RE: Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का
शास्त्री के कठोर हाथों ने जब उसकी चूचियां मसलना नोचना शुरू किया तो उसे पता चला की प्यार से
मसली गई चूचियां और हवस में नोची गई चुचियों में कितना बड़ा अंतर होता हे !
प्यार से जब चूची मसली जाती हे तो सिर्फ सनसनाहट होती हे , पर जब हवस में चूची दबोची जाती हे तो
दुखती हे .कल्लाती , टीस उठती हे और चुचियों में दर्द कई दिनों तक बना रहता हे !
किसी पके फोड़े की तरह चुचिया दुखती और टपकती हे कई दिनों तक !
और जितने दिन तक चूचियां टपकती हे स्त्री अपनी योनि को अपनी अंगुली से कुचल कर शांत करती हे !
ओरत को जितना कस कर चोदा जाता हे उसका प्रति -प्रभाव
उतनी देर तक बना रहता हे !
इस तरह से चुद जाने पर वो कई दिन बाद ही चुदने के लिए तेयार हो पाती हे !
पर इतनी दुत्कार भरी चुदाई से स्त्री कुंठित हो जाती हे !
आत्मग्लानि की भावना उसमे भर जाती हे !
बाद में ये सोच सोच कर उसे अफ़सोस होता हे की उसे कितनी बुरी तरह से भोगा गया हे ..!
वो प्रण कर लेती हे की दुबारा उससे नहीं चुदेगी पर प्रति - प्रभाव से से बहुत दिनों तक उससे बाख नहीं पाती !
चाहे महीने गुजर जाये पर फिर वो वेसे ही कामी पुरुष की हवस का शिकार बन कर किसी कुतिया की
तरह दुबारा चुदना चाहेगी !
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