RE: Incest Porn Kahani रिश्तारिश्ते अनजाने
यह पहली बार था जब वा मेरे साथ सेक्स में इतना इंटेरेस्ट ले रही थी वरना वह हमेशा सेक्स के नाम पर टेन्षन में रहती या नखरे दिखती , शायद वीडियोस देख कर उसकी सेक्स की आग भड़क गयी थी , जो भी था मैने सोच लिया
था आगे से उसको सेक्स वीडियोस दिखा दिखा कर ही चोदा करूँगा
"आह जल्दी करो न " उसने कहा
जब आपकी सेक्स पार्ट्नर आपकी हौसला अफजाई करे तो माहौल ही बदल जाता है , मैने उसकी गर्दन अपने बाएँ हाथ से पकड़ी
दाएँ हाथ से उसकी टाँग फैलाई और अपना लिंग पीछे से उसकी योनि में डालने लगा , उसकी योनि का गढ्ढा मुझे महसूस हुआ
"अया अमन , ज़रा और अंदर आओ ना कुछ फील ही नही हो रहा है" शिखा अपनी टाँगें दबाते बोली
मैने ज़ोरों से अंदर एक धक्का लगाया
"हां अमन वहीं वहीं एक और बार उंगली करो ना प्लीज़" शिखा अपनी आँखें बंद करते बोली "मैने आगे से अपनी उंगली भी डाल दी"
"यह क्या शिखा , तुम्हारे जैसी सुंदर सुशील गृहिणी अपने कामेच्छा की पूर्ति हेतु एक पर पुरुष को आदेश दे रही है?" मैने उसको चिढ़ाते कहा
उसने हौले से आँखें खोली "शट उप अमन...सेक्स के टाइम पर बेकार की बकवास क्यों कर रहे हो?" वा बोली
"हा हा हा..मैं तो तुम्हे चिढ़ा रहा था" मैने हंसते कहा
"ह्म्*म्म्मम" वा आँखें मूंद कर किसी अलग ही जहाँ में खो गयी , स्पष्ट था अपनी योनि में मेरा उंगलियाँ घुमा कर गुदगुदी करना उसे बहुत भा रहा था
"आहह अमन , इसी प्यार के लिए मैं तड़पति थी...लेकिन राजन ने कभी मुझे नही समझा" वाह लरजती आवाज़ में बोली
"भूल जाओ उसे , और इस पल का मज़ा लो" मैने उसकी योनि के अप्पर लिप्स को अपने इंडेक्स फिंगर और अंगूठे से चिमटा लेते कहा
"आआईई" शिखा ने रिक्ट किया "क्यों चिंता ले रहे हो वहाँ पर?"
"ऐसे ही" मैने बोला "तुम्हे तंग करने में मज़ा आता है"
"मैं लून?" उसने भोले पं से कहा
"ले कर बताओ" मैने कहाँ
वा पलटी और मेरे खड़े हुए लंड की गोतिया पकड़ कर मसालने लगी
"आह ओफफफ्फ़" मेरी जान ही निकल गयी , और वह पागलो की तरह हँसे जा रही थी
मैने उसके होंठों से अपने होंठ भिड़ा दिए और हम एकदुसरे के होठों का शहद चाटने चूसने में मशगूल हो गये.
जब मेरी आँख खुली तो शाम घिर आई थी उसके फोन पर राजन का फोन आया था और वा उस से बाल्कनी में खड़ी बतिया रही थी
मैने शॉर्ट्स पहने और बाल्कनी में गया ,वा मेरी ओर पीठ किए खड़ी थी , उसके बाल खुले थे और आपस में उलझे हुए थे , कमीज़ पर सिलवट पड़ी हुई थी , और सलवार पहनी नही थी , पीछे का गला काफ़ी गहरा था और उसकी
गर्दन के डायन तरफ कंधे से तोड़ा नीचे एक तिल था , इस हालत में भी वह बला की खूबसूरत लग रही थी.
दबे पाँव मैं उसकी ओर गया और मुझे उसकी बातें सुनाई दी
"अच्छा आज रात ऑफीस में ही रहोगे?"
"क्या कहा दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रान्स्फर हो गया?"
"ठीक है" कहते हुए उसने फोन काट दिया
मैने उसे पीछे से पकड़ लिया , अचानक से खुद को मेरी गिरफ़्त में देख कर वह घबरा गयी
"अच्छा तुम हो मैं समझी.."
मैने उसकी बात काटते कहा "मैं समझी की वॉचमन होगा"
"छी कितनी गंदी सोच है तुम्हारी?" वह बोली
"सारे दिन मेरे साथ सेक्स किया और फिर भी पति की याद आ गयी?" मैने कहा
"नही उनका फोन आया था" उसने कहा
मैं नीचे झुका और उसके कंधे के तिल को चूम कर कहा
"तो आज आपके पति घर नही आएँगे?"
"हां" उसने अपने बालों को पीछे बाँधते कहा , उसने अपने मुँह में रब्बर बॅंड पकड़ा हुआ था
मैने उसके बूब्स दबाते कहा
"तो फिर आज पूरी रात बॅंग बॅंग?"
वह हँसे लगी , उसके मुँह से रब्बर बॅंड छूट कर नीचे गिर पड़ा , उसे उठाने वह नीचे झुकी और उसकी रेशमी काले बाल आज़ाद हो कर उसकी पीठ पर लहराने लगे.
मैने उसे उठा कर अपने बाएँ कंधे पर रख लिया और बेडरूम की तरफ बढ़ चला
"नही अमन मुझे नीचे उतारो मैं चिल्लाऊंगी"
"नही आज तो मैं तुम्हे सारी रात प्यार करूँगा" मैने उसको संभालते कहा
उसने मेरी पीठ पर काटा और गुद्दे मारने लगी
मैने उसे बेड पर लिटा दिया
"शिखा जी आपका विरोध व्यर्थ है आज आप मेरे साथ कमाग्नि में जलेंगी" मैने उसकी शुद्ध हिन्दी में मज़ाक उड़ाया
"अमन जी मैं आपको सचेत कर दूं , आप मेरे पति की अनुपस्थिति में मुझसे संभोग करने की इच्छा कर रहे हैं . यह आप जैसी सभ्य पुरुष को शोभा नही देता कि आप अपने मित्र की पत्नी से रतिसुख की अपेक्षा करें " उसने मुझे
चिढ़ाया
"मैं तो हूँ ही हरामी , दूसरे की बीवियों को चोद्ने में मुझे बड़ा आनंद आता है" मैने अपनी शॉर्ट्स खोलते कहा
मेरा लॉडा उच्छल कर बाहर आ गया
"यदि ऐसा है , तो मैं उस आनंद से वंचित क्यूँ रहूं" शिखा ने कहा और मेरा लॉडा लपक कर पकड़ लिया
"हे प्राण नाथ मैं अपने प्रेम की मुहर आप पर लगाउंगी अन्यथा न लें " उसने चुहल की
"अवश्य" मैने कहा
और उसने मेरा लॉडा मुँह में ले लिया , मैने उसका सिर पकड़ लिया और उसके खुले बालों में अपनी उंगलियाँ फिरानी शुरू की लेकिन बाल कही कही उलझ गये थे
"तुम अपने बालों का ध्यान नही रखती शिखा" मैने शिकायत करते कहा
एकदम से उसने अपने मुँह से मेरा लिंग बाहर निकाला और उपर गर्दन करते मुझे देख कर कहा
"यह सब आपकी कृपा है प्राण नाथ , दोपहर में आपके साथ संभोग करते समय आपके मुँह और लिंग का गाढ़ा चिपचिपा द्रव्य मेरे केशों में लग गया इसी कारण मेरे केश उलझ गये" और हँसने लगी
"षट अप शिखा" मैने कहा
"विश्वास ना हो तो सूंघ कर देख लीजिए" , उसने अपने पीछे के बाल आगे कंधे पर लाते कहा
"हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या" मैने कहा "अभी लो"
और वह हँसने लगी.
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