RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
कुछ देर के बाद सुल्तान भाई ने मुझ अपने बाज़ू की क़ैद से आज़ाद किया और बोले “ जान ज़ेरा अपने कपड़े उतार कर अपने आशिक़ को अपने हसीन बदन का दीदार भी तो कर्वाओ ना”
लगता था कि लंड की गर्मी सुल्तान भाई के दिमाग़ को चढ़ गई थी.
इस लिए वो अब सारी “शर्म ओ हया” की “माँ बहन” करते हुए अपनी ही बहन को एक माशूक़ के तौर पर देखने लगा था.
मुझे भी अपने भाई के अपने आप को मेरा आशिक़ कहना अच्छा लगा.
और मेरा दिल भी अपने आप को नंगी कर के अपने भाई के सामने एक फॅशन मॉडेल की तरह कॅट वॉक करने को मचलने लगा.
वैसे तो सुल्तान भाई रात के अंधेरे में दो दफ़ा मेरे मम्मे और मेरी चूत को चूस और चोद तो चुके थे.
मगर इतना सब कुछ करने के बावजूद सुल्तान भाई अभी तक मेरे जिस्म के नंगे नज़ारे से महरूम थे.
इस लिए शायद सुल्तान भाई से अब मजीद सबर नही हो रहा था. और उस का दिल जल्द से जल्द अपनी सग़ी बहन को बे लिबास कर के दिन की रोशनी में उस के नंगे बदन को देखने के लिए मचल रहा था.
में: “भाई मुझे डर है कि कहीं नुसरत और गुल नवाज़ घर वापिस ना आ जाएँ और हम दोनो को इस हालत में रंगे हाथों पकड़ लें”
सुल्तान भाई: “तुम उन की फिकर मत करो,मेरे ख़याल में उन दोनो ने तो शूकर किया हो गा कि में उधर से चला आया.और मुझे पक्का यकीन है हमारी तरह वो दोनो बहन भाई भी इस वक़्त दिल खोल कर आपस में रंग रलियाँ मना रहे होंगे” सुल्तान भाई ने मेरी तरफ एक शरारती मुस्कराहट से देखते हुए जवाब दिया.
“भाई मुझ अपने कपड़े उतारने में शरम आ रही है”मैने जहनी तौर पर शरमाने का नाटक करते हुए भाई से कहा.
“ हाए ज़रा नखरे तो देखो मेरी गरम मस्तानी बहन के” भाई मेरी बात पर हंसते हुआ बोला और आ गये बढ़ कर पहले मेरी छाती से मेरे दुपट्टे को अलहदा किया.
|