RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
"अरे सागा चाचा नही है. डॅडी इसे भाई की तरह ही मानते थे. केयी बार गया हूँ इनके गाँव. इन्हे चाचा ही कहता था बचपन में."
"मतलब बहुत दूर की रिश्तेदारी है...वो भी नाम मात्र की. ये यहाँ करने क्या आया है."
"उसके बाल झाड़ रहे हैं. उसी के इलाज के लिए देल्ही आया है. किसी ने इन्हे हमारा पता दे दिया इसलिए यहाँ चला आए"
"इसी वक्त आना था इनको...सारा मूड कराब कर दिया मेरा. कब जाएगा ये वापिस."
"ये पूछना अच्छा नही लगेगा निधि....जस्ट रिलॅक्स. घर आए मेहमान की इज़्ज़त करनी चाहिए. मैं उनके पास बैठता हूँ तुम चाय पानी का बंदोबस्त करो."
"मैं कुछ नही करूँगी"
"देख लो तुम्हारी अच्छी बहू की इमेज जो तुमने घर पर बनाई थी वो खराब हो जाएगी. इनका डॅडी से मिलने जाने का भी प्लान है." गगन ने मुझे बाहों में भर कर कहा.
"ठीक है ठीक है जाओ तुम मैं चाय लाती हूँ." मैने खुद को गगन की बाहों से आज़ाद करते हुए कहा.
मैं चाय और बिस्कट ले कर गयी तो वो देहाती तुरंत मुझे घूरते हुए बोला,
"बड़ी सुंदर बहू मिली है तुम्हे बेटा. भगवान तुम दोनो की जोड़ी सलामत रखे."
"शुक्रिया चाचा जी. जो कोई भी निधि को देखता है यही कहता है." गगन ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
"आओ बेटा तुम भी बैठो....तुम्हारी शादी में नही आ पाया था. उस वक्त एक मुसीबत में फँसा हुआ था वरना मैं ज़रूर आता." उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
"मुझे काम है आप दोनो बाते कीजिए." मैं कह कर वहाँ से चल दी.
"बड़ी शर्मीली दुल्हनिया है तुम्हारी. अच्छी बात है. बेटा बहुत थक गया हूँ. नहा धो कर आराम करना चाहता हूँ."
"बिल्कुल चाचा जी. आप नहा लीजिए. तब तक खाना तैयार हो जाएगा. आप खा कर आराम कीजिएगा."
सोचा था कि आज बाहर खाएँगे मगर इस बिन बुलाए मेहमान के कारण मुझे रसोई में लगना पड़ा.
जब मैं खाना सर्व कर रही थी डाइनिंग टेबल तो राघव चाचा मुझे घूर कर देख रहा था. उसकी नज़रे मुझे ठीक नही लग रही थी.
?अरे तुम भी आ जाओ ना.? गगन ने कहा.
हां बेटा तुम भी आ जाओ...? चाचा ने घिनोनी सी हँसी हंसते हुए कहा.
?नही आप लोग खाओ मैं बाद में खा लूँगी. अभी मुझे भूक नही है.? मैं कह कर किचन में आ गयी.
मैने चुपचाप किचन में ही खाना खा लिया और खाना खा कर नहाने चली गयी.
बाथरूम में चाचा ने हर तरफ गीला कर रखा था.
?बदतमीज़ कही का. हर तरफ पानी बिखेर दिया. फर्श पर साबुन भी पड़ा हुआ है. कोई गिर गया तो.? मैं बड़बड़ाई.
नहा कर चुपचाप मैं बेडरूम में घुस गयी. गगन ने चाचा के सोने का इंतज़ाम दूसरे कमरे में कर दिया था.
मैं गुस्से में थी और चुपचाप आकर बिस्तर पर लेट गयी थी. मेरी कब आँख लग गयी मुझे पता ही नही चला.
मेरी आँख तब खुली जब मुझे अपनी चूचियों पर कसाव महसूस हुवा. मैने आँखे खोल कर देखी तो पाया कि गगन मेरे उभारों को मसल रहा है.
?छोड़ो मुझे नींद आ रही है.?
?आओ ना आज बहुत मूड है मेरा.?
?पर मेरा मूड नही है. तुम्हारे चाचा ने मेरा सारा मूड खराब कर दिया. इन्हे जल्दी यहा से दफ़ा करो.?
?छ्चोड़ो भी निधि ये सब. लाओ इन्हे चूमने दो.? गगन ने मेरे उभारों को मसल्ते हुए कहा.
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