RE: vasna kahani चाहत हवस की
"मुझे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम मेरे कजिन हो, मुझे लगता है कि एक ना एक दिन मैं तुम्हारे उस बड़े से मूसल को चोद के रहूँगी, उससे मैं अपनी चूत फ़टवा के ही रहूँगी। तुम मेरे चोदू दोस्त बनोगे ना?" मिनी दी ने पूछा।
''हाँ दी, क्यों नहीं, बिल्कुल बनूँगा,'' किसी तरह मैंने कहा, मेरा दिमाग घूम रहा था।
''येएएए!" और ऐसी आवाज निकाल कर मिनी दी ने मुझे धक्का देकर मेरे बाकी परिवार जो कि रोशनी में खड़े होकर बातें कर रहे थे, उनके साथ घर वापस जाने के लिये इशारा किया। जैसे ही मिनी दी की नजर मेरी पैण्ट में बने लण्ड के खड़े होने से बने तम्बू की तरफ़ गयी, वो खिलखिलाने लगी।
जब मैं कर के पास पहुँचा तो गिफ़्टी दीदी की नजर भी मेरी पैण्ट में लण्ड के खड़े होने से बने तम्बू पर थी।
मम्मी पापा कार में पिछली सीट पर बैठे थे, मैं ड्राईव कर रहा था, और गिफ़्टी दीदी मेरे साथ अगली सीट पर बैठी थीं। घर की तरफ़ ड्राईव करते हुए सारे रास्ते बस मिनी दी कि वो बात मेरे दिमाग में घूम रही थी कि वो मुझको चोद के रहेंगी… और गिफ़्टी दीदी की वो बात कि वो मेरे लिये कुछ एक चीज नयी करेंगी। मैं सोच रहा था कि गिफ़्टी दीदी का उस वक्त रियेक्शन कैसा रहेगा जब मैं उनको बोलूँगा कि मैं उनकी झाँटें शेव करना चाहता हूँ।
अगले शनिवार को मुझे अपने प्लान को अमली जामा पहनाने का मौका मिला। मम्मी पापा किसी रिश्तेदार की शादी में गये थे, मैं और गिफ़्टी दीदी उस वीक-एण्ड पर घर पर अकेले रहने वाले थे। शाम को घर से एयर पोर्ट जाते हुए मम्मी पापा को जब हम दोनों विश कर रहे थे तो गिफ़्टी दीदी के दिमाग में उस रात कई बार मेरे लण्ड से वीर्य का पानी का पानी निकालने और अपनी चूत की आग ठण्डी करवाने की खुराफ़ात चल रही थी, लेकिन उनके हाव भाव से इसका कोई पता नहीं चल रहा था। मैंने भी मुस्कुराते हुए मम्मी पापा की मंगलमय यात्रा की कामना की।
डिनर के बाद गिफ़्टी दीदी का मुझे उकसाना चालू हो गया। वो मुझे किसी ना किसी बात पर परेशान करने लगीं। गिफ़्टी दीदी ने घर में बस एक टी-शर्ट, ब्रा और पैण्टी पहन रखी थी, ये जानते बूझते हुए कि उनके छोटे भाई को उनकी छोटी सी पैण्टी में कसी हुई गाँड़ का दर्शन करना कितना ज्यादा अच्छा लगता है।
मैं गिफ़्टी दीदी के उकसाने को थोड़ा नजर अंदाज करते हुए टीवी देखने के लिये बैठ गया। गिफ़्टी दीदी सोफ़े पर मेरे पास बैठ गयीं, और फ़िर उस छेड़खानी के अंदाज को धता बताते हुए उन्होने एक झटके में अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार कर फ़ेंक दी, दीदी के दोनों बड़ी बड़ी गुदाज चूँचियाँ आजाद होकर बाहर आ गयीं। दीदी ने शॉर्ट के ऊपर से मेरे लण्ड को पकड़ते हुए कहा कि अब मेरे मूसल जैसे लण्ड का पानी निकालने का समय हो चुका है।
जब दीदी शॉर्ट उतारते हुए मेरे लण्ड को बाहर निकाल रही थीं, तब मैंने दीदी से कहा, ''दीदी क्या आपको उस रात मिनी दी के रुम में की हुई वो प्रॉमिस वाली बात याद है?"
''हाँ, याद है ना,'' वो थोड़ा नर्वस होते हुए बोलीं।
''तो फ़िर आज रात आपको मेरी एक बात माननी पड़ेगी,'' मैंने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा।
''ठीक है, बताओ मुझे क्या करना होगा?" दीदी ने मुझसे पूछा, उनके पूछने में जो वाद किया वो निभाना पड़ेगा जैसा अंदाज था।
''मैं चाहता हूँ कि आप मुझे आपकी चूत पर से झाँटें शेव करने दें।''
दीदी ने एक मिनट के लिये सोचा, फ़िर बोलीं, ''ओह हाँ, ठीक है, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।'' मैंन तुरंत उठक्र खड़ा हो गया, और दीदी को पकड़कर बाथरूम की तरफ़ खींचने लगा। वहाँ पहुँचकर मैंने दीदी को फ़र्श पर एक बड़ी तौलिया पर लिटा दिया, और उनकी पैण्टी उतारने लगा। जब मैं कैंची, शेविंग लोशन और नया रेजर लाने के लिये उठा तो मैं ये देखकर खुश था कि दीदी की चूत पनियाने लगी थी।
जब मैं दीदी की झाँटों को कैंची से काटकर छोटा कर रहा था, उस समय दीदी पींठ के बल सीधे लेटे हुए मुझे सशंकित निगाहों से देख रही थी। शायद उनको इस बात क भय था कि उनका छोटा भाई अभी कुछ देर में रेजर से उनके गुप्तांगों के करीब शेव करने वाला था, कैंची की बाल काटने की हर खच्च की आवाज के साथ गिफ़्टी दीदी की चूत और ज्यादा पनिया जाती, एवं दीदी और ज्यादा चुदासी होती जा रही थीं।
मैंने दीदी की चूत के उभार और चूत पर शेविंग फ़ोम रगड़ रगड़ कर लगा दिया। जैसे ही मैंने दीदी की चूत के होंठों के करीब पहुँच कर उन पर शेविंग फ़ोम मलना शुरू किया, दीदी सिसक उठीं। जैसे ही मैंने एक उँगली दीदी की चूत के छेद के अंदर घुसाई, दीदी मस्त होकर कसमसा उठी। फ़िर मैंने रेजर लेकर उनकी झाँटों को शेव करना शुरू कर दिया। शुरु में मैं रेजर को धीरे धीरे कम कम चला रहा था, लेकिन एक बार जब कॉन्फ़िडेन्स आ गया तो फ़िर मै बिंदास रेजर चलाते हुए चूत के उभार पर बने झाँटों के त्रिकोण को साफ़ करने लगा। ऐसा लग रहा था मानो दीदी की चूत पर से झाँटों के कपड़े उतारे जा रहे हों।
जब दीदी के चूत के उभार बने झाँटों का त्रिकोण चिकना साफ़ हो गया तो मैं वही काम दीदी की चूत के होंठों पर करने के लिये आगे बढा। तब मुझे समझ आया कि वहाँ की झाटें शेव करने के लिये कितनी ज्यादा सावधानी और दक्षता की जरूरत थी। मैंने चूत की दोनों पंखुड़ियों को पहले एक तरफ़ कर के शेव किया और दोनों को दूसरी तरफ़ कर के शेव किया। दीदी की चूत के उन मुलायम पतले होंठों पर मेरी ऊँगलियाँ फ़िसल रही थीं, और दीदी इस बात का ख्याल रख रही थीं कि उनकी चूत को इस तरह बार बार छूने की वजह से वो तड़प कर ज्यादा हिलने ना लगें।
और फ़िर मैंने दीदी की चूत को अपनी मनपसंद रूप में शेव कर चिकना साफ़ कर दिया। दीदी अपनी टाँगें फ़ैलाये लेटी हुई थीं, और मैं अपनी हस्तकला को निहार रहा था।
''वॉव, क्या मस्त लग रही है, दीदी आपकी चूत, चलो दीदी अब नहा लो, नीचे से ढंग से धो लेना जिससे जो शेविंग क्रीम और छोटे छोटे बाल के टुकड़े रह गये हैं वो धुल जायेंगे, और फ़िर मैं आपकी चूत को चाट चाट कर उसका जी भर के पानी निकाल कर चूसूंगा!"
''मैं तो अब जब ही नहाऊँगी जब तुम्हारे उस खुशी से पागल हो रहे मूसल लण्ड को मेरे साथ लेकर नहाओगे।''
''हाँ, हाँ क्यों नहीं।''
गिफ़्टी दीदी उठ कर खड़ी हो गयीं, और फ़िर उन्होने एक नजर अपनी चूत की तरफ़ डाली। वहाँ अर एक भी झाँटों का बाल ना देखकर उने थोड़ा अजीब लगा, लेकिन फ़िर भी उन्होने एक अपनी चिकनी हुई नंगी चूत पर अपना एक हाथ फ़िराया। जब तक मैं कप्ड़े उतार रहा था तब तक दीदी ने शॉवर ऑन कर गर्म और ठण्डे पानी को उचित अनुपात में मिलना निश्चित किया। हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे आ गये, और तुरंत छू कर चिपकते हुए एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
जब मैंने गिफ़्टी दीदी के चेहरे की तरफ़ देखा, उस वक्त दीदी मेरे लण्ड को देख रही थीं जिसे वो अपने साबुन से सने चिकने हाथ से सहला रही थी। दीदी के होंठ बहुत सुंदर और भरे हुए थे और बीच बीच में वो अपनी जीभ बाहर निकाल कर उनको चाट रही थीं। मैं मिनी दी के होंठों को चूसने वाली घटना के बारे में सोचने लगा, और मुझे दीदी से भी उसी आत्मियता और करीबीपन के एहसास की जरूरत मेहसूस होने लगी। दीदी मुझे अपनी तरफ़ देखता हुआ देख रही थीं, उन्होने मुस्कुराते हुए नजर उठा कर मेरी तरफ़ देखा। मैंने अपना चेहरा थोड़ा नीचे किया और दीदी के होंठ तुरंत खुल गये, और अपने छोटे भाई के चुंबन के आमत्रंण और प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया।
जब शॉवर का पानी हम दोनों के बदन के ऊपर गिर रहा था, उस वक्त हम दोनों के होंठ आपस में जकड़े हुए थे, और दोनों की जीभ दूसरे के मुँह में घुसी हुई थी। उस प्रग़ाढ चुंबन के अतिरेक में डूब कर जब हम हाँफ़ते हुए अलग हुए तो गिफ़्टी दीदी ने मुझसे उनकी चूत चाटने को कहा, ''मेरी इस प्यारी सी नई शेव हुई चिकनी चूत को प्यार करो ना,'' दीदी ने मुझसे कहा।
तौलिया से अपने शरीर को पोंछ कर हम दोनों भाई बहन गिफ़्टी दीदी के रूम में चले गये, जहाँ दीदी बैड पर नंगी ही अपनी दोनों टाँगें चौड़ी फ़ैला कर लेट गयीं, और अपनी नयी नयी शेव की हुई चिकनी चूत को सहलाने लगीं, वो अपने को इस नये एहसास से अभ्यस्त कर रहीं थीं।
मैं बैड के पैरों की तरफ़ खड़ा था और गिफ़्टी दीदी मेरे बदन से दूर तक बाहर खड़े लण्ड को देख मस्त हो रहीं थी। मैं थोड़ा आगे होते हुए झुका, और मैं अपनी जीभ और होंठो से दीदी की गोरी चिकनी जांघों को चूमते चाटते हुए उस खजाने की ओर बढने लगा जिसको मैं लूटना और दीदी लुटवाना चाहती थीं। जैसे ही चूमते चाटते हुए दीदी की चूत के करीब पहुँचा, मैंने अपनी जीभ को सपाट कर लिया और उससे चूत के होंठों को प्यार से धीमे धीमे नीचे से ऊपर की तरफ़ चाटते हूए, दीदी की चिकनी चूत के ऊपरी शेव किये हुए उभरे हुए हिस्से को प्यार से हल्के हल्के चूमने चाटने लगा, कुछ देर में ही दीदी गिड़गिड़ाते हुए मुझसे और ज्यादा ना परेशान करने की मिन्नत करने लगी, और बोलीं, '' विशाल अब तू बस जल्दी से बस मेरी चूत को चाट।'' दीदी ने मेरे सिर को अपने दोनों हाथों में जकड़ कर पकड़ लिया, और जब मैं दीदी की चूत की दोनों पखुड़ियों को अपनी उँगलियों से अलग करते हुए फ़ैला रहा था, तो दीदी मेरे सिर को अपनी चूत में अंदर की तरफ़ खींच कर धकेलने लगीं।
मैंने दीदी का कहना मानते हुए उनकी चूत के दाने को कभी तेजी से, कभी धीरे धीरे, कभी बाँयें से तो कभी दाँये से, कभी जोर से चूमने और चाटेन लगा। दीदी कराहते हुए बोलीं, "हाँ, विशाल यहीं पर, यहीं पर विशाल, ऐसे ही!'' दीदी हिलते हुए काँप रहीं थीं, और जैसे ही दीदी चरम पर पहुँच कर झड़ीं तो उनका बदन थरथराने लगा। मैं थोड़ा पीछे होते हुए, दीदी को परम सुख की प्राप्ति पर, उनके जिस्म में दौड़ रही मस्ती की लहर को तब तक निहारता रहा, जब तक कि ज्वार भाटे की उफ़नती लहर शांत ना हो गयी।
जब मैं और दीदी चिपक कर एक दूसरे को चूमते हुए बैड पर लेटे हुए थे, तब मैंने कहा, ''दीदी, मेरा आपकी चूँचियाँ को चोदने का मन कर रहा है।''
''उम्म, ओके,'' दीदी ने जवाब दिया। मैंने दीदी के रुम में रखी ड्रेसिंग टेबल पर से मॉइस्चराईजर उठाया और फ़िर से दीदी के पास बैड पर आ गया, अपनी एक टाँग को दीदी की कमर के दूसरी तरफ़ कर मैं दीदी की कमर पर सवार हो गया, मेरा फ़नफ़नाता हुआ लण्ड दीदी के पेट और चूँचियों को अटेन्शन पोजीशन में सलाम करने लगा। दीदी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी तरफ़ नीचे किया, और उसको चूसने के लिये अपना सिर उठा लिया, मैं दीदी की चूँचियों के बीच मॉइस्चराईजर मलने लगा। दीदी ने मेरे लण्ड को छोड़ दिया और मैंने दीदी को अपनी दोनों चूँचियों को आपस में मिलाकर पकड़ने के लिए कहा। दीदी ने वैसा ही किया, और मैंने अपना लण्ड दीदी की मस्त चूँचियों के बीच घुसा दिया, और दीदी की मुलायम चिकनी बड़ी बड़ी कड़क यौवन से भरपूर चूँचियों और अपने लण्ड के बीच चिकनाहड़ यु्क्त निर्विघन घर्षण के मजे लने लगा।
जैसे ही अपना लण्ड बाहर निकाल कर फ़िर से अंदर पेला तो मेरे मुँह से बरबस निकल गया, ''स्स्स्स, बहनचोद, मजा आ गया।''
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