RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज-" माँ किसने बोला आप बूढी हो, माँ आप नहीं जानती हो की आप कितनी सुन्दर हो, 18 साल की लड़की भी आपकी सुंदरता का मुकाबला नहीं कर पाएगी, आपका जिस्म एक मोडल से भी अच्छा है, आप मेरे साथ जाओगी तो लोग मुझसे जलेगें और कहेंगे की इतनी सुन्दर अप्सरा इसे कहाँ से मिल गई" संध्या यह सुनकर फुले नहीं समां रही थी, आज पहली बार अपनी तारीफ़ सुनी थी संध्या ने। सूरज जब तारीफ़ कर रहा था तब संध्या के बदन को देख रहा था।
संध्या-" ओह्ह्हो सूर्या क्या बाकई में मेरा जिस्म मोडल से भी सुन्दर है, मेरा मन रखने के लिए मत बोलना,सच सच बोलना" संध्या खड़ी होकर अपने आपको देखती हुई बोली।
सूरज-" हाँ माँ आप बाकई में बहुत सुन्दर हो, आपको देख कर ऐसा लगता है की आपकी उम्र 30-32 साल से ज्यादा नहीं होगी, आपका फिगर गज़ब है" संध्या शरमा जाती है, सूरज जब फिगर शब्द बोलता है तब उसकी नज़र संध्या के तने बूब्स पर होती है ।
संध्या-"लेकिन मुझे ऐसा लगता है मेरा फिगर एक मॉडल के अनुसार ज्यादा है" संध्या अपने बूब्स की ओर देखती है फिर अपनी कमर की ओर देखती है"
सूरज-"अरे माँ आप बहम मत पालो,मुझे लगता है की आपका फिगर एक दम परफेक्ट है"
संध्या-"मतलब तुझे सिर्फ लगता है,है नहीं है फिगर"
सूरज-" मेरा मतलब है जितना मैंने आंकलन किया है,देखा है आपको मुझे लगता है सही है" सूरज सुबह की याद करके बोलता है जब उसने संध्या के बूब्स और चूत को देखा था,उसकी मांसल जांघो को देखा था ।
संध्या-" ओह्ह्ह तू आंकलन भी करता है मेरे फिगर का, अच्छा यह बता मेंरा फिगर अच्छा है या मधु का?" संध्या मधु से तुलना करवाती है सूरज से ।
सूरज-"माँ आपके फिगर का जवाब नहीं है,मधु मौसी तो आपके आगे जीरो हैं, आपकी उनसे तुलना करना बेकार है माँ, आप मधु मौसी से लाख गुना सुन्दर हो" संध्या मन ही मन बड़ी प्रसन्न होती है यह सुनकर ।
संध्या-' लेकिन मुझे लगता है मधु के अंदर आकर्षण मुझसे ज्यादा है,कॉलेज में लड़को की लाइन लगी रहती थी उसके पीछे"
सूरज-" माँ लड़को की लाइन उनके पीछे नहीं लगी रहती थी, मधु के जिस्म को पाने के लिए लाइन लगी रहती होगी" मधु यह सुनकर फिर से शर्माती है,
संध्या-"हाँ यह बात तो ठीक है मधु ने किसी लड़के को नहीं छोड़ा, अच्छा यह बता सूर्या तुझे मधु के अंदर क्या अच्छा लगा?" सूरज इस सवाल को सुनकर चोंक जाता है अब माँ को कैसे बताए की मधु की चूत अच्छी लगी।
सूरज-"माँ में इसका जवाब आपको नहीं दे पाउँगा,मुझे शर्म आती है,कहीं आपको बुरा न लग जाए इसलिए भी डरता हूँ"
संध्या-"सूर्या तू भूल गया इस समय तू एक माँ से नहीं दोस्त से बात कर रहा है, भूल जा इस रिश्ते को और एक दोस्त की तरह ही बात कर मुझसे" सूरज को बहुत ख़ुशी मिलती है संध्या के करीब आता जा रहा था। संध्या का भी सपना पूरा होता जा रहा था सूर्या के करीब आने का ।
सूरज-" माँ में आपको बता नहीं सकता,की उनके अंदर अच्छा क्या था"
संध्या-'अब तू मेरा दोस्त है साफ़ साफ़ बोल मुझे भी तो पता चले की उसके अंदर अच्छा क्या है"
सूरज को अब मौका मिल गया था साफ साफ बोलने का इसलिए बोल देता है ।
सूरज-" माँ मधु के अंदर हवस और जिस्म के अंदर आग बहुत है" सूरज हिम्मत करके बोल देता है ।
संध्या-"ओह्ह्ह तभी तूने उसकी आग बुझाई थी, चल कोई बात नहीं, जो हो गया सो गया, अब तो तेरा मन नहीं करता है उसके पास जाने का" संध्या जानबूझ कर सूरज को उकसा रही थी ताकि उससे खुल कर बात करें । संध्या बड़ी कामुक मुस्कान के साथ हँसती ।
सूरज-" अब मन का क्या वो तो चंचल होता है, अब तो मन को कंट्रोल करके ही जीना है'
संध्या-" अगर तुझे लगता है मधु की तुझे जरुरत है तो तू जा सकता है, में तुझे कुछ नहीं कहूँगी, या मन और इच्छाओं को कंट्रोल करना सीख जा"
सूरज-"माँ में कंट्रोल करना सीख जाऊँगा, आपने कल बोला था न की जिस्म को शांत करने के ओर भी तरीके हैं,में कोई ओर तरीका अपना लूंगा" सूरज का इशारा मुठ मारकर जिस्म शांत करने केलिए था,संध्या भी समझ चुकी थी सूरज मुठ मारने वाला दूसरा तरीका की बात कर रहा है, आखिर कार संध्या भी तो इसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल करती थी, चूत में ऊँगली करना दूसरा तरीका" संध्या और सूरज अंदर ही अंदर इस बार्तालाप से गर्मी महसूस कर रहे थे, संध्या की चूत से कामरस बहने लगता था,सूरज का भी मन कर रहा था अभी मूठ मार लू ।
संध्या-" हाँ मैंने कहा था और ये तरीका कुछ समय के लिए सही भी है, मुझे तो यह तरीका बहुत अच्छा लगता है" अनायास ही संध्या के मुह से निकल जाता है,यह सुनकर सूरज का लंड झटके मारने लगता है ।
सूरज-" माँ आपके पास दूसरे विकल्प का बहुत अच्छा साधन है, काश पुरुषो के लिए भी कोई ऐसा ही यंत्र होता" हँसते हुए बोला ।
सूरज डिडलो की बात कर रहा था,चूत के लिए तो डिडलो बना है,लेकिन लंड के लिए ऐसी ही रबड़ की चूत होती ऐसा सोचता है सूरज ताकि अपने लंड की भी आग बुझा सके।
संध्या यह सुनकर चोंक जाती है,उसे सुबह बाली घटना याद आ जाती है जब सूरज ने उसे नग्न देखा था और साथ में नकली लंड जिसे डिडलो कहते हैं । संध्या शर्माती है ।
संध्या-" मेरा पास कौनसा दूसरा साधन है सूर्या" जानबूझ कर चोंकते हुए पूछती है ।
सूरज-"मुझे माफ़ करना माँ में गलती से आज सुबह आपके कमरे में घुस गया था, तब मैंने आपको देख लिया था और वो दूसरा साधन...." सूरज हिम्मत करके बोलता है ।संध्या भी शर्मा जाती है ।
संध्या-" वो दूसरा साधन मेरा नहीं है वो तो मधु का था धोके से रह गया, क्या तूने सब कुछ देख लिया था सूर्या" संध्या चोंकते हुए बोली ।
सुरज-"हाँ माँ मुझे नहीं पता था आप उस हालात मे लेटी हो, वर्ना में कभी नहीं जाता, ऐसा क्या किया था माँ आपने रात में?" सूरज भी धीरे धीरे मजे लेते हुए बोला,लेकिन संध्या को हालात अब ख़राब थी,संध्या समझ चुकी थी सूर्या सब जानते हुए भो पूछ रहा है।संध्या की चूत पानी छोड़ रही थी।
संध्या-"ओह्ह सूर्या ये मत पूछ मुझे शर्म आ रही है अब तेरे सामने बताते हुए भी, तू समझ सकता है, खैर अब तू मेरा दोस्त है तो बता ही देती हूँ, मैंने दूसरे साधन का प्रयोग किया था जिसके कारण में बहुत थक चुकी थी,कब सो गई पता भी नहीं चला,सुबह तू आया तभी नींद खुली मेरी,तुझे शर्म नहीं आई मुझे इस हालात में देख लिया?" संध्या इस बार अंगड़ाई लेती हुई बोली,उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था,अब तक चूत भी कई बार फड़क चुकी थी ।
सूरज-"माँ शर्म तो बहुत आई लेकिन कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दिया मुझे" सूरज संध्या के बालों के झुण्ड की बात कर रहा था,जिसके कारण उसे चूत का लाल दाना दिखाई नहीं दिया ।
संध्या-" दिखाई नहीं दिया,क्या दिखाई नहीं दिया, मुझे ढंग से याद है में जब उठी थी तो बिस्तर पर नंगी ही थी और तू कह रहा है कुछ भी दिखाई नहीं दिया" संध्या भी असमंजस में थी की सूर्या को क्या नहीं दिखाई दिया ।अब सूरज कैसे बोलता की माँ बाल की बजह से चूत के दर्शन ठीक से नहीं हुए,लेकिन फिर भी हिम्मत करता है ।
सूरज-" व् व् वो माँ आपके बाल बहुत थे...? संध्या यह सुनकर शर्मा जाती है।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू तो बेशर्म है दोस्ती का गलत फायदा उठा रहा है, मुझे भी आज बेशरम बना देगा, ये क्या कह रहा है मेरे बालो की बजह से तू देख नहीं पाया,क्या देखना चाहता था तू" इस बार संध्या एक हाँथ से चूत को मसलती है ।
सूरज-"माँ आपने ही तो बोला था की हम दोस्त हैं और दोस्त से कुछ भी छुपाते नहीं है मेरे मन में यह जिज्ञासा हुई तो पूछ लिया,आपको यदि गलत लग रहा हो तो आप दोस्ती बाला रिश्ता छोड़ सकती हो,में तो आपके आदेश का पालन ही कर रहा हूँ"
सूरज नाराजगी का झूठा नाटक सा करता है,
संध्या-" चल तू पूछ सकता है कुछ भी, अब इतना प्यारा दोस्त बना है तो कौन पागल दोस्ती त्यागेगी" संध्या हँसते हुए बोली ।
सूरज-" माँ एक बात पूछू आपसे?"
संध्या-" कुछ भी पूछ,दोस्त हूँ तो अब पूछ सकता है"
सूरज-" माँ आपने सेक्स कब से नहीं किया है" सूरज के इस खुले सवाल सुनकर फिर से संध्या को झटका लगता है ।
संध्या-" 22 साल से नहीं किया है"
सूरज-" माँ आपका मन नहीं किया कभी किसी के साथ सेक्स करने का"
संध्या-"हाँ बहुत बार किया,लेकिन घर की इज्जत की खातिर नहीं किया'
सूरज-" जब सेक्स की इच्छा करती है तब आप क्या करती हो,मेरा मतलब है कैसे कंट्रोल करती हो अपने आपको" सूरज सब जानते हुए भी संध्या से खुलना चाह रहा था।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू आज सब कुछ जानकार ही दम लेगा, ऊँगली से करती हूँ,सूर्या अब में अपने कमरे में जा रहीं हूँ,बाकी के सवाल अब कल कर लेना" संध्या की चूत बिना ऊँगली किए ही रस छोड़ रही थी,संध्या जैसे ही उठती है तो हैरान रह जाती है जिस स्थान पर बैठी थी उस जगह उसकी चूत का कामरस लगा हुआ था,सूरज की नज़र भी एक दम से उसी दाग पर जाती है, सूरज एक ऊँगली से उस कामरस को लेकर देखता है ।
सूरज-"अरे माँ ये बेड भीग कैसे गया, ओह्ह्ह माँ समझ गया,लगता है आपका काम हो गया, या अभी अधूरा है" संध्या बुरी तरह शर्मा जाती है ।
संध्या-"सूर्या ये गन्दा है इसे ऊँगली से मत छू,बेडशीट बदल ले, अब में जा रही हूँ अधूरा काम पूरा करने" संध्या बड़ी कामुकता के साथ मुस्करा कर नीचे की ओर चली जाती है,सूरज भी संध्या के जाने के बाद संध्या के रूम में जाता है क्योंकि आज रात संध्या के साथ सोने का मन कर रहा था सूरज का ।
संध्या जैसे ही कमरे में आती है तुरंत बिस्तर पर चित्त लेट कर अपनी मेक्सी को उठाकर चूत को मसलने लगती है, काफी देर से उसकी चूत पनिया रही थी,उत्तेजना के मारे बार बार उसकी चूत पानी छोड़ रही थी, सूरज की बातों ने उसकी हवस को भड़का दिया था, सूर्या की कही गई कामुकता से भरी बातों को याद करके चूत के दाने को रगड़ती है, दोनों टांगे ऊपर करके चूत में उंगलियो के स्पर्श से उसका बदन आनंदित होता, काफी देर तक ऊँगली करने से आग शांत नहीं होती है तो संध्या तकिया के निचे रखा डिडलो निकाल कर चूत के द्वार पर रगड़ती है, उसकी साँसे ऊपर नीचे होती है,बूब्स को एक हाँथ से भींचती है,ऐसा लग रहा था पुरे बदन में आग लग गई हो,जिसे बुझाने का भरपूर प्रयास कर रही हो, डिडलो को चूत में प्रवेश करते ही कमरे के द्वार पर सूरज दस्तक देता है ।संध्या इस समय कठिन परिश्रम में जुटी हुई थी,हालाँकि वो समझ गई की दरवाजे पर सूर्या है लेकिन चूत की आग और अंतिम स्खलन के मोह में दरवाजा न खोल कर अंन्दर से ही आवाज़ लगाती है,।
संध्या-" ओह्ह सूररज बबादद् में अ आ आना" संध्या हवस और तड़प के कारण बोल भी नहीं पा रही थी,
सूरज-" माँ क्या हुआ, आपकी आवाज़ कपकपा क्यूँ रही है"
संध्या-" सुर्या प्लीज़ अभी कुछ मत पूछ सुबह बता दूंगी,अभी तू सो जा" सूरज समझ गया की माँ ऊँगली कर रही है।सूरज का लंड पेंट में झटके मारने लगता है, माँ की कामुकता भरी आवाज़ सुनकर सूरज का लंड बिना मुठ मारे ही पानी छोड़ने लगता है ।
इधर संध्या जैसे ही सूर्या का नाम लेती है और तेज आवाज़ और चीख के साथ झड़ जाती है, सूरज को समझते देर नहीं लगी की माँ भी झड़ चुकी है, सूरज बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके बाहर पड़े सोफे पर लेट जाता है, और लेटे लेटे ही नींद के आगोस में चला जाता है,सुबह संध्या देखती है तो हैरान रह जाती है की सूरज रात भर बहार ही सोया, संध्या सूरज को गुड़ मॉर्निंग बोल कर उठाती है।
संध्या-" गुड़ मोर्निंग सूर्या उठो,जल्दी से फ्रेस हो जाओ,में तान्या को उठाने जाती हूँ"
सूरज आँख खोलते ही संध्या को देखता है,झुकने के कारण उसके बूब्स मेक्सी में साफ़ दिखाई दे जाते हैं,सूरज का लंड तम्बू बन जाता है जिसे संध्या देख लेती है और गहरी मुस्कान के साथ चली जाती है ।
सूरज अपने कमरे में फ्रेस होकर तान्या से मिलता है,तान्या को दवाई खिलाने के बाद नीचे जाकर नास्ता करता है ।
संध्या सूरज को चाय नास्ता देकर खुद सूरज के पास बैठ जाती है ।
संध्या-"सूर्या आज मुझे मार्केट जाना है"
सूरज-"कब चलना है मार्केट, आप कभी भी चलो"
संध्या-" तुम अभी कंपनी जाओ,में फोन कर दूंगी तभी मुझे लेने आ जाना"
सूरज-"okkk माँ, में चलता हूँ" सूरज कंपनी के लिए निकल जाता है । गीता और सूरज कंपनी के आय व्यय को देखते हैं । इस बार उनकी कंपनी को कई गुना फायदा होता है, सूरज कंपनी के सभी कर्मचारियो का वेतन बढ़ा देता है ।सभी लोग सूर्या के इस फैसले से बड़े खुश होते हैं। गीता के लिए कंपनी की तरफ से एक कार गिफ्ट करता है और वेतन बृद्धि भी करता है ।गीता सूर्या से बहुत प्रभावित होती है । काफी देर तक कंपनी के सभी कार्य को पूरा करके सूरज संध्या को फोन करता है ।
सूरज-"हेलो माँ क्या आप फ्री हो गई,में आ जाऊं"
संध्या-"हाँ सूर्या आ जा में तैयार हूँ " सूरज गाडी लेकर तुरंत घर पहुँचता है । संध्या आज साडी पहनी थी, डीप गले का ब्लाउज में बहुत ही आकर्षण और सुन्दर लग रही थी,सूरज संध्या को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारता है, सूरज की नज़र संध्या के पेट पर ठहर जाती है, मखमली पेट पर उसकी तुड़ी मस्त लग रही थी । संध्या शर्माती है ।
संध्या-" अब मुझे देखता ही रहेगा या चलेगा भी"
सूरज-"माँ आप बहुत सुन्दर लग रही हो,एक दम अप्सरा जैसी, बाकई में आपका फिगर गज़ब है" संध्या शर्मा जाती है ।
संध्या-"ओह्ह्हो अब चलो, आज से पहले मे क्या सुन्दर नही लगती थी" सूरज और संध्या गाड़ी में बैठकर मार्केट की ओर निकल जाते हैं ।सूरज गाडी ड्राइव कर रहा था और संध्या बगल वाली सीट पर बैठी थी।
सूरज-"आज से पहले मैंने आपको कभी गोर से देखा ही नहीं, अब आप मेरी गर्ल फ्रेंड बनी हो इसलिए अब तो मेरा हक़ बनता है आपको देखने का और आपकी तारीफ़ करने का" गर्ल फ्रेंड सुनकर संध्या चोंक जाती है।
संध्या-" सूर्या में तो सिर्फ दोस्त थी तेरी ये गर्ल फ्रेंड कबसे बन गई,तू बड़ा फास्ट चल रहा है, कल दोस्त बनाया आज गर्ल फ्रेंड बनाया अब कल तक तू मुझे लवर भी बना लेगा उसके बाद बीबी" संध्या मुस्कराते हुए बोली ।
सूरज-" अरे माँ दोस्त को फ्रेंड बोलते हैं और आप गर्ल भी हो तो आप मेरी गर्ल फ्रेंड हुई न'
संध्या-"अच्छा फिर तो में तेरी गर्ल फ्रेंड हो गई, गर्ल फ्रेंड के लिए एक गिफ्ट तो बनता है क्या दिलाएग मुझे"
सुरज-"गिफ्ट तो मिलेगा आपको, क्या मिलेगा ये तो बाद में पता चल जाएगा" मार्केट में आकर एक बहुत अच्छे शोरूम पर सूरज गाडी रोकता है,संध्या और सूरज शोरूम में जाकर अपने लिए कपडे खरीदते हैं, तान्या के लिए मेक्सी खरीदती है, सूरज के लिए भी एक जीन्स और शर्ट खरीदती है।
काफी खरीदारी करने के बाद संध्या एक ब्रा पेंटी के शॉप पर जाती है और अपने लिए एक ब्रा खरीदती है सूरज अपने लिए थोडा सामन खरीद रहा था, तभी उसने देखा संध्या ब्रा खरीद रही है,सूरज संध्या के पास जाता है और देखने लगता है,संध्या बेखबर थी उसे पता ही नहीं चला सूरज पीछे खड़ा है । संध्या अपने लिए 38 नम्बर की ब्रा मांग रही थी सूरज सुन लेता है तभी उसके दिमाग में एक आयडिया आता है क्यूँ न माँ को ब्रा और पेंटी ही गिफ्ट में दी जाए । सूरज तुरंत दौड़ता हुआ दूसरी शॉप पर जाता है जहाँ फेसनेवल ब्रा और पेंटी मिलती है ।
सूरज एक फेसनेवल ब्रा और पेंटी देखता है जो बहुत ही कामुक लग रही थी,सूरज पेंटी को देखता है, चूत बाले हिस्से में जाली होती है और गांड बाले हिस्से में एक डोरी होती है। सूरज दो जोड़ी ब्रा और पेंटी खरीदता है तभी उसे एक नाइटी दिखाई देती है जो हाफ थी और पारदर्शी भी थी, सूरज को नायटी भी पसंद आ जाती है,सूरज सबको पैक करवा लेता है और जल्दी से संध्या के पास जाता है । संध्या भी खरीदारी कर चुकी थी,
संध्या और सूरज शॉप से निकालकर एक रेस्टोरेंट में जाते हैं ।
संध्या-" ओह्ह सूर्या आज मुझे रेस्टोरेंट लेकर आया है, गर्ल फ्रेंड को पहली बार डेट पर लाया है, क्या खिलाएगा आज मुझे" संध्या मजाक करते हुए बोली।
सूरज-" अब इतनी सुन्दर गर्ल फ्रेंड है तो डेट तो बनती है, तुम्हारे लिए आइस क्रीम ठीक रहेगी"
संध्या-" मेरे लिए आइस क्रीम क्यूँ ठीक रहेगी सूर्या"
सूरज-'माँ आइस क्रीम खाने से बदन ठंडा रहता है" सूरज हँसता हुआ बोलता है।
संध्या-"धत् पागल, इतनी भी आग नहीं है, वो सब छोड़ जल्दी मंगा,भूक लगी है" सूरज पिज्जा,डोसा,आइस क्रीम और भी कई चीजे मंगवाता है, संध्या और सूरज खा पीकर घर के लिए निकल देते हैं । घर पहुँच कर संध्या सूरज को पेंट शर्ट देती है ।
संध्या-" तेरी गर्ल फ्रेंड की तरफ से यह पहला गिफ्ट,तोहफा कबूल करो जहाँपनाह,और जल्दी से पहन कर मुझे दिखा,कैसा है मेरा गिफ्ट में भी देखूं"सूरज पेंट शर्ट ले लेता है और अपनी तरफ से ब्रा पेंटी और नायटी वाला गिफ्ट पैक संध्या को देता है।।
सूरज-'आपके बॉय फ्रेंड की तरफ से पहला गिफ्ट,तोहफा कबूल करो,और मुझे भी पहन कर दिखाओ कैसा है ये" संध्या सूरज का गिफ्ट देख कर बहुत खुश होती है ।
संध्या-'में तेरा गिफ्ट पहन कर आती हूँ तू मेरा दिया गिफ्ट पहन कर आ" संध्या को नहीं पता था की सूरज ने उसे क्या गिफ्ट दिया है, संध्या खुश होकर अपने कमरे में जाती है और सूरज का गिफ्ट खोल कर देखती है तो एक दम से हैरान रह जाती है । इतनी कामुक ब्रा और पेंटी को देखती है तो सोचने लगती है की सूर्या भी मेरे साथ मजे लेना चाहता है, सूर्या मेरे साथ सेक्स करना चाहता है और यह सही मौका भी है उसे अपना बदन दिखा कर उकसाना,संध्या तुरंत अपने कपडे उतार कर नंगी हो जाती है और सूर्या की लाइ गई ब्रा पेंटी को पहन कर शीशे में देखती है,अपना ही गदराया बदन देख कर शर्मा जाती है अपने बूब्स को देखती जिसमे सिर्फ उसके निप्पल ही ढक पाए थे बाकी का पूरा हिस्सा खुला हुआ था और बहार निकलने के लिए आतुर थी चुचिया,पेंटी को तरफ देखती हओ तो हैरान रह जाती है झांटे बड़ी होने के कारण जालीदार पेंटी से बहार निकल आई थी, संध्या सोचती है झांटे साफ़ होती तो इस पेंटी को पहनने में और अच्छा लगता,जालीदार पेंटी चूत के लिए एक खिड़की का काम करेगी जिसमे हवा का संचार होता रहेगा, संध्या अपनी पुरानी मेक्सी पहन कर बाथरूम में झांटे साफ़ करने का रेजर ढूंढती है लेकिन उसे मिलता नहीं है, संध्या सोचती है चलो सूर्या से मांग लेती हूँ,संध्या सूरज के पास जाती है ,सूरज कपडे पहन चूका था, संध्या दरबाजा खोल कर कमरे में प्रवेश करती है तो सूरज को देख कर खुश होती है।
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