RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
नेक्स्ट डे:
अगले दिन गगन ऑफीस चले गये और चाचा भी अपना चेक अप कराने हॉस्पिटल चला गया. घर के सभी काम निपटा कर मैं बेडरूम में रेस्ट कर रही थी तो अचानक मेरा ध्यान चाचा की डाइयरी पर गया.
"देखूं तो सही आगे क्या लिखा है उस देहाती ने."मगर अगले ही पल दूसरा विचार आया, "नही नही मुझे ऐसी गंदी बाते नही पढ़नी चाहिए."
फिर मैने निर्णय लिया कि मैं बालिग हूँ अगर ये सब पढ़ भी लूँ तो क्या फरक पड़ेगा. देखूं तो सही इस चाचा ने और क्या गुल खीलाए हैं.
मैं उठ कर चाचा के कमरे में आ गयी. मैने हर तरफ डाइयरी ढुंडी पर मुझे कही नही मिली. तभी मुझे ख्याल आया कि कही उसने डाइयरी टाय्लेट में तो नही रख छ्चोड़ी फिर से. मैं टाय्लेट में आई तो मेरा शक सही निकला. डाइयरी को वहाँ देखते ही मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
"जान बुझ कर मेरे लिए यहा डाइयरी छ्चोड़ गया वो. बहुत बेशरम है ये देहाती."
डाइयरी ले कर मैं बेडरूम में आ गयी और लेट कर आगे के पन्ने पढ़ने लगी.
डाइयरी के पन्नो से:
कैसे मेरे लंड को पहली गांद मिली: हुआ यू कि एक दिन दोपहरी को मैं भैया से मिलने खेत जा रहा था. रास्ते में खेत ही खेत थे दोनो तरफ. अचानक मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ सुनते भी मैं रुक गया. मुझे अहसास हुआ कि हो ना हो खेतों में ज़रूर कोई रास लीला चल रही है. मैं दबे पाँव आवाज़ की दिसा में चल दिया. मैं वहाँ पहुँचा तो दंग रह गया.
बब्बन जो कि सरपंच का नौकर था उसकी बेटी कोयल को ठोक रहा था. कोयल कुत्तिया बनी हुई थी और बब्बन उसकी चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था. ये देखते ही मैं आग बाबूला हो गया. कोयल को कयि बार मैने पटाने की कोसिस की थी. पर उसने हर बार मेरा मज़ाक उड़ाया था. कहती थी शीसे में शकल देखो जाकर. मुझसे रहा नही गया और आगे बढ़कर बब्बन को ज़ोर से धक्का दिया.
"पीछे हट अब मैं लूँगा इसकी." मैं चिल्लाया.
"राघव ये क्या मज़ाक है."बब्बन ने कहा.
"बब्बन चुप रह तू मुझे इस से हिसाब बराबर करना है." मैने कोयल की गांद को कश कर थाम लिया. कोयल घबराई हुई थी. वो तुरंत उठ कर खड़ी हो गयी और बोली, "दफ़ा हो जा यहाँ से."
"हां चला जाता हूँ और तेरे बापू को यहाँ की तेरी सारी करतूत बताता हूँ. बब्बन तो मरेगा ही तू भी नही बचेगी."मैं कह कर चल दिया.
"रूको राघव..."बब्बन ने आवाज़ दी.
मैं रुक गया. "बोलो क्या बात है."
"सरपंच को कुछ मत बताना."बब्बन गिद्गिडाया.
"ठीक है नही बताउन्गा. कोयल को बोल चुपचाप मेरे आगे झुक जाए आकर."
"मैं ऐसा हरगिज़ नही करूँगी"कोयल चिल्लाई.
"ठीक है फिर मैं चला तेरे बापू के पास."
"रूको" बब्बन और कोयल दोनो चिल्लाए.
मैं रुक गया और वापिस कोयल के पास आ गया, "चल झुक मेरे आगे."
कोयल ने बब्बन की तरफ देखा और मेरे आगे झुक गयी. जैसे वो बब्बन के लिए कुतिया बनी हुई थी वैसे ही मेरे लिए भी बन गयी. मैने उसकी गांद पर ज़ोर से तमाचा मारा.
"ऊऊहह...बब्बन इसे बोल दो कि दुबारा ऐसा ना करे."
"आराम से कर ना राघव." बब्बन गिड्गिडाया.
मैने उनकी बात अनसुनी करके कोयल की गांद पर फिर से ज़ोर से चाँटा मारा. उसकी गांद लाल हो गयी.
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