RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
शैली सूरज के मुँह पर केक लगाने के लिए झपटती है लेकिन सूरज जानबूझ कर गेस्ट रूम में पड़े बेड के ऊपर चढ़ जाता है और शैली के हिलते चूतड़ और बूब्स को देखने लगता है । शैली सूरज की नज़र को भांप जाती है, उसकी चूत में फिर से चीटियाँ सी रिंगने लगती हैं ।शैली जानबूझ कर अपने बूब्स और स्कर्ट को ऊपर की और खिसका कर बेड पर चढ़ने लगती है जिसके कारण उसकी रसीली चूत के दर्शन सूरज को हो जाते हैं । सूरज का ध्यान शैली की चूत और बूब्स पर था शैली ने इसी का फायदा उठा कर सूरज को बेड पर गिरा दिया और उसकी छाती पर दोनों टांग फैला कर बैठ गई और सारा केक सूरज के मुह पर पोत दिया । सूरज की नज़र कहीं शैली पर जाती तो कभी उसकी चूत पर ।
वो टांग फैला कर छाती पर बैठने के कारण उसकी चूत की फांके खुल चुके थे और अंदर का लाल दाना चमक रहा था । सूरज का लण्ड पेंट में झटके मारने लगता है ।
शैली-" केक लगाते हुए!" मुझसे बच कर कहाँ जाओगे बच्चू,आज अच्छी तरह से तुम्हारे मुँह पर केक पोतुंगी" हँसते हुए बोलती है । तभी तनु कमरे में आती है शैली जल्दी से सूरज के ऊपर से उठती है ताकि तनु उसकी स्कर्ट में खुली चूत न देख ले ।
तनु जब कमरे में आती है तो उसे शैली पर थोडा शक़ सा होता है की वह जरूर सूरज के साथ कुछ तो ऐसा कर रही थी की मुझे देख कर तुरंत सूरज की छाती से उठकर खड़ी हो गई ।
शैली कई बार सूरज को पटाने के लिए तनु से बोल चुकी थी लेकिन वह हमेसा एक मज़ाक समझकर शैली को डांट दिया करती थी ।
तनु जानती थी की शैली बहुत हवस की भूकी लड़की है । अपनी प्यास बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है ।
तनु को शैली पर गुस्सा और जलन दोनों होती हैं । शैली की गतिबिधिओं पर नज़र रखने का निश्चय करती है ।
तनु जानती थी की उसका भाई सूरज बहुत ही भोला और मासूम है उसे लड़कियो में ज्यादा रुचि नहीं है ।
तनु-" शैली ये क्या किया सूरज का पूरा चेहरा तूने केक से सना दिया और उसके कपड़ों पर भी केक लगा दिया,
शैली-" ओह्हो सूरज के तो सारे कपडे गंदे हो गए, तू फ़िक्र मत कर में अभी कपडे धोकर सुखा देती हूँ" सूरज के कपडे देखती हुई बोली
सूरज-" कोई बात नहीं दीदी, में इन्ही कपड़ो में घर चला जाऊँगा, वैसे भी रात में कौन देखेगा"
शैली-" ओये सूरज के बच्चू रात में कहीं नहीं जाना है सुबह ही घर जाने दूंगी" शैली अपना आदेश सुनाती हुई बोली
तनु-" नहीं शैली पूनम और माँ इंतज़ार कर रही होंगी" तनु ने चिंता जाहिर करते हुए बोला
शैली-" में अभी पूनम दीदी को फोन कर देती हूँ," शैली फोन लगा कर पूनम को सुबह आने को बोल देती है ।
शैली-" अब खुश बोल दिया, चलो भूंक लगी है जल्दी से खाना खाते हैं" तीनो लोग लॉन में आकर बैठ जाते हैं ।
तनु-" शैली तू एक काम कर सूरज के लिए कोई लोअर दे दे,इसके कपडे केक से सने हैं । शैली एक लोअर लेकर आती है । सूरज बाथरूम में जाकर पेंट और कच्छा भी उतार देता है चुकी उसका कच्छा भी वीर्य निकलने के कारण चिपचिपा रहा था ।
सूरज अपने गंदे कपडे वाशिंग मशीन में डाल देता है और लोअर पहन कर सोफे पर आ जाता है ।तभी तनु सोचती है क्यूँ न सूरज की पेंट अभी धोकर डाल दू सुबह तक सूख जाएगी ।
तनु-" शैली तू खाना लगा में पांच मिनट में सूरज की पेंट और शर्ट धो कर आती हूँ ।
शैली-" ठीक है जल्दी काम निपटा कर आजा, में खाना लगाती हूँ" तनु बाथरूम में चली जाती है। शैली जमीन पर बिछी कालीन पर खाना खाने के लिए सूरज से बोलती है ।
सूरज सोफे से उठ कर निचे बैठ जाता है ।
शैली किचेन से चिकेन और पूरा खाना उठाकर सूरज के पास रख देती है । शैली जानबूझ कर निचे झुकाती है जिसके कारण शैली के बूब्स फिर से सूरज के सामने बिलकुल नंगे दिखाई देने लगते हैं ।शैली मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती थी ।
शैली जमीन पर उकडू बैठ जाती है जिससे शौली की खुली चूत सूरज के सामने आ जाती है । सूरज का लंड़ लोअर में खड़ा हो जाता है । कच्छा न पहनने के कारण लोअर में बहुत बड़ा तम्बू सा बन जाता है ।शैली जैसे ही लोअर में तम्बू देखती है सूरज के लण्ड का आकार का अनुमान लगाने लगती है । सोचती है कितना बड़ा लंड है सूरज का, शैली की चूत से कामरस बहने लगता है जिसे सूरज बिना पालक झपकाए देख रहा था ।शैली की चूत से सफ़ेद द्रव्य निकल कर उसकी फांको को गीला करते हुए उसकी गुदा तक पहुँच जाता है इसका अहसास शैली को भी होता है । सूरज का मन मचल जाता है और शैली की रस छोड़ती चूत को चाटने के लिए आतुर हो जाता है ।
इधर तनु जब बाथरूम में गई तो सूरज के कपड़ो को निकाल कर फर्स पर डालती है तभी सूरज का कच्छा भी अलग निकल कर गिर जाता है ।तनु कच्छे को उठाती है और उस पर लगे सफ़ेद द्रव्य को देखती है । तनु मन में सोचती है की सूरज ने अपना कच्छा क्यूँ उतारा?
क्या शैली ने सूरज के कच्छे पर भी केक लगा दिया है । तनु शैली को मन ही मन बहुत सारी गालियां देने लगती है । और कच्छे पर लगे सफेद वीर्य को केक समझकर छूने लगती है । तनु समझ नहीं पा रही थी की ये कैसा केक है जो चिपचिपा सा रहा है और गाढ़े पानी की भाँती है ।
तनु कच्छे पर लगे वीर्य को नाक के नथुनो के पास ले जाकर सूंघ कर देखती है, मादक सी खुशबु का अहसास होता है लेकिन फिर भी वह समझ नहीं पाती है की ये क्या है ?
तनु उस चिपचिपे वीर्य को चाटकर परिछण करने का निशचय लेती है और उस कच्छे पर लगे वीर्य को ऊँगली से लेकर चाटने लगती है । तनु ने कभी किसी लड़के का वीर्य चाटकर तो नहीं देखा था लेकिन पोर्न फिल्मो में लड़के के लण्ड से निकलने वाला सफ़ेद द्रव्य बहुत देखा था जिसे लड़कियां बड़े आराम से पीती हैं और चाटती हैं ।
तनु का माथा ठनकता है उसे याद आता है की लड़को के लंड से सफ़ेद रस निकलता है । ये सफ़ेद द्रव्य भी सूरज के लंड से निकला हुआ पानी है जिसे तनु ने सूंघ कर ही नहीं वल्कि चाटकर भी देखा था ।
तनु आपने आपको कोसती है की ये मैंने क्या किया अपने ही भाई के लंड से निकला पानी चाट लिया, कितनी अभागी बहन हूँ में उसकी । अपने आपको भला बुरा कह कर जमींन पर बैठ जाती है और कपडे धोने लगती है ।
तनु सोचती है की मेरा शक सही है इस चुड़ैल शैली ने ही कुछ ऐसा जादू किया होगा मेरे भाई पर की उसका वीर्य कच्छे में ही छूट गया ।
तनु सोचती है की लड़के हस्तमेथुन मार कर पानी निकालते हैं, कहीं ऐसा तो नहीं है की शैली ने सूरज के लंड को रगड़ा हो और पानी निकल गया हो, गेस्ट रूम में जब शैली सूरज के मुँह पर केक लगा रही थी तब शैली सूरज के लंड वाले हिस्से पर बैठ कर जानबूझकर हिली डुली हो तभी उसका पानी छूटा हो ।
तनु-"(मन में गुस्सा होते हुए) साली कुतिया अपनी चूत की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है, आज रात मुझे जग कर नज़र रखनी पड़ेगी, सूरज तो नादान है बहक सकता है"
इन सब बातों को सोच कर तनु भी सेक्स के प्रति आकर्षित महसूस करती है और अपनी चूत पर कुछ गीलापन महसूस होता है ।
तनु हाँथ डालकर अपनी चूत को छू कर देखती है तो हैरान रह जाती है उसकी चूत से चूतरस बह रहा था ।
तनु अपने भाई के कच्छे पर लगे वीर्य को रगड़ रगड़ कर साफ़ करती है ।
उसके मन में सूरज को लेकर कभी कोई गलत ख्याल नहीं आया लेकिन आज
सूरज के वीर्य को चाटकर उसके तन बदन में हवस की आग फ़ैल जाती है ।
तनु अपने आपको कंट्रोल करती और कपडे धोकर बाशिंग मशीन में सुखा कर डाल देती है ।
तनु जल्दी से बहार लॉन की तरफ जाती है जहां शैली सूरज के लण्ड पर भूकी नज़रो से घूर रही थी । तनु जैसे ही उन दोनों के पास आती है सूरज अपने खड़े लंड को छुपा लेता है दोनों हाथ रखकर और शैली भी अपनी चूत को छिपाने के लिए सही से बैठ जाती है । तनु स्तिथि को भांप लेती है सूरज की लोअर की ओर भी देख लेती है जहां खड़े लंड के कारण लोअर में तम्बू बना हुआ था ।
शैली-" कपडे धोने में बड़ा समय लगा दिया तूने" तनु से बोलती है
तनु-" हाँथ से धोने के कारण समय लग गया" सूरज जैसे ही ये बात सुनता है तो चोंक जाता है उसे लगा की तनु बाशिंग मशीन में कपडे धोएगी इसलिए माशीन में कपडे डाल कर आया था । ताकि उसके कच्छे पर लगे वीर्य के निसान न देख पाए।
सूरज के माथे पर पसीना आ जाता है और सोचता है की तनु ने हाथ से कच्छा धोया होगा तो वीर्य के निसान भी देख लिए होंगे ।
सूरज घबराने लगता है इसी घबराहट के कारण उसका लंड भी ढीला पड़ जाता है ।
तनु क्या सोच रही होगी अपने भाई के बारे में यही सोचकर उसका बुरा हाल था ।
वह नज़रे नहीं मिला पा रहा था तनु से ।
तनु भी सूरज की मनोदसा को भांप जाती है और सामान्य व्यवहार करती हुई बोलती है ।
तनु-" जल्दी से खाना लगाओ भूंक लगी है"
शैली-" बस एक मिनट रुक" शैली सबको खाना लगाती है । तनु और शैली खाने पर टूट पड़ते है लेकिन सूरज घबराहट और सोच में डूबा हुआ था जिसे तनु समझ जाती है ।
तनु-" क्या हुआ सूरज जल्दी खाओ न खाना"
सूरज-" ओह्ह हाँ दीदी खा रहा हूँ"
शैली-"क्या हुआ अच्छा नहीं बना है क्या?"
सूरज,"नहीं दीदी बहुत बढ़िया बना है"
तीनो लोग खाना खाने लगते हैं ।
शैली को याद आता है की उसके फ्रिज में बियर की चार बोतल रखी हैं ।
शैली जब भी मटन या चिकन बनाती है तो एक बीयर जरूर पीती है ।
शैली फ्रिज से बियर लेकर आती है ।
सूरज और तनु तो पीते नहीं थे ।
शैली-" बियर के साथ चिकन खाने का मजा ही कुछ और है, अपने अपने गिलास दो"
सूरज-" दीदी में तो पीता ही नहीं हूँ"
तनु-" में भी नहीं पीती हूँ" तनु ने एक दो बार शैली के साथ पी कर देखि है लेकिन सूरज की मौजूदगी के कारण मना कर देती है ।
शैली-" आज मेरा जन्म दिन है इसलिए थोड़ी सी तो पी नी पड़ेगी" शैली जबरदस्ती तीनो के ग्लास में बियर डाल देती है ।
तनु का भी मन चल रहा था लेकिन सूरज क्या सोचेगा यही सोच रही रही ।
यही हाल सूरज का भी था की में पी तो लूंगा लेकिन तनु दीदी क्या सोचेंगी।
तनु-" प्लीज़ शैली में नहीं पी पाउंगी" अपना ग्लास शैली को देती हुई बोली ।
शैली समझ जाती है की भाई बहन दोनों एक दूसरे से शर्मा रहें हैं ।
शैली-" आज तुम दोनो भूल जाओ की भाई बहन हो, ऐसा फील करो की हम तीनो दोस्त हैं । मेरे लिए एक ग्लास तो पी नी पड़ेगी तनु" शैली मानती नहीं है अपनी जिद पर अड़ जाती है ।
सूरज को जबरदस्ती एक ग्लास बियर का देती हुई बोलती है ।
सूरज तनु की ओर देखता है और तनु सूरज की ओर मायूसी से देखती है ।दोनों एकदूसरे को देखकर शर्मा रहे थे ।
शैली-" क्या देख रहे हो जल्दी से पियो" शैली अपना ग्लास खाली करती हुई बोलती है । एक सांस में ही पूरा गिलास पी जाती है ।
सूरज-" तनु से! पी लो दीदी, एक ग्लास में कुछ नहीं होगा" सूरज की इजाजत मिलते ही तनु भी एक सांस में पूरा ग्लास खाली कर देती है । सूरज तो देखकर चोंक जाता है और खुद चाय की तरह एक एक घूंट पिने लगता है ।
शैली-" ऐसे नहीं सूरज एक ही सांस में पी जाओ"
सूरज हिम्मत करके एक ही साँस में पूरा ग्लास खाली कर देता है ।
पहली बार पिने के कारण उसे बहुत कड़वी लगती है । कड़वेपन की बजह से सूरज को बहुत अटपटा लगता है लेकिन थोडी देर में मूड ठीक हो जाता है ।
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