Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:21 AM,
#51
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
माल से ही लगा एक गार्डन था जिसमे प्रेमी युगलो का जमावड़ा हुआ करता था,खुसबू और सोनल यहां अक्सर अपने दोस्तो जिनमे नितिन भी शामिल था उनके साथ आया करते थे,वो उसे खिंचते हुए ले जाती गई ,बड़ा गार्डन था,और दोपहर का वक़्त जिसमे वो गार्डन बंद हुआ करता था,बस ट्रिक ये था की उसके केयरटेकर को कुछ पैसे देने होते थे,और खुसबू को ये पता था उसने उसे 100 का एक नोट दिया और उसने उसे एक छोटे से गेट से अंदर घुसने को कहा ,वहां आकर कुछ जोड़े तो सेक्स भी कर लिया करते थे,लेकिन उन्हें इतने एकांत की जरूरत नही थी ,अजय को भी सब समझ आ रहा था लेकिन वो भी उसके साथ चलने में कोई भी एतराज नही जताया कयोकि उसे भी खुसबू से बात करनी थी वो भी हर चीज क्लियर करना चाहता था,
“आराम से करना थोड़ा देख कर कोई देख ना ले “
केयरटेकर की गंदी सी हँसी निकली जिसमे उसके रंगे हुए दांत दिखने लगे,वो एक 40-45 साल का मोटा से आदमी था जिसकी सूरत से ही कमीनेपन झलक रहा था, दोनो ही उसका मतलब समझ चुके थे,खुसबू को इससे कोई फर्क नही पड़ा लेकिन अजय का दिमाग सरक गया,अजय ने एक झापड़ खीचकर उसके गालो में लगा दिया ,आवाज इतनी शानदार थी की आसपास में आते जाते लोग भी रुककर उन्हें देखने लगे ,और ताकत इतनी लगाई थी वो वहां से दूर जा गिरा ,उसके मुह से खून आ रहा था,और पास ही उसका एक दांत गिरा पड़ा था,वो बौखलाई आंखों से अजय को देख रहा था,आजतक ना जाने कितने लोगो को उसने ये कमेंट किया था ये पहला शख्स था जिसने इसका विरोध ही नही किया बल्कि उसे इतने जोरो का चांटा भी रसीद कर दिया...अक्सर लोग उसकी बात सुनकर हँसकर टाल दिया करते थे क्योकि सबको पता था की वो वंहा क्या करने जा रहे है…
खुसबू के मुह से एक हँसी निकल गई और वो अजय का हाथ पकड़कर सीधे छोटे गेट से अंदर चली गई ,वो शख्स बस ठगा सा उन्हें देखता रहा …………..

इधर 

विजय को आरती का इशारा तो मिल गया था पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करें, उसने सोनल को इशारा किया जो अभी लहंगा देखने में व्यस्त थी,

विजय बाहर आय साथ में सोनल भी,

“यार तुम लोग को इतना अच्छा मौका मिला है और तुम यहाँ बैठे हो,”

“हा यार बट सुमन के साथ रहना भी तो जरूरी हैं ना,”

“हा वो तो हैं, लेकिन आस पास कोई गार्डन नहीं है क्या,”

सोनल कुछ सोचती है,

“अरे यहां बाजू में तो एक गार्डन हैं जो शाम में खुलता है लेकिन अगर गार्ड को पैसा दो तो वो दोपहर में भी खोल देता है,”

“परफेक्ट”

“लेकिन यार सब लोगों को क्या बोलूंगी “

“अरे कुछ मत बोल ,भाई की शादी है और अपनी होने वाली बहु के लिए अच्छे से कपड़े सलेक्ट कर”

सोनल उसे अजीब निगाहों से देखती हैं, दोनो फिर से आकर बैठ जाते हैं, कुछ ही देर में आरती उठती हैं और कुछ बहाना बनाकर निकल जाती हैं, फिर विजय उठकर निकल जाता हैं, सोनल उसे धयन से देखने लगती हैं वो उसे आंख मारकर निकल जाता हैं, सोनल को जैसे कुछ समझ आया और उसकी आंखें चौड़ी हो गई,वो उसे रोकना चाहती थी पर कैसे???

इधर विजय और आरती भी गार्डन पहुच चुके थे,

वहां वो गार्ड अभी अभी मार खाकर अपने जख्मो पर दवाई लगाए बैठा था,खून तो रुक चुका था लेकिन दर्द नही गया था,

“बॉस अंदर जाना है “

विजय ने कुछ नोट आगे बढ़ते हुए कहा ,जिससे वो गार्ड थोड़ा झल्ला गया,

“अभी बंद शाम को आना “

“अरे ये रखो ना “

उसने वो नोट उसके पॉकेट में डाल दिए

“बोला ना बंद है समझ नही आता “

गार्ड ने चिल्लाने की गुस्ताखी कर दी,विजय ने अंदर नजर डाली,गार्डन ऐसे तो बड़ा था लेकिन उसे कुछ कपल वहां दिख गए ,

“वो अंदर जो लोग है वो कैसे चले गए “

“चलो बहस मत करो जाओ यहां से ,साले पता नही कहा से चले आते है”

विजय का माथा खनका और एक जोर का तमाचा उसने खिंच दिया,

चटाक ….

ये तमाचा उसे दूसरे गाल पर पड़ा था,गार्ड फिर से जमीन पर था और उसका एक दांत भी बाहर निकल गया ,वो बेचारा रोनी सूरत बनाये विजय को देखने लगा ,आरती जंहा हस पड़ी वही विजय भी मुस्कुरा दिया ,उसका गुस्सा थोड़ा कम हो चुका था,

उसने हाथ आगे बढ़ाकर उसे खड़ा किया और उसके जेब में पैसा रखे ,

“चल गेट खोल “

“दादा गिरी है क्या “

वो रोनी सूरत बनाये कह रहा था,विजय ने अपने जीन्स के पीछे रखी पिस्तौल निकली और उसके माथे में टिका दिया 

“हा दादागिरी है”

गार्ड की हालत सांप सूंघने जैसी थी और उस बेचारे के मुह से कोई भी शब्द नही फुट रहे थे,आखिर उसने छोटी गेट की तरफ इशारा किया ,दोनो वहां से गार्डन के अंदर चले गए …

गार्ड अपनी कुर्सी पर बैठा बस यही सोच रहा था की आज किसका मुह देखकर उठा था….



“बोलो क्या बोलना चाहती हो”
अजय एक पेड़ के नीचे बैठ गया ,एक मस्त हवा ठंडी सी खुशबूदार हवा के झोंके ने उसे सहलाया,जिसमे बगीचे के फूलो की खुसबू भी साथ थी,बड़े दिनों बाद उसे इसतरह से सुकून से बैठने का मौका मिल रहा था,बगीचे के एक किनारे में वो बैठा हुआ खुसबू को देखने लगा जो की एक सादे सफेद सलवार सूट में थी ,उसकी सादगी उसे निधि की याद दिला गई लेकिन उसके व्यवहार में निधि जितनी चंचलता नही थी,वो बहुत गंभीर स्वभाव की थी,अजय के लिए ये परफेक्ट मेच था लेकिन वो रिस्ते के कारण पूछे हट रहा था,
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