Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:42 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -80 

गतान्क से आगे... 
हम एक बड़े रेडी मेड गारमेंट्स की दुकान पर पहुँचे. वहाँ से मैने जीवन के लिए एक पैर शर्ट और ट्राउज़र खरीदा. मुझे जीवन का नाप मालूम था मगर मैने काउंटर पर खड़े सेल्स मॅन को कहा की इनकी नाप ले लो कद काठी इनके जैसा ही है. फिर एक बढ़िया सेट मैने अपनी पसंद से चूज़ कर उसको कहा कि उसे पहन कर दिखाए. 

"देखूं तो सही पहनने के बाद कैसा लगेगा" वो सकुचता हुया उन कपड़ो को पहन कर बाहर आया तो बहुत अच्च्छा लग रहा था. मैने उसके उतारे हुए कपड़े काउंटर पर देकर उन्हे पॅक कर देने को कहा. 

तेज विरोध मे कुच्छ कहना चाहता था तो मैने अपनी उंगलिया उसके होंठों पर रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया.

" ये मेरी ओर से तुम्हे एक गिफ्ट है. और……मेरे साथ डिन्नर पर जा रहे हो तो हुलिया भी तो कुच्छ सही होना चाहिए ना." मैने उससे कहा और उसकी बाँह पकड़ कर वापस कार मे बैठ गयी. 

" अब किसी बढ़िया रेस्टोरेंट कम डिस्कोथेक़े मे ले चलो." हम दोनो एक डिस्को मे पहुँचे. मैने कार मे ही अपना जॅकेट खोल कर रख दिया. 

अंदर काफ़ी शोरशराबा था. कुच्छ लोग बियर पी रहे थे और काफ़ी लड़के लड़किया हॉल के बीच थिरक रहे थे. हॉल मे तेज आवाज़ मे ड्ज चल रहा था. पहले हम काउंटर पर जा कर दो दो बॉटल बियर लिए. तेज मेरे सामने बियर पीने मे सकुचा रहा था. मैने उसकी झिझक शांत करने के लिए उसके ग्लास से एक घूँट लिया और अपने ग्लास को उसके होंठों पर लगाया. उसकी झिझक शांत हो चुकी थी. हम दोनो ने जल्दी से बियर समाप्त की. 

मैं तेज को लगभग खींचते हुए डॅन्स फ्लोर पर ले गयी. फिर हम दोनो वहाँ पर थिरकने लगे. तेज को नाचना नही आता थॉवो तो सिर्फ़ अपनी जगह पर कूद रहा था. मेरे आज़ाद बूब्स काफ़ी उच्छल रहे थे. वो एकटक मेरे उच्छलते बूब्स को घूर रहा था. उत्तेजना मे उसका चेहरा लाल हो गया था. 

मैने उसके बदन की आग को हवा देने का मन बना लिया था. मैं उसके जिस्म से सॅट गयी. अब थोड़ा सा भी हिलने डुलने से मेरी चूचियाँ उसके सीने पर रगड़ खा रही थी. अब वो उत्तेजना मे उछल्ना छ्चोड़ कर धीरे धीरे बस कमर को हिला रहा था. उसने मेरी कमर मे अपनी बाँहे लप्पेट दी थी और हम दोनो एक दूसरे से चिपके हुए बस एक जगह पर हिल रहे थे. 

मैने अपनी हथेलियों मे उसके चेहरे को थामा और अपने होंठ उसके होंठ पर एक बार धीरे से छुआ दिए. बस इतना ही इशारा काफ़ी था उसके लिए. वो लपक कर मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों मे भर कर मेरे होंठों से अपने होंठ ऐसे चिपका दिया मानो फेविकोल से चिपक गया हो. 

उसने अपनी जीभ से मेरे होंठों के बीच ठोकर मारनी शुरू कर दी. मैने उसकी जीभ को आगे बढ़ने के लिए अपने जबड़ों को कुच्छ अलग किया तो उसकी जीभ मेरे मुँह मे घुस कर अठखेलिया करने लगी. उसकी जीभ का स्वागत मैने अपनी जीभ से किया. हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ लिपट रहे थे एक दूसरे को सहला रहे थे. 

वो तो जैसे समय को भूल ही चुक्का था. कुच्छ देर बाद मैने उसके सिर को अपने चेहरे से हटाया. वो उत्तेजना मे हाँफ रहा था. मैं पीछे की ओर घूम गयी तो वो मेरी पीठ से चिपक गया और मुझे अपनी बाँहों मे भर लिया हम दोनो डॅन्स करने लगे. अब डॅन्स की परवाह भी किसे थी. 

उसके हाथ ठीक मेरे स्तनो के नीचे मुझसे लिपटे हुए थे. मेरे स्तन उच्छल उच्छल कर उसके हाथ पर पड़ रहे थे. उसे धीरे धीरे अपनी हथेलियों से मेरे दोनो स्तनो को थाम लिया और हल्के हल्के से मेरे स्तनो को सहलाने लगा. हल्के हल्के से मेरे दोनो स्तनो को दबा रहा था. 

कुच्छ देर तक मैने उसके इस तरह बूब्स के मसल्ने का कोई विरोध नही किया. तभी मुझे अपनी नितंबों पर किसी कठोर चीज़ की चुभन महसूस हुई. मैं समझ गयी कि उत्तेजना मे उसका लंड खड़ा होने लगा है. 

वो अपना लंड मेरे दोनो नितंबों के बीच धंसा कर रगड़ रहा था. मैं उसकी हालत का मज़ा ले रही थी. कुच्छ देर तक इस तरह उसको हवा देने के बाद मैं उसके बंधन से निकल गयी. 

अब हम वापस एक दूसरे से अलग होकर डॅन्स करने लगे. हमारे अलावा काफ़ी सारे नवयुवक और युवतियाँ भी डॅन्स कर रही थी. 

मेरा पहनावा इतना उत्तेजक था कि आस पास के कुच्छ खुराफाती लड़के भी मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहे थे. मेरे टी-शर्ट मे क़ैद बिना ब्रा के बूब्स बुरी तरह हिल रहे थे और छ्होटी सी स्कर्ट बार बार हवा मे उठ जाती. 

कोई इधर से तो कोई उधर से मुझे डॅन्स फ्लोर पर छ्छू रहा था. कभी कोई मेरे नितंबों पर हाथ फेर देता तो कोई हम दोनो के बीच अपनी हथेली डाल कर मेरे स्तनो को मसल्ने की कोशिश करता. 

मगर तेज उन सबसे मुझे बचा कर रख रहा था. वो किसी जेलौस प्रेमी की तरह मुझे उन सबसे बचाता जा रहा था. मैं उसके साथ बेपरवाह होकर डॅन्स कर रही थी क्योंकि मुझे पता था कि मेरा पार्ट्नर किसी अच्च्चे बॉडी गार्ड की तरह मुझे उन सबसे बचा कर रखेगा. उन चोक्लटी बड़े घरों के लड़कों की क्या चलती मेरे हटटेकट्ते पार्ट्नर के सामने. 

वो खुद भी उत्तेजना मे फूँका जा रहा था. मैं उसके जिस्म की आग को खूब हवा दे रही थी. हम दोनो तब तक डॅन्स करते रहे जब तक तक कर पसीने पसीने नही हो गये. उस ठंडे महॉल मे भी हमारे बदन पसीने से लथपथ हो गये थे.तेज के पॅंट का उभार बता रहा था कि उसकी हालत बहुत नाज़ुक है. मैं अपनी जीत पर मुस्कुरा उठी. 

हम दोनो ने खाना खाया. खाना खाने से पहले एक एक बियर और ली. मुझे अच्च्छा नशा हो गया था. फिर हम होटेल से निकल पड़े मैने नशे मे तेज का सहारा ले रखा था. मैं उसके जिस्म से लिपटी हुई थी. 

तब रात के बारह बज चुके थे. कार मे मैं सामने उसकी बगल मे ही बैठी थी. उसके कार मे बैठते ही मैं सारी झिझक छ्चोड़ कर उससे लिपट गयी और उसके होंठों पर अपनी जीभ रख कर अपनी जीभ उसके मुँह मे डाल कर घुमाने लगी. उसने भी मुझे अपनी बाँहों मे ले लिया. हम दोनो दुनिया से बेख़बर लगभग पाँच मिनिट तक एक दूसरे को चूस्ते रहे. 

पाँच मिनिट बाद जब हम अलग हुए तो हमारी साँसे किसी स्टीम एंजिन की तरह भाप छ्चोड़ रही थी. उसने कार स्टार्ट की और मुझे सीधा होटेल लेकर गया . 

होटेल के सामने उसने अपनी गाड़ी रोकी. मैं दरवाजा खोल कर उतरी. 

"बाइ मेडम" उसने मुझ से कहा. 

" एँ…ये क्य्ाआ हुआ…..तुम जाअ रहे हूओ." मैने उससे कहा. मैं घूम कर उसकी तरफ आइ. 

" जी….सुबह आ जाउन्गा. आपको होटेल से एर पोर्ट छ्चोड़ दूँगा." उसने कहा. मैने अपनी उंगली उसके होंठों पर रखा. 

" ष्ह्ह्ह्ह…..मैं कुच्छ नही सुनना चाहती. मुझे कमरे तक छ्चोड़ कर आओ. मुझे कमरे तक पहुँचा कर ही तुम घर जा सकते हो. इतनी रात हो गयी है और मुझे कुच्छ नशा भी हो रहा है. ऐसे मे किसी ने मेरे साथ बदतमीज़ी की तो?" 

वो कार को साइड मे कर उसे लॉक किया और मेरे पास आया. मैने उसकी बाँहों मे बाँहे डाल कर उससे लिपट गयी. मेरा नशा ख़तम हो चुक्का था मगर मैं नशे मे होने का नाटक कर उसके जिस्म मे और आग लगा रही थी. मैने अपने बदन का बोझ उस पर डाल रखा था. वो मेरे बदन को सहारा देते हुए लिफ्ट तक ले आया. 

" नही मुझे लिफ्ट से नही जाना….." मैने उससे कहा. 

" लेकिन इस हालत मे… सेकेंड फ्लोर तक कैसे जाओगी?" उसने पूछा. 

" तुम…..तुम लेकर जाओगे मुझे." मैने उसकी छाती पर अपना एक नाख़ून चुभाते हुए कहा. वो बेचारा मुझे सीढ़ियों से उपर ले जाने की कोशिश करने लगा. मगर मैं तो ऐसा कुच्छ होने देना ही नही चाहती थी. कुच्छ ही सीढ़ियाँ चढ़ने मे वो परेशान हो गया . 

" मेडम इस तरह मैं आपको कैसे लेकर जाउन्गा?" उसने झुंझलाते हुए कहा. 

" ये बॉडी क्या ऐसे ही बना रखी है. मुझे गोद मे लेकर जाने से किसने मना किया है तुम्हे?" इतना सुनते ही मानो उसके मन की मुराद पूरी हो गयी. उसने एक झटके से मुझे अपनी बाँहों मे उठा लिया और सीढ़ियों से उपर ले जाने लगा. मैं भी उससे लिपट गयी. मैने उसके गले के इर्द गिर्द अपनी बाँहे डाल कर उसके एक कंधे के नीचे अपना चेहरा सटा लिया. मैने उसकी बगल मे अपनी नाक डाल दी. उसकी बगल से मर्दाने पसीने की गंध आ रही थी. उस गंध से मुझ पर नशा छाने लगा था. 
क्रमशः.......
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