Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:23 AM,
#91
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
मैंने उससे यह भी कहा कि यह सब मेरे लिए बहुत नया था। न केवल वो मुझसे काफी छोटी थी, बल्कि मेरे मन में उसकी जो तस्वीर थी, वो अभी भी एक छोटी लड़की के जैसे ही थी। सुमन संभवतः कुछ प्रतिवाद करना चाहती थी, लेकिन जब मैंने कहा कि अगर वो मुझे कुछ समय दे, और कुछ धैर्य से काम ले तो वो संयत हो गयी – कुछ निराश सी, लेकिन संयत। मुझे साफ़ लग रहा था की वो कुछ निराश तो है। इसलिए मैंने उससे कहा,

“नीलू, प्लीज तुम बुरा मत मानो! न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा है जैसे रश्मि अभी यहाँ दरवाज़े पर आ खड़ी होगी। न जाने क्यों ऐसा लग रहा है जैसे हम दोनों उसकी पीठ पीछे चोरी कर रहे हैं..”

सुमन को मेरी बात और मेरी चिंता का सबब समझ में आ गया। उसने कहा,

“आपको ऐसा क्यों लग रहा है? ... मेरी तरफ देखिए... मुझे भी आज दिन में कोर्ट में ऐसे ही लग रहा था .. जैसे माँ, पापा और दीदी हमको वहां ऊपर से देख रहे हों! लेकिन, मुझे ऐसे नहीं लगा की वो हमारी शादी पर बुरा मानेंगे! हम दोनों ने एक दूसरे से शादी करी है। चोरी नहीं! दीदी के जाने के बाद आपने जो दुःख झेले हैं, वो मुझसे छुपे हैं क्या? मुझे यकीन है, की दीदी का, और माँ पापा का आशीर्वाद हमको ज़रूर मिलेगा!”

कह कर उसने मुझे जोर से अपने गले से लगा लिया। कुछ देर मुझसे ऐसे ही चिपके रहने के बाद, मुझे पकडे हुए ही उसने कहा,

“आप मुझे किस नहीं करेंगे?”

ओह भगवान! क्यों नहीं! मैंने सुमन की नथ उतारी, और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रखे - सुमन के होंठ बहुत ही नरम थे, और सच मानिए, गुलाब के फूल की तरह ही महक रहे थे। मैंने उसके होंठों पर एक एक एक एक कर के कई सारे चुम्बन जड़ दिए, और फिर उनको चूसना भी शुरू किया। कुछ ही देर में उसके होंठों की लाली, मेरे होंठों पर भी लग गयी। सुमन तो बिलकुल अनाड़ी थी, लेकिन अपनी तरफ से कोशिश कर रही थी। उसके चुम्बन पर मुझे बहुत आनंद आ रहा था। कुछ ही देर में हमारा चुम्बन, एक आत्म-चुम्बन (या फ्रेंच किस कह लीजिए) में तब्दील हो गया – हमारी जिह्वाएं आपस में मल्ल-युद्ध लड़ने लगीं। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था – और मूड भी बनने लगा था। 



मैंने चोली के ऊपर से ही अपने हाथ को उसके सीने पर फिराया, और फिर उसके एक स्तन को पकड़ कर दबाने लगा। उसका चूचक पहले से ही मुस्तैद खड़ा हुआ था। याद रहे, मैंने सुमन की चोली उतारी नहीं थी, बस, उसकी पीछे की दोनों डोरियाँ खोल दी थीं – इससे चोली के सामने के कप ढीले हो गए थे। एक तरह से सुमन के स्तन अब स्वतंत्र हो गए थे।

मैंने कुछ देर के लिए सुमन को चूमना छोड़ा, और कहा,


“बिल्वस्तनी, कोमलिता, सुशीला, सुगंध युक्ता ललिता च गौरी... ना श्लेषिता येन च कण्ठदेशे, वृथा गतं तस्य नरस्य जीवितम्।“

कुछ क्षणों तक सुमन ने मुझे कौतूहल भरी दृष्टि से देखा – उसको कुछ समझ नहीं आया। 


उसने कहा, “अब इसका मतलब भी बता दीजिए?”

“हा हा! देवलोक की अप्सरा रम्भा के बारे में तो सुना ही होगा?”

सुमन ने मुस्कुराते हुए हर हिलाया।

“तो रम्भा, और शुकदेव, महर्षि वेदव्यास के पुत्र थे.. एक बार की बात है... दोनों के बीच एक लम्भी चौड़ी बहस होने लगी की किसके जीवन का तरीका श्रेष्ठ है। दोनों ही अपने तरीके को श्रेष्ठ, और दूसरे के जीवन को व्यर्थ बता रहे थे! रम्भा, क्योंकि अप्सरा है, इसलिए कहती है की भोग के बगैर जीवन व्यर्थ है! शुकदेव कहते हैं कि योग और वैराग्य बिना जीवन व्यर्थ है! एक वैरागी क्या जाने नारी के सान्निध्य का बल? वो काफी देर तक कुतर्क तो करते हैं, लेकिन रम्भा के तर्क कहीं भारी पड़ते हैं। वो कहती है, की नारी के सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं है! समस्त तपों का आधार स्वयं नारी ही है। विवाद का हल तो कुछ निकला नहीं, लेकिन अंत में शुकदेव नारी को पत्नी के रूप में रखने की अनुमति दे देते हैं!”

“इंटरेस्टिंग! .. लेकिन उसका – जो आपने कहा – का मतलब क्या था?”

“हां! वो तो बताना ही भूल गया – रम्भा कहती है की बेल के फलों के समान कठोर स्तनों वाली, लेकिन अत्यंत कोमल शरीर वाली, सुशील स्वभाव वाली, महकते केशों वाली, और जिसको देखने से लालच आ जाय – ऐसी सुन्दर स्त्री का जिसने आलिंगन नहीं किया, उसका जीवन तो बिलकुल बेकार है!”


सुमन शर्माते हुए मुस्कुराई,

“तो..? आपका जीवन बेकार है, या...”

“ये तो इन बेलों की कठोरता पर डिपेंड करता है.. है न?” 

मैंने आँख मारते हुए कहा, “जाँचा जाए?”

उसने कोई उत्तर नहीं दिया, तो मैंने चोली के ऊपर से ही उसके दोनों स्तनों को थाम लिया। सुमन की स्वतः प्रतिक्रिया पीछे हटने की थी, लेकिन उसने स्वयं को रोका। लेकिन, आज पहली बार मेरे हाथों के स्पर्श को अपने स्तनों पर महसूस करके उसको भी अच्छा लग रहा था। मैंने मन ही मन उसके और रश्मि के स्तनों की तुलना करी – सुमन के स्तन रश्मि के स्तनों से बस कुछ ही बड़े थे। छूने से समझ आया कि वाकई दोनों एकदम गोल और ठोस थे! मन तो उसके स्तनों की बनावट, तापमान और छुवन को अपने हाथों में महसूस करने का था, इसलिए कपड़े के ऊपर से मज़ा कम आ रहा था।

“नीलू, ये तो बढ़िया साइज़ के हो गए हैं!”

“आपको पसंद आये?” उसने धीमे से, शर्माते हुए पूछा।

“बहुत ज्यादा! अब खोल के दिखा दो न?”

“मैंने आपको कब रोका? मेरा सब कुछ आपका है..”

उसका इशारा पा कर मैंने उसकी चोली के सिरे को दोनों कंधे से पकड़ कर सामने की तरफ खींचा – स्तन तुरंत स्वतंत्र हो गए! जैसा सोचा था, ये दोनों वो उससे भी कई कई गुना सुन्दर निकले! बिलकुल युवा, गोल और ठोस स्तन – गुरुत्व के प्रभाव से पूरी तरह अछूते! गोरे गोरे चिकने गोलार्द्ध। 

आपने कभी लाल गुड़हल की कली देखी है? खिले से कोई दो घंटा पहले वो कली एक इंच के आस पास लम्बी होती है, और बेलनाकार होती है। इसी समय कली के बीच में से योनि-छत्र (पुष्प का मादा भाग) निकल रहा होता है। ठीक इसी प्रकार के चूचक थे मेरी नीलू के! 


उत्तेजनावश कोई पौना इंच तक लम्बे हो गए थे। उनका रंग लाल-भूरा था – रश्मि के समान ही! अरेओला और चूचक के रंग में कोई ख़ास फर्क नहीं था। अरेओला पर छोटे छोटे दाने जैसे उठे हुए थे – ठीक वैसे ही जैसे गुड़हल के फूल का योनि-छत्र!

“ओह गॉड!” मेरे मुँह से बेसाख्ता निकल गया, “कहाँ छुपा कर रखा था तुमने इनको अभी तक?”

मेरी बात पर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं! उसके होंठो पर एक मद्धिम मुस्कान थी। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने दोनों ही स्तनों पर बारी बारी से (बिना हाथ लगाए) कई सारे चुम्बन जड़ने शुरू कर दिए। कोई दो तीन मिनट तक उसको ऐसे ही छेड़ता रहा। लेकिन मैं कब तक यह करता? मजबूर हो कर मैंने एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया, और तन्मय हो कर चूसने लगा। उसको मन भर कर चूसा, चुभलाया, काटा, और चबाया! मेरी हरकतों पर सुमन उह और सी सी जैसी आवाजें निकालने लगी। फिर मैंने दूसरे के साथ भी यही किया।

इसी समय मेरे साथ वो हुआ, जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं करी थी – मेरे लिंग से वीर्य निकल पड़ा! मुझे घोर आश्चर्य हुआ! ऐसा कैसे हो गया? मैं तो खुद को लम्बी रेस का घोड़ा मानता था, जो कभी रुकता ही नहीं था! खैर, वीर्य निकलने पर भी लिंग का कड़ापन कम नहीं हुआ – यह अच्छी बात थी। न जाने सुमन का क्या हाल होगा?


स्तनों को छोड़ कर मैंने कुछ देर तक उसके पेट और नाभि को चूमा और जीभ की नोक से चाटा। साथ ही साथ मैंने उसके लहँगे का नाड़ा भी चुपके से खोल दिया।

“नीलू रानी!” मैंने कामुक और फटी हुई आवाज़ में कहा, “अब अपने पति को अपना दिव्य रूप दिखाने का समय हो गया है!”

मेरी इस बात पर वो अचानक ही गंभीर हो गई – यह वह समय था, जिसकी वो अभी तक बस कल्पना ही कर रही थी। उसने अपने होंठों पर बेचैनी से जीभ फिराई और फिर अपने लहँगे को कमर पर पकड़े हुए बिस्तर से नीचे उतर गई। कैसी नासमझ है ये लड़की? ‘दिव्य रूप’ दिखाने को बोला था न! फिर भी लहँगा पकडे हुए है! लगता है ये चीर हरण भी मुझे ही करना पड़ेगा!

कुछ भी हो, मैंने जल्दबाज़ी बिलकुल भी नहीं करी। उससे भला क्या लाभ? बीवी तो अपनी ही है – कहीं भागी थोड़े ही जा रही है!! मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपने नजदीक बुलाया, और उसके अर्धनग्न शरीर का अपनी आँखों से आस्वादन करने लगा। सुमन ने देख की मैं क्या कर रहा हूँ – इस पर वो शरमा कर नीचे की तरह देखने लगी। मैंने कुछ देर खेलने और छेड़ने की सोची। उसका जूड़ा बंधा हुआ था – सामान्य सा था – कोई बहुत जटिल बंदोबस्त नहीं था। मैंने उसमे से गजरा निकाला, और उसके बालों को खोल कर बिखेर दिया। अब उसकी मूरत देखते बन रही थी – एक अत्यंत सुन्दर, अप्सरा जैसी कमसिन लड़की, अपना लहँगा पकडे मेरे सामने अर्धनग्न खड़ी हुई थी – उसकी साँसे तेजी से चल रही थीं, और उनके साथ ही उसके उन्नत स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे, बाल खुल कर आवारा हो रहे थे... शरीर का रंग ऐसा जैसे किसी ने संगमरमर में मूंगे का रंग मिला दिया हो! जैसे दूध में केसर मिल गया हो!

वह एक अतिसुन्दर प्रतिमा जैसी लग रही थी। और मुझे ऐसे लुभा रही थी, की जैसे मुझे बुला रही हो!

अब मुझे खुद पर वाकई संयम नहीं रहा। मैं उसको कमर से पकड़ कर धीरे धीरे अपनी तरफ खींचा, और उसके दोनों हाथों को उसके लहँगे से हटाने का प्रयास करने लगा। उसके हाथ ठन्डे हो गए थे। यह सब होना तो आज की रात अवश्यम्भावी था – यह उसको भी मालूम था, और मुझे भी! लेकिन इस संज्ञान में भी सब कुछ नया था। मैं तो खेला खाया दुरुस्त हूँ, फिर भी सब कुछ नया सा लग रहा था। एकदम से उसका हाथ अपने लहँगे के सिरे से हट गया। मुझे उम्मीद थी कि गुरुत्वाकर्षण स्वयं ही उसको नीचे सरका देगा – लेकिन हो सकता है की उसका नाड़ा पूरी तरह से ढीला नहीं हुआ था, या यह की लहंगा उसकी कमर के बल पर अटक गया हो! 

मैंने खुद ही लहँगे को नीचे खिसकाना शुरू किया – लेकिन ऐसे नहीं की सुमन तुरंत नंगी हो जाए। मैं उसको अभी कुछ देर और छेड़ना चाहता था। मैंने लहँगे को थामे हुए ही सुमन को घुमा कर उसकी पीठ को अपने सामने कर दिया। उसकी पीठ भी उसके शरीर के बाकी हिस्से के समान ही सुन्दर, और निर्दोष थी! नितम्बों के ऊपर मेरु के दोनों तरफ छोटे छोटे डिंपल थे, जिनको अंग्रेजी में डिंपल ऑफ़ वीनस कहते हैं। और नीचे की तरफ उसके गोरे, चिकने नितम्बों का ऊपरी हिस्सा और उनके बीच की अँधेरी दरार दिख रही थी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) - by sexstories - 12-17-2018, 02:23 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,543,896 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,262 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,250,554 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 945,440 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,679,013 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,101,853 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,986,887 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,174,697 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,076,127 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,047 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)