RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूर्या के पिता-B.P.Singh
संध्या के पिता की फेक्ट्री में मजदूरी करते थे,
संध्या से शादी कर ली क्योंकि संध्या के पिता बहुत बड़े बिजनेस मैन थे। संध्या के पिता के मारने के पस्चात सभी फेक्ट्री के मालिक बन गए।
अमेरिका में रह कर बिजनेस सँभालते हैं।
15 वर्ष पहले अमेरिका चले गए।
संध्या और इनके बीच किसी बात को लेकर
झगड़ा हो गया, झगड़ा किस बात पर हुआ ये बात सिर्फ संध्या ही जानती है।
तान्या-" 24 वर्षीय खूबसूरत लड़की थी
MBA की पढ़ाई करने के बाद अपनी माँ के साथ खुद की फेक्ट्री और बिजनेस को संभालती है ।
बिजनेस के चक्कर में अपनी असल जिंदगी
को भूल गई। तान्या किसी मोडल से कम नहीं लगती थी।
लेकिन आज तक उसने कभी अपना bf नहीं बनाया।
थोड़ी सख्त मिजाज और चीड़ चिड़ी स्वभाव की हो गई थी ।
सूर्या से हमेसा इसका झगड़ा रहता था ।
सूर्यप्रताप सिंह- 21 वर्षीय था। BBA करने के लिए मुम्बई होस्टल में पढ़ा,
गलत सांगत में पड़ कर शराब सिगरेट और
अय्यासी सीख गया ।लड़ाई झगड़ा करना दोस्तों के साथ देर रात तक घूमना
इसका सबसे बड़ा शोक था ।
जब होस्टल से वापिस घर आया तो घर की
नोकरानी के साथ जबरदस्ती शराब के नशे
में बलात्कार कर दिया तब से तान्या इससे बहुत नफरत करने लगी।सूर्या और तान्या का झगड़ा युद्ध स्तर तक बढ़ गया ।
संध्या सूर्या की हरकतों को लेकर बहुत
परेसान रहती । कई बार शराब के नशे में
तान्या पर हाथ भी छोड़ देता था और गाली गलोच भी करता था ।
पैसा इंसान को बिगाड़ देता है इसका सही
उदाहरण सूर्या था ।
शहर के सबसे बड़े डॉन शंकर की बहन शिवानी को
इसने अपने प्यार के जाल में फसां कर उसके साथ सेक्स किया और फिर उसको छोड़ दिया।
जब ये बात शंकर को पता चली तो उसने सूर्या पर हमला कर दिया सूर्या का आजतक पता नहीं चला लेकिन जब संध्या को
इस बात का पता चला तो संध्या ने शंकर के
खिलाफ पुलिस की मदद से शंकर को जेल भिजबा दिया ।
शंकर के आदमी संध्या के दुश्मन बन गए ।
आज मंदिर पर उन्होंने संध्या पर हमला भी
किया लेकिन सूरज ने उन्हें बचा लिया।
शंकर के आदमी सूरज को सूर्या समझ बैठे
और ये बात शंकर को जेल में जाकर
बता दिया । शंकर सूर्या के जिन्दा होने की
खबर सुनकर आग बबूला हो जाता है ।
और मौके का इंतज़ार करता है ।
इधर शंकर डॉन की बहन शिवानी को भी पता चल जाता है की सूर्या जिन्दा है तो
वह भी अपना बदला लेने के लिए मौके
का इंतज़ार करने लगती हैं।
अब आगे देखते हैं की सूरज की ज़िन्दगी
में क्या होगा ।
सूरज अपनी असली हकीकत को छुपा पाएगा, कब तक अपनी असली पहचान को छुपा रख सकता है ।
1- क्या सूरज अपनी बहन पूनम और तनु को शहर की ज़िन्दगी और खुशियाँ दे पाएगा?
2-अपनी माँ रेखा के दुखो को कैसे दूर कर पाएगा ।
3- बिजनेस और फेक्ट्री को संभाल पाएगा
4- तान्या का दिल जित पाएगा
5-संध्या को एक माँ के रूप में उसे खुश रख पाएगा ।
6-शंकर डॉन से लड़ पाएगा
7- शिवानी को न्याय दिला पाएगा
8-"संध्या और BPsingh की लड़ाई झगडे की बजह क्या थी।
9- गाँव का चौधरी हरिया की मौत का बदला कैसे लेगा सूरज से।
सूरज के सामने सूर्या की ज़िन्दगी एक चुनौती की तरह थी जिसे स्वीकार कर लिया था सूरज ने । ये सूरज के लिए एक संघर्ष था जिसमे उसे कामयाबी हांसिल करनी है ।
सुबह के सूरज की पहली किरण सूरज की नई ज़िन्दगी के लिए अहम् थी।
सूरज गहरी नींद में सोया हुआ था।
संध्या उसे उठाने आती है।
संध्या-" सूर्या सूर्या बेटा उठो, सुबह हो गई
नीचे आकर चाय नास्ता कर लो""
सूरज कसमसा कर उठता है ।संध्या प्यार से उसके सर पर हाथ फिरा कर उठा रही थी ।
सूरज-" माँ बस थोड़ी देर में आता हूँ"
संध्या-" जल्दी फ्रेस होकर आओ बेटा, में नीचे इंतज़ार कर रही हूँ" संध्या चली जाती है ।
सूरज फ्रेस होकर नीचे जाता है । और डायनिंग टेबल पर बैठकर नास्ता करता है।
तभी तान्या तैयार होकर कंपनी के लिए जा रही होती है ।
तान्या-" मोम में जा रही कंपनी,
संध्या-" नास्ता तो करती जा बेटा"
तान्या-" नहीं मॉम लेट हो रही हूँ,नास्ता
अपने ऑफिस में ही कर लूँगी"इतना कह कर तान्या चली गई ।
मैंने नास्ता कर लिया, आज मुझे पूनम, और
तनु का किसी अच्छे स्कूल में एडमिसन करवाना था इसलिए मुझे भी जल्दी फार्महाउस पर जाना था ।
मै-" माँ में सब कुछ भूल चूका हूँ इसलिए मुझे कम्प्यूटर और बिजनेस की पढ़ाई द्वारा
सीखनी है, किसी अच्छे इंस्टिट्यूट में पढ़ाई कर लेता हूँ,
संध्या-" ये तो अच्छी बात है, इस शहर का
सबसे बड़ा इंस्टिट्यूट
" जे.एस.इंस्टिट्यूट" है उसमे चले जाना,
में फोन से बात कर लूँगी, तुम्हे कोई परेसानी नहीं होगी,
सूरज-" ठीक है माँ में गाडी से चला जाता हूँ"
संध्या-" एक मिनट रुक बेटा" संध्या अपने पर्स में दो ATM निकाल कर देती है।
संध्या-" बेटा ये ATM है जितने पैसो की जरुरत हो निकाल लेना" संध्या दोनों के पासवर्ड बता देती है और साथ में एक मोबाइल भी दे देती है ।
संध्या-" बेटा कोई परेसानी हो तो फोन कर लेना"
सूरज-" ठीक है मॉम चलता हूँ अब" अपनी माँ को गले लगता है और बहार ड्राइवर को लेकर चल देता है फार्महाउस की तरफ।
सूरज गाडी की सीट पर जैसे ही बैठता है उसे एक पैकेट दिखाई देता है ।
सूरज पैकेट को खोल कर देखता है तो उसे ब्रा और पेंटी दिखाई देती हैं ।
सूरज चोंक जाता है और मन में सोचने लगता है की शायद कल शॉपिंग वाले बेग से गिर गया होगा ।
सूरज सोचता है की अब तनु को यह कैसे दिया जाए ।
सूरज ब्रा और पेंटी के गिफ्ट पैक को गाडी की जेब में रख देता है । और अपनी माँ संध्या के दिए गए मोबाइल को देखने लगता है ।
सूरज android फोन लेकर बहुत खुश था।
काफी देर मोबाइल को देखते देखते फार्म हाउस आ जाता है।
सूरज घर पहुचते ही देखता है
तनु और पूनम नास्ता करके गप्पे मार रही थी। जैसे ही सूरज को सब लोग देखते हैं खुश हो जाते हैं ।
सूरज-" पूनम और तनु दीदी आप दोनों
मेरे साथ चलो आपका एड्मिसन करवाना है।
पूनम-" अभी चलना है?
सूरज-" हाँ दीदी
तनु-" 5 मिनट रुको हम दोनों तैयार होकर आते हैं ।
पूनम और तनु खुश होकर तैयार होने चले जाते हैं ।
5 मिनट में दोनों बहने तैयार होकर घर से इंस्टिट्यूट चल देते हैं ।
पूनम और तनु बहुत खुस थी ।
institute के प्रिसिपल ऑफिस में पहुचकर
सूरज अपना परिचय देता है ।
प्रिसिपल-" खड़ा होकर! सूर्या सर आइए
ये इंस्टिट्यूट आपका ही है । संध्या मेडम का फोन आ गया था मेरे पास ।
सूरज-" धन्यवाद प्रिंसिपल जी, तीन एड्मिसन आपको करने है ।
सूरज तनु और पूनम का एडमिसन करवा देता है । और स्वयं का भी ।
पूनम का BBA में एड्मिसन और तनु का
12वीं में करवाता है । और खुद कम्प्यूटर क्लासेस में करवाता है ।
प्रिंसिपल-" बेटा आप लोग कल से क्लासेस अटेंड करने आइए ।आपको कोई परेसानी नहीं होगी ।
सूरज-' सर फीस बताइए कितनी देनी है"
प्रिंसिपल हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है।
प्रिंसिपल-" हमारे इंस्टिट्यूट का सोभाग्य है की आप आए हो ।हमारा इंस्टिट्यूट आपके ही पैसो से चलता है ।
सूरज प्रिंसिपल को नमस्ते बोल कर वापिस चल देता है ।
इंस्टिट्यूट बहुत आलीसान कई एकड़ जमीन में बना हुआ था ।
पूनम और तनु तो आँखे फाड़ कर उसकी भव्यता का मुयायना कर रही थी।
सभी लोग गाडी में बैठ कर फ़ार्म हाउस की तरफ चल देते हैं ।
सूरज-"दीदी आप दोनों डेली क्लास अटेंड जरूर करना, में अभी आ जाया करूँगा।
फ़ार्म हाउस पहुच कर सब अपने रूम की ओर चले गए ।
सूरज तनु और पुनम अपनी पढ़ाई में मगसुल हो जाती है ।
रोजाना इंस्टिट्यूट जाना और घर आ कर पढ़ाई करना ।
इधर तान्या दीदी कंपनी के बढ़ते कारोबार के चक्कर में पुरे दिन व्यस्त रहना ।
संध्या सूरज को कारोबार के बारे में हर एक जानकारी बता दिया करती थी ।
इसी प्रकार सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था । सब बहुत खुश थे ।
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