RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
सोनल की शादी का दिन था,कड़ी सुरक्षा के बीच शादी होनी थी,कोई भी मेहमान बिना चेकिंग के अंदर नही आ रहा था,पास के गांव वाले बाबा (जी की अजय ही था) को विशेष निमंत्रण दिया गया था,
शादी अपने सबाब में चल रही थी वही अजय,डॉ,जूही और विकास अपने ही कामो में व्यस्त थे…...अजय ने आज ही का दिन मुकर्रर किया था सभी घर वालो के सामने उसका पर्दाफाश करने के लिए ,बस वो एक गलती करता और वो उसे पकड़ लेते उन्हें मालूम चल गया था की आज पुनिया क्या करने वाला है ,जग्गू उनके कब्जे में था,उसने ही बताया था की पुनिया आज खुसबू को किडनैप करने वाला है…….
शादी अपने सबाब में पहुच गई थी,बाबा बना हुआ अजय खुसबू के पास ही बैठा था,वो उसकी सुंदरता को घूर रहा था जो की दुख में मिलकर कम हो गई थी…
आखिर वो उठी और अंदर चले गई ,अजय उसका पीछा नही कर सकता था,जूही उसके पीछे हो ली और हुआ वही जिसतरह किशन की शादी में निधि को किडनैप करने की कोशिस की गई थी वैसे ही अब खुसबू को किडनैप करने की कोशिस की गई,एक महिला ने उसके मुह में एक रुमाल रखने की कोशिस की लेकिन …..
जूही झपट कर उस महिला को दबोच लिया ,और उसके मुह में ही रुमाल रख दिया वो महिला धीरे धीरे शांत हो गई,वो लोग अभी लेडिस टॉयलेट में थे,खुसबू हैरान थी जूही ने उसे शांत रहने को कहा और विकास और डॉ को खबर दे दी,दोनो ही वँहा पहुचे ,जूही ने खुसबू से नाटक करने को कहा और वो बेहोशी का नाटक करने लगी,जूही महिला की साड़ी को पहन कर उसे घसीटते हुए बाहर ले गई तभी एक आदमी वँहा पहुच गया ,
“लाओ मा जी मैं इसे ले जाता हु,”
जूही का चहरा नही दिखने की वजह से उसने जूही को ही वो महिला समझ लिया था,डॉ और विकास ने उसके सर पर बंदूक रख दिया ,
“अब तुम्हारा खेल खत्म “और बंदूक की चोट से उसे बेहोश कर दिया…
इधर शादी खत्म हो चुकी थी,रात काफी हो चुकी थी और सोनल की बिदाई का वक्त आ चुका था,थोड़े देर बाद ही सोनल की बिदाई थी ,की डॉ ने घर के सभी सदस्यों को एक जगह इकट्ठा होने का आग्रह किया साथ ही पुलिस के जवानों की भी भीड़ वँहा लग गई थी,सभी लोग आश्चर्य से देख रहे थे की आखिर माजरा क्या है….
“जिसके लिए अजय ने अपने जीवन के कीमती पलो का बलिदान किया ,जो हमारे परिवार का सबसे बड़ा दुश्मन था वो आज पकड़ा जा चुका है,और हम उसे आप लोगो के सामने ला रहे है,”डॉ माइक में बोल रहा था सभी लो एक हाल में बैठे हुए सभी आश्चर्य से भर गए थे,डॉ ने बाबा की ओर इशारा किया ,सभी बाबा को देखने लगे वो स्टेज में आया और अपनी दाढ़ी और बाकी का मेकअप निकाल दिया ,निधि और सोनल खुद खुद कर तालिया बजा रहे थे वही बाकियों की हालत खराब हो गई थी,खुसबू रोये जा रही थी वही हाल बाकियों का भी था,सभी अजय को देखकर ना सिर्फ हैरत में पड़ गए थे बल्कि बहुत ही भावुक भी हो चुके थे लेकिन अजय बस मुस्कुराता रहा ,
“मैं पहले तो आप सभी से माफी चाहूंगा की मैंने आप लोगो को इतना दुख दिया,चाचा जी ,खुसबू “बाली की आंखे अपने भतीजे को जिंदा देखकर रुकने का नाम ही नही ले रही थी,वही खुसबू बैठ गई थी वो खड़े होने की हिम्मत भी नही कर पा रही थी,
“ये रुप और मारने का नाटक मुझे करना पड़ा क्योकि मैं जानता था की कोई एक नही बल्कि कई लोग है जो हमारे परिवार के दुश्मन है….मैं सभी को ढूंढना चाहता था और ढूंढ लिया ये एक बड़ी पुरानी जिम्मेदारी मेरे पूर्वजो ने मेरे ऊपर छोड़ी थी की मैं एक राजा का धर्म निभाऊ और अपने लोगो की अपने परिवार की ,और समाज के लोगो की रक्षा करू,आज वो जिम्मेदारी भी पूरी हुई……..
इस मिशन में मैं जितना अंदर गया मुझे पता चला की ये लोग और कोई नही हमारे ही सताए हुए लोग है,इनसे मेरी पूरी सहानभूति है इसलिए मैं इन्हें कोई भी कठोर दंड नही देना चाहता मैं चाहता हु की ये लोग खुसी से रहे,और कानून इन्हें जो सजा देनी है वही दे,लेकिन मैं इन्हें माफ कर देना चाहता हु……..
मुझे इस खेल के मास्टर माइंड का तो पता था लेकिन ये नही की हमारे घर में इनका साथ कौन कौन दे रहा है,इसलिए मैंने आज का भी इंतजार करने की सोची ,आज इन्होंने खुसबू को किडनैप करने का प्लान बनाया था और यही उन्होंने गलती कर दी और पकड़े गए ,,,,,
तो ये वो लोग है जिन्होंने हमारे घर में रहकर हमशे गद्दारी की ….”
पोलिस के आदमी एक महिला और एक पुरुष को वँहा लाते है जिन्हें देखकर घर के सभी सदस्यों की आंखे फटी की फटी रह गई,ये रेणुका की मा,और रेणुका का पति बनवारी था…..
“नही अजय भइया आपसे कोई गलतफहमी हुई है मेरी माँ और ये ऐसा नही कर सकते ,”रेणुका रो पड़ी वो आगे बड़ी लेकिन विजय ने उसके कांधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना दी ,
“मुझे माफ कर दे मेरी बहन लेकिन ये सच है ,और इन्होंने कुछ भी गलत नही किया ,तुम्हारी मा ने जो भी किया उसके पीछे हमारे परिवार की गलती थी,तुम जो एक नॉकर की बेटी की तरह अपनी जिंदगी गुजर रही हो तुम असल में ठाकुरो का खून हो,तुम मेरी बहन हो बाली चाचा का खून ,इनके गलती की वजह से तुम्हे ऐसी जिंदगी बितानी पड़ी...माफी तो हमे तुमसे मांगनी चाहिए बहन माफी तो हमे चाची से मांगनी चाहिए …”
पर कमरा चुप हो गया था,बाली को समझ ही नही आ रहा था की वो कैसे अपने चहरे को छिपाए ,वो वँहा से जाने लगा,”रुकिए चाचा जी ….अभी नही इस खेल का असली मास्टर माइंड तो अभी हमने पेश ही नही किया है ...लाओ उसे “
कमरे में पुनिया को लाया जाता है सभी फिर से चौक जाते है लेकिन इस बार उतने नही
“किशोरीलाल “बाली के मुह से निकल जाता है,ये किशोरीलाल था बनवारी का पिता और रेणुका का ससुर…
वो खा जाने वाली निगहो से बाली और तिवारियो को देखने लगा ,किसी को भी उसपर अभी तक कोई भी शक नही हुआ था,पास ही खड़ा सुरेश भी खुद सहम रहा था कही उसका राज भी ना खुल जाए लेकिन उसके बारे में किसी ने कुछ भी नही कहा ,...
“आखिर इसने ऐसा क्यो किया “दूल्हा बने हुए नितिन ने प्रश्न किया ,अजय सभी बाते बताता गया,महेंद्र तिवारी और बाली का सर झुक गया था,साथ ही पूरा तिवारी और ठाकुर परिवार अपने बड़ो के किये पर शर्मिदा था,बाली और महेंद्र आकर पुनिया उर्फ किशोरीलाल के कदम में गिर गये ,
“मुझे माफ कर दो पुनिये मुझे माफ कर दो ,बनवारी मुझे माफ कर दो बेटा,जवानी के जोश में हमसे बहुत से पाप हो गए ,अब इसका पछतावा करने से कोई भी लाभ नही लेकिन ,,,मैं जानता हु की हमारे पाप माफी के काबिल नही है लेकिन फिर भी मुझे मांफ कर दो ….”
बाली और महेंद्र के आंखों में सच में प्रायश्चित के आंसू थे,बिना कुछ बोले ही पुनिये ने अजय की ओर देखा ,
“अगर मैं पूरे तिवारियो और ठाकुरो को भी मार देता तो भी शायद मेरी आत्मा को वो सकून नही मिलता जो की आज मिला है,मैं इनको इससे ज्यादा क्या इनके किये की सजा दूंगा की इन्होंने पूरी दुनिया के सामने ही मुझसे माफी मांग ली,अपने सभी सगे संबंधियों के सामने ….मैं तो बदले की आग में ये भी भूल गया था की जिन्हें मैं सजा देना चाहता था उन सभी की तो कोई गलती ही नही है,मैं तो मासूम से बच्चों को सजा देना चाहता था...तुम जीते अजय क्योकि तुम सच के साथ थे ,मेरा बदला सही होकर भी मैं हार गया क्योकि मैंने गलत तरीके अपनाए ...भगवान तुम्हे खुस रखे तुम्हारे परिवार को खुस रखे मेरा बदला तो पूरा हुआ और तुम्हे जो सजा देनी है तुम दे सकते हो…”
पुनिया की बातो से सभी के आंखों में आंसू आ गए थे,
“मैं कौन होता हु सजा देने वाला,अपने जो भोगा है उसके सामने और क्या सजा दी जा सकती है,मैं आपको कानून के हवाले कर रहा हु,वो जो भी फैसला करे वो मंजूर है,और आज से रेणुका इस घर की बेटी बनकर इस घर में रहेगी और बनवारी इस घर का दामाद,...पुनिये और रेणुका की माँ ने आंखों ही आंखों में अजय का आभार व्यक्त किया,पोलिस केवल पुनिया को ही ले गई ,रेणुका की माँ और बनवारी को ले जाने से अजय ने ही रोक दिया ...वो उनसे मांफी मांग कर अपने ही घर में रहने का निवेदन करने लगा लेकिन दोनो ही अब वँहा रहना सही नही समझ कर वँहा से निकल गए,साथ ही रेणुका भी चली गई…..अजय ने आगे उनको बहुत आर्थीक सहायता की जिससे बनवारी एक अच्छा बिजनेसमैन बनकर उभरा ,पुनिया और जग्गू ने अपने सभी गुनाहों को कुबूल लिया जिसमे कई कत्ल बलात्कार और किडनैपिंग जैसे जुर्म थे (जैसा की पुनिया नक्सलियों से भी मिला हुआ था और पहले से ही बहुत से अपराध कर रहा था)पुनिया को 14 सालो की और जग्गू को 7 साल की सजा हुई थी…………
अजय अब अपनी सभी जिम्मेदारी से मुक्क्त था,उसने वो रास्ता अपनाया था जो कभी किसी ने नही अपनाया ,प्रेम का रास्ता ,वो अपने दुसमनो को भी प्रेम से ही जीत लेता,इसी तहकीकात में उसे आरती और सुरेश के बारे में भी पता चला था,उसने स्टेज में तो कुछ नही कहा लेकिन बाद में सबके साथ सलाह कर उसने आरती की शादी सुरेश से करा दी,जो इतने सालो में नई हो पाया जिसके लिए ना जाने कितनी जाने गई वो अजय ने कर दिखाया था……..
समाप्त
आगे अब कुछ लिखने को इस स्टोरी में बचा ही नही है तो मैं ये स्टोरी अब समाप्त करता हु…...अब इसे खींचना जबर्दति खिंचने जैसा ही होगा ये इसके लिए सभी पॉइंट है जंहा से स्टोरी को खुसी खुसी खत्म कर दिया जाय……….
आप सभी ने मेरी इस कहानी को इतना प्यार दिया इसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद…
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