RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या तान्या को रोकती रही लेकिन उसने एक न सुनी । संध्या कमरे में जाकर फूट फूट कर रोने लगती है,क्या होगा इस परिवार का, काफी दिन बाद सूर्या के अंदर सुधार आया था लेकिन मधु ने उसे फिर से हवस की ओर मौड़ दिया ।
संध्या करे तो क्या करे इसी सोच में डूबी हुई थी । संध्या के दिमाग सूर्या को लेकर कभी चिंता के भाव थे तो कभी गुस्सा थी।
मधु की चूत को चाटते समय सूर्या के वीर्य को चाटने बाले पल को याद करती तो उसके अंदर सूर्या को लेकर गुस्सा आने लगता था। बहुत कोसिस के बावजूद भी यह सीन उसके दिमाग से निकल नहीं पा रहा था ।
काफी देर सोचने के बाद संध्या सूर्या को फोन करती है ।
इधर सूरज और पुनम शंकर से विदा लेकर मॉल जाने लगते है । शंकर खुद अपनी गाडी से दोनों को मॉल में छोड़ देता है क्यूंकि सूरज को अपनी गाडी उठानी थी ।
सूरज और पूनम मॉल से गाडी लेकर फ़ार्म हॉउस की तरफ निकल जाते हैं। तभी सूरज का फोन बजता है,सूरज संध्या माँ की कोल देखता है तो खुश हो जाता है, लेकिन जानबूझ कर फोन उठाता नहीं है ।
संध्या घबरा जाती है, संध्या को लगता है कहीं शंकर सूर्या को जान से न मार दे ।
संध्या तुरंत अपनी गाडी निकाल कर शंकर के घर निकल जाती है सूर्या को बचाने ।
संध्या का दिल बड़ी जोर से घबरा रहा था।
10 मिनट में शंकर के घर पहुँच जाती है और दरबाजे से ही शंकर को आवाज़ लगाती है ।
संध्या-"शंकर शंकर कहाँ है तू" शंकर और शिवानी तुरंत बहार निकल कर आते हैं ।
संध्या-"मेरा सूर्या कहाँ है,अभी तूने मॉल से उसे किडनेप किया,मेरी बहुत बड़ी भूल थी की सूर्या के कहने पर तुझे जेल से छुड़वा दिया,तुझे तो जेल में ही सड़ना चाहिए,मेरा बेटा कहाँ है बोल" शंकर तुरंत संध्या के पैरो में गिर जाता है,संध्या को झटका लगता है । शिवानी भी संध्या के पैर पकड़ लेती है । संध्या के लिए ये दूसरा झटका था ।
शंकर -"हमें माफ़ कर दीजिए बहन,मेरी बजह से आपको और सूर्या को तखलिफ् हुई, सूर्या ने मेरी आँखे खोल दी,वो बाकई में एक महान इंसान है,ज़िन्दगी का महत्त्व हमें अब तक पता नहीं था,आज मेरी बीबी और बच्चे सिर्फ सूर्या की बजह से ही जिन्दा है" शंकर पश्चाताप के आंसू रो रहा था,संध्या का गुस्सा तो छूमंतर हो गया,इतना बड़ा परिवर्तन सूर्या ने किया ये सुनकर उसके बड़ा ही अचम्भा सा लगा ।
संध्या-" सूर्या कहाँ है इस समय,वो मेरा फोन नहीं उठा रहा है"संध्या नम्रता से बोली।
शिवानी-" आंटी जी अभी रुको में फोन से पूछती हूँ" शिवानी सूरज को फोन करती है, सूरज तुरंत फोन उठा लेता है,शिवानी बता देती है की आपकी माँ आई हुई हैं ।
सूरज ने शंकर और शिवानी से पहले ही मना कर दिया था की में सूरज हूँ यह बात किसी को बताना नहीं ।
शिवानी-" सूर्या आंटी जी बहुत चिंतित है तुम्हारे लिए,लो आप बात कर लो" शिवानी संध्या को फोन देती है ।
संध्या-"सूर्या कहाँ है तू"बस इतना ही बोल पाई संध्या,
सूरज-"में कल आऊंगा माँ" सूरज इतना कह कर फोन काट देता है ।
संध्या घर लौट आती है और सूर्या के बारे में सोचने लगती है, सूर्या के बारे में सोचने लगती है की उसने गलत ही क्या किया, इस उम्र में अक्सर लड़के बहक जाते हैं,हो सकता है मधु ने ही उसे उकसाया हो, मधु तो एक नम्बर की छिनाल है,किसी की भी कामाग्नि को भड़का सकती है, में खुद दो चार महिंने में एक बार हस्तमैथुन करके अपनी कामोत्तजना को शांत करती थी लेकिन मधु के आते ही उसने मेरी सोई हुई हवस को भड़का दिया,आज तक मैंने किसी की चूत नहीं चाटी पहली बार मधु की चूत चाटने पर मजबूर हो गई,जब में बहक सकती हूँ तो सूर्या क्यूं नहीं,वो तो फिर भी नादान है लेकिन में तो समझदार हूँ,मुझे सूर्या के साथ इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए,ये सब सोचकर संध्या रोने लगती है और सूर्या से बात करने के लिए तड़प उठती है ।
संध्या अपने कमरे में लेटी हुई सूर्या के शब्दों को याद कर रो रही थी, जब सूर्या ने कहा था की " माँ मुझे सज़ा दो,मारो,लेकिन मुझसे नाराज़ मत हो,आपको अगर मेरी शकल नहीं देखनी है तो में चला जाता हूँ" कितनी अभागिन हूँ में,कितना पत्थर दिल है मेरा अपने ही बेटे से नाराज थी, सूर्या कितना प्यार करता है मुझे,वो भी मेरे लिए तड़प रहा होगा, वो भी मेरे बिना रह नहीं सकता है, लेकिन सूर्या गया कहाँ, कमसे कम ढंग से बात तो करता मुझसे, मेरा तो एक एक पल सदियों जैसा कट रहा है और सूर्या कहता है की कल आएगा, संध्या को यह जुदाई सहन नहीं हो रही थी,तुरंत अपना मोबाइल निकाल कर सूर्या को फोन करती है, लेकिन सूर्या फोन नहीं उठा रहा था ।
इधर पूनम और सूरज गाडी में बैठकर फ़ार्म हाउस पहुँचता है ।
सूरज अपनी माँ रेखा को गले लगा लेता है,
माँ की ममता की अत्यधिक अस्वश्यक्ता महसूस कर रहा था वो ।
रेखा-" क्या हुआ मेरा बच्चा,उदास क्यूँ है? माँ अपने बच्चे के ह्रदय को पहचान लेती है की सूर्या आज परेसान सा है,एक दम माँ को कस कर गले लगा कर अपनी ममता का कोटा पूरा करने का प्रयास जो कर रहा था।
सूरज-"माँ ऐसा कुछ नहीं है, आपका बेटा ठीक है" रेखा समझ जाती है की सूरज झूठ बोल रहा था,पास में खड़ी पूनम जानती थी की सूरज क्यूँ परेसान है, कितनी मुसीबत झेलता है मेरा भाई,सूर्या के लिवास को बखूबी से अभिनय कर रहा है, अकेला इंसान दो घरो की जिम्मेदारी संभाल रहा है,बाकई में मेरा भाई महान है ।
रेखा-" बेटा तेरी माँ हूँ, में जानती हूँ की तू बहुत बलशाली है,कितनी भी मुसिवतें आएं तू अकेला सारी मुसीबतों से लड़ सकता है,तू शारीर से तो मजबूत है लेकिन दिल से बहुत कमजोर है,जरूर किसी ने तेरे दिल पर चोट पहुचाई है" माँ एक ऐसी शिक्षिका होती है जो अपने बच्चों के चेहरे को पढ़ कर बता सकती है,
सूरज-" ओह्ह माँ मैंने बोला न आपका बेटा ठीक है, बस आपकी बहुत याद आ रही थी इसलिए आपको गले लगाने का मन किया,
माँ मुझे बहुत तेज भूंक लगी है"
रेखा-" आजा बेटा में तुझे खाना खिलाती हूँ" पूनम रेखा और सूरज खाना खाने लगते हैं, तभी बाथरूम से नहा कर तनु आती है ।
तनु-" अरे सूरज तू आ गया"
सूरज-"हाँ दीदी,आप भी जल्दी से आ बैठो,खाना खा लो"
सभी लोग खाना खा कर आपस में बातें करते हैं ।
सूरज का फिर से मोबाइल बजता है, इस बार कंपनी के मेनेजर गीता का फोन था,
सूरज एकांत में जाकर फोन उठाता है,पुनम भी उसके पास खड़ी थी,
गीता-"हेलो सूर्या सर कहाँ हो" घबराई हुई
सूरज-"क्या हुआ,इतनी घबराई क्यूँ हो"
गीता-" सर तान्या मेम का एक्सिडेंट हो गया है, आप सिटी हॉस्पिटल पहुँचो, में भी पहुँच रही हूँ"
सूरज-"क्या, कैसे हुआ?
गीता-" मेरे पास अभी कोल आई है, तान्या मेम आपके घर गई थी,आते समय रास्ते मे हो गया, आप जल्दी पहुँचो हालात बहुत गंभीर है" सूरज फोन काट देता है और पूनम को पूरी बात बता कर चला जाता है ।
तान्या भले ही सूरज से बात न करती हो,लेकिन सूरज कभी तान्या से नफ़रत नहीं करता था, सूरज को उम्मीद थी की कभी तो तान्या दीदी मुझे अपना भाई स्वीकार जरूर करेंगी । सूरज फूल स्पीड में गाडी चला कर हॉस्पिटल में पहुँचता है । सूरज डॉक्टर के पास जाकर तान्या के बारे में पूछता है ।
डॉक्टर-"आप तान्या के साथ हैं,जल्दी आइए ICU में" डाक्टर और सूरज दोनों भागते हुए ICU में पहुचे। तान्या खून से लथपथ बेहोस बेड पर लेती हुई थी,सूरज घबरा जाता है, तान्या को इस हालात में देखकर सूरज की आँख से आंसू छलक आए। तभी गीता भी भागती हुई ICU पहुँच जाती है ।
सूरज-"डॉक्टर साहब ये मेरी बहन है, आप इसको बचा लीजिए"
डॉक्टर-" इनके सर में और पैर में चोट आई है, तुरंत ओप्रेसन करना पड़ेगा,इन कागजो पर साइन कर दीजिए, और खून का इंतज़ाम कीजिए" सूरज पेपर पर साइन कर देता है ।
सूरज-"आप जल्दी से ओपरेसन कीजिए,जितना भी खून चाहिए मेरा ले लीजिए,प्लीज़ जल्दी कीजिए" डाक्टर तुरंत ओपरेसन थिअटर में ले जाकर ओपरेसन करने लगते हैं, दूसरे बेड पर सूरज का खून तान्या को चाढ़ाते हैं। गीता ने भी डॉक्टर से बोल दिया की खून कम पड़े तो मेरा ले लीजीए ।
एक घंटे तक ओपरेसन चला, सूरज और गीता बहार आकर डाक्टर के निकलने का इंतज़ार करते हैं ।ब्लड देने के बाद सूर्या के जिस्म में तागत कम हो गई थी ।सूरज बहार कुर्सी पर बैठ जाता है और गीता भी ।
सूरज-" गीता जी ये सब कैसे हुआ?
गीता-" तान्या मेम को किसी का फोन आया था, तान्या मेम गुस्से में थी और परेसान थी, तान्या मेम ने मुझसे बोला था की में घर जा रहीं हूँ थोड़ी देर में वापिस आ जाउंगी, घर से लौटते समय गाड़ी डिसवैलेन्स हो गई और गाडी एक घमबे से जा टकराई, मैंने जब तान्या मेम को फोन किया तो किसी एम्बुलेंस बाले ने मुझे एक्सिडेंट की खबर सुनाई और मैंने तुम्हे फोन कर दिया था,यह खबर मैंने अभी तक आपकी माँ को भी नहीं बताई है" सूरज सोचने लगता है की ऐसी क्या बात हुई है तान्या के साथ । माँ ने मुझे कई बार फोन किया था, लेकिन मैंने ही फोन नहीं उठाया था । माँ से बात करके ही सारी सच्चाई पता लग सकती है । सूरज संध्या को फोन लगाता है, संध्या फोन उठाती है ।
सूरज-" हेलो माँ"
संध्या-"बेटा कहाँ है तू,कबसे तुझे फोन कर रहीं हूँ,
सूरज-" माँ में घर आ जाऊँगा, आप ये बताओ तान्या दीदी घर क्यों आई थी और वो परेसान क्यूँ थी"
संध्या-" बेटा तान्या को किसी ने फोन करके बोला था की मॉल में शंकर डॉन तुझे उठाकर ले गया था,यही बताने मुझे घर आई थी, तुझे तो पता ही है बेटा वो तुझसे नाराज़ रहती है, इसलिए गुस्से में थी वो, उसने मेरी एक नहीं सुनी और गुस्से में ही कंपनी चली गई, लेकिन तू ये क्यूँ पुंछ रहा है?
सूरज पूरी कहानी समझ जाता है, तान्या दीदी का मूड मेरी बजह से ही ख़राब रहा होगा,उनका ध्यान भटक गया और गाडी डिसवेलेंस हो गई होगी ।
सूरज-" माँ दीदी का एक्सिडेंट हो गया है" सूरज मायूस होते हुए बोला ।
संध्या एक दम घबरा जाती है और रोने लगती है ।
संध्या-" कहाँ है संध्या,जल्दी बोल में अभी आती हूँ" सूरज हॉस्पिटल का के बारे में बता देता है। दस मिनट के अंदर संध्या दौड़ती हुई सूरज के पास आई ।
संध्या-" कहाँ है तान्या क्या हुआ उसे"रोते हुए बोली,सूरज संध्या को सँभालते हुए बोला ।
सूरज-"माँ अब ठीक है दीदी,बस थोड़ी सी चोट आई है"
तभी डॉक्टर बहार आते हैं ।
सूरज-"डॉक्टर साहब मेरी बहन अब कैसी है?
डाक्टर-" ओपरेसन बिलकुल ठीक हो गया है, सर में थोड़ी सी ही चोट थी, दो घंटे में होश आ जाएगा, आप लोग मिल लेना, पैर में फैक्चर है ठीक होने में एक महीना लग जाएगा"
सूरज-" धन्यवाद डॉक्टर साहब"
डॉक्टर-" सूर्या जी आप समय से आ गए इसलिए तान्या की जान बच गई । आप भी थोडा अपना ख्याल रखिए, किसी भी व्यक्ति का एक यूनिट तक ब्लड ले सकते हैं लेकिन आपने जरुरत से ज्यादा ब्लड दे दिया अपना, जूस बगेरा पीते रहिए आप" जैसे ही डॉक्टर ने ब्लड बाली बात बताई संध्या ने तुरंत सूरज को गले लगा लिया ।
संध्या-" बेटा मुझे गर्व है तुझ पर, तेरी जगह कोई और भाई होता तो तान्या से बिलकुल रिश्ता तोड़ देता, तान्या तुझसे कितना नफरत करती है फिर भी तूने एक भाई होने का फर्ज निभाया" संध्या की आँख से आंसू निकल आए । गीता भी सूर्या की दाद देती है,
गीता-" बाकई में भाई हो तो सूर्या जैसा"
संध्या गीता और सूरज काफी देर तक तान्या के होश आने का इंतज़ार करते रहे ।
दो घंटे बाद तान्या को होश आया तो अपने आपको हॉस्पिटल में पाती है।जिस समय गाडी डिसवेलेंस हुई और खम्बे से टकराई तभी तान्या समझ जाती है की अब बचना शायद मुश्किल है,अपने आपको हॉस्पिटल में पाकर और जिन्दा देख कर उसे अचम्भा सा हुआ । तान्या पास खड़ी नर्स को आवाज़ देकर अपनी हालात के बारे में पूछती है । नर्स संध्या और सूरज को बोलती है की तान्या को होश आ चूका है मिल लीजिए ।संध्या गीता और सूरज तान्या से मिलने अंदर जाते हैं ।
तान्या-"सिस्टर मुझे कितना समय लगेगा ठीक होने में"
सिस्टर-" क्यूँ मेम क्या करना है, आपके पैर में फैक्चर है एक महीना तो लग ही जाएगा"
तान्या-"ओह्ह्ह नहीं सिस्टर मुझे बहुत काम है कंपनी में टेंडर पूरा करना है,प्लीज़ जल्द से जल्द ठीक कर दीजिए" यह बात सुनकर संध्या तान्या के पास पहुँच कर डांट मारती है ।
संध्या-"पहले ठीक तो हो जा बेटी,
तान्या-"ओह्ह्ह माँ तुम आ गई" तान्या को बड़ा सुकून मिलता है माँ को देखकर,तान्या नज़र उठाकर देखती है तो गीता और सूरज को भी पास में खड़ा देखती है। तान्या जैसे ही सूरज को देखती है भड़क जाती है ।
तान्या-" माँ ये यहाँ क्या कर रहा है इसे तुरंत जाने के लिए बोलो,इसी की बजह से मेरा मूड ख़राब था और एक्सिडेंट हो गया" तान्या गुस्से से बोलती है ।
सूरज यह सुनकर बहुत दुखी होता है की तान्या कितना नफ़रत करती है मुझसे । सूरज कमरे से निकल कर बाहर बैठ जाता है ताकि तान्या को कोई परेसानी न हो, लेकिन आज सूरज की आँख से आंसू बह निकले,तान्या के शब्द उसके दिल में खंजर की तरह चुभ जाते हैं ।
संध्या-" बेटा ऐसा मत बोल, तेरा भाई है ये, तुझे पता है इसी ने आज तेरी जान बचाई है, अपना खून देकर, और सबसे पहले तेरे पास यही पहुंचा था"संध्या की बात सुनकर तान्या की आँखे फटी की फटी रह गई, तभी गीता बोल पड़ी ।
गीता-" मेम हमारी कंपनी को जो टेंडर मिला है वो भी सूर्या सर की देन है,शैली के आगे हाथ जोड़कर टेंडर के लिए विनती की, ताकि आप खुश रहें" तान्या को दूसरा झटका लगता है, तान्या का जिश्म जिन्दा लाश की तरह शून्य हो जाता है,
संध्या-" बेटा तेरा भाई है वो, तुझे थोडा सुकून मिल जाए इसलिए खुद ही कंपनी जाने लगा ताकि तुझे थोडा आराम मिल जाए, कभी तो उसके जज्बात को समझने की कोसिस कर" तान्या की आँखों से आंसू बहने लगे, जिन्दा लाश की तरह खामोश हो गई थी सिर्फ आंसुओ के रिसाव से जिन्दा होने का प्रमाण मिल रहा था, तभी अचानक तान्या की साँसे उखड़ने लगती हैं, ब्लड प्रेसर डाउन हो जाता है,नर्से घबरा जाती है, और जल्दी से संध्या को बहार भेजती है,
डाक्टर भागते हुए आए, उन्होंने तुरंत ड्रिप की बोतल लगाई, सूरज भी घबरा जाता है, सब लोग मन ही मन तान्या के ठीक होने की दुआ माँग रहे थे ।
|