RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
लेकिन सबसे बड़ी बात मुझे ये परेशान कर रही थी कि ड्रॉयिंग रूम में चाचा की छेड़खानी को सोचने भर से ही मेरी योनि नाम हो गयी थी. ऐसा क्यों हुआ मुझे समझ में नही आ रहा था. अचानक मुझे ख्याल आया.
"क्या मुझे उसकी छेड़खानी पसंद आने लगी है. हाउ डिज़्गस्टिंग... ऐसा नही हो सकता. कहाँ वो बदसूरत देहाती और कहाँ मैं." मैं बोखला उठी. मैने मन ही मन ठान लिया की गगन के सामने हर हाल में उसका पर्दाफाश करके रहूंगी. मैं इन विचारो में खोई थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई.
"आज फिर ये चाय माँगेगा. दे देती हूँ इसे चाय. क्या पता ये मेरे जाल में फँस जाए." सोचते हुए मैने अपने बेडरूम का दरवाजा खोला.
"बेटी मेरे लिए एक कप चाय बना दोगि." चाचा ने कहा.
"जी हां बिल्कुल आप ड्रॉयिंग रूम में बैठिए मैं अभी चाय लेकर आती हूँ."मैने जान बुझ कर उसे ड्रॉयिंग रूम में बैठने को बोल दिया.
"ठीक है निधि बेटी." वो हंसता हुआ वहाँ से चला गया.
किचन में जाते वक्त उसे टाय्लेट में जाते देखा तो मैने तुरंत कॅमरा ऑन कर दिया और फुर्ती से किचन में घुस्स गयी ताकि उसे शक ना हो. चाय बना कर मैं ड्रॉयिंग रूम में आई तो चाचा सोफे पर बैठा फॅमीना मगजीन लिए बैठा था. वो लॅडीस अंडरगार्मेंट्स की अड्वर्टाइज़्मेंट वाले पेज को खोले बैठा था. उसमे एक खूबसूरत मॉडेल सिर्फ़ ब्रा और पॅंटीस में एक पेड़ के सहारे खड़ी थी. चाचा उसके उभारों पर हाथ फेर रहा था. मैने बिना कुछ कहे चाचा की तरफ चाय बढ़ाते हुए कहा, "लीजिए चाचा जी चाय."क्योंकि सब रेकॉर्ड हो रहा था इसलिए मैं उसे कुछ ज़्यादा ही इज़्ज़त दे रही थी.
"कितनी सुंदर चुचियाँ हैं इस लड़की की. गान्ड भी एक दम मस्त है. मगर तुम्हारे आगे ये कुच्छ भी नही है. तुम्हारी चुचियाँ और गान्ड तो जबरदस्त हैं."
"आपको ऐसी बाते सोभा नही देती चाचा जी."मैने शालीनता से कहा
"जब से तुम्हारी गान्ड पकड़ कर मसली है तुम्हे तमीज़ आ गयी है. ऐसा ही होना चाहिए. हमेशा तमीज़ से बात करनी चाहिए तुम्हे."
"चाचा जी आपको मेरे साथ ऐसी बाते नही करनी चाहिए."
"कैसी बाते निधि बेटी हहेहहे." वो हंसते हुए बोला.
"आपको मेरे साथ ऐसा बर्ताव नही करना चाहिए."
"देखो तुम्हारे जैसा शरीर बहुत कम लड़कियों को मिलता है. इसका भरपूर आनंद लो. वक्त दुबारा नही आएगा. आओ मेरी गॉडी में बैठ जाओ और प्रेम से अपने अंगों को मेरे हाथों से मसलवाओ. तुम्हे भरपूर आनंद आएगा."
"चाचा जी ज़ुबान संभाल कर बात कीजिए. आप होश में तो हैं. आप अपने भतीजे की पत्नी से बात कर रहे हैं."
"छोड़ भी ये नाटक. तू भी खूब मज़े करती है मेरे साथ. सिनिमा के टाय्लेट में तूने बड़ी जल्दी अपना पानी छोड़ दिया था. ऐसा तभी होता है जब छोकरी मज़े लूटती है. मान ले मेरी बात तुझे मुझसे अपनी गान्ड और चूत मसलवाना अच्छा लगता है."
मैं ये सुनते ही आग बाबूला हो गयी.
"शट अप यू बस्टर्ड... ऐसा कुछ नही है. मैं कोई मज़े नही लूटती हूँ. शरम आनी चाहिए तुम्हे ऐसी बाते करते हुए."
"अगर मज़े नही लूटती हो तो फिर ये बताओ तुम्हारी चूत क्यों पानी बहा रही थी सिनिमा के टाय्लेट में"
"फ़िजूल की बाते मत करो देहाती ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रहे हो. एक तो यहाँ ज़बरदस्ती हमारे घर में घुस गये हो उपर से इतनी गिरी हुई हरकते करते हो."
चाचा ने फुर्ती से सोफे से उठ कर मेरा हाथ पकड़ लिया. मैने बहुत जद्दो जहद की पर फिर से उसने मेरा हाथ मरोड़ ही दिया.
"छोड़ो मेरा हाथ देहाती." मैं छटपटाते हुए बोली.
"चलो अभी देख लेते हैं कि तुम्हारी चूत पानी छोड़ती है कि नही." चाचा ने मेरे नितंबों को मसल्ते हुए कहा.
"ऐसा कुछ नही होगा...छोड़ो मेरा हाथ."
"देखने तो दो मेरी रानी."चाचा ने अब मेरी योनि पर हाथ रखते हुए कहा.
"हाथ हटा लो अपना."
"रूको तो मेरी रानी. आज तो ये और ज़्यादा गरम लग रही है. मेरा हाथ लगते ही फड्क रही है. तुम्हारी चूत को मेरे हाथो की छुअन अच्छी लगती है."
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