था जिसमे उसका लंड खड़ा हो जाता है।
सूरज-"माँ आप इस नायटी में बहुत हॉट और सेक्सी लग रही हो,पापा के होश उड़ गए होंगे,बोलो न माँ कितनी बार किया पापा ने" इस बार रेखा अपने वियोग से निकल कर बोलती है।
रेखा-"तेरे पापा नपुसंक है"यह सुनकर सूरज हैरान रह जाता है।
सूरज-"क्या पापा नपुसंक है,आपने देखा उनका पेनिस"
रेखा-"क्या करती देख कर,जब उन्होंने बोल ही दिया उनकी बन्दुक अब किसी का एनकाउंटर नहीं कर सकती है" सूरज को बहुत दुःख होता है। रेखा की आँख से आंसू निकलने लगते हैं।सूरज रेखा को गले लगा लेता है, रेखा सूरज से लिपट जाती है और रोने लगती है, सूरज रेखा को चुप करवाता है,इधर गले लगने से सूरज का लंड फिर से रेखा की चूत पर टकराता है, रेखा सिहर जाती है। काफी देर तक सूरज रेखा को शांत करवाता है ।
सूरज-"माँ आप परेसान मत हो, में आपके लिए डिडलो ले आया हूँ,उससे आप अपना काम चला सकती हो" 
रेखा-"अब ये डिडलो क्या है?"
सूरज-'रबड़ का लंड" रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"कैसा होता है एक बार दिखा"
सूरज-"मेरे कमरे में रखा है चलो" सूरज रेखा को लेकर कमरे में जाता है,कमरे की लाइट जलाते ही सूरज रेखा की सेक्सी नायटी को देखने लगता है। रेखा के उरोज का आकार देख कर सूरज का मन उन्हें चूमने का करता है। फिर सूरज की नज़रे रेखा की जांघो पर जाती है जो दूधिया सफ़ेद मोटी मोटी चमक रही थी, रेखा की नायटी में उसकी चौड़ी गांड उसके बदन को और ज्यादा आकर्षण बना रही थी, सूरज के इस तरह देखने से रेखा मन ही मन शर्मा जाती है तभी उसे सूरज के लोअर में खड़ा लंड दिखाई देता है,रेखा की चूत गीली होने लगती है।
रेखा-"क्या देख रहा है सूरज"सूरज एक दम होश में आता है ।
सूरज-"माँ आप कितनी खुबसुरत हो,और हॉट"
रेखा-"हाँ मुझे पता है में हॉट हूँ"रेखा मुस्करा कर बोली।
सूरज-"कैसे पता चला माँ" 
रेखा-"तेरे उसको जो हमेसा खड़ा ही रहता है"रेखा सूरज के लोअर में बने तम्बू की ओर इशारा करते हुए बोली, सूरज का लंड झटका मारता है,जैसे माँ को सलामी दे रहा हो।
सूरज-'मैंने कहा था न माँ,आप हो ही इतनी हॉट किसी का भी खड़ा हो जाएगा आपको देख कर" 
रेखा-"जिनका खड़ा होना चाहिए उनका तो हुआ नहीं,दुसरो के खड़ा होने से मुझे क्या फायदा" 
सूरज-"हाँ माँ ये बात तो ठीक है, आप खड़ी क्यूँ हो बैठ जाओ न" रेखा जैसे ही सोफे पर बैठी सूरज को रेखा की लाल जालीदार पेंटी दिखाई दे जाती है जिसमे रेखा की काली झांटे उभर रही थी,और पेंटी भी भीगी हुई थी, सूरज का लंड बाहर आने के लिए मचल जाता है,सूरज का मन कर रहा था माँ की चूत को चाट ले । रेखा समझ जाती है सूरज उसकी पेंटी देख रहा है रेखा नायटी से पेंटी को ढक लेती है। सूरज अपना लंड हाँथ से मसल देता है ।रेखा की चूत भी अब तक फड़कने लगी थी।
रेखा-'सूरज अब दे दे मुझे वो"
सूरज-"क्या?"
रेखा-'रबड़ का...' रेखा लंड बोल नहीं पा रही थी शर्म से।
सूरज-"रबड़ का क्या माँ",सूरज जानबूझ कर रेखा को छेड़ते हुए बोला।
रेखा-"तू जानता है,परेसान मत कर दे दे मुझे"रेखा अपने कमरे में जाकर अपनी भड़कती चूत की प्यास बुझाना चाहती थी ।
सूरज-'एक बार बोलो तो माँ, आपके मुह से सुनना चाहता हु" 
रेखा-" तू मुझे बेशरम बना कर छोड़ेगा सूरज, रबड़ का लंड दे दे" 
सूरज-" रबड़ का लंड, किसमें दू माँ" रेखा शर्मा जाती है,सूरज रेखा की चूत की ओर देखते हुए बोला।
रेखा-"मेरे हाँथ में दे,और तू किसमें देंना चाहता है" रेखा भी सूरज को छेड़ते हुए बोली।
सूरज-'जहां घुसाया जाता है वहां"यह सुनकर रेखा की चूत फड़कने लगती है और कामरस की बुँद भी टपक जाती है, रेखा नायटी के ऊपर से ही अपनी चूत मसल देती है ।
रेखा-" कहाँ" रेखा सिसकी लेते बोली,रेखा की चूत में खलबली मची थी,उसे भी मजा आने लगा था।
सूरज-" चूत में" यह सुनकर रेखा के रोंगटे खड़े हो गए,सूरज ने पहली बार अपनी माँ की चूत की ओर इशारा करते हुए चूत शब्द का शम्बोधन किया था।
रेखा-"ओह्ह्ह कितना बत्तमीज हो गया है तू,इतने गंदे शब्द भी बोलता है तू,कोई बेटा अपनी माँ के सामने ऐसा बोलता है क्या"
सूरज-"माँ इसे चूत न बोलू तो क्या बोलू,जब उसका नाम ही यही है तो बोलना तो पड़ेगा ही" रेखा की चूत में सरसराहट होने लगती है काम उत्तेजना बढ़ने लगती है,चूत को पुन मसलती है।
रेखा-"अब जल्दी से मुझे बो लंड दे दे"रेखा भी खुल कर बोली इस बार ।लेकिन सूरज की नज़र तो रेखा की जांघो पर थी।
सूरज-"माँ आप अपनी चूत क्यूँ मसल रही हो,कोई परेसानी है क्या?"रेखा को झटके पर झटके लग रहे थे।
रेखा-"कोई परेसानी नहीं है सूरज,तू बस आप बो रबड़ का लंड दे दे,मुझे वो करना है"रेखा चूत की आग में जल रही थी ।
सूरज रबड़ का लंड अलमारी से निकाल कर रेखा के पास सोफे पर बैठ जाता है, रेखा डिडलो को देख कर चोंक जाती है बिलकुल हु-ब-,हु लंड की तरह था जो 5 इंच और ढाई इंच मोटा था। रेखा हाँथ में लेकर लंड को सहलाती है उसे महसूस करती है।
रेखा-"यह तो बहुत बड़ा है सूरज,इससे तो मेरी जान निकल जाएगी'
सूरज-"अरे माँ ये लंड तो मेरे लंड से बहुत छोटा है,ये तो आराम से घुस जाएगा" 
रेखा-"मुझे तो ये तेरे बराबर ही लग रहा है और तू इसे छोटा बोल रहा है,पिछली बार गाँव में जब तेरा लंड गलती से मेरी चूत में घुसा था तब मेरे अंदर छाले पड़ गए थे,इसे में नहीं घुसा पाउंगी सूरज"
सूरज-"अरे माँ मेरे पास तेल भी है उससे ये आराम से चला जाएगा,ये वास्तव में मेरे लंड से बहुत छोटा है" 
रेखा-'में नहीं मानती हूँ ये छोटा है",रेखा अब जानबूझ कर उकसा रही थी सूरज को ताकि सूरज अपना लंड दिखा दे। सूरज भी इसी पल के इंतज़ार में था सूरज अपना लोअर उतार कर लंड को आज़ाद कर देता है, रेखा सूरज के लंड को आँखे फाड़े देख रही थी, लंड का लाल सुपाड़ा देख कर रेखा के मुह में पानी आने लगता है। सूरज का लंड विकराल रूप से खड़ा था ।
सूरज-'देखो माँ मेरा लंड और ये डिडलो" सूरज दोनों की लंबाई नापते हुए बोला।
रेखा-"डिडलो थोडा ही छोटा है"
सूरज-"माँ अपने हाँथ से नाप के देखो" रेखा अपने कपकपाते हांथो से डिडलो और सूरज के लंड को नापती है ।जैसे ही रेखा का हाँथ सूरज के लंड से स्पर्श होता है सूरज का लंड झटका मारने लगता है।रेखा की चूत बहने लगती है ।
सूरज-"माँ अब मेरा लंड पकड़ कर इसकी मोटाई देखो और डिडलो की", रेखा इसी बात का इंतज़ार कर रही थी तुरंत सूरज का लंड पकड़ कर मुट्ठी में लेती है सूरज का लंड फड़फड़ाने लगता है ।
रेखा-"ये तो झटके मार रहा है" रेखा लंड को सहलाती हुई बोली।
सूरज-"इसको शांत करना पड़ेगा"
रेखा-"कैसे शांत करता है इसे"
सूरज-"चूत में डालकर"
रेखा-"आज ही तो तूने हेलिना के साथ सेक्स किया था,अब फिर से इसे चाहिए'
सूरज-"इसने आपकी पेंटी में चूत की झलक देख ली है माँ,अब ये मुझे पूरी रात परेसान करेगा" सूरज रेखा की पेंटी देख रहा था जिसमें उसकी चूत झलक रही थी।
रेखा-'बड़ा बत्तमीज है तेरा लंड अपनी माँ की चूत देख कर भड़क गया,इसकी पिटाई लगा दूंगी"
सूरज-" माँ एक बार मुझे अपनी पेंटी और ब्रा में जिस्म दिखा दो"
रेखा-"क्या करेगा देख कर'
सूरज-'आपके जिस्म को देख कर मुठ मारूँगा" 
रेखा-"नहीं यह गलत है,में चली अपने कमरे में,मुझे भी डिडलो करना है,तू अपना हाँथ से हिला ले"रेखा हँसती हुई, डिडलो लेकर कमरे में भाग जाती है। सूरज बेचारा देखता रह गया।

रेखा अपने कमरे में आते ही नायटी उतार देती है। बेड पर लेट कर अपनी पेंटी को टांगो से आज़ाद करके डिडलो पर तेल लगा कर चूत में प्रवेश करती है। बहुत देर से उसकी चूत फड़क रही थी, डिडलो थोडा सा ही अंदर जाता है,रेखा सिसक पड़ती है,अपनी दोनों टांगो को फैला कर डिडलो को पूरा घुसेड़ना का प्रयत्न करती है। रेखा की साँसे और धड़कन तेजी से चलने लगती है उत्तेजना के मारे रेखा पूरा डिडलो चूत में जाते ही जोर से चीखती है।
रेखा को हल्का सा दर्द होता है लेकिन तेल की चिकनाई के कारण अब आराम से अंदर बाहर होने लगता है। जीवन के 22 साल बाद उसे सम्भोग का सुख रबड़ के लंड से मिल तो रहा था लेकिन पूर्ण संतुष्टि नहीं ।
रेखा डिडलो को तेजी से चूत में चलाने लगती है और कुछ देर बाद ही झड़ जाती है। 
रेखा झड़ने के पश्चात सूरज की ही कल्पना करती है। ऐसा लग था था जैसे सूरज उसकी चूत मार रहा है । रेखा झड़ने के बाद फिर से डिडलो को चूत में चलाने लगती है और कुछ देर बाद फिर से झड़ जाती है । अब रेखा के शारीर में जान नहीं थी इसलिए सो गई ।
इधर सूरज भी मुठ मार कर सो गया ।
सुबज 9 बजे सूरज की आँख खुली फ्रेस होकर निचे गया । रेखा उसे दिखाई नहीं दी। सूरज रेखा के कमरे में गया लेकिन रेखा उसे वहां भी दिखाई नहीं दी तभी बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आई।
सूरज बेड पर बैठ गया तभी उसे तकिया के पास डिडलो दिखाई दिया। सूरज उसे उठाकर देखने लगा । रेखा की चूत का पानी उस पर लगा हुआ था जैसे अभी उसने चूत में डाला हो। सूरज ऊँगली से कामरस लेकर चाटने लगता है तभी रेखा सेक्सी नायटी पहन कर बाथरूम से निकलती है और सूरज को कामरस चाटते हुए देखती है ।
रेखा-',सूरज ये क्या कर रहा है? सूरज पलट कर रेखा को देखता है,रेखा नायटी में ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके बूब्स आधे से ज्यादा दिखाई दे रहे थे और बालो से पानी टपक रहा था । रेखा बहुत सेक्सी लग रही थी ।
सूरज-"माँ इस पर सफ़ेद दूध जैसी मलाई लगी हुई है उसे चाट रहा हूँ",
रेखा-"छोड़ उसे वो मलाई नहीं है" रेखा डिडलो छीन लेती है ।
सूरज-"फिर क्या है माँ,बहुत स्वादिष्ट है" रेखा की चूत में चीटिया रेंगने लगती है ।
रेखा-"मेरा सफ़ेद पानी है"
सूरज-"आपका सफ़ेद पानी ये आपकी चूत से निकला हुआ पानी है क्या" रेखा की चूत गीली होने लगती है।
रेखा-"हाँ " रेखा शर्मा जाती है। और सोफे पर बैठ जाती है । रेखा भूल जाती है उसने पेंटी नहीं पहनी है,सूरज रेखा की चूत देख लेता है। जिस पर हलके काले बाल थे,रेखा की चूत की क्लिट दिखाई देती हैं जो दरबाजे की तरह खुल चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे गुलाब की दो पंखुडी हो। रेखा की चूत से रस निकल रहा था,जिससे उसकी चूत चमक रही थी।
सूरज-" माँ कितने बार आपने डिडलो से सेक्स किया" 
रेखा-"तीन बार"सूरज का लंड झटके मारने लगता है ।
सूरज-"ओह्ह्ह माँ पूरा घुस गया ये आपकी चूत में",सूरज अपना लंड मसलते हुए रेखा की चूत की ओर इशारा करते हुए बोला।
रेखा-"हाँ पूरा घुस गया" रेखा भी उत्तेजित हो जाती है। 
सूरज-"माँ आपकी चूत पे बाल उग आए हैं,साफ़ नहीं की आपने"
रेखा-'तूने कब देख ली मेरी चूत"
सूरज-"में तो अभी देख रहा हूँ आपकी चूत"रेखा तुरंत झुक कर अपनी चूत देखती है जो सूरज को साफ़ दिखाई दे रही थी।
रेखा-"ओह्ह्ह में पेंटी पहनना भूल गई,तू बहुत बत्तमीज है बड़े आराम से अपनी माँ की चूत देख रहा है" रेखा सोफे से उठ कर खड़ी हो जाती है।
सूरज-"माँ देखने दो न,आपकी चूत बाकई में बहुत अच्छी है मेरा मन कर रहा है आपकी चूत में जीव्ह डालकर सारा पानी चाट जाऊं" रेखा यह सुनकर हैरान रह जाती है ।
रेखा-'धत् ये भी कोई चाटने की चीज है कितना गन्दा है तू,रुक में पेंटी पहन लू"रेखा बॉथरूम जाने बाली थी।
सूरज रेखा का हाँथ पकड़ कर बेड पर बैठा देता है।
सूरज-"रहने दो न माँ,ऐसे ही अच्छी लगती हो"
रेखा-" तुझे तो हेलिना बहुत पसंद है,उसी की चूत देख"
सूरज-"अरे माँ कहाँ हेलिना और कहाँ आप,आप उसे लाख गुना अच्छी हो"
रेखा-"झूठी तारीफ़ न कर मेरी"
सूरज-'सच में माँ,मन करता है आपको बहुत प्यार करू"सूरज रेखा के गालो को चूमता है रेखा सिहर जाती है चूत में खलबली मच जाती है ।सूरज रेखा को दोनों हांथो से अपनी ओर खिसका लेता है ।
सूरज-'माँ डिडलो को चूत में डाल दू"सूरज डिडलो को पकड़ कर रेखा की झांघो पर फिराता है और चूत के पास ले जाता है,मेक्सी को ऊपर उठाने बाला होता है तभी रेखा सूरज का हाँथ पकड़ लेती है ।
रेखा-"मत कर सूरज,में अपने आपको रोक नहीं पाउंगी,सेक्स की आग में जल रही हूँ" सूरज रेखा को झुका कर बेड पर लेटा कर उसके ऊपर लेट जाता है ।
सूरज-"में हूँ न माँ,आपकी आग शांत कर दूंगा",सूरज रेखा के होंठो पर अपने होंठ रख देता है। सूरज जंगली की तरह रेखा के चेहरे को चूमता हुआ होंठो को चूसने लगता है, रेखा भी अब सूरज का साथ देने लगती है सूरज और रेखा एक दूसरे के मुह में जीव्ह डालकर चाटते है ।सूरज रेखा के होंठ चूसने के बाद गर्दन पर चूमने लगता है रेखा सिसक जाती है । बिना विरोध के सूरज का साथ देती है। सूरज रेखा को उठा कर नायटी से आज़ाद कर देता है रेखा के 40 साइज़ के बड़े पपीते जैसे बूब्स को सूरज चूसने लगता है निप्पल को होंठो से काटने लगता है ।
दोनों बूब्स को मसल कर निप्पल काटने लगता है रेखा की चूत बहने लगती है ।
रेखा-'आःह्ह्हूफ्फ्फ्फाह्ह्ह्ह् आह्ह्ह दर्द होता है आराम से बेटा" सूरज दोनों बूब्स बारी बारी चूसता है और फिर रेखा के पेट को चूमते हुए अपनी जीव्ह नाभि में डाल देता है रेखा सिसक जाती है और गांड उठा कर तड़पने लगती है ।
सूरज नाभि से जीव्ह निकाल कर रेखा की चूत को गोर से देखता है रेखा की चूत सिकुड़ती है तो कभी खुलती है । रेखा शर्मा रही थी । सूरज रेखा की टाँगे फेला कर चूत को सूंघता है फिर अपनी जीव्ह से चूत चाटने लगता है । रेखा तड़प जाती है आज से पहले उसकी चूत किसी ने नहीं चाटी थी ।
रेखा-'सूरज यह क्या कर रहा है,वो जगह गन्दी होती है अपनी जीव्ह हटा बहा से आह्ह्ह्हूफ्फ्ग्ग्ग्गह्ह्ह्ह्" रेखा तड़पते हुए बोली।
सूरज-"माँ सबसे स्वादिष्ट तो आपकी चूत ही है आज चाट लेने दो माँ" सुरज चूत में जीव्ह घुसेड़ देता है । रेखा को ऐसा लगा जैसे लंड घुसा हो ।
रेखा-'आह्ह्हूफ्फ्ग्ग्ग सूरज में झड़ जाउंगी" सूरज चूत का सारा पानी चाट कर जीव्ह निकाल देता है ।
सूरज-'माँ आपकी गांड बहुत अच्छी लगती है,इतनी मोटी गांड मैंने आज तक नहीं देखी, पीछे घुमो मुझे किस्स करनी है आपकी गांड की" रेखा पीछे घूम जाती है सूरज रेखा की गांड पर तमाचे मारता है और फिर मसलने लगता है ।
सूरज रेखा की गांड पर किस्सों की बरसात कर देता है।
रेखा-"सूरज अब ओर बर्दास्त नहीं होता बेटा, मेरी चूत में आग लगी हुई है" सूरज रेखा को चित लेटा कर डिडलो उठाता है, रेखा सूरज का हाँथ पकड़ लेती है ।
रेखा-'इससे नहीं सूरज,अपने लंड से कर"सूरज की तो मनोकामना ही पूरी हो गई थी सूरज अपनी टीशर्ट और लोअर उतार कर नंगा हो जाता है ।
रेखा की चूत पर एक किस्स करके अपना लंड चूत में घुसाता है, टोपा ही घुस पाया था रेखा दर्द से सिसकारी भर्ती है। सूरज आराम आराम घुसाता है।
रेखा-"तेल लगा कर घुसा सूरज"सूरज मेज पर राखी तेल की सीसी से तेल निकाल कर अपने लंड पर मलता है। सुरज का लंड तेल लगाने से चमकने लगता है । सूरज रेखा की टांगो को फेला कर अपना लंड चूत में प्रवेश करता है । आधा लंड घुसते ही रेखा तड़प उठती है । सूरज एक दूसरा झटका मारता है इस बार पूरा लंड रेखा की चूत में घुस जाता है ।
रेखा-"आःह्हूफ्ग्ग्ग सूरज कितना मोटा लंड है तेरा,और लंबा भी,मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दी" सूरज लंड निकल कर दुबारा घुसाता है रेखा गर्म हो जाती है अब सूरज रेखा की चूत में तेज तेज धक्के पेलने लगता है ।
सूरज-"माँ 22 साल से आपकी चूत बंद रही है,आज ऐसा लग रहा है जैसे कुंवारी लड़की की सील टूटी हो,बहुत टाइट है तुम्हारी चूत माँ" सूरज तेज तेज धक्के मारता है । रेखा झड़ जाती है । 
सूरज-"माँ घोड़ी बनो"रेखा घोड़ी बन जाती है सूरज रेखा की चूत देखता है ,लंड डालने से गुफा दिखाई देने लगती है । सूरज लंड डाल कर फिर से चौदने लगता है । काफी देर तक चोदने के बाद रेखा थक जाती है और फिर से लेट जाती है ।
सूरज रेखा की दोनों टाँगे कंधे पर रख कर चोदने लगता है ।
रेखा फिर से झड़ने लगती है लेकिन सूरज झड़ने का नाम नहीं ले रहा था ।
रेखा-"सूरज में दो बार झड़ गई तेरा पानी अभी तक नहीं निकला" 
सूरज-में भी झड़ने बाला हूँ माँ"सूरज तेज तेज धक्को के साथ झड़ जाता है, और लंबी लंबी सांसे लेता हुआ रेखा को सीने से लगा कर ऊपर ही लेट जाता है । रेखा भी सूरज को अपनी बाँहो में जकड़ लेती है । आधा घंटा लेटने के बाद सूरज का लंड सिकुड़ कर चूत से बाहर निकल आता है। रेखा सूरज को उठा कर बाथरूम में चली जाती है। सूरज भी बॉथरूम में जाकर नहाने लगता है ।
रेखा अपनी चूत को साफ़ कर लेती है ।
रेखा-",मुझे बहुत तेज पिसाब लगी है सूरज अब तू बाहर जा"
सूरज-"नहीं मेरे सामने मूतो,
रेखा-"मुझे शरम आएगी" 
सूरज-"अब कैसी शर्म माँ,"सूरज की चूत में जिव डाल देता है तभी रेखा मूतने लगती है । सूरज रेखा की पिसाब से अपना मुह धोने लगता है।
रेखा-"बेशरम है तू" दोनों लोग फ्रेस होकर निकल आते हैं ।
सूरज और रेखा रात में भी दो बार चुदाई करते हैं।
बीपी सिंह के चार दिन तक रोज़ाना सूरज दिन और में चुदाई करता था ।

एक महिने बाद इंडिया आने के बाद बीपी सिंह ने पूनम और तान्या की शादी बिजनेस मेन से कर दी। दोनों दीदी अच्छे घर में पहुँच गई जहाँ उनका हुकुम चलता है । कभी मुझे मोका मिलता तो दीदी मुझसे जरूर चुदवाती और अब वो दोनों अब प्रेग्नेंट हैं।
तनु दीदी तान्या दीदी की कंपनी संभालने लगी।
इस प्रकार चुदाई का सिलसिला चलता गया,कभी संध्या तो कभी रेखा । 

कहानी को पढ़ने और साथ देने के लिए सभी का आभार दोस्तों।

समाप्त
The end
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RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है - by sexstories - 12-25-2018, 01:17 AM

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