Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:11 AM,
#37
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या डिडलो को निकालकर देखती है तभी संध्या डिडलो के सुपाड़े को चाट लेती है,अपनी ही चूत का पानी चाटती है तभी उसे सूर्या के लंड का पानी याद आता है और उसका स्वाद,अपने और सूर्या के कामरस के स्वाद का आंकलन करती है उसे सूर्या के लंड का पानी ज्यादा स्वादिष्ट लगा था, संध्या यह सोचते ही पागल सी हो जाती है और जोर जोर से डिडलो को चूत में रगड़ती है, उसके मुह से अनायास ही निकल जाता है ।
संध्या-"ओह्ह्ह्ह सूर्या मेरी प्यास बुझा,fuck me"इतना बोलते ही उसकी चूत से फब्बारा फूटता है, चूत से पानी ऐसे बह रहा था जैसे ट्यूबेल चल रहा हो उसकी चूत में,सूर्या की कल्पना करते ही वो झड़ जाती है, संध्या रुक रुक कर झड़ रही थी,उसका शारीर एड़ गया था,गांड ऊपर उठ गई थी।
संध्या सोचती है इतना भयानक स्खलन आज तक नहीं हुआ,ओह्ह्ह यह क्या सूर्या का नाम मेरे मुह से कैसे आ गया, उसका नाम लेने से ही में झड़ गई,इतना पानी तो आज तक कभी नहीं निकला,लेकिन उसका शारीर तृप्त हो चूका था,उसको पूर्ण शान्ति महसूस होती है, बेडशीट देखती है तो चोंक जाती है,आधे हिस्से में चूत के पानी से भीग चुकी थी,ऐसा लग रहा था जैसे उसने मूता हो, संध्या बेडशीट हटाकर बिस्तर पर लेट जाती है,उसके शारीर में जान ख़त्म सी हो गई थी,इसलिए बिस्तर पर लेटते ही नींद के आगोश में चली गई, 
सुबह के 8 बजे सूर्या की आँख खुलती है,नीचे फ्रेस होकर आता है तो उसे माँ दिखाई नहीं देती है, संध्या रात के ज्यादा मेहनत और 
थकान की बजह से उसकी आँख नहीं खुली थी। सूर्या संध्या को जगाने उसके कमरे में जाता है,जैसे ही संध्या को बेड पर सोया हुआ देखता है तो उसकी आँखे फ़टी की फटी रह जाती है,दिल की धड़कन बढ जाती है और उसके लंड का साइज़ भी बढ़ जाता है ।

सूरज जैसे ही कमरे में घुसता है और संध्या को माँ कहकर पुकारता है, तभी उसकी नज़र संध्या पर पड़ी जो अस्त व्यस्त बेड पर पड़ी थी, उसकी मेक्सी उसकी कमर पर थी,चित्त लेटने के कारण सूरज की नज़र संध्या की झान्टो से ढकी हुई चूत पर पड़ी,स्याह काले बाल से भरी हुई चूत का छेद तो दिखाई नहीं दिया लेकिन चूत के अग्र भाग बाली चमड़ी जो की हलकी कत्थई रंग की थी वो लटकी हुई दिखाई दे रही थी,गोरी गोरी जांघों के बीच काले बालो का झुण्ड से घिरी चूत बुरे बदन की शोभा बढ़ा रहे थे । सूरज का लंड पेंट में झटके मारने लगा, सांसे तेजी से चलने लगी,लेपटोप और गुप्त केमरो के माध्यम से अब तक संध्या की चूत का दीदार तो किया था परंतु आज साक्षात देखकर सूरज का मन ललचा गया, सूरज के मुह में पानी सा आ गया,तभी सूरज की नज़र फर्स पर पड़ी चादर पर जाती है जिसपर कामरस के दाग साफ़ दिखाई दे रहे थे,सूरज को समझते देर नहीं लगी,वो समझ गया की रात में माँ ने अपनी कामाग्नि को ऊँगली के माध्यम से शांत किया है,सूरज की नज़र दौड़ती हुई पुनः बेड पर जाती है तभी उसे डिडलो दिखाई देता है, सूरज सोचने लगता है की रात में माँ मेरे साथ थी,कहीँ ऐसा तो नहीं है माँ रात में शैली के के फ़ोटो और मुझसे बात करने के कारण गर्म हो गई हो । सूरज अभी माँ को निहार ही रहा था तभी सूरज का फोन बजा, फोन की आवाज़ से संध्या की आँख खुल जाती है, संध्या तुरंत बेड से उठकर अपने कपडे ठीक करती है, इधर सूरज घबरा जाता है और तुरंत कमरे से बहार निकल जाता, संध्या सूरज को कमरे से निकलते हुए देख लेती है, अपने नग्न जिस्म और खुली चूत को देखती है तो घबरा जाती है।
जल्दी से फर्स पर पड़ी चादर और बेड पर पड़े डिडलो को उठा कर रखती है, घडी की ओर देखती है तो हैरान रह जाती है 8:30 बज रहे थे, इतनी लेट तो कभी नहीं उठी,हमेसा सुबह 6 बजे तक उठ जाती है,सूरज के देख लेने से उसे शर्मिंदगी होने लगती है, और मन ही मन सोचने लगती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह ये मैंने क्या किया, रात में होश न रहने की बजह से नंगी की सो गई, सूरज पता नहीं क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में, गन्दी चादर और डिडलो भी देख लिया उसने, अब तक उसे में उपदेश देती आई हूँ,अब किस मुँह से उसे उपदेस दूंगी, रात तो मैंने हद ही करती सूर्या के कारण ही तो में ऊँगली करने पर मजबूर हुई थी,उससे बात करने के दौरान ही मेरी वासना भड़की थी, ये सब सूर्या के कारण ही हुआ है, चूत में डिडलो के घर्षण के दौरान मैंने सूर्या का ही तो नाम लिया तो और उसके नाम लेकर ही मेरा स्खलन बड़ी तेजी दे हुआ था, क्या में भी सूर्या से आकर्षित हो गई हूँ ? क्या चुदना चाहती हूँ में? ओह्ह्हो नो ये में क्या सोच रही हूँ, बेटा है वो मेरा,इस रिश्ते को कलंकित नहीं कर सकती हूँ में, संध्या अपने आपसे बातें कर ही रही थी तभी उसे चूत से कामरस रिसने का अहसास होता है,संध्या मेक्सी में हाँथ डालकर चूत पर ऊँगली स्पर्श करती है तो चोंक जाती है,चूत से हल्का रिसाव हो रहा था, आह्ह्ह क्या करू में,इस चूत को कैसे समझाऊं की यह गलत है, बेटे के लंड के बारे में सोचकर ही रिसने लगती है निगोड़ी, संध्या जल्दी से बाथरूम में जाकर नहाने लगती है, फब्बारा का तेज पानी उसके बदन की कामाग्नि को शांत करने का प्रयास कर रहा था । तेज पानी की बौछार जैसे ही उसके 38 साइज़ के बूब्स और गुलाबी निप्पल पर पड़ता तो उसका जिस्म सिहर उठता, संध्या अपने बूब्स और निप्पल को मल मल कर साफ़ करती है, अपने जिस्म को बाथरूम में लगे शीशे में देखती है, गोरा बदन,गदराया हुआ,गांड बहार की और निकली हुई,बूब्स आगे की ओर तने हुए,खुद के कामुक बदन को देख कर शर्मा जाती है । जिस्म को निहारने के पस्चात उसके दिमाग में एक बात निकल कर आई, सूर्या को यदि बाहरी लड़कियों से बचाना है तो उसके लिए घर में ही चूत की व्यवस्था करनी होगी, बरना बहार की लड़कियों के साथ सम्भोग करता रहा तो एक दिन फिर से उसी नरकीय दलदल में चला जाएगा, इंसान को यदी घर में 'खुराक और सूराख की व्यबस्था मिल जाती है तो बहार मुह मारना बंद कर देता है। संध्या काफी देर तक इसी उधेड़बुन में लगी रहती है। इधर सूरज जब संध्या के कमरे से भागता हुआ निकला था तब वो बहुत घबरा चूका था,क्या होगा,अब माँ क्या सोचेगी,इसी प्रकार के विचार मन में उत्पन्न हो रहे थे । सूरज फोन निकाल कर देखता है तो तान्या की कॉल आ रही थी, 
सूरज जल्दी से तान्या के पास जाता है, तान्या उसका बड़ी बेसबरी से इंतज़ार कर रही थी, तान्या के डर से अभी भी उसका लंड बैठ जाता है, कमरे में पहुँचते ही तान्या गुस्से में बोली ।
तान्या-"कहाँ चले गए थे नवाब साहब,मुझे उठाया भी नहीं और गुड़ मॉर्निंग भी नहीं बोला" सूरज को अपनी गलती का अहसास होता है, तान्या नटखट अंदाज़ में बोली ।
सूरज-"ओह्हो में तो भूल ही गया,अभी लो में दीदी को गुड़ मॉर्निंग बोलता हूँ" सूरज तान्या के माथे पर गुड़ मॉर्निंग बोलकर एक गाल पर हलके से चुकटी मारता है ।
तान्या-"आईईईई ये क्या करता है,अभी रुक,तुझे बताती हूँ"सूरज बेड से भागकर अलग हट जाता है, तान्या बेड से उठने को होती है,वो भूल जाती है एक पैर में प्लास्टर है,अपना मन मसोस कर रहा जाती है,सूरज हँसता रहता है ।
सूरज-"क्या हुआ दीदी उठो न,आओ पकड़ो मुझे" मजाक बनाता हुआ बोला 
तान्या-"थोड़े दिन रुक जा बेटा,एक बार प्लास्टर खुल जाए,तब तुझसे बदला लूँगी" 
सूरज-"दीदी एक बार मेरी मसल तो देख लो, मुझसे कुश्ती लड़ पाओगी आप" सूरज मसल दिखाता हुआ बोला,सूरज का गठीला जिस्म तो था ही ।
तान्या-"लड़ तो नहीं सकती हूँ लेकिन उससे भी बड़ी सजा दे सकती हूँ में तुझे" सूरज चोंक जाता है,ऐसी कौनसी सजा देंगी दीदी।
सूरज-"ऐसी कौनसी सजा दोगी दीदी" 
तान्या-" तुझसे खुट्टा हो जाउंगी, बात ही नहीं करुँगी"तान्या किसी बच्चे की तरह नटखट अंदाज़ में बोली, सूरज यह सुनकर तान्या के पास जाकर सीने से लग जाता है।
सूरज-"नहीं दीदी,अब ऐसा कभी मत करना, अब आपके बिना जी नहीं सकूँगा,कभी नाराज और खुट्टा मत होना" 
तान्या सूरज को गले से चुपका लेती है, 
तान्या-"तू डर गया न भाई, ओह्हो ज्यादा सेंटी मत हो, आज तू मुझे भी कंपनी घुमाने ले जाएगा ये तेरी सजा है"तान्या हँसते हुए बोली ।
सूरज-"दीदी ऐसी हालात में,आप चल फिर नहीं सकती हो" सूरज ने समझाते हुए बोला। 
तान्या-"मुझे कुछ नहीं पता सूर्या,तू सहारा बनेगा मेरा,कुछ भी कर मुझे साथ लेकर चल,में बोर हो जाती हूँ अकेले" तान्या की जिद के आगे सूर्या हार मान लेता है और साथ ले जाने के लिए तैयार हो जाता है।
सूरज-"ठीक है दीदी,आप जल्दी से तैयार हो जाओ" 
तान्या-" तैयार तो तब होउंगी जब तू मुझे बाथरूम में छोड़ कर आएगा, जल्दी से मुझे गोद में लेकर बाथरूम में छोड़कर आओ" तान्या हुकुम चलती हुई बोली,सूरज तान्या को गोद में लेकर बाथरूम में जाता है, 
सूरज-"ओह्ह दीदी कितनी भारी हो गई हो आप,थोडा भाव कम खाया करो"सूरज तान्या को चिढ़ाते हुए बोला, 
तान्या-"अभी रुक तुझे सबक सिखाती हूँ" तान्या सूरज को मारने लगती है। इसी प्रकार नोक झोक करते हुए सूरज बाथरूम में रखी कुर्सी पर तान्या को छोड़ देता है।
तान्या-" सूर्या मोम को मेरे पास भेज देना,वो मेरे कपडे निकाल कर दे देंगी" सूरज यह सुनकर नीचे जाता है,उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी माँ के पास जाने की, लेकिन मजबूरन सूरज को जाना पड़ता है माँ के पास,सूरज माँ के कमरे के बहार से ही माँ को आवाज़ देता है,संध्या भी अब तक तैयार हो चुकी थी।सूरज दरबाजा खटखटा कर बहार से बोलता है ।
सूरज-"माँ माँ तान्या दीदी आपको बुला रही है" संध्या सूर्या की आवाज़ सुनकर एक दम चोंक जाती है, और तुरंत बोलती है ।
संध्या-"बेटा बस अभी आई" संध्या ने सोचा कबतक मुह छिपाउंगी,एक ही घर में रह कर इसलिए हिम्मत करके दरबाजा खोलती है,सूरज किचेन के सामने डायनिंग टेबल पर बैठा था,जैसे ही संध्या और सूरज की नज़र आपास में टकराती है,संध्या और सूरज दोनों सुबह की घटना को याद कर शर्मा जाते हैं, संध्या जींस और कुर्ता पहनी हुई थी,सूरज संध्या को सीढ़ियों से जाते हुए उसकी मोटी मटकती गांड का उभार देखता है, संध्या आखरी सीढ़ी पर जाकर एक दम सूरज की ओर पलट कर देखती है,तो समझ जाती है सूरज उसकी गांड को निहार रहा था,सूरज एक दम सिटपिटा जाता है,संध्या मुस्करा देती है और तान्या के कमरे में चली जाती है । दस मिनट बाद संध्या नीचे आती है और जल्दी से किचेन में चाय नास्ता तैयार करती है,सूरज नीचे सर करके बैठा था, शर्म आ रही थी उसे,संध्या सूरज के लिए नास्ता देती है और खुद साथ बाली टेबल पर बैठ जाती है,सूरज की धड़कन तेजी से धड़क रही थी,जल्दी से चाय नास्ता करता है तभी संध्या बोलती है । 
संध्या-"बेटा तान्या कंपनी जा रही है,क्या में भी तुम्हारे साथ चलू,काफी दिन हो गए कंपनी नहीं गई हूँ" 
सूरज-"हाँ चलो माँ, में दीदी को लेकर आता हूँ" सूरज चला जाता है,जैसे ही तान्या के रूम में जाकर तान्या को देखता है तो हैरान रह जाता है तान्या पंजाबी सलवार सूट पहनी हुई थी,बाल बिखरे हुए,सोनाक्षी सिन्हा से ज्यादा सुन्दर लग रही थी।
सर की चोट सही हो चुकी थी,इस लिए अब सिर्फ पैर का प्लास्टर ही रह गया था ।
सूरज-"woww दीदी बहुत सुन्दर लग रही हो" 
तान्या-"वो तो में हमेसा से ही हूँ"हँसते हुए ।
सूरज-"दीदी अब चलो देर हो रही है,माँ भी साथ जाएगी" 
तान्या-"चलो जल्दी से,उठाओ गोद में" 
सूरज गोद में लेकर नीचे आता है, और गाडी में तीनो लोग बैठकर कंपनी निकल जाते हैं ।
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