Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:05 AM,
#11
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
किशन की नजरे सुमन पर थी,पर वो निधि से अलग ही नहीं होती थी,आज अच्छा मौका मिला था ,वो अपने हाथो में हल्दी लिए निधि को पीछे से पकड़ता है और उसके गालो में हल्दी रगड़ने लगता है ,निधि जब सम्हालती है तो वो और सोनल किशन के हाथो को पकड़ लेते है और निधि सुमन को उसे हल्दी लगाने का इशारा करती है ,सुमन थोड़ी डरी डरी सी उसके पास जाती है और उसे हल्दी लगाने लगती है,किशन जब अपने को छुड़ाता है वो सीधे सुमन के तरफ ही बढता है वो उसे पीछे से पकड लेता है और उसके गालो के साथ साथ उसके उभरे उजोरो पर भी हाथ मल देता है,सुमन चुह्क सी जाती है ,किशन उसे हस्ते हुए देखकर वहा से चला जाता है ,सुमन ने बहुत दुनिया देखि थी और उसे समझ आ चूका था की किशन के इरादे क्या है,वो काप सी गयी उसका ध्यान निधि की ओर गया जो अपनी मस्ती में मस्त थी ,और अजय से चिपके हुए उसके गालो से खेल रही थी,सुमन नज़रे निचे किये वहा से जाने लगी ,किशन दूर खड़ा उसकी प्रतिक्रिया देख रहा था,सुमन के आँखों में आंसू थे वो दौड़ते हुए अपने कमरे की ओर्र जाने लगी ,किशन उसका पीछा करता हुआ उसके कमरे में पंहुचा ,वो कमरे में जा कर रो रही थी की उसके कमरे में दस्तक हुई ,उसे लगा की निधि उसे बुलाने आ गयी होगी ,उसने अपने आँखों से पानी पोछते हुए दरवाजे के पास पहुचती है,लेकिन दरवाजा खोलते ही उसके होश उड़ गए वह किशन खड़ा मुस्कुरा रहा था ,सुमन ने एक सलवार कमीज पहने हुई थी वो पूरी तरह से रंगा हुआ था ,वो कुछ कह या कर पाती किशन उसे धक्का के कर अंदर कर देता है और कमरे का दरवाजा लगा देता है ,सुमन उसके चहरे को देखती है ,उसे शराब की गंध महसूस होती है ,किशन देरी ना करते हुए हुए उसे अपने बांहों में भर लेता है और उसे चूमना शुरू कर देता है ,सुमन धीरे से चिल्लाती है और उससे छूटने की कोशिस करने लगती है ,
"नहीं नहीं भईया ये आप क्या कर रहे है ,"किशन उसके चहरे को देखता है 
"मदेरचोद मैं तेरा भईया नहीं हु ,समझी "वो उसके गालो पर एक जोर का तमाचा जड़ देता है ,सुमन की रोने की आवाज और भी तेज हो जाती है ,जिससे किशन को और हिम्मत मिलती है ,
"चुपचाप जो करता हु करने दे,मुह मत खोलना नहीं तो तुझे और तेरे परिवार को गायब करा दूंगा ,तेरा भाई और तेरी माँ *** कॉलोनी में रहते है ना ,"सुमन उसकी बात सुनकर दंग रह जाती है,उनका रुतबा तो वो देख ही चुकी थी ,
"अगर किसी को बताई या चिल्लाई तो सोच लेना मैं तेरे परिवार की क्या हालत करता हु,"साफ़ था ये उससे दारू का नशा ही बुलवा रहा था वरना किशन तो उसे पटाने की सोच रखा था,बलात्कार की नहीं,सुमन उसकी बातो से लाचार सी हो चुकी थी ,उसके लिए उसका भाई और माँ ही तो थे ,उसे वो खतरे में नहीं डाल सकती थी ,सुमन ने ना चाहते हुए भी अपने को किशन के हवाले कर दिया किशन अब अपनी मनमानियो में उतर आया और उसके जिस्म के हर हिस्से हो दबोचने लगा ,सुमन बस आंसू बहाती हुई किसी लाश सी खड़ी थी,किशन ने अपने हाथो से उसके कोमल और अनछुए उरोजो को निचोड़ने लगा,सुमन का रोना बढता गया वो हलके हलके से चिल्ला रही थी,पर उसने अपना हाथ पीछे बांध कर रखा था ,
किशन ने अपने हाथो को आजाद किया और पुरे शारीर पर बेफिक्री से चलने लगा उसे ये तो समझ आ चूका था की अब ये लड़की कोई भी विरोध नहीं करेगी ,आज तो उसकी चांदी हो गयी थी ,उसने सुमन के कमीज के पीछे की चैन खोल दि उसके हाथ उसके पीठ पर चलने लगे ,सुमन एक मूर्ति सी खड़ी अपने इज्जत को जो उसने इतने दिनों से सम्हाल के रखा था लुटते देख रही थी ,जिस आत्मसम्मान की रक्षा के लिए उसने और उसकी माँ ने इतने दुःख उठाये थे वो आज लुटाने वाला था वो बेचारी बस खड़े होकर इसका तमाशा ही देख सकती थी कोई भी विरोध उसके परिवार के लिए जानलेवा हो सकता था,वो एक बुत सी खड़ी बस आंसू बहा रही थी,किशन ने उसके पीठ पर हाथ चलते हुए उसके ब्रा के हुक को खोल दिया ,उसके नग्गे सवाले पीठ पर उसके हाथ चलने लगे ,किशन ने उसे अपने तरफ खीचा और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया ,लेकिन सुमन ने अपना सर दुसरे तरफ कर लिआ ,किशन को गुस्सा आया और एक तेज झापड़ फिर सुमन के गालो में पड़ा वो बेचारी वही गिर गयी,किशन उसके बालो को पकड़ता हुआ उसे उठता है और फिर उसके होठो को अपने होठो में भरता है ,सुमन उसका साथ तो नहीं देती पर उसका विरोध भी नहीं करती ,वो उसके पतले से कोमल होठो की पंखुडियो को अपने दातो से कटता हुआ अपनी जीभ उसके मुह में घुसा देता है वो बेचारी बस उसे होता महसूस कर रही होती है,किशन उसकी कमीज उतर कर जमीन में फेक देता है उसके उजोरो की चोटी अब निखरकर किशन के सामने थी ,जिन्हें वो अपने मजबूत हाथो से दबाता हुआ मसलने लगता है ,
"आह्ह्ह नहीं ना भईया नहीं ना "दर्द के कारन सुमन के मुह से निकल पड़ा ,किशन ने उसके निप्पल को अपने दांतों से कटा की वो दर्द से उछल पड़ी ,उसके दांतों के निशान उसके निप्पल पर पड़ चुके थे ,
"मादरचोद बोला था ना की भईया मत बोल ,आज तो तुझे चोद कर अपनी रंडी बनाऊंगा,हा हा हा ,और अभी दर्द शुरू कहा हुआ है अभी तो असली दर्द देना बाकि है तुझे ,"किशन किसी दानव सा हसता हुआ कह गया की सुमन की आत्मा भी सिहर उठी,
किशन उसके उजोरो को अपने मुह में भरकर चूसने लगा ,जो कृत्य किसी भी लड़की को उत्तेजित कर सकता था ,वो ही बिना मर्जी से करने पर लडकियों के लिए सबसे जलील करने वाले और यातना देने वाले होते है ,जो उनकी आत्मा को मार देते है,किशन अपने मन के भरने तक उन्हें चूसता रहा और फिर उसके सलवार के नाड़े को खीच कर सलवार को निकल दिया,अपने नग्न होने के अहसास से सुमन का जमीर मर सा गया था ,किसी ऐसे आदमी के सामने नग्न होना जिसे वो प्यार नहीं करती ,अभी तक तो उसे वो अपना भाई ही मान रही थी ,किशन ने उसके शारीर पर पड़ा आखरी वस्त्र भी निकल दिया उसके बालो से भरे हुए योनी में एक उंगली घुसा दि ,उसकी पूरी तरह से सुखी योनी में वो उंगली किसी दर्दनाक हादसे से कम नहीं थी ,वो चिल्ला पड़ी ,
"नहीं नहीं मुझे बक्स दो ,मैं आपके बहन जैसी हु ,मैं मैं नहीं नहीं "सुमन जैसे खुद से ही बाते कर रही थी किशन का तो इसका कोई भी असर नहीं हो रहा था ,वो निचे बैठ कर अपने होठो को उसकी योनी तक ले जाता है और जीभ निकल कर उसे चाटने लगता है ,किशन ये क्यों कर रहा था ??????शायद इसी लिए क्योकि उसने कभी किसी का बलात्कार नहीं किया था ,उसने हमेशा ही लडकियों की सहमती से ही उनको भोगा था,पर आज वो बलात्कार कर रहा था पर उसे भी इसका आभास नहीं हो पा रहा था ,वो अपने शराब के नशे में ही डूबा सा अपने कृत्य को अंजाम दे रहा था,वही सुमन का वो अंग अब किशन के क़ब्से में था जो कोई औरत या लड़की उसे देना पसंद करती है जिसे वो प्यार करती है ,लेकिन समाज ने लडकियों को वो स्थान दिया है की वो बेचारी कभी भी किसी को अपनी मर्जी से अपनी इज्जत सौप नहीं पाती ,कोई एक खुसनसीब ही होती है जिन्हें ये सौभाग्य मिलता है की वो अपनी इज्जत अपने प्रियतम को सौपे वरना यहाँ तो शादी भी बलात्कार करने का ही लायसेंस हो जाता है ,एक लड़की के लिए जीना कितना मुस्किल होता है ये सुमन अच्छे से जानती थी पर उसे भी यही करना पड़ेगा उसने शायद सोचा भी नहीं था,वो अपने खयालो में खो जाती है जबकि किशन उसके योनी को अपने थूक से भिगो चूका होता है....
किशन ने उसे पास ही बिस्तर पर पटक दिया जैसे ही वो बिस्तर में गिरी उसके आँखों से आंसू गायब हो गए और चहरे पर एक मुस्कान तैर गयी ,किशन के लिए ये मुस्कान बहुत ही रहस्यमयी हो गयी की ये क्या हो रहा है,उसने घुर के सुमन को देखा ,और सुमन ने मुस्कुराते हुए कहा ,
"जैसे मैं एक लड़की हु ,तुम्हारी बहने भी तो लडकिय है ना "बस इतना ही बोल के वो मुस्कुराती हुई किशन को देखने लगी ,किशन के दिल में उसकी बात तीर सी लगी ,उसके चहरे पर गुस्सा आने ही वाला था की,
"कोई ऐसे ही तुम्हारी बहनों के साथ भी करेगा ,या क्या पता करता होगा,"सुमन के चहरे पर एक व्यंग भरी मुस्कान थी जो किशन के दिल को छीर कर रख देती है वो गहरे सोच में पड़ जाता है ,सुमन के जगह उसे कभी रानी दिखाई देती है तो कभी निधि का हसता हुआ चहरा ,वो अपना सर झटकता है ,
"ठाकुर साहब मैं भी किसी की बहन हु ,ये याद रखना और आपकी भी बहने है ये भी,"किशन की उत्तेजना पूरी तरह से कम हो जाती है उसके दिमाग में कई खलबलिया मच जाती है ,वो उसे मरना चाहता है पर सुमन के दिल से ये बात निकली थी जो सीधे किशन के दिल को जाकर लगी थी वो ,अपने हाथ वापस खीच लेता है और वहा से निकल जाता है और सुमन की मुस्कान अब फिर एक उदासी में बदल जाती है ..............

बारात आने को थी सभी तैयार बैठे थे ,घर की सभी लडकियों में डिजाइनर लहंगा पहना था,सभी बहुत ही सुंदर दिख रहे थे ,वही सुमन और लाली ने साड़ी पहने हुई थी,विजय और किशन तीन चार पेग लगाकर काम में बिजी थे ,वही अजय और बाली बड़े आराम से बैठे बाते कर रहे थे ,महमानों के नाम पर गाव के ही कुछ लोग थे,विजय रेणुका के कमरे में पहुचता है,वह रेणुका दुल्हन के लिबाज में तैयार बैठी थी,साथ में ही सुमन,रानी और सोनल भी थे ,विजय को आया देख सोनल के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,
"क्यों भाई क्या हुआ "सोनल ने पूछा,
"कुछ नहीं बस कुछ काम था यहाँ पर ,"रानी भी हसने लगी ,तभी निधि आकर सुमन को अपने साथ बुला लिया ,उसके जाते ही सोनल और रानी उठने लगे,
"चलो जानती हु क्यों आये हो यहाँ ,चलो जल्दी जो बात करना है कर लो पर जल्दी ना हम लोग बस आधे घंटे में आ रहे है ,"सोनल ने जाते हुए हसकर कहा ,उनके जाते ही विजय ने दरवाजा लगाया और रेणुका को पकड़ कर किस करने लगा ,
"अरे ठाकुर साहब ये क्या कर रहे हो ,पूरा मेकअप ख़राब हो जाएगा,"रेणुका हस्ते हुए कह गयी,
"अरे मेरी जान आज के बाद पता नहीं कब मौका मिले तुझसे प्यार करने का ,"विजय ने उसके बड़े बड़े उजोरो को दबाते हुए कहा ,
"हाय क्या कर रहे हो ,और मैं कहा भाग रही हु आपसे दूर यही तो रहने वाली हु ना ,और क्या प्यार प्यार कह रहे हो आप,प्यार करते हो या अपनी आग बुझाते हो ,"रेणुका की बात विजय को चुभ गयी थी ,उसने झटके से उसे छोड़ दिया ,उसका चहरा उतर गया था जो रेणुका को समझते देर ना लगी ,
"अरे ठाकुर साहब आप तो बुरा मान गए ,हमारा रिश्ता कभी ऐसा नहीं था की हम एक दुसरे को प्यार करे पर मुझे एक बात तो पता है की आपने मुझे कभी धोखा नहीं दिया ,आप ने मुझे जितना सम्मान और मजा दिया है उतना मुझे कोई नहीं दे सकता,"रेणुका उसके पास आई और अपने होठो को उसके होठो पर लगा दिया ,पर विजय उन्हें चुसना ही भूल गया था,रेणुका ने उसके सर को उठाते हुए उसकी नजरो को देखा 
"विजय मुझे देखो ,"विजय ने रेणुका के चहरे को देखा,
"हम बचपन से साथ है ,हमारे बीच में जो भी हुआ वो बस जिस्म की जरुरत थी पर क्या सचमे ऐसा था ,मैंने हमेशा तुम्हे अपना पति ही माना ,पर हम अलग है हम अब भी सबकुछ कर सकते है पर हम कभी उस रिश्ते में नहीं बंध सकते जिसे शादी कहते है ,"पता नहीं आज विजय को क्या हो रहा था ,उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई उससे उसकी सबसे बड़ी सम्पत्ति छीन रहा हो ,वो भावुक हो गया था,उस लड़की के लिए जिसे उसने हमेशा ही बस एक जिस्म ही समझा था,उसने रेणुका के चहरे को देखा उसके आँखों में आंसू थे और उसका काजल बहने को हो रहा था वो आगे बढकर उसके आँखों का पानी अपने हाथो से साफ करता है,
"रेणुका मैं नहीं कह सकता की मैं तुम्हे प्यार करता हु ,पर तुम मेरे लिए हमेशा ही बहुत इम्पोर्टेंट रहोगी ,तुम्हे मेरे कारन कभी भी कोई तकलीफ नहीं होगी,ये मेरा वादा है तुमसे और तुम्हारी सभी तकलीफों में मैं तुम्हारे साथ रहूँगा,अगर तुम चाहो तो शादी के बाद कभी तुम्हारे रस्ते में नहीं आऊंगा,"विजय ने रेणुका के माथे को चूम लिया ,इसपर वो हस पड़ी ,
"क्या ठाकुर साहब आप से दूर जाउंगी ये तो मैं सोच भी नहीं सकती ,और होने वाला तो नाम का पति होगा असली पति तो आप ही होंगे ,और मुझे माँ भी तो आपको ही बनाना है ना "रेणुका ने अपनी शोखिया दिखाई की विजय दीवाना हो गया और उसने रेणुका के होठो को चुसना सुरु किया ,अपनी जीभ रेणुका के होठो में डालकर वो उन्हें चूसने लगा ,वैसे तो दोनों के लिए कोई नयी बात नहीं थी पर आज बात कुछ अलग थी ,दोनों बहुत ही शिद्दत से एक दुसरे से लिपटे हुए थे ,रेणुका एक चमकीले लाल रंग की साड़ी पहने थी,हाथ लाल रंग की चूडियो से भरा था और गले में कुछ जेवर थे ,विजय का हाथ उसके खुले कमर में गया वो उसे मसलने लगा ,रेणुका के मुह से एक आह निकली और उसने विजय के होठो को काट लिया ,विजय ने एक मुस्कान देकर उसकी साड़ी को ऊपर उठाना सुरु किया ,साड़ी कमर से ऊपर हो चुकी थी की गाजे बजे की आवाजे होनी शुरू हो गयी ,बारात आ चुकी थी और उनके पास जादा समय नहीं थी ,विजय ने जल्दी से अपने पेंट को निचे किया और अपने मुसल को निकल कर रेणुका के जन्घो के बीच लाया उसके अन्तःवस्त उसे रोक रहे थे उसने उसे उतरा नहीं बस साईड किया,उसकी बालो से भरी हुई चूत पहले से ही गीली थी ,विजय ने उसे थोडा सा सहलाया और अपने मुसल को निशाने पर लाकर उसके अंदर करने लगा ,
रेणुका ने उसे अपने बांहों में खीच लिया और अपने जिसमे को उसके हवाले करते हुए उसके बांहों में समां गयी ,विजय उसे पास के दिवार पर टिका दिया और पहले बड़ा झटका मारा ,रेणुका के हाथ विजय के सर के चारो तरफ थे और दोनों के होठ आपस में मिले हुए बस चूस रहे थे ,दोनों आनद के सागर में गोते लगा रहे थे,पहला झटका पड़ते ही रेणुका के चूडियो की आवाज सुनाई दि जिससे विजय का मुसल और भी फुल गया,और उसने अपने सांसो को रोककर तेज झटके लगाने शुरू किये ,एक तूफान सा उस कमरे में आया और दोनों अपनी इज्जत,दर्द ,थकान भूलकर बस एक दुसरे में खोने लगे 
"आह आह आह आह ठाकुर साहब आह विजय मेरी जान आह मैं तुम्हारी हु आह आह आह "
"हां हां हां हा मेरी रांड ,हा मेरी जान ,हा मैं तुझे माँ बनाऊंगा हां हा हा ,आह आह आह ,"
"हा बनाओ मुझे माँ ,आह हम्म हूम "विजय अपनी पूरी ताकत लगा रहा था और पुरे कमरे में उनकी कहारे गूंज रही थी,दोनों में अपने में मस्त थे चूडियो की आवाज से पूरा कमरा गूंज गया था ,और अब दोनों के काम रस ने छप छप की आवाजे करनी शुरू कर दि ,विजय ने उसे उठाकर दीवाल के तरफ उसका मुह किया रेणुका अपने हाथो से दिवार का सहारा लिए खड़ी हो गयी ,विजय में पीछे से उसके बालो को पकड़ा और उसके योनी में अपना मुसल पेल दिया ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी घोड़ी की सवारी कर रहा हो ,उसके जन्घो से टकराते रेणुका के निताम्भो की आवाज एक लयबद्ध रूप से थाप पैदा कर रही थी ,रेणुका के नाजुक निताम्भो से ठकराने पर विजय और भी उत्तेजित हो जाता था ,
"मदरचोद रांड ,तुझे तो मैं जिंदगी भर ऐसे ही चोदुंगा ,आह आह आह "
"हा हा हा मेरे राजा ऐसे ही ,ऐसे ही ऐसे ही आह आह ऊऊऊ ओओ ओ ओ ओ "विजय उसके मुह में अपनी उंगलिया घुसा देता है जिसे वो चूसने लगती है ,विजय अपनी पूरी ताकत हर एक धक्के में लगा रहा था ,
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RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस) - by sexstories - 12-24-2018, 01:05 AM

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