RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
पहली बार तान्या दीदी ने मुझे फोन करके बुलाया,ये मेरे लिए बहुत बड़ी ख़ुशी की बात थी, इस घर में आए हुए छः महीने से ज्यादा हो गए,आज पहली बार मुझे यह घर एक घर जैसा लगा, दीदी की आवाज़ में नरमी थी, हमेसा से ही उनकी कड़क आवाज़ सुनता आया हूँ, मेरी नींद गायब हो गई में तुरंत तान्या दीदी के कमरे में गया, दीदी क्या बोलेगी,क्यूँ बुलाया है,कोई परेसानी तो नहीं है उन्हें' सेकड़ो सवाल मेरे मन में कुछ ही मिनटो में उमड़ पड़े । में जैसे ही दीदी के कमरे में गया,मैंने हल्का सा दरवाजा खटखटाया,अंदर से तान्या दीदी की आवाज़ आई।
तान्या-" आ जाओ,दरबाजा खुला है" दीदी की आवाज़ में भारीपन था, में जैसे ही अंदर पहुंचा तो देखा दीदी की आँखों में आंसू थे,मेरे अंदर जाते ही उन्होंने जल्दबाजी में अपने आंसू पोंछने का प्रयास किया लेकिन तब तक में उनकी आँखों में आंसू देख चूका था,उनके रोते हुए चेहरे को पढ़ चूका था।
में तुरंत दीदी के नज़दीक जाकर दीदी को देखने लगा, दीदी नज़रे दूसरी ओर किए हुए थी ।
सूरज-"दीदी क्या हुआ, आप रो रही हो, कोई परेसानी हो तो बोलो दीदी,क्या बात है दीदी,डॉक्टर को बुलाऊँ क्या" में घबरा गया था की कहीं कोई परेसानी तो नहीं है दीदी को, दीदी के सर में चोट थी डॉक्टर ने उन्हें खुश रहने के लिए बोला था ।
मेरी बात सुनकर दीदी ने मुझे देखा, उनके चेहरे पर आत्मग्लानि के भाव थे.
तान्या-" में ठीक हूँ सूर्या,मुझे कुछ नहीं हुआ है"
सूरज-"फिर आप रो क्यूँ रही हो दीदी' मैंने गंभीर होते हुए कहा ।
तान्या-" ये आंसू निकल जाने दे सूर्या, ये आंसू मेरी गलत सोच के हैं इन आंसुओ के प्रायश्चित से में अपने मन को धो रही हूँ" तान्या दीदी फिर से रोते हुए बोली,इस बार मुझ पर उनके आंसू देखे नहीं गए। मैं तुरंत अपने हांथो से उन आंसुओ को पोंछने लगा।
सूरज-" दीदी आप गलत नहीं हो, आपने कुछ गलत नहीं किया,फिर आप कौनसी गलती का प्रयाश्चित कर रही हो"
तान्या-" मे बेवजह तुझसे नफ़रत करती रही सूर्या, मुझे माफ़ कर दे सूर्या" दीदी रोए जा रही थी,दीदी को रोता देख मेरे भी आंसू निकल आए,आज पहली बार दीदी ने मुझसे बात की यह मेरे लिए सबसे ख़ुशी की बात थी ।
सूर्या-"दीदी आप गलत नहीं हो, गलत तो में था,मुझे नहीं पता मेरा अतीत कैसा था, लेकिन आज में आप सभी लोगों को बहुत प्यार करता हूँ दीदी, मेरे होते हुए आपको कोई तखलीफ नहीं होगी दीदी"
तान्या-" तू मेरा भाई है,तेरे होते हुए मुझे कुछ नहीं होगा" दीदी में मुह से अपने लिए भाई शब्द सुनकर मेरी आँख से आँसु बहने लगे, दीदी ने अपना एक हाथ निकालकर मेरे आंसू पोछने लगी।
सूर्या-"दीदी आपने मुझे भाई बोला, मेरे कान तरस गए थे की आप मुझे अपना भाई कब कहोगी,दीदी आज में बहुत खुश हूँ" में और दीदी दोनों रोए जा रहे थे, दीदी ने लेटे हुए ही दोनों हाँथ फेलाए मेरी तरफ मुझे गले लगाने के लिए, में एक दम दीदी के सीने से लग गया, दीदी मुझे चुप कराती रही,मेरे सर पर हाँथ फेरती रही ।
तान्या-" कितने साल हो गए तुझे गले लगाए हुए भाई,कभी बचपन में ही तुझे गले लगाया होगा, आज बड़ा सुकून मिल गया मुझे, तू मेरा प्यार भाई है चुप जा,अब रो मत"
सूरज-"दीदी में कहाँ रो रहा हूँ, आप भी तो रो रही हो" मैने दीदी के आंसू पोछते हुए बोला।
दीदी ने मेरे माथे पर किस्स की,और प्यार से मेरे आंसू पोछें।
तान्या-" सूर्या बस बेटा अब चुप हो जा, आज मेरे लिए बड़ी ही ख़ुशी का दिन है और ख़ुशी वाले दिन रोते नहीं है" मेरे सर पर हाँथ फेरते हुए बोली ।
सूरज-" हाँ दीदी,अब आप मुझसे वादा करो की आप भी कभी रोओगी नहीं" मैं दीदी के बगल में बैठते हुए उनके हाँथ पर हाँथ रखते हुए बोला ।
तान्या-" में वादा करती हूँ सूर्या अब कभी नहीं रोऊंगी" दीदी ने इतना बोला ही था तभी गेट पर खड़ी माँ की आवाज आई।
संध्या-" रुको मेरे बच्चों आज हम तीनो वादा करते हैं की कभी नहीं रोएंगे,हमेसा एक दूसरे का ख्याल रखेंगे" माँ बहुत देर से हम दोनों की बातें सुन रही थी,माँ भी बच्चों का प्यार देख कर रो रही थी।
तान्या-"माँ आप हमदोनो बहन भाई के आपस की बात सुन रही थी"तान्या ने नटखट अंदाज़ में बोला ।
संध्या-' हाँ बेटा जब सूरज ने दरवाजा खटखटाया तभी में भी आ गई,लेकिन आज में बाकई में बहुत खुश हूँ, तुम दोनों का प्यार देखने के लिए मेरी आँखे तरस गई थी,आज में बहुत खुश हूँ बेटा" माँ ने मुझे और तान्या दीदी को गले लगाते हुए बोला।
सूरज-" माँ में भी आज बहुत खुश हूँ"माँ और दीदी को खुश देख कर आज मेरी दूसरी मेहनत भी सफल हो गई थी ।काफी देर एकदूसरे से बात करते करते रात के 2 बज गए ।तभी मुझे दीदी की दवाई का ध्यान आया,मैंने दवाई खिलाई ।
संध्या-"बेटा अब सो जा,सुबह कंपनी भी जाना है तुझे" माँ ने मुझसे बोला।
तान्या-"माँ तुम जाकर सो जाओ, सूर्या आज मेरे पास ही सोएगा" दीदी ने अपना फरमान सुनाते हुए कहा ।
संध्या-" ठीक है बेटा तुम दोनों सो जाओ, बेड छोटा है बरना में भी यहीं सो जाती" माँ ने मुझे और दीदी को गुड़ नाइट बोलकर किस्स किया और नीचे चली गई ।
में अभी भी दीदी के पास वैठा हुआ था ।
तान्या-"सूर्या आजा इधर लेट जा"दीदी की टांग का प्लास्टर था इसलिए दूसरी साइड में मुझे लेटा दिया । दवाई नशीली थी इसलिए दीदी को तुरंत नींद आ गई, में भी कुछ देर बाद दीदी को सोता हुआ देख सो गया। सुबह 7 बजे मेरी आँख खुली दीदी अभी भी सो रही थी ।
में दीदी को सोता हुआ देखने लगा,दीदी आज बहुत मासूम सी लग रही थी,जिस बहन को में हिटलर दीदी समझता था आज बही दीदी के प्रति मेरे दिल में असीमित प्यार उमड़ पड़ा था । काफी देर दीदी को निहारने के पश्चात मुझे दीदी को किस्स करने का मन हुआ,मैंने दीदी के माथे पर किस्स किया,दीदी के सर पर पट्टी बंधी हॉने के कारण किस्स भी ठीक से नहीं हो पा रहा था । मेरे किस्स करते ही दीदी की आँख खुल गई,दीदी के चेहरे पर मुस्कान थी। दीदी के जागने के कारण में शर्मा गया, इससे दीदी और ज्यादा हँसाने लगी।
तान्या-"गुड मोर्निंग सूर्या,तूने तो किस्स कर लिया,अब मुझे भी तो गुड़ मोर्निंग बोल लेने दे"
दीदी ने एक हाँथ से मेरे सर को अपने नजदीक किया और एक किस्स मेरे माथे पर की। मुझे बहुत अच्छा लगा,आज का दिन मेरा बहुत अच्छा जाने वाला था,क्योंकि सुबह बहुत खूबसूरत हो गई ।
सूर्या-" दीदी मुझे कंपनी जाना है, जल्दी से आपके जख्म पर पट्टी कर देता हूँ,सफाई करके"
तान्या-" बहुत दर्द होगा सूर्या"दीदी ने रोनी सूरत बनाकर बोला।
सूर्या-"दीदी नहीं होगा,में अच्छे से करूँगा, आप परेसान न हो" में दीदी के सर की तरफ बैठकर पट्टी खोलने लगा, पट्टी खुलते ही दीदी के सर में जख्म देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए,लेकिन मैंने हिम्मत से दीदी के जख्म को डिटोल से साफ़ किया, और दवाई लगाकर पट्टी कर दी ।
सूर्या-" देखा दीदी,हो गई न पट्टी,कहीं दर्द हुआ"
तान्या-" तेरे हाँथ में जादू है भाई" हँसते हुए बोली ।
सूरज-'अच्छा दीदी अब में फ्रेस होकर कंपनी चला जाता हूँ" तान्या को भी फ्रेस होना था,लेकिन सूर्या से कहने में शर्मा रही थी,लेकिन जब रहा नहीं जाता तो बोल देती है ।
तान्या-" सूर्या मुझे बाथरूम तक छोड़ दे मुझे भी फ्रेस होना है"
सूर्या-"ओह्ह्ह हाँ दीदी,ये तो में भूल ही गया था की आप बाथरूम कैसे जाओगी,चलो में आपको छोड़ कर आता हूँ" सूरज तान्या को फिर से गॉद में उठाकर बाथरूम में एक पैर से खड़ा रखने के लिए बोलकर चला जाता है, सूर्या बहार से एक प्लास्टिक की कुर्सी सहारे के लिए छोड़ देता है ।
सूर्या-" दीदी आप इस कुर्सी के साहारा लेकर कमोड पर बैठ सकती हो,जब फ्री हो जाओ तो आवाज मार देना में आ जाऊँगा" सूर्या बहार चला जाता है और जल्दी से फ्रेस होकर कपडे पहँनता है,इधर तान्या भी कुर्सी की मदद से टॉयलेट करती है,कुर्सी बाले आयडिया से तान्या को बहुत सहारा मिला था,सूर्या के दिमाग की दाद देती है,तान्या तो यही सोचकर परेसान थी की कैसे टॉयलेट करेगी वो,चूँकि एक पैर पर खड़ा होना मुश्किल था।
तान्या फ्रेस होकर सूर्या को बुलाती है,सूरज तब तक तैयार हो चूका था,बाथरूम आकर तान्या को गोद में लेकर बिस्तर पर बैठा देता है । संध्या दोनों को नास्ता करबाती है। सूरज कंपनी चला जाता है ।
गीता और सूरज दोनों कंपनी के कर्मचारियों को टेंडर के आर्डर के मुताबित प्रोडक्ट तैयार करबाता है । सूरज कंपनी के सभी कर्मचारियो का चहता बन चूका था,उसके व्यवहार से सब खुश थे ।
सूरज अपने ऑफिस में बैठकर कार्य कर रहा था तभी तान्या का फोन आता है ।
तान्या-"हेलो सूर्या"
सूर्या-"हाँ दीदी बोलो क्या हुआ"
तान्या-"बोर हो रही हूँ,आज जल्दी आजा घर" सूरज हँसाने लगता हैं।
सूरज-"दीदी आप परेसान न हो जल्दी ही आने का प्रयास करूँगा' इतना कह कर सूरज फोन काट देता है ।और जल्दी से काम निवटा कर घर की ओर जाने लगता है तभी फिर से फोन आता है ।
इस बार फोन पूनम का था ।
पूनम-"हेलो सूरज कहाँ हो तुम"
सूरज-"दीदी ऑफिस में हूँ घर के लिए निकल रहा हूँ"
पूनम-"कौनसे घर के लिए"
सूरज-"ओह्ह दीदी सूर्या के घर'
पूनम-"ओह्ह्ह! तान्या की कैसी हालात है"
सूरज-"अब ठीक हैं दीदी"
पूनम-"सूरज मेरा भी बहुत मन कर रहा है सूर्या की बहन और माँ को देखने का,में भी देखना चाहती हूँ की कैसे लोग हैं वो"
सूरज-"दीदी अगर आपको लेकर गया तो में उनको क्या बोलूंगा"
पूनम-"बस यही तो में सोच रही हूँ"
सूरज-"दीदी किसी दिन मौका मिला तो जरूर दिखा दूँगा"
पूनम-" ठीक है सूरज, घर कब आएगा"
सूरज-" दीदी अभी तो तान्या दीदी की बजह से मुश्किल आ पाउँगा"
पूनम-"अपनी नई माँ और दीदी के मिल जाने से हमें मत भूल जाना सूरज'
सूरज-"दीदी आप लोग तो मेरी साँसे हो,तुम्हे भुलने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है"
पूनम-' सूरज जब से मैंने तेरी यह सूर्या और हमशक्ल बाली बात सुनी है तब से मुझे बड़ा डर सा भी लगता है,तू अपना ख्याल रखना'
सूरज-"ओह्ह्ह दीदी आप फ़िक्र मत करो, में सब ठीक कर दूंगा,आप परेसान मत हो"
पूनम-" मेरा मन करता है तेरे साथ रहूँ,तेरी हर मुसीबत में सहभागी बनू"
सूरज-" दीदी आप मेरे साथ ही तो हो हमेसा,आपका अहसास और प्यार हमेसा मेरे साथ है"
पूनम-" तू बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगा है सूरज, बातों से ही संतुष्ट कर देता है, चल कोई नहीं तू अपना और सूर्या के घर बालो का ख्याल रखना"
सूरज-" दीदी आप भी तनु दीदी और माँ का ख्याल रखना"
पूनम-'ठीक है सूरज" फोन कट जाता है सूरज गाड़ी दौडा देता है ।
10 मिनट में घर पहुंचकर सूरज सबसे पहले तान्या के कमरे में जाता है । तान्या फोन पर गेम खेल रही थी, जैसे ही मुझे देखा तो एक दम खुश हो गई । मैंने आते ही दीदी को दवाई खिलाई और बातें करने लगा ।
इसी प्रकार दिन कटते गए, 15 दिन हो चुके थे, तान्या की हालत दिन व दिन सुधार होता गया ।
तान्या और में काफी एक दूसरे से घुल मिल गए थे,जब तक में और तान्या दीदी आपस में घंटो भर बात नहीं कर लेते थे किसी को चैन नहीं मिलता था ।
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