RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने ज़्यादा लंड को अंदर करने की कोशिश नही की बस इतने ही लंड से हल्के हल्के बहुत
स्लो स्पीड मे आगे पीछे करने लगा साथ साथ तेज़ी से भाभी की चूत को सहलाने लगा ताकि
अगर थोडा बहुत दर्द हो भी तो उसका पता नही चले भाभी को,,,,भाभी की गान्ड इतनी
ज़्यादा टाइट थी कि मेरा लंड पूरी तरह से फँसा हुआ था उनकी गान्ड मे ,,,मुझे ऐसे लगा
मैने कस कर अपने लंड को मुट्ठी मे दबाया हुआ है,,,,,लेकिन इतने लंड से भी मुझे मज़ा
बहुत आ रहा था,,,,मैं हल्के हल्के लंड को आगे पीछे करने लगा करीब 3-4 मिनिट तक
मैं अपने 2-3 इंच से भाभी की गान्ड को चोदता रहा फिर भाभी ने पलट कर मेरी तरफ
देखा और लंड को आगे खिसकाने का एशारा किया,,,,,भाभी का इशारा मिलते ही मैने एक हाथ
से थोड़ा सा और लोशन लंड पर लगाया और अच्छी तरह लंड पर मल दिया और दोनो हाथों से
भाभी की कमर को पकड़ा और लंड को हल्का ज़ोर लगा कर गान्ड मे और ज़्यादा अंदर तक घुसाने
लगा,,,मेरे दोनो हाथ भाभी की कमर पर थे इसलिए चूत पर कोई मज़ा नही मिल रहा था
भाभी को,,,,इसलिए भाभी ने अपने सर को बेड से लगा लिया और अपने हाथ को अपनी चूत पर
ले गयी और खुद ही चूत को सहलाने लगी,,,,,क्यूकी भाभी को भी पता था जब लंड और ज़्यादा
अंदर तक जाएगा तो थोड़ा बहुत ही सही दर्द तो होगा ना,,इसलिए भाभी खुद ही अपनी चूत
को सहलाने लगी ताकि दर्द का पता नही चले,,,,,मेरे हल्के ज़ोर लगाने से लंड करीब आधे
से ज़्यादा भाभी की गान्ड मे घुस गया ,,,,
मैने आधे लंड से ही भाभी की गान्ड को चोदना शुरू कर दिया,,,करीब 5-6 मिनिट बाद
मैने देखा कि भाभी की सिसकियाँ थोड़ी तेज हो गयी थी,,,,लेकिन मैं हैरान था भाभी
के दोनो हाथ बेड पर थे और भाभी ने अपने जिस्म को बेड से उपर उठाया हुआ था,इसका मतलब
था भाभी का हाथ उनकी चूत पर नही था लेकिन अगर उनका हाथ उनकी चूत पर नही था तो
क्या भाभी को गान्ड मे मस्ती आने लगी थी,,,,,मैं जो सोच रहा था वो सही था,,क्यूकी
भाभी ने अपने हाथों को बेड से लगा कर खुद को उपर उठा कर अपनी गान्ड को हल्के हल्के
आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,,मैं समझ गया कि अब भाभी को भी गान्ड मे मज़ा
आने लगा इसलिए मैने स्पीड थोड़ी तेज करदी और उधर भाभी भी अपने गान्ड को आगे पीछे
करने लगी,,,
भाभी दर्द कम हुआ या नही,,,,,मज़ा आने लगा क्या,,,,
हान्णन्न् सयनायीयी आब्ब्ब्ब दार्र्द्द्द नाहहिि हाइईइ ,,,साकच्छ मईए तुउन्नी दार्र्द्द न्ह्ही
कििय्या,,पीहल्ली हहूउआ था तहोड़दा दार्र्द्द जबब्ब तीरा मूस्साल्ल उउउननदीर्र ग्यया
था लीक्कीिईन्न्न आब्ब्ब बील्लककूउल्ल बहीी दार्द्ड़ नाहि हाइी ,,,,एब्ब तूओ माजा एयेए
राहा हाइईइ,,,,अहह हह ऊऊऊऊहह
सच मे भाभी मज़ा आ रहा है क्या,,,,,
हान्न्न स्युवन्नीयीईयी माज्जा आ राहहा हाइी,,,,मुउज़्झे दरर्र तहा क्कीी भ्हुत्त दर्द्द्द्द
हूग्गा लीक्किन्न तुउन्नी सब्ब सांबभाल्ल्ल लिइय्या ,,,,
तो क्या भाभी स्पीड थोड़ी तेज कर दूँ अब,,,,,
नहिी नाहहिि सुउन्न्नयययी ऐसी हिी हाल्ल्कीइ हाल्लक्कििई स्पपीड़द्ड पीर्र काररू आग्गर्र
स्पीदड़ टीज़्जज्ज्ज्ज काररननीी हुउई मायन्न ख़्हुद्धह काँम्माररर क्कूव टीज्जिई सीए
अग्गीए पीिकच्ची काररन्ना ष्हुउररूउ कारर डुउननगइइ ,,लीक्किंन अब्भीी नाहहिि प्लज़्ज़्ज़्ज़
अब्भीईिइ एआसे हहिि चूदूऊ म्मूउज़्झहही,,,,,
तो मुझे सन्नी नही देवर जी बोलो भाभी,,,वरना स्पीड तेज कर दूँगा,,,,,
नाहहिि नाहहिि ससुउन्नययी ऐसा जुऊल्लंम मात्ट काररन्ना आपपननीी बभ्भीी पीरर
फिर से सन्नी ,,मैने कहा ना देवर जी बोलो,,,,,
आअकचा अcछा बब्बा ग्गल्ल्ल्त्ती हो गयइ ,,,डीवीर जीिीइ ऐसे हिी द्द्ढ़हीररी
द्ड़हीररी छ्ूदूओ आपपनन्ी बब्भिि ककूऊ ,,,,स्पपीडड़ तीज कार्रकक्क्की जुऊल्लम
मॅट कारन्ना डीवीर जीि,,,,
ठीक है भाभी,,,लेकिन बताओ मज़ा आ रहा है ना,,,बोलो कितन मज़ा आ रहा है,,,
बहुत मज्जा आ राहहा हाइईइ द्दीवीरर जीिीइ ऐसी हिी छूद्दू अपपननीी बब्भिि
क्कीिई गाणन्ंदड़ कूऊ औरर्र मसत्तिीई सी छ्ूदूऊ अप्प्पननीी भभीी कूऊव
फिर कुछ 3-4 मिनिट मैने स्पीड तेज नही की और ऐसे ही भाभी को चोदता रहा,,लेकिन जब
मज़ा ज़्यादा आने लगा भाभी को तो भाभी ने खुद ही अपनी गान्ड को थोड़ा तेज़ी से आगे पीछे
करना शुरू कर दिया,,,भाभी का इशारा मिलते ही मैने भाभी की कमर को कस कर पकड़ा और
भाभी की हिलती कमर के साथ एक झटका लगा दिया और लंड पूरा भाभी की गान्ड मे घुस
गया,,,,भाभी की हल्की चीख निकल गयी और भाभी ने कमर हिलाते हुए पीछे मूड के मुझे
गुस्से से देखा तो मैं हँसके भाभी को आँख मार दी,,,,,,
फिर मैने अपने पूरे लंड से भाभी को चोदना शुरू कर दिया,,,भाभी बस सिसकियाँ लेती
जा रही थी और मुझे तेज़ी से चोदने को बोलती जा रही थी,,,अब तक मेरी भी स्पीड काफ़ी
तेज हो चुकी थी लेकिन भाभी मुझे और तेज करने को बोलने लगी,,मैने थोड़ा लोशन और
लगाया अपने लंड पर और स्पीड तेज करदी,,,अब भाभी वापिस सर को बेड पर रख कर लेट
गयी और अपने हाथ से अपनी चूत मे उंगली करने लगी,,,मैं समझ गया कि अब भाभी को ज़रा
भी दर्द नही हो रहा है और अब भाभी शायद झड़ने वाली भी है,,क्यूकी मैं 20-25 मिनिट
से भाभी की गान्ड मार रहा था,,भाभी ने अपनी चूत पर उंगली करते हुए तेज़ी से आहहें
भरना शुरू कर दिया तो मैने भी अपनी स्पीड तेज करदी क्यूकी मैं भी भाभी के साथ ही
झड़ना चाहता था,,,और ऐसा ही हुआ,,करीब 3-4 मिनिट बाद भाभी लंबी लंबी आँहे भरती
हुई झड गयी और मैं भी तेज़ी से भाभी की गान्ड मारता हुआ भाभी की गान्ड मे झड गया,,
जब मेरा सारा पानी भाभी की गान्ड मे निकल गया तो मैने अपने लंड को भी भाभी की गान्ड
से निकाला और बेड पर गिर गया और भाभी की बगल मे लेट गया,,,,भाभी भी मेरी तरफ पीठ
करके लेट गयी,,,,भाभी की गान्ड मेरी तरफ थी तो मैं भाभी की गान्ड से निकलने वाले
अपने लंड के पानी को देख राह था जो भाभी की गान्ड से निकल कर बेड पर गिर रहा था
कुछ देर हम लोग ऐसे ही लेटे रहे,,,,ना भाभी कुछ बोली और ना मैं,,हम दोनो अपनी अपनी
सँसू पर क़ाबू पाने की कोशिश कर रहे थे,,,,,
जब भाभी की हालत ठीक हुओ भाभी मेरी तरफ पलट गयी,,,,,,
क्यू भाभी मज़ा आया ना गान्ड मरवा कर अपने देवर से,,,,,मैने हँसके भाभी से पूछा तो
भाभी थोड़ा शरमा गयी,,,,,
हां देवेर जी बहुत मज़ा आया,,,इतना मज़ा कभी चूत मे नही आया,,,,मैं तो खा-म-खा डर
रही थी कि दर्द होगा गान्ड मे लेकिन इतना भी दर्द नही हुआ,,,,अच्छा किया तूने खूब सारा
लोशन लगा लिया था,,,मुझे तो डर था कि ये मूसल चूत मे आसानी से नही गया तो भला
टाइट सील पॅक गान्ड मे कैसे जाएगा लेकिन लोशन ने अपना काम कर ही दिया,,,ग़लती हो
गयी कि चूत मे लंड डालने से पहले लोशन नही लगवाया मैने तेरे से,,,
कोई बात नही अब दोबारा चूत मार लूँगा लोशन लगा कर,,,मैने इतना बोला और हँसने लगा
नही नही,,,,चूत तो मैं कभी भी मरवा लूँगी करण से तुम बस आज रात मेरी गान्ड का
ठीक से ख्याल रखो सन्नी,,,बस पूरी रात मेरी गान्ड मारो क्यूकी गान्ड मे बहुत ज़्यादा मज़ा
आता है,,चूत से भी कहीं ज़्यादा मज़ा,,,,
मैं भाभी की बात सुनके हँसने लगा,,,,,फिर उस रात मैने 3 बार और भाभी की गान्ड
मारी भाभी ने फिर उस रात मुझे चूत नही मारने दी ,,हालाकी भाभी की चूत भी काफ़ी
टाइट थी लेकिन फिर भी मैं भाभी की गान्ड ही मारता रहा क्यूकी मुझे भी गान्ड मे ही
ज़्यादा मज़ा आ रहा था,,,
पूरी रात मैं रितिका भाभी की चुदाई करता रहा,,,हम लोग सुबह करीब 6 बजे सोए थे
और जब आँख खुली तो मैं बेड पर अकेला था,,टाइम करीब 11 बजे का हो गया था,,मैं उठा
और बाथरूम मे चला गया,,,फ्रेश होके अपने रूम से निकलकर अलका आंटी और शिखा के रूम
की तरफ चला गया,,वहाँ जाके देखा तो सब लोग ऐर्पोट जाने के लिए तैयार हो गये थे,,
रितिका मुझे बड़े प्यार से देख रही थी और मुस्कुरा रही थी जबकि अलका और शिखा थोड़ी
उदास थी,,,,,,फिर हम लोग ऐर्पोट की तरफ चल पड़े,,,,,कुछ ही देर मे हम ऐर्पोट पर
थे उन लोगो को अंदर भेज कर मैं वापिस अपनी कार के पास आ गया,,,तभी करण मेरे पीछे
पीछे मेरी कार के पास आ गया,,,,,
अरे इतनी भी क्या जल्दी है सन्नी भाई अपनी अमानत तो लेते जाओ,,,,मैने ये आवाज़ सुनी और पीछे
की तरफ देखा तो करण हाथ मे मेरा कॉलेज बॅग लिए खड़ा हुआ था,,,
साला मैं तो बॅग के बारे मे भूल ही गया था,,,,जिसकी वजह से सब पंगा हो रहा था,,
ओह्ह्ह्ह सौरी करण भाई मैं तो भूल ही गया था,,,मैने करण के हाथ से बॅग पकड़ा और
कार मे रख दिया,,,फिर करण के गले लग्के मिला
तो रात कैसी रही सन्नी भाई,,,,मज़ा आया या नही,,,,,करण ने हंसते हुए पोछा,
मैं कुछ नही बोला बस मुस्कुरा कर करण की तरफ देखने लगा,,,
करण भी हँसके मुझे देखने लगा,,,,थॅंक्स्क्स्क्स भाई कि तूने अच्छे से ख्याल रखा रितिका का
उसने बता दिया था मुझे कि तूने उसको ज़्यादा तंग नही किया,,,,,मुझे यकीन तो नही हो रहा
था उसकी बात पर क्यूकी मैं जानता हूँ तू चुदाई के मामले मे बड़ा कमीना है लेकिन फिर
भी मैं रितिका की बात मान गया,,,
अबे तेरी अमानत थी ना वो इसलिए बड़े प्यार से पेश आया मैं,,,ज़्यादा तंग भी नही किया और
ज़्यादा हर्ट भी नही किया,,,,,अगर कोई और होती वो भी सील पॅक गान्ड वाली तो माँ कसम
सुबह अपने आप बेड से उठके बाथरूम तक भी नही जा पाती,,,,रूम से बाहर आना तो दूर की
बात थी
मैने इतनी बात बोली तो करण और मैं दोनो हँसने लगे,,,,,
तभी करण फिर से मेरे गले लग गया,,,,,सौरी भाई मैं तुझे अकेले छोड़कर जा रहा हूँ
दिल तो नही कर रहा लेकिन क्या करो मजबूरी है,,,
अबे सौरी क्यू बोल रहा है,,,और मैने तुझे पहले ही कहा था कि मैं अकेला नही हूँ
ख़ान भाई है मेरे साथ,,तू मेरी फ़िक्र मत कर और अपनी फॅमिली के साथ जा,,,,वैसे मैं भी
यही चाहता हूँ क्यूकी जैसे मैने अपनी फॅमिली को इस सब से सुरक्षित कहीं दूर भेज
दिया है वैसे ही मैं चाहता हूँ तू और तेरी फॅमिली भी कुछ टाइम के लिए इस सब लफडे से
दूर चले जाए,,,,चल अब जा सब तेरा वेट कर रहे होंगे,,,,
एक बार फिर हम दोनो गले लगे और करण गया ऐर्पोट के अंदर और मैं कार लेके वहाँ से
चल पड़ा घर की तरफ,,,,,रात करीब 8-9 बजे मैं अपने शहर पहुँच गया लेकिन मैं
घर नही गया क्यूकी अभी वहाँ पोलीस की कुछ जाँच पड़ताल बाकी थी,,,
कविता के घर भी नही गया क्यूकी सूरज और कामिनी भाभी की बात का कोई जवाब नही देना
चाहता था मैं और उन लोगो ने सवाल पूछ पूछ कर तंग कर देना था मुझे,,,इसलिए घर
से थोड़ी डोर माल रोड पर एक होटेल मे रुक गया जहाँ से कॉलेज नज़दीक ही था मेरा,,
बहुत थका हुआ था इसलिए खाना ख़ाके सो गया,,,सुबह आँख खुली जब फोन बजने लगा था
कविता=======हेलो सन्नी
सन्नी======= हेलो कविता
कविता====== कहाँ है तू सन्नी ,,करण के घर पे है क्या,,,
सन्नी==== नही करण के घर पे नही हूँ कहीं और हूँ मैं,,तू बता इतनी सुबह क्यूँ फोन
किया,,,,
कविता==== कुछ नही सन्नी ,,आज से कॉलेज शुरू हो रहे है और सोनिया ज़िद कर रही है
कॉलेज जाने को,,,सोचा तुमको बता दूं क्यूकी वो रुकने का नाम ही नही ले रही,,,
सन्नी======== इट्स ओके,,,तुम दोनो आ जाओ कॉलेज कोई बात नही,,,मैं भी कॉलेज के पास ही
हूँ ,,बस 10 मिनिट मे पहुँच रहा हूँ कॉलेज,,,,
कविता ने बाइ बोलके फोन काट दिया मैं भी उठकर फ्रेश हुआ और कॉलेज की तरफ चल
पड़ा सोचा कि नाश्ता भी कॉलेज की कॅंटीन मे कर लूँगा,,,,,
सर्दिया थी इसलिए कॅंटीन वाले ने मेरे कहने पर टेबल बाहर धूप मे लगा दिए थे
मैं टेबल पर जाके बैठ गया और कॉफी के साथ सॅंडविच का मज़ा लेने लगा,,,
तभी सुरेश मेरे पास आके बैठ गया,,,,,
और क्या हाल चाल है सन्नी भाई,,,,आज कल नज़र ही नही आते,,,,और ना ही आपका दोस्त करण
नज़र आता है,,,,
नज़र क्या आना था सुरेश ,,,,कॉलेज तो आज शुरू हुआ है,,,,,मैने मुस्कुरा कर जवाब
दिया
अरे मेरा मतलब वो नही था भाई,,,,,मेरा मतलब था कि कल मैं करण के घर गया था तो
वहाँ लॉक लगा हुआ था,,,,फोन भी ट्राइ किया करण का,, रितिका का भी लेकिन फोन ऑफ था
दोनो का ,,,,क्या वो लोग कहीं घूमने गये है क्या,,,
पता नही मुझे सुरेश,,,हो सकता है हनिमून पर गये हो अब मुझे थोड़ी बता कर जाएँगे
कि हनिमून पर कहाँ जा रहे है वो लोग,,,,वैसे तू क्यूँ गया था करण के घर,,,
अरे भाई अपनी बेहन से मिलने और किस लिए,,,,और वैसे भी मुझे करण और रितिका से माफी
माँगनी थी,,,,शादी वाले दिन मैं कुछ ठीक तरह से पेश नही आया था उन लोगो के साथ
इसलिए कल घर पे मिलने गया था उन लोगो को,,लेकिन घर पर कोई नही था,,,
पता नही मैं तो खुद अपने गाँव गया हुआ था,,,कल ही वापिस आया हूँ,,,वैसे अगर करण
का फोन आया या कुछ पता चला तो मैं तुझे बता दूँगा,,,,
वो उठकर जाने लगा तभी अमित भी उसके पीछे वहाँ आ गया,,,,,
|