RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सुबह की चहल- पहल और माँ की मधुर आवाज़ मेरे कानो पर दस्तक दे रही थी ।
में नींद के आगोस से निकलने का प्रयास करता हुआ उठा ।
माँ-" बेटा उठो कंपनी जाना है तुम्हे, जल्दी से तैयार हो जाओ में नास्ता लगाती हूँ"
सूरज-" हाँ माँ अभी तैयार होता हूँ"
माँ के जाते ही में जल्दी से फ्रेस होकर नीचे पहुँचा । तान्या दीदी कंपनी जा चुकी थी ।
मैं डायनिंग टेवल पर बैठ कर नास्ता करने लगा । तभी मेरे दिमाग में आया की शंकर डॉन की रिहाई के लिए माँ से बात करू, और इस रंजिस को सुलझाऊँ ताकि भविष्य में कोई खतरा न हो ।
सूरज-" माँ एक बात पूछनी थी आपसे?"
संध्या माँ-"हाँ बोलो बेटा"
सूरज-" माँ में शंकर डॉन की रिहाई चाहता हूँ" जैसे ही माँ ने यह् सूना एकदम चोंक गई, माँ को लगा की शायद मुझे सबकुछ याद आ गया है ।
संध्या-" क्या तेरी यादास्त वापिस आ गई है, तुझे कैसे पता की शंकर के लिए मैंने जेल भिजबाया है?" माँ हैरान और परेसान थी ।उसे डर था की कहीं मेरी यादास्त वापिस न आ जाए और में फिर से उस नर्क की जिंदगी को गले न लगा लू ।
सूरज-" नहीं माँ मुझे कुछ याद नहीं है लेकिन मुझे पता चल गया है की शंकर डॉन मेरी बजह से जेल में है, माँ गलती मेरी थी उस गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूँ, में नहीं चाहता की मेरी बजह से आपको कोई तखलीफ हो आप पर या दीदी पर कोई फिर से हमला करे, में उनसे अपनी गलती की माफ़ी मांग लूंगा माँ, शिवानी के साथ जो हुआ गलत हुआ है, मेरी नासमझी रही होगी शायद, में पापी था और उस पाप की सजा मुझे मिल चुकी है, अब आप भी उसे माफ़ कर दो" माँ मेरी बात को हैरानी से सुनती हुई बोली ।
संध्या-" बेटा तू कितना समझदार हो गया है, में केस को वापिस तो ले लुंगी लेकिन मुझे डर है कहीं शंकर फिर से तुझे हानि न पहुचा दे, में तुझे खोना नहीं चाहती हूँ बेटा"
सूरज-" माँ मुझे कुछ नहीं होगा भरोसा रखो, इस सूर्या से अगर कोई टकराएगा तो खुद जल कर भस्म हो जाएगा,आप आज ही उसे रिहा करवा दीजिए में उससे बात करूँगा माँ"
संध्या-" बेटा तू कहता है तो ठीक है, में अपने वकील से कह कर उसे अभी रिहा करबा देती हूँ"
माँ ने तुरंत फोन निकाल कर वकील से शंकर की रिहाई के लिए बात की, मुझे बहुत सुकून मिला लेकिन डर भी था की कहीं जैल से छूटने के बाद कोई गलत हरकत न करे ।
संध्या माँ-" बेटा अभी एक घंटे में शंकर की जमानत हो जाएगी, तू थोडा सतर्क रहना, अब जल्दी से कंपनी जा, देर हो रही है" मैंने माँ को गले से लगा कर किस्स किया और गाडी लेकर कंपनी आ गया।
कंपनी जाकर मैंने सबसे पहले सभी लोगों से परिचय किया । कंपनी के सभी लोग मुझसे बहुत प्रभावित हुए, कंपनी में काम करने बालो की सभी समस्या सुनी, उन्हें भरोसा दिलाया की कंपनी उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करेगी ।
कंपनी की मेनेजर गीता भी मेरे कार्य से व्यवहार से बहुत प्रशन्न थी ।तान्या कंपनी में आकर पूरा दिन ऑफिस में बैठकर कंपनी के बिल और जरुरी फाइल पूरी करती रहती थी, सूरज के कंपनी आने से उसे थोड़ी राहत तो मिली थी परंतु कंपनी का सभी कारोबार उसे ही संभालना पड़ता था ।
गीता मेनेजर तान्या के ऑफिस में पहुँची ।
गीता मेनेजर-" मेम आपके भाई सूर्या जी तो बहुत अच्छे इंसान हैं, कंपनी के सभी वर्कर उनकी प्रसंसा कर रहें हैं, आज उन्होंने ने सबकी निजी समस्या सुनी तो सब लोग उनसे खुश हो गए"
तान्या-" आप ज्यादा उसके करीब मत जाना, वो दिखने में जितना अच्छा है उतना ही अंदर से शैतान है,उसकी तारीफ़ मेरे से नहीं करना आज के बाद" तान्या गुस्से से समझाते हुए बोली ।
गीता तान्या से माफ़ी मांगते हुए अपने केबिन में चली गई ।गीता समझ जाती है की तान्या मेडम सूर्या से बहुत नफरत करती है,
इधर सूरज अपने ओफ़ीस में बैठा कंपनी के हिसाब किताब को पढ़ रहा था तभी उसका फोन बजा, सूर्या ने फोन देखा तो पूनम दीदी का फोन था, सूर्या ने तुरंत फोन को उठाया।
सूरज-" हेलो दीदी"
पूनम-" सूरज कहाँ है" घबराई हुई थी
सूरज-" दीदी कंपनी में हूँ अपनी, क्या बात है दीदी"
पूनम-" तनु को तेज बुखार है घर आजा थोड़ी देर के लिए, तुझे बुला रही है" मैंने जैसे ही सुना तुरंत कंपनी से गाडी लेकर फ़ार्म हाउस निकल गया । गाडी को बड़ी तेजी से दौड़ता हुआ में लगभग 10 मिनट में फ़ार्म हाउस पंहुचा । में भागता हूँ तनु दीदी के कमरे में पंहुचा तो देखा मेरी माँ रेखा दीदी के सर पर ठन्डे पानी की पट्टिया रख रही थी और पूनम दीदी तनु के पास बैठी थी जैसे ही मुझे देखा माँ और पूनम दीदी के चेहरे पर ख़ुशी के भाव थे, मैंने तनु दीदी को देखा तो वो सो रही थी ।
रेखा-" आ गया बेटा"
सूरज-" हाँ माँ कैसी है दीदी की तबियत"
माँ-" बेटा अब तो आराम है पूनम ने बुखार की दवाई खिला दी थी तबसे आराम है"
में तनु के पास बैठ कर उसके माथे पर हाँथ से बुखार को देखने लगा, इस समय बुखार नार्मल था । मेरे हाथ रखते ही तनु की आँख खुली तो मुझे देख कर खुश हो गई ।
तनु-" सूरज तुम कब आए?"
सूरज-" दीदी अभी आया हूँ, आप चलो मेरे साथ दवाई दिलवा कर लाता हूँ"
तनु-" अब ठीक हूँ सूरज"
रेखा-" चली जा बेटा दवाई ले आ"
पूनम-" में खाना बनाती हूँ सूरज" पूनम दीदी चली गई । माँ अभी भी तनु के पास बैठकर उसके सर को सहला रही थी ।
तनु-" माँ अब रहने दो में बिलकुल ठीक हूँ, काफी देर लेटने के कारण में बोर हो गई हूँ, बहार गार्डेन में टहल कर आती हूँ" फ़ार्म हाउस में ही सुन्दर बगीचा था जो कई एकड़ में फैला था, फलदार वृक्ष और कई प्रकार के छाया बाले पेड़ भी थे ।
रेखा-" ठीक है बेटा आप थोडा टहल लो" में और तनु दीदी बहार बगीचे की तरफ निकल आए ।
सूरज-" दीदी आपको बुखार आ गया, आपने बताया नहीं मुझे, कबसे आ गया"
तनु-" परसो के दिन झरने के ठन्डे पानी से नहाए थे, तबसे ही हल्का हल्का बुखार था"
सूरज-" ओह्ह्ह दीदी मेरी बजह से आपको यह तखलीफ साहनी पड़ी" बगीचे में घूमते घूमते काफी आगे तक निकल आए, जहां अंगूर और अनार के पेड़ थे ।
तनु-" कोई बात नहीं सूरज, उस दिन मजा भी तो बहुत आया था नहा कर" दीदी हँसते हुए बोली
सूरज-" दीदी नहा कर मजा आया था या उस दिन जो किया था उससे मजा आया था" दीदी शर्मा गई, मैंने दीदी का हाँथ पकड़ कर अपनी बाहों में भींचते हुए कहा,
तनु-" सूरज पता नहीं तूने ऐसा क्या जादू किया है मेरे ऊपर हर वक़्त तेरे ही ख्यालो में रहती हूँ, तू मेरा भाई, एक ही माँ की कोख से जन्मे है हम दोनों, फिर भी मैंने उस खून के रिश्ते को भुला कर तेरे साथ सम्भोग किया, रिश्ता कहता है की ये गलत है लेकिन मेरा जिस्म कहता है ये सही है, इसी उधेड़बुन में दो दिन निकल गए"
सूरज-" दीदी हमने जो किया पता नहीं सही था या गलत लेकिन में इतना जानता हूँ की आपको बहुत ख़ुशी मिली उस काम को कर के और मुझे भी, फिर बो काम गलत नहीं हो सकता" मैंने तनु दीदी के लिप्स को चूसने लगा, दीदी ने भी मुझे कस कर गले से लगा लिया, पकड़ इतनी मजबूत थी दीदी की ऐसा लग रहा था की कब की प्यासी हैं दीदी, होंठ चूसने के बाद दीदी ने मेरे पुरे चेहरे को किस्स किया, मैंने भी दीदी के चेहरे को अपनी जीव्ह से चाटने लगा, दीदी की साँसे तेज हो गई,दीदी टीशर्ट पहनी थी नीचे लेगी पहनी हुई थी, मैंने टीशर्ट के ऊपर से दीदी के बूब्स को सहलाने लगा, निप्पल को मरोड़ने लगा, दीदी मेरे होंठ को चूसने लगी,
दीदी की टीशर्ट को उतार दिया, दीदी ब्रा नहीं पहनी थी, और उनके बूब्स के निप्पल को चूसने लगा, एक हाथ से लेगी के ऊपर से ही दीदी की चूत को सहलाने लगा, दीदी की चूत पानी छोड़ रही थी, मैंने दीदी की लेगी को उतार दिया,
तनु-" ओह्ह्ह सूरज जल्दी जल्दी कर लो, ज्यादा समय नहीं है हमारे पास, पूनम दीदी इंतज़ार कर रही होंगी"
मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे, और दोनों नंगे ही मखमली घास पर लेट गए, दीदी मेरे लंड को चूसने लगी, और में दीदी की चूत में जीव्ह डालकर चूत का सारा पानी चाटने लगा, मैने तेजी से अपनी जीव्ह चूत के अंदर बहार करने लगा दीदी की साँसे तेजी से चलने लगी, एक दम उनका जिस्म अकड़ा और उनकी चूत से पानी का फब्बारा छूट गया, दीदी झड़ चुकी थी ऐसा लगा जाने कबसे प्यासी थी । दीदी की चूत से सफ़ेद और गाड़ा पानी वड़ा स्वादिष्ट था, मैंने जीव्ह से सारा पानी चाट लिया,
तनु-" ओह्ह्ह सूरज रुक मुझे बहुत तेज पिसाव लगी है, अभी पिसाव करके आती हूँ"
सूरज-" दीदी आपकी चूत का पानी बहुत स्वादिष्ट है, तो पिसाव भी स्वादिष्ट होगी, मेरे मुह पर बैठ कर मूतो दीदी, आपकी पिसाव पीना है मुझे" दीदी की चूत को चाटते हुए बोला
तनु-" छी छी पिसाव नहीं पीते है सूरज, मुझे शर्म आ रही है में यह नहीं कर पाउंगी"
सूरज-" प्लीज़ दीदी मूतो मेरे मुह" मैंने दीदी को अपने मुह पर बैठा लिया उनकी चूत मेरे मुह पर थी, तभी दीदी की चूत एक दम खुली और एक सिटी की आवाज़ के साथ मुत की धार मेरे मुह में गिरने लगी, पिसाव की धार इतनी तेज थी की मेरे पूरा मुह पिसाव से भर गया,और कुछ पिसाव मेरे चेहरे पर गिरने लगी, दीदी की नमकीन पिसाव को में गटकने लगा, थोड़ी देर बाद पिसाव करने के बाद मैंने दीदी को घोड़ी बना कर अपना लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया, एक बार चुदाई करने की बजह से इस बार लंड उनकी चूत को चीरता हुआ आसानी से पूरा घुस गया।
तनु-" ओह्ह्ह्ह मेरे भाई आराम से दर्द होता है,तेरी दीदी की चूत बहुत कोमल है आराम से लंड घुसा"
सूरज-" दीदी आपकी चूत में भट्टी लगी है क्या, बहुत गर्म है अंदर" मैंने धक्के मारते हुए कहा
तनु-" ये आग तूने ही लगाई है सूरज, आग मेरी चूत में ही नहीं पूरे जिस्म में लगी है, अब तू ही इसे बुझा मेरे भाई" दीदी गांड से धक्के मारते हुए बोली, में उनकी मखमली गांड को मसलने लगा और तेजी से चूत में लंड अंदर बहार कर रहा था ।
तनु-" आह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ मेरे भाई चोदो मुझे"
सूरज-" आह्ह्ह्ह दीदी मेरा पानी छूटने वाला है"
तनु-" सूरज अपना पानी मेरे मुह में छोड़ना बरना तेरे बच्चे की माँ बन जाउंगी में" दीदी झड़ते हुए बोली मेरा भी पानी निकलने बाल था दीदी ने चूत से लंड निकाल कर अपने मुह में डाल कर चूसने लगी तभी एक तेज पुचकारी दीदी के मुह में छूट गई और में उनके मुह में झड़ गया ।
वीर्य से उनका पूरा मुह भर चूका था दीदी सारा पानी गटक गई ।में दीदी के ऊपर गिर गया, सारा शारीर थक चूका था । 10 मिनट सांस सामान्य होने के बाद मैंने और दीदी ने जल्दी से कपडे पहने, और घर की ओर चल पड़े ।
तनु-" सूरज मजा आ गया, शारीर बहुत हल्का सा हो गया,
सूरज-" दीदी सच में आप बहुत प्यारी हो, मन करता है आपको बाहों में चिपका कर रखू" दीदी ने मुझे गले लगा लिया ।
तनु-" भाई आज रात यही रुक जाओ, साथ में सोएंगे"
सूरज-" दीदी आज नहीं, मुझे बहुत काम है ऑफिस का, कल आकर रुकुंगा"
तनु-" ठीक है मेरे भाई" हम दोनों घर आ गए, पूनम दीदी हमारा ही इंतज़ार कर रही थी ।
पूनम-" आ गए तुम दोनों, चलो जल्दी से खाना खा लो" में और तनु दीदी बाथरूम में फ्रेस होकर खाना खाया ।
थोड़ी देर माँ और पूनम दीदी से बात करके अपने नए घर यानी की संध्या माँ के घर लौट आया ।
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