RE: Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का
लगभग एक महीने के बाद ....
रात के तकरीबन वही बज रहे थे ....
वहीँ झोंपड़ी ....
वहीँ लालटेन की पीली रौशनी ....
सिहरती और कांपती हुई ....
वहीँ कार निश्ब्द्ता में ठहरी हुई ...
पर इस बार मौन इतना मौन भी नहीं था ...
खिड़की की झिर्रियों से कुछ धव्नि बाहर तेर रही थी ....
" लौड़ा साला गरम गच्क्का ......मार सटा -सट सटम सटा "
बूरिया साली ...चेदबा खाली ...मार हचाह्च हच्चम हच्चा .."
आअह्ह्ह ...मजा आ रहा हे ...और हुमच कर पेलो ......
मन देखो केसे सटासट लौड़ा मेरी बूर में जा रहा हे ......तुम भी चिंता मत करो .....
चाचा तुम्हे भी मजा देंगे ...."
चाँद की रौशनी ने झोंपड़े के अन्दर देखा ...
मादा ऊँची टाँगे किये हुए नंगी शास्त्री से चुद रही थी ......और मन
शास्त्री के मोटे मूसल को ललचाते हुए देख रहा था वो भी बिलकुल नंगा था .....
और अपनी गांड पर ट्यूब से जेली को दो अँगुलियों पर भर भर कर उन्हें अन्दर बाहर कर शास्त्री के लौड़े के लिए
सुगम आवागमन का रास्ता बना रहा था !
थोड़ी देर बाद अन्दर का गीत बदल गया था -
"लौड़ा साला गरम गच्क्का ....गांड मार फाड़ बिल भोक्का "
" आआह्ह्ह्ह्ह ...उह्ह्ह सी स्स्स्स ...बस ..इतना ही डालो .....'
और मादा मजे से अपने मन की गांड में शास्त्री के लौड़े को घुसता हुआ देख रही थी !
....................समाप्त ...............!
धन्यवाद .........
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