RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
उधर जगेश ने भी अपने शिकार को चित्त कर दिया था और वो उसकी छाती पर बैठ कर तबाद-तोड़ उसपर थप्पड़ बरसा रहा था चिल्लाते हुए, भोसड़ी के अब गाली देके दिखा मदर्चोद क्यों नही देता अब गाली.. देना...!!
मार-मार के उसने उसके थोबदे का फालूदा बना दिया और वो बेहोश हो गया,
शाबास मेरे शेर, मैने चिल्लाके उसे एनकरेज किया और अपने शिकार के गालों को और ज़ोर से कस दिया,
इतने मे वो पहले वाला जो मेरी किक से गिर गया था उठ चुका था और मेरी ओर आने लगा, तो उसे बीच में ही रशभ ने लपक लिया, और ऐसी पिलाई की उस भोसड़ी वाले की, नानी याद आ गयी.
जगेश उसे बेहोश छोड़ मेरी ओर आया तो उसकी नज़र उन दोनो मेरे शिकार के चेहरों पर पड़ी तो चीख पड़ा…
अरुण जल्दी छोड़ इन्हें नही तो मर जाएँगे साले.
मैने जैसे ही उन दोनो को छोड़ा, वो दोनो सेमेंट के बोरे की तरह धडाम से ज़मीन पर गिर पड़े, वो बेहोश हो चुके थे.
नज़ारा ये था कि वो आठों ज़मीन पर पड़े थे, कुछ अचेत, तो कुछ कराह रहे थे….
हमने उन सब को रस्सी से हाथ पैर बाँध के वही डाला और उनकी तलाशी ली तो उनके पास से ढेर सारे ड्रग्स निकले.
तुरंत ऑफीस जाकर हमने प्रिन्सिपल को फोन किया, और सारी बात बताई, वो तुरंत अपने साथ दो-चार टीचर्स और वर्कशॉप इंचार्ज को लेकर आधे घंटे में ही वर्कशॉप में पहुँच गये,
हमने उन्हें सारी बात डीटेल मे बताई, उनके पास से मिले ड्रग्स दिखाए, मैने कहा सर इनके ड्रॉयर्स भी चेक कीजिए, वहाँ और स्टॉक हो सकता है, क्यूंकी मुझे लगता है ये कॅंपस में ड्रग डीलिंग का धंधा करते हैं.
जब उनके ड्रॉयर्स खोले तो प्रिन्सिपल की आँखें फटी की फटी रह गयी, उनके ड्रॉयर्स ड्रग्स से भरे पड़े थे.
प्रिन्सिपल ने वर्कशॉप इंचार्ज को लताड़ा, ये कैसा आड्मिनिस्ट्रेशन है आपका? आपकी नाक के नीचे ड्रग्स का धंधा हो रहा है कॅंपस में, और आपको पता ही नही चला ? ये कैसे संभव है?
वर्कशॉप इंचार्ज मिमियने लगा…. वो..वो.. स.स साब, अब कैसे पता चलेगा हम लोगों को कि ये लोग क्या-क्या रखते होंगे अपने ड्रॉयर्स में? हम तो एक बार ड्रॉयर अलॉट कर देते हैं उसके बाद थोड़ी देखते हैं.
तुरंत पोलीस को फोन लगाया और उनसबको उठवाया, तब तक उनलोगों को होश आ चुका था.
उन आठों लड़कों को रस्टिकेट कर दिया गया, उनपर ड्रग डीलिंग का चार्ज लगाके हवालात में डाल दिया गया.
इस तरह से एक बड़े गुनाह का भंडाफोड़ हुआ हम लोगों की वजह से.
प्रिन्सिपल ने हम लोगों की पीठ थपथपाई, और विशेष आडमिन कमिटी गठन करने का फ़ैसला हुआ, जिसका हम चारों को मेंबर बना दिया जाएगा, जो सीधे प्रिन्सिपल की अध्यक्षता में काम करेगी,
ये एक विशुद्ध “स्टूडेंट आडमिन सेवा समिटी” होगी इसलिए इसका नाम (सास्स) रख दिया गया, जिसमें हमें विशेष अधिकार दिए जाएगे, की अगर कुछ भी कॅंपस मे ग़लत होता दिखे, हम अपनी तरफ से डिसिशन लेके उचित कार्यवाही कर सकते है, चाहे वो किसी टीचर के खिलाफ ही क्यों ना हो.
और निकट भविश्य मे अगर और कोई योग्य स्टूडेंट जुड़ता है तो उस कमिटी का आकार भी बढ़ाया जा सकता है, जिसका अधिकार भी हमें ही होगा. इस सबका प्रायोजन सिर्फ़ ये था कि निकट भविष्य मे इस तरफ की और कोई घटना ना घटित हो जिससे हमारे कॉलेज की रेप्युटेशन खराब हो.
ये सब फ़ैसला प्रिन्सिपल के ऑफीस में बैठ कर लिया गया था, जिसका वास्तविक रूप कल सुबह ही तैयार कर लेना था.
ये बात रात को ही आग की तरह पूरे कॅंपस मे फैल चुकी थी कि श्रीवास्तव & कंपनी. ड्रग डीलिंग करते पकड़े गये हैं, सुबह सभी स्टूडेंट्स हमें अप्रीशियेट कर रहे थे, जैसे जिसका मिलना हो पारहा था.
हमारे द्वारा किए गये इस साहसिक कारया की सराहना कॉलेज के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स ने भी की, और हम लोगों को पुरस्कृत किया गया, साथ ही निर्धारित कमिटी को भी बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की तरफ से स्वीकृति मिल गयी.
दूसरी सुबह ही सास्स कमिटी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया, और उसको प्रिन्सिपल की सील साइन करके सर्क्युलेट कर्दिया, जिससे सभी स्टूडेंट्स को भी इसके बारे में पता चल गया.
सारे कॉलेज में हम चारों के ही चर्चे थे, जिधर देखो स्टूडेंट्स ग्रूप बना के बातें कर रहे थे कि कैसे हम चार लोगों ने उन आठ लोगों को धूल चटा दी और उनके काले कारनामों की पोल खोल के रख दी.
कुछ स्टूडेंट्स ने इंडीविदुआली कॉंटॅक्ट किया और अपनी इच्छा जताई समिति में पार्टिसिपेट करने की, मैने भी उनको आश्वासन दे दिया इस शर्त पर की तुम उन लोगों का पता लगाके दो जो कॅंपस के अंदर ड्रग्स लेते हैं.
एक-दो ने तो तुरंत कुछ के नाम भी बता दिए, मैने और दो स्मार्ट से स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया और इन चारों को काम दे दिया की तुम लोग एक लिस्ट तैयार करो, अपने सूत्रों से, कॉन-कॉन ड्रग्स लेता था इनसे और अब उनकी सोर्स क्या है.
तुम जितनी जल्दी ये काम करोगे, उतनी जल्दी हमारी समिति मे शामिल हो जाओगे. वो चारों लग गये काम पर.
मेरा इरादा था ड्रग्स की आउटसोर्स का पता लगाना, और अपने कॉलेज के भटके हुए बच्चों को सीधे रास्ते पर लाना.
मुझे आशा थी, कि हम इस कार्य मे जल्दी सफल हो जाएँगे….
एक हफ्ते बाद ही उन चार लड़कों ने जो लिस्ट दी, मेरी तो खोपड़ी ही उलट गयी…
लगभग 100 स्टूडेंट्स थे जो ड्रग्स के आदि हो चुके थे, जब करेंट सोर्स के बारे में पता किया, तो दो चार कुछ छोटे-2 अड्डे थे शहर में जो स्टूडेंट्स को इन लोगों के ज़रिए ड्रग्स सप्लाइ करते थे.
मैने प्रिन्सिपल को जब वो लिस्ट दिखाई तो वो भी सकते मे आ गये, वो बोले अरुण ये हो क्या गया है, आज की जेनरेशन को..?
मे- सर इसमें इन बच्चों का दोष नही है, इन्हें तो जैसे बहकाया जाए, ये बहक जाते हैं, ये एक बहुत बड़ा रॅकेट है जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं.
खैर सर उन्हें छोड़िए, अब हम ये चाहते हैं, कि इन सभी बच्चों की एक सीक्रॅट मीटिंग बुलाई जाए, और इनका आप ब्रेन बाश करने की कोशिश करें, जिससे ये अपनी पढ़ाई शांति पूर्वक करके निकल जाएँ, इसमें उनकी और कॉलेज दोनो की भलाई है.
प्रिन्सिपल –हॅम… तुम सही कहते हो, मे आज ही एक सेक्राट नोट इन सभी को भेजता हूँ, और कल ही इनकी मीटिंग लेते हैं, मे चाहूँगा कि तुम भी वहाँ मौजूद रहो.
मे- सर मे अकेला नही हम चारों मेंबर रहेंगे, जिससे उन लोगों को भी एनकरेज्मेंट मिलेगा.
प्रिन्सिपल- ब्रिलियेंट अरुण तुम बहुत दूर की सोचते हो..
हमें गर्व है कि हमारे कॉलेज को पहली बार एक अच्छा स्टूडेंट मिला है, जिसकी सोच समाज की भलाई के लिए है. धन्य हैं तुम्हारे पेरेंट्स जिन्होने तुम जैसी संतान पैदा की.
मेरे चेहरे पर अनायास ही एक रहस्यमयी मुस्कान आ गयी, जिसे देख कर प्रिन्सिपल रुस्तम सिंग उसका कारण पुछे वगैर नही रह सके…..
मेरी बात पर तुम मुस्कुराए क्यों..? पुछा प्रिन्सिपल ने.
मे- सर आपने बात ही ऐसी की थी …
प्रिन्सिपल - कोन्सि बात..?
मे- संतान पैदा करने वाली सर..
प्रिन्सिपल - क्यों मैने कुछ ग़लत कहा…?
मे- नही सर आपने कुछ ग़लत नही कहा लेकिन ये ग़लत है कि मेरे माता पिता ने मुझे ऐसा पैदा किया..
प्रिन्सिपल - क्या मतलब…?
मे- सर उनके लिए तो मे एक अनचाहा भ्रुड था, जिसे उन्होने पूरी कोशिश कि इस धरती पर आने से रोकने की..
फिर मैने उन्हें अपने जन्म से जुड़ी हर बात बताई, तो वो आश्चर्य चकित रह गये…
प्रिन्सिपल - तो ये है तुम्हारे इस तरह के नेचर का राज… गॉड गिफ्टेड हो..
मे- जी सर, और इसलिए में मौत से भी ख़ौफ़ नही ख़ाता कभी. क्योंकि उसी मौत ने मुझे पुनर-जीवित किया है, तो उससे क्या डरना… और फिर वो तो सभी को कभी ना कभी तो आनी ही है…
प्रिंसीपल- ग्रेट ! अरुण.. यू आर सिंप्ली ग्रेट.… गॉड ब्लेस्स यू माइ चाइल्ड, और इतना कह कर भावुकतावस उन्होने मुझे गले से लगा लिया.
प्रिन्सिपल का नोट मिलते ही दूसरे दिन 10 बजे वो सभी स्टूडेंट्स डरते-2 एक मीटिंग हॉल मे इकट्ठा हुए, जो उन्हें नोट मे ही बता दिया गया था.
हम चारों प्रिन्सिपल सर के साथ एंटर हुए, सबने एक स्वर में गुड मॉर्निंग कहा,
प्रिन्सिपल सर का इशारा पा कर मैने उन लोगों को संबोधित किया…
मे- गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स… जैसा की परसों की घटना ने हम सभी को चाहे वो टीचर्स हों या स्टूडेंट्स, शॉक मे डाल दिया है, की इतना बड़ा ग़लत काम हमारे कॅंपस में चलता रहा और किसी को पता भी ना चला.
इसका ज़िम्मेदार कॉन है ?
हम सब इतने तो समझदार हैं कि अपना खुद भला-बुरा सोच सकें, आप सब में से शायद ही कोई ऐसा हो जिनके माँ बाप इस तरह की घृणित आदतों को सही ठहरायें,
वो तो हमें इन सब चीज़ों से दूर रखने की भरसक कोशिश करते रहे हैं अब तक क्यों?
क्या में सही कह रहा हूँ?? मैने सवाल किया, तो सबने समवेत स्वर में हां कहा..
इसका मतलब आप लोग ग़लत हैं… सबकी मुन्डी नीचे को झुक गई..
मैने फिर कहा… इसमें आप लोगों को गिल्टी फील करने की ज़रूरत नही है.. हम टीनेज मे ही कॉलेज मे आजाते हैं, उसका ग़लत फ़ायदा कुछ स्वार्थी लोग उठा जाते हैं, और हमें नरक में झोंक देते हैं.
में चाहता हूँ, कि आप सभी अबतक जो हुआ उसे भूल कर, अपनी अंजाने मे हुई ग़लतियों से सबक लें और वापस अपने माता-पिता के लाड़ले बेटे बन कर एक अच्छा नागरिक बनाने की कोशिश करें.
में प्रिन्सिपल सर से रिक्वेस्ट करूँगा कि वो आप सभी को सुधारने का एक मौका और दें जिससे आप अपने पेरेंट्स के ख्वाबों को पूरा करके ही यहाँ से जाएँ… धन्याबाद.
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