RE: Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का
मन का चेहरा वासना से लाल भभूका हो रहा था और उसका और उसका हाथ अपने पतले और छोटे पर पूरी तरह से उत्थित लिंग
पर तेजी से चल रहा था !
वो चाहता तो ये सब रोक सकता था पर वो खुद अपनी काम वासना से ग्रसित था !
उसे इन्तजार था अपने स्खलन का !
इधर कमरे के भीतर -
" बोल रंडी ..तू मेरी रखेल हे ..." शास्त्री अपने काले लोड़े के सुपाडे पर थूक चुपड़ता बोला !
" हाँ ...में आपकी रखेल हूँ ..." तनु उत्तेजना से कांपने लगी थी !
"चोद - चोद के तुझे हिरोइन से छिनाल रांड बना दूंगा ...चल भेन की लौड़ी मुह खोल ...!"
तनु के बालों को शास्त्री ने मुटठी में पकड़ के खींचा की दर्द से तनु का मुह खुल गया !
शास्त्री गरजा " साली अपनी जीभ को पूरा बाहर निकाल "
डर के मारे तनु ने अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपना मुह खोल दिया ! और उसी वक़्त -
"गप्प ...."
शास्त्री ने अपना लोडा उसके खुले मुह में आधा ठूंस दिया !
" बहुत दिनों से इसमें से पेशाब की बदबू आ रही हे ...चाट कर साफ़ कर साली रांड ......
छिनाल कहीं की .....बच्चा चाहिए तुझे ....में दूंगा तुझे बच्चा ...साली के पांव भारी कर दूंगा ...
तेरे पेट को ढोल बना दूंगा ...पर पहले साली छिनाल इसे चूस ...कुत्ती ...पूरा चूस ..!"
और तनु डर के मारे चपड चपड कर चाटने लगी ! उसे डर था की कहीं ये उसके मुह और हलक में ही इस मूसल को
धकेल कर कहीं फाड़ ही नहीं डाले !
इस डर से कभी पति के लंड को मुह नहीं लगाने वाली इस अजनबी के लंड को चाट रही थी !
खिड़की पर देख रहे मन के चेहरे पर उसे लंड चूसते देख कर हेरत बरस रही थी !
उसकी कामनाये अब तनु के लिए कटु हो रही थी और वो इस खेल को और देखना चाहता था !
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