Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:12 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मे उसी सोफे पर उसकी बगल में थोड़ा दूरी बनाके बैठा था. मेरी नज़र उसके चेहरे पर ही टिकी थी, और उसके बोलने का इंतजार कर रहा था.

मैने बाकी बची बीयर भी ख़तम करदी, तब तक भी वो कुछ नही बोली- तब मैने उसका एक हाथ अपने हाथ में लेकर उसकी उंगलियों को अपने अंगूठे से सहलाते हुए बोला- तुमने मुझसे अपने लिए वक़्त माँगा था..!!

उसकी लर्जति हुई निगाहें उपर को उठी, होंठ कांपकपाए, और फिर झुक गयीं.

मैने उसकी चिन को अपनी उंगलियों का इशारा देकर उपर को किया, तो उसकी आँखें बंद हो गयी और होंठ लरज उठे.

मे - ट्रिशा…! कुछ तो बोलो..? क्या बस ऐसे मौन रह कर ही समय बिताना चाहती हो मेरे साथ..?

एक पल उसने मेरी आँखों में देखा और काँपते होठों से बोली - हिम्मत नही जुटा पारही बोलने की..!

मे - तो क्या ऐसी ही डरपोक टाइप की आइपीएस बनोगी..?

वो तपाक से बोली – आपसे किसने कहा कि मे डरपोक हूँ..?

मे - सामने दिख रहा है.. ! जब तुम मेरे सामने अपने मन की बात नही बोल पा रही तो ड्यूटी कैसे करोगी..?

वो - मुझे शर्म आ रही है, जब आपसे मिलने आने वाली थी तो बहुत सारी बातें थी दिमाग़ में बोलने को, लेकिन जैसे ही आपको देखा तो सब भूल गयी, समझ में नही आरहा कहाँ से शुरू करूँ..?

मे - चलो छोड़ो बताओं को खाना मँगाते हैं, खाना ख़ाके आराम से बातें करेंगे ठीक है, वैसे भी मुझे तो भूख सी लग रही है.

वो - जैसा आप ठीक समझो..!

मैने फोन करके दो डिन्नर लाने के लिए बोल दिया.. और फिर ट्रिशा से बोला- वैसे आज रात की तो पर्मिज़न लेके आई होगी ना,,! 

ये सुनते ही शर्म से उसका चेहरा लाल पड़ गया और गर्दन झुका के बस..हमम्म.. ही निकला उसके मुँह से.

मैने उसके दोनो हाथ अपने हाथों में लेकर कहा - कुछ तो बोलो ट्रिशा..! कुछ भी बोलने लायक नही तुम्हारे पास..?

वो - बोलना तो बहुत कुछ है, लेकिन आप नाराज़ ना हो जाओ इसलिए डर लग रहा है..!

मे -मैने तुमसे वादा किया है, आज के दिन सिर्फ़ तुम्हारी मर्ज़ी चलेगी फिर ये डर क्यों..?

वो मेरी आँखों में झाँकने लगी, और फिर ना जाने क्यों उसकी आँखें डब-डबा गयी, उनमें पानी तैरने लगा..!

मे - हे ! मेरी बहादुर आइपीएस ऑफीसर ऐसे आँसू नही बहा सकती..? प्लीज़ चियर-अप..

फिर मैने उसके फॉरहेड को चूम लिया..! वो अपनी भावनाओं को रोक नही पाई और मेरे चौड़े सीने में समा गयी.. और सुबकने लगी..

मे उसकी पीठ सहला रहा था, सुबक्ते हुए वो बोली- मुझे अपना लो अरुण, मे आपकी बाहों में जीना चाहती हूँ..! प्लीज़ मुझे मत ठुकराओ..!

मैने उसके चेहरे को उपर उठाया और उसके लरजते होंठो को चूम लिया, और बोला - 

मे तुम्हें कैसे ठुकरा सकता हूँ ट्रिशा, तुम तो मेरे दिल में हो..लेकिन…! 

कराहते से स्वर में बोली वो - लेकिन क्या..?.. ऐसी क्या कमी है मुझ में जो आप मुझे अपना नही सकते..? बताओं ना.. जान !!

मे - कमी मुझमे हैं ट्रिश..! तुम में तो कोई कमी निकाल ही नही सकता..? तुम तो साक्षात देवी का रूप हो, जो भी तुम्हें अपनाएगा, वो धन्य हो जाएगा..!

वो - ऐसी बातें मत करो मेरे हमदम !, मे किसी और के बारे में सोच भी नही सकती..?

मे - इतना प्यार ना करो प्रिय… कि मे टूट कर बिखर ही जाउ.! और फिर मैने उसके होठों को फिर से अपने लवो में क़ैद कर लिया…अभी मैने किस शुरू ही किया था कि डोर बेल बजी.

मैने उठके दरवाजा खोला और वेटर को अंदर लिया, वो खाना लेके आया था, हम दोनो ने खाना खाया.. लेकिन दुखी मन से, अब जीने के लिए खाना तो पड़ेगा ही...!

खाना ख़ाके थोड़ी देर बाल्कनी में आकर खड़े हो गये और रोशनी से जगमगाते शहर को खड़े खड़े देखते रहे.., दोनो के ही मन में कस्मकस चल रही थी अपनी-2 मजबूरियों को लेकर…

बाल्कनी से आकर हम पलंग पर बैठ गये, मैने पलग के बॅक से अपनी पीठ टिका रखी थी और ट्रिशा मेरे कंधे पर अपना सर रखकर बैठ गयी..

जब वो कुछ देर तक फिर भी चुप बैठी रही तो मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- 

अच्छा ट्रिशा तुमने मुझसे वक़्त माँगा था, मैने अपना वादा पूरा कर दिया अब आज की रात तुम्हारी है, जैसे चाहो इसे एंजाय कर सकती, और चाहो तो ऐसे ही खामोशी से बर्बाद कर दो, 

अब ये तुम्हारे उपर है कि तुम क्या करना चाहती हो, मे तो आज की रात तुम्हारा गुलाम हूँ, जो हुक्म दोगि बजा लाउन्गा.

मेरे मुँह से ये शब्द सुनते ही वो फफक पड़ी और मेरे गले में बाहें डालकर मुझसे लिपट गयी, 

उसने बेतहाशा मेरे होठों, माथे और गालों को चुम्मनों से भर दिया. मैने भी उसे अपने आलिंगन में कस लिया. 

वो मेरे साथ एककार हो जाना चाहती थी.

अभी मे उसका कोई जबाब दे पाता, कि मेरा सेल फोन घनघनाने लगा.. 

मैने ट्रिशा को प्यार से अपने से अलग किया और हाथ लंबा करके फोन उठाया, 
चौधरी साब की कॉल थी जिसे मे मिस नही कर सकता था, ट्रिशा को रुकने का इशारा करके, मैने बाल्कनी में जाकर फोन पिक किया.

मे - हेलो गुड ईव्निंग सर..!!

चौधरी - यस !! गुड ईव्निंग अरुण .. हाउ आर यू..? तुमने कॉल किया था..?

मे - आइ आम वेरी मच फाइन सर !.. यस सर ! मैने ये बताने के लिए फोन किया था कि आज शाम को ही मेरी अकॅडमी से छुट्टी हो गयी है, 

अभी में इसी शहर में ही हूँ फिलहाल.. तो नेक्स्ट.. क्या करना है बस यही जानना था.

चौधरी - वेरी गुड..! अकॅडमी का सर्टिफिकेट लेकर दो दिन में मेरे ऑफीस पहुचो कुछ और ज़रूरी चीज़ें तुम्हें हॅंड ओवर करनी है,

उसके बाद हो जाएगी तुम्हारी ड्यूटी शुरू. ओके.

मे - सर ! सर ! सर ! इफ़ यू डॉन’ट माइंड, मे आइ टॉक टू सम पर्सनल मॅनर…?

चौधरी - यस ऑफ कोर्स बोलो ! तुम्हारे लिए तो टाइम ही टाइम है..

मे - सर एक पागल लड़की है, कुछ साल पहले मुझे मिली, दरअसल मेरे फ्रेंड की सिस्टर है, शी आक्च्युयली फॉल इन लव वित मी..

बट मैने उसको रेफ्यूज़ कर दिया था, और उसके बाद मे उससे फिर कभी नही मिला.

चौधरी - तो अब क्या हुआ..?

मे - सर हमारे कॅंप के बाजू में जो पोलीस अकॅडमी है उससे वो आइपीएस की ट्रैनिंग कर रही है, और यहाँ मुझे मिल गयी, 

वो पागल अभी तक मेरा इंतजार कर रही है, जब मैने उसे समझाया तो बस एक ही रट लगाए है, शादी करेगी तो मुझसे वरना आजीवन अविवाहित रहेगी. 

चौधरी - तुम भी उसे प्यार करते हो..?

मे - करता तो था सर..! पर अब इस असाइन्मेंट के बाद कैसे उसको हां करूँ…?

चौधरी - देखो बेटे ये तुम्हारी पर्सनल लाइफ है, इसमें तुम्हारा ही डिसिशन होना चाहिए और रही बात तुम्हारे असाइनमेंट की तो वो एक अलग विषय है, 

ऐसा कोई ज़रूरी नही कि शादी-सुदा ये काम नही कर सकते, हां हो सके तो काम शेयर नही होना चाहिए, 

और फिर वो भी कोई छोटी-मोटी पोस्ट नही है, ए आइपीएस ऑफीसर ऑल्सो आ वेल रिस्पोन्सीबल पोस्ट फॉर दा कंट्री. 

उपर से इतना प्यार करने वाली लड़कियाँ आज-कल मिलती कहाँ हैं. यू आर सो लकी माइ बॉय.

अगर उसको तुम्हारी असलियत पता लग भी जाती है तो डज़न्’ट मॅटर.. वो उसको लीक थोड़ी ना करेगी, और उल्टा उसको गर्व होगा तुम पर. 

सो बी एंजाय वित युवर लव. ओके डॉन’ट वरी !!

मे - थॅंक यू वेरी मच सर, आपने मेरी बहुत बड़ी प्राब्लम सॉल्व कर दी. वन मोर रिक्वेस्ट सर..!

चौधरी - यस.. टेल मी..! 

मे - क्या ये पासिबल होगा सर कि उसको भी गुजरात में ही पोस्टेड करवा दिया जाए..!!

चौधरी - वो कहाँ से सेलेक्टेड है..?

मे - शायद देल्ही से..!

चौधरी - तब तो देखना पड़ेगा, अगर कोई गुजरात का कॅड्रर चेंज ओवर करना चाहे तो पासिबल हो सकता है, बट यू डॉन’ट वरी, आइ विल डू सम थिंग. 

तुम यहाँ आओ फिर डीटेल में बात करेंगे ओके. टेक केर आंड ऑल दा बेस्ट फॉर युवर लव.. बाइ.

मे - बाइ सर थॅंक्स लॉट.. और इसके साथ ही फोन कट हो गया.

में फिर से ट्रिशा के पास आ गया.. और उसको बाहों में भरके बोला- तो मेरी थानेदार्नी तू शादी नही करेगी किसी से भी..?
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:12 AM

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