Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:17 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वो तो थी ही इसी ताक में बस फिर क्या था ! जुट गये एक लंबी स्मूच में.

होत जब अपने काम में लगे हों, तो हाथ कैसे पीछे रहते, कस लिए उसके अनारों को, और जो मसल दिया, निशा किस तोड़ कर सीसीयाने लगी…..

सस्स्सिईईई… आअहह…गंदीए… जिजुउुउ… धीरे… जोरे से नही प्लेआस्ीई… दर्द्द्द…नहियिइ.. ह…उफ़फ्फ़…माआ…

अरे मेरी जान मेरी कबुतरि, तेरे ये अनार हैं ही इतने मस्त की बस मसल्ने को ही जी करता है…! मे बोला.

तो आराम से करो ना..! दर्द क्यों देते हो…?

मे - अरे मेरी रानी, इस दर्द में भी अपना अलग ही मज़ा है…और कपड़े के उपर से ही उसके निपल्स को मरोड़ दिया..

नहियिइ…. जीजू.. आप बहुत गंदे हैं… बहुत सताते हो…! 

फिर मैने उसकी गान्ड को सहलते हुए उसके गाउन को खोल दिया. 

अब उसके गोरे- 2 गोल-मटोल इलाहाबादी अमरूद ब्रा में कसे हुए मेरी आँखों के सामने थे.

उनकी शेप और सुंदरता देख कर मेरी आँखों की चुमक बढ़ गयी और मैने उसकी घाटी के दाएँ बाए अपने दाँत गढ़ा दिए..

ओह जीजू काटो मत.., निशान बन जाएँगे. वो बोली तो मैने कहा- बनने दे ना, इनको ही तो लव बाइट्स कहते हैं मेरी जान, 

जब भी तुम इन निशानों को देखोगी तो मेरी याद आएगी.

वो बोली - आपको तो मे वैसे भी कभी भूलने वाली नही हूँ.

पेंटी और ब्रा में कसा उसका सुडौल गोरा बदन जो ट्रिशा से ज़्यादा भरा हुआ था. उसके चुचे तो कसम से मेरी जान ही निकाले दे रहे थे,

मैने ब्रा के उपर से ही उन्हें अपने मुँह में भर लिया और बुरी तरह चब चबा डाला.

आआईयईई…. नहियीई…जिजुउू… ज़ोर्से नही… प्लीज़…!

मेरे हाथ उसकी गदराई गान्ड का नाप ले रहे थे, और मे उन्हें ज़ोर-2 मसले जा रहा था.

एक भीनी सी मादकता से भरी उसके बदन की महक मेरे नथुनो में समाती जा रही थी, जो मुझे और ज़यादा उत्तेजित कर रही थी.

मैने मदहोशी के आलम में उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.

निशा के हाथ भी हरकत में आए और उसने मेरे अंडरवेर को निकाल बाहर किया. और फिर वो मेरे घुटनों के बीच बैठ कर मेरे पप्पू को हाथ में लेकर सहलाने लगी, एक बार चूम कर उसने उसे अपने मुँह में ले लिया.

जो काम ट्रिशा इतने समझाने बुझाने के बाद भी ठीक से नही कर पाई थी वो ये लंड की दीवानी लौंडिया बिना कुछ कहे कर रही थी, इसी से साबित होता था कि वो मेरे लंड के लिए किस कदर ब्याकुल है.

जल्दी ही मेरा लंड स्टील के रोड की तरह शख्त हो गया..., लगता था कि अब वो किसी दीवार में भी छेद कर्दे…!

मैने निशा को पकड़ के बेड पर लिटा दिया, और उसकी ब्रा और पेंटी को भी उसके बदन से अलग कर दिया..! अब वो मेरे सामने अजंता की कोई मूरत पड़ी हो ऐसा लग रहा था.

निशा ने अपनी दोनो टाँगों को विपरीत दिशाओं में फैला लिया और अपनी अन्चुदि परी को मेरे सामने खोल कर रख दिया.

मैने बड़ी प्यारी नज़रों से उसके मदमस्त बदन को बिस्तर पर मचलते हुए देखा और अपने मूसल जैसे लंड पर थूक लगा कर उसके उपर झुक गया.

मैने लंड को उसकी मुनिया की फांकों के बीच रख कर उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा- आर यू रेडी डियर..?

निशा ने जबाब में अपनी टाँगों को मेरी गान्ड के उपर रखा और अपनी ओर खींचने लगी, और फिर बड़े ही शोख अंदाज में बोली- यस माइ डियर जीजू… आइ आम रेडी फॉर युवर हार्डशिप्स.

उसके अपनी ओर खींचने और मेरी गान्ड के दबाब से लंड उसकी चिकनी चूमेली के अंदर सरकता चला गया…

एक पल के लिए तो वो साँस लेना ही भूल गयी मानो…उसे लगा जैसे कोई गरम रोड उसकी चूत में डाल दी हो…


उसे दर्द तो ज़्यादा नही हुआ क्योंकि चूत सिल्परी हो रही थी.., लेकिन उसे ऐसा कुछ लगा मानो कोई गरम चीज़ उसकी चूत में डालकर, अंदर रेंगती हुई चींतियो को भून रही हो. 

पहले जो सुरसूराहट हो रही थी उसकी परी के अंदर अब वो हल्के से दर्द में बदल चुकी थी.

अब उसे ये समझ नही आ रहा था कि चूत चुदने में जब इतना दर्द होता है, तो हर लड़की इस दर्द के लिए मरी क्यों जाती है.

इसका जबाब उसको जल्दी ही मिल जाने वाला था…

अगले ही दो तगड़े धक्कों में मैने अपना पूरा मूसल जैसा लंड उसकी सन्करि गली में उतार दिया…

उसकी गली हर बार ककड़ी की तरह चीरती जा रही थी और अपने अतिथि के लिए रास्ता देती जा रही थी…

अब उसे दर्द की अधिकता महसूस हुई.. और वो चीख पड़ी…

आअहह…. जीजू…. मरररर…गायईयीई…आयईयीई… दर्द हो रहा हाीइ…उफ़फ्फ़.. जीजू निकालो अपने मूसल को…

मैने धीरे-2 लंड को बाहर खींचा, हम दोनो की नज़र उसी पर थी, जब लंड पूरा बाहर निकला तो उसके टोपे पर खून लगा हुआ था.



मैने उसको मुस्करा कर देखा और बोला- कंग्रॅजुलेशन्स डार्लिंग अब तुम लड़की से औरत बन गयी..!

निशा के मुँह से बस एक दर्द युक्त मुस्कान निकली…

अभी वो ठीक से मुस्करा भी नही पाई थी कि फिर चीख पड़ी…क्योंकि एक बार फिर मेरा शेर उसकी गुफा में घुस गया.

आआआहह…..गंदे जीजू……. उफफफ्फ़… निर्दयी कहीं के… मार डाला.., आई…अब ज़यादा मत हिलाओ… प्लीज़….रूको थोड़ा…!

पर मैने उसकी तरफ ज़्यादा ध्यान नही दिया… बस 10 सेकेंड के बाद फिर अपनी कमर को जुम्बिश दी और बाहर खींचा.. और फिर पेल दिया..
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:17 AM

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