Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:11 AM,
#29
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय के लिंग ने फिर से आकर ले लिया और वो उसे निधि के जांघो के बीच की गहरी खाई में रगड़ने लगा,निधि के मादक आवाजे कमरे में फैलने लगी थी,पर दोनो अब भी हवस और प्यार की उस सिमा के बंधन में थे,जो भाई बहन के रिस्ते की मर्यादा थी...अब ना अजय और ना ही निधि इस मर्यादा के बंधन में बांध कर रहना चाहते थे,निधि ने ही पहल की और अपने सलवार का नाडा खोल सलवार भी निकल फेका..
दोनो नग्गे जिस्म फिर से एक हो गए दोनो एक दूसरे को भरपूर प्यार देना चाहते थे ,पर दोनो अपनी मजबूरी पर रो पड़ते की वो उतना प्यार ही नही कर पा रहे थे जिससे दोनो की प्यास बुझ जाय,अब बस एक ही तरीका था,....
दोनो ही सेक्स की दुनिया में अनाड़ी थे,पर अजय के लिंग की दस्तक से निधि की योनि में कामरस का बहाव होने लगा था ,उत्तेजना चरम पर थी पर आगे क्या करना है किसी को भी नही पता था,आखिरकार दोनो ही हार गए,
“मुझे माफ कर दे बहन मुझे कुछ भी नही आता”अजय लगभग रोते हुए कहा
“हा जैसे मैं तो मास्टर हु ना”निधि भी रो रही थी उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा.
“तो क्या करे,मुझे तुझे प्यार करना है ,और करना ही है,बहुत करना है जान”
अजय उसके होठो पर फिर से टूट पड़ा,दोनो की आंखों में आंसू उस बेचैनी के थे की वो एक दूजे को टूटकर प्यार नही कर पा रहे थे,दोनो फिर से अपने होठो को मिलाप को बेहद ही उत्तेजित लेवल में ले गए और अजय ने धीरे से अपने कमर को आगे खिसकाया ,कामरस से भीगी हुई निधि की योनि का सुराख इतना नही था की वो अजय के इस विशाल से लिंग को अपने अंदर ले ले,नतीजा यही हुआ की लिंग फिसल कर उसके बाजुओ पर जा टकराया,अजय फिर से रो पड़ा,निधि ने उसके गालो को सहलाया और अपना हाथ नीचे ले जाकर उस छेद को ढूंढा जो शायद उम्र के इस पड़ाव में भी बेहद उपेछित सी थी,उसने अजय के लिंग को पकड़कर उस छेद पर रगड़ा,अजय ने सही समय में अपनी काबिलियत दिखाई और धीरे से कमर पर जोर दिया ,उस छेद ने भी अपना गुणधर्म दिखाते हुए लिंग को अपने अंदर आने की इजाजत दे दी पर बिल्कुल ही अनछुई सी योनि के फैलाव के निधि को दर्द की लहर सी महसूस हुई ,अजय को मार्ग तो मिल गया था पर सफर अब भी बाकी था…
“आआआआहहहहहहह भईया “निधि की हल्की चीख ने अजय को रुकने पर मजबूर कर दिया ,अजय का लिंग भी पहली बार इस अजीब से अहसास को महसूस कर रहा था,उसकी चमड़ी ने पहली बार अपना स्थान छोड़ा था और उसे भी एक दर्द ने घेर लिया था,
दोनो एक दूसरे के आंखों में झांके दोनो के चहरे पर एक मुस्कान फैल गयी,
“भइया मैं अब पूरी तरह से आपकी हुई’
निधि के दिल की गहराइयों से निकली ये बात अजय के दिल की गहराइयों तक पहुची और दोनो के होठ फिर से मिल गए ,फिर से उत्तेजना ने अपना काम किया और इसबार बिना किसी मेहनत के अजय धीरे धीरे ही अपनी कमर को हिलाने लगा,दोनों को ही पता था की वो क्या कर रहे है पर बस कर रहे थे…
अजय का लिंग धीरे धीरे निधि की योनि में अपनी जगह बनाता गया काम रास ने अपना काम बखूबी किया था,वो लिंग को पूरी तरह से भिगो चुका था,और उत्तेजन ने दोनो को दर्द सहने की असीम शक्ति दे दी थी,लिंग अब पूरी तरह से निधि के योनि की सैर कर रहा था,बिना किसी रोकटोक के बिना किसी बाधा के…….दोनो ही प्रेम के पंछी अपने जज़बातों का बयान अपना प्यार एक दूसरे पर लूटा कर कर रहे थे,होठ अब भी अलग नही हुए थे ना ही कोई भी संभावना थी..एक शांति सी दोनो के जेहन में थी क्योकि एक असमंजस की एक भावनाओ की,दीवार टूटी थी...अब दोनो के बीच कोई भी दीवार नही रह गयी,प्यार बेपर्दा हो चुका था,और दोनो जिस्म ,दोनो मन एक हो चुकी थी…..
कमरे में और दोनो के मानो में फैली शांति ने उनकी कामुक उत्तेजना को समाप्त कर दिया था,रह गयी थी तो बस एक प्यार की लहर……
निधि के कामरस से गीले अजय के लिंग ने अब अंदर बाहर करना बंद कर दिया था,वो उसी गर्म गुफा में आराम कर रहा था ,और निधि अजय से लिपटी हुई बस अजय के शरीर से मिलने वाले प्यार महसूस कर रही थी दोनो बस इसी गहराई में दुबे रहे जब तक की उनकी आंखे नही लग गयी……….

अजय की नींद निधि के हिलाने से खुली,अभी सुबह नही हुई थी पर निधि की कसमसाहट से अजय के लिंग जो की अब भी निधि के योनि में फसा था,कुछ गुदगुदी दी हुई,दोनो की नींद टूट चुकी थी ,दोनो ने एक दूजे को देखा,क्या सुबह थी वो,...
ये नया अहसास था दोनो के ही लिए.
अजय ने बड़े ही प्यार से उसके बालो को सहलाया तो निधि भी शर्माकर उसके बाजुओ में खुद को समेट ली……..
अजय ने अपने लिंग को हल्के से चलाया,जिसके छुवन से ही निधि की योनि ने पानी जैसा चिपचिपा से रस छोड़ दिया,और अजय के लिंग को अपने अंदर पूरा आने को सहायक हो गया,अजय का लिंग भी ऐसे फूला जैसे अब गुब्बारे में हवा भर दी गयी हो और अब बस वो फूटने वाला ही हो...अजय अपने आप ही अपने कमर को आगे पीछे करने लगा था,हल्के हल्के धक्कों से दोनो ही प्यार के असीम दरिया में गोते लगाने लगे…
जन्नत का मजा उनके लिये खुल चुका था और वो वहां से बाहर ही नही आना चाहते थे…
दोनो के अंगों की चमड़ी के मिलान से इतना मजा भी हो सकता है ये तो शायद उन्हें भी नही पता था,पर जो हो रहा था उससे उनका इनकार भी नही था,वो बस अपने आंखों को बन्द किये इस मजे को अपने अंदर जितना हो सके उतना इकट्ठा कर रखना चहते थे,
दोनो की सांसे अब फूलने लगी थी ,लेकिन अजय ने हार नही मानी उनसे धक्के थोड़े तेज कर दिए,निधि को सहन मुश्किल हो गया था,उसकी आहों से कमरा गूंज रहा था,
“aaaahhh aahhh bhaaaa ईईईईई yaaaaa “
उसकी चीख से पूरा कमरा गूंज गया,निधि ने एक तेज धार छोड़ी और अजय के नीचे दबे हुए उसके तेज धक्कों को सहती हुई निढाल हो गयी,,अजय ने जब निधि को देखा तो उसकी आंखों में आंसू था,
अजय घबरा गया वो तो अपनी नाजुक सी बहन को कोई भी तकलीफ नही दे सकता था फिर कैसे वो उसे इस तरह से दर्द में तड़फता देख सकता था,वो तुरंत रुक गया…..
“क्या हुआ जान ,मेरी बहन दर्द हुआ क्या”
अजय के इस प्यार को देखकर निधि के होठो पर एक मुस्कान खिल गयी,..वो अजय के बालो को अपने उंगलियों में फसा कर उसे अपने ऊपर खिंच लिया और उसके होठो से अपने होठो को मिलाकर एक लंबा से चुम्मन दिया…
“नही भैया कोई भी दर्द नही था,इतना मजा तो मुझे जिंदगी में कभी भी नही आया ……”निधि की हालात कुछ अजीब ही थी आंखों में पानी था,योनि में पानी था ,और होठो में एक प्यारी सी मुस्कान...अजय का लिंग अब भी उसके योनि में पूरी तरह से कसा हुआ था,पर वो अब फिर से उसे चुम कर उसे अपने ऊपर लिटा कर सो गया,वो मानो झड़ना ही नही चाहता था क्योकि झड़ने का मतलब था की उसे अपनी प्यारी बहन से अलग होना पड़ता,और अजय को ये बिल्कुल भी मंजूर ना था…..
सुबह की रोशनी जब घर में फैली तो दोनो की नींद खुली देखा तो निधि वहां से जा चुकी थी ,अजय उठा उसने अपनी हालत देखी और खुद पर ही मुस्करा दिया,उसके लिंग में निधि की योनि के कुछ बाल फसे थे और चादर में खून के धब्बे,उसने ध्यान से देखा तो उसे अपने लिंग में भी एक काटा हुआ घाव से दिखाई दिया,पहले प्यार का दर्द भी मीठा होता है,अजय बस मुस्कुरा कर वहां से उठ जाता है……..

सुबह सुबह निधि जल्दी से तैयार हुई आज उसके कॉलेज का पहला दिन था..वही साथ ही सुमन को भी जाना था,दोनो ही तैयार थे ,उन्हें पहुचने के लिए बड़े ताम झाम किये गए थे,अजय ,विजय,कलवा और चम्पा साथ जाने वाले थे...चम्पा सुमन और किशन पर नजर रखने के लिए वहां जा रही थी ,जब किशन को पता चला चम्पा भी साथ जा रही थी तो वो अपना जाना ठीक नही समझा ,विजय को तो मेडम से मिलने की चाह सता रही थी जो काम उसने अधूरा छोड़ा था उसे पूरा करना चाह रहा था,और उसने अजय से कह दिया था की दोनो को कॉलेज छोड़ने की पूरी जिम्मेवारी उसकी…….
कॉलेज पहुचने पर अजय और कलवा की आंखे तो जैसे किसी शख्स पर जम सी गयी वो और कोई नही रामचन्द्र तिवारी का छोटा बेटा महेंद्र था,साथ में बजरंगी भी था और एक लड़का भी साथ था,ऐसे तो महेंद्र अजय का मामा था पर दुश्मनी ने खून के रिस्तो को भी कहा अपना होने दिया है….
कलवा ने धीरे से अजय के कानो में कहा..
“लगता है महेंद्र अपने बेटे को भी यहां एडमिशन कराने लाया है”
अजय ने उस लड़के को देखा ,रिस्ते में तो उसका भाई था पर अब उसे निधि की चिंता सताने लगी पुरानी दुश्मनी के कारन कही उसकी बहनों पर कोई आंच ना आ जाय….कलवा अजय की चिंता समझ चुका था,
“फिक्र की कोई बात नही है अजय ,विजय तो यहां इन्हें लाने लेजाने आएगा ही साथ में ही हम थोड़ी और सिक्योरटी यहां बढ़ा देंगे कुछ लोग हमेशा यहां पर रहेंगे “
अजय ने सहमति में अपना सर हिलाया..वही महेंद्र की नजर भी ठाकुरो पर पड़ी तो जैसे किसी ने तपते तवे पर पानी के झिटे मार दिए हो गुर्राया पर बजरंगी ने उसका हाथ थाम लिया और उसे शांत किया वो अपने बेटे के साथ कॉलेज के अंदर चला गया वही अजय विजय भी निधि और सुमन के साथ अंदर गये.
इधर काव्या मेडम की हालात थोड़ी खराब थी वो ठाकुरो का रोब तो देख ही चुकी थी और उसे बहुत खुशी थी की यहां वो विजय के साथ ऐसा करेगी पर यहां आने पर उसे पता चला की यहां पर तिवारियो का भी बोल बाला है और दोनो के बीच पुश्तैनी दुश्मनी है...उसकी हालात तो खराब हो चुकी थी पर उसने अपने ट्रांसफर की बात भी की पर किसी ने एक नही सुनी ,अब तो उसे बस विजय पर ही कुछ भरोसा था की वो कुछ कर दे...महेंद्र और अजय आमने सामने हुए महेंद्र तो अजय को देख कर उसे पूरी तरह से इग्नोर की कर दिया पर अजय के दिल में ना जाने क्या आया उसने महेंद्र के पास आकर उसके पैर छू लिये...सबके लिए ये बात बहुत ही चौकाने वाली थी अजय ने निधि ,सुमन.और विजय की तरफ इशारा किया 
“ये हमारे मामा जी है इनके पैर छुओ “
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