RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय की गाड़ी एक घने जंगल में बनी पगडंडी पर चल रही थी,वो अकेला ही था और हांफ रहा था,गाड़ी में बैठे हुए भी ऐसा लग रहा था जैसे की वो कई किलोमीटर दौड़कर आया हो,पास ही एक धमाका होता है और अजय के गाड़ी के एक पहिये में जाकर गोली लगती है ,गाड़ी थोड़ी लड़खड़ाती है लेकिन रुकती नही ,वो अपने ही स्पीड में चली जा रही थी,टायर के चिथड़े उड़ गए लेकिन अजय ने गाड़ी नही रोकी आखिरकार एक छोटे मिसाइल सा बम आकर उसकी गाड़ी से टकराया जब तक अजय कुछ समझता उससे पहले ही बड़ा धमाका हो चुका था,..............
इधर
फोन पर पुनिया सभी कुछ सुन रहा था और साथ ही उसके चहरे का रंग भी बदलने लगा
“एक अकेला आदमी और तुम सब फिर भी वो तुम्हारे अड्डे को तबाह करके चला गया,”
“क्या मतलब की मर गया होगा लाश मिली की नही “
“नही मिली पागल हो गए हो जब तुम कह रहे हो की उसे बम से उड़ा दिया तो लाश तो मिलनी ही चाहिए थी…”
“और ढूंढो ,,,वो कोई आम आदमी नही है ,इस स्टेट का राजा है और अब दो मंत्रियों का भाई ..जगह जगह पोलिस और आर्मी तुम लोगो की तलाश में निकल पड़ी होगी जाओ और ढूंढो उसे “
पुनिया ने फोन पटका,अगर अजय जिंदा होगा तो उसका क्या हाल करेगा ये सोच कर ही उसकी रूह कांप जा रही थी ,.और अगर वो मर गया तो उसके परिवार वाले एक एक को चुन चुन कर मरेंगे ….
“ओफ़ अब क्या करू”पुनिया के मुह से अनायास ही निकला
इधर
ठाकुरो की हवेली में मातम परसा हुआ था,अखबारों की मुख्य खबर अजय की मौत ही थी,निधि पागलो जैसे घुमसुम सी बैठी थी वही बाकी लोगो का भी हाल बुरा ही था,जैसे रोते रोते आंसू सुख चुके हो ,मातम और सांत्वना का दौर कई दिनों तक जारी रहा लेकिन फिर भी अभी तक कोई भी पूरी तरह से सही नही हो पाया था,गार्डन में बाली और डॉ बैठे हुए बात कर रहे थे
“अब सोचता हु की सोनल और विजय की भी शादी कर ही दु ,घर के थोड़ी रौनक तो वापस आएगी ,बच्चों के चहरे अब देखे नही जाते “
बोलते बोलते बाली की आंखे नम हो गई थी
“हूऊऊ लेकिन क्या तुम्हे पता है की उन्हें कोई पसंद है की नही “
डॉ की बात से बाली ने चहरा ऊपर किया और आश्चर्य से डॉ को देखने लगा ,डॉ एक गहरी सांस लेकर कहने लगा
“सोनल नितिन को पसंद करती है वही अजय खुसबू को पसन्द करता था,जो हाल इस घर का है वही हाल अभी उस घर का भी है,अगर तिवारी मान जाए तो मेरी मानो और सोनल और नितिन की शादी कर दो ,दोनो परिवारों में खुसी थोड़ी तो लौटेगी और शायद इस रिस्ते के लिए सोनल भी ना ना कहे ..”
बाली गहरे सोच में पड़ जाता है
“देखो जंहा तक मैं समझता हु इस स्थिति में यही उचित होगा ,...सोनल को मनाना ही पड़ेगा ,मुझे डर तो निधि का है अजय के जाने के बाद वो तो मुर्दो की तरह से हो गई है ...अगर ऐसा ही चला तो ….उसे कही बाहर ले जाओ ,सुना है पास के ही गांव में एक बाबा जी ठहरे हुए है कुछ दिनों से उनके पास चलते है …”
“हम्म्म्म कुछ तो करना ही पड़ेगा वरना सभी फूल यू ही मुरझा जाएंगे “
बाली अपने मन ही मन कहता है….
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