Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली
12-09-2018, 02:38 PM,
#26
RE: Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली
हमारा धक्के मारना, चोदना और चुदवाना लगातार जारी था और जरूरत के अनुसार हमारी गति बढती गई. मेरी चूत की अंदरूनी दीवार उस के लंड की रगड़ खा कर मस्त हो गई. चुदाई की गर्मी कार के अन्दर बढती गई और बाहर लगातार बरसात होती रही. हमारे चोदने - चुदवाने की गति जोर जोर से लंड चूत के धक्कों के साथ बढती चली गई. मेरा सिर आगे पीछे हो रहा था और गांड ऊपर नीचे हो रही थी, वो मेरी गांड दबा रहा था और बीच बीच में मेरे बोबे भी मेरे टॉप के ऊपर से दबा देता था. बाहर बरसात का संगीत था, पानी की बूँदें कार की छत पर गिर कर आवाज कर रही थी तो अन्दर कार में उस का लम्बा मोटा लंड मेरी चूत को रगड़ता हुआ, अन्दर बाहर होता हुआ, फचा फच की आवाज कर रहा था. मेरे दोनों हाथों में अपने शरीर का वजन सँभालने की वजह से दर्द होने लगा तो मैंने अपने हाथ छोड़ कर, थोड़ा झुक कर अपने दोनों हाथ उस की जांघों पर रख लिए जिस से मुझे थोड़ा आराम मिला. चुदाई लगातार जारी थी. उसका लंड मेरी चूत को चोदते जा रहा था, .......... चोदते जा रहा था.

मैं चुदवाते हुए झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी और मुझे लग रहा था की उस के लंड का रस भी मेरे झड़ने के साथ ही निकलेगा क्यों की उस के लंड का सुपाडा मेरी चूत में मोटा होता जा रहा था और उस के धक्कों की रफ़्तार बढ़ रही थी.

मेरे पैरों में ऐंठन होने लगी जो की झड़ने के करीब होने का सबूत था. मैंने मज़े के मारे अपना नीचे का होंठ दांतों में दबा लिया और मैं करीब करीब चिल्ला ही उठी - " आह -- ओह आह...... मैं तो गई डार्लिंगग्गग्गग्गग! "

और मैं झड़ चुकी थी. मेरा हो गया था. मैंने चुदाई की मंजिल पा ली थी. मैंने उस के धक्के मारते लंड को अपनी चूत में जकड़ा तो वो बोला - " जूली ........ मेरा भी निकलने वाला है ...... डार्लिंग जूली.......... आह............."

मैंने अपनी चूत की पकड़ उस के लंड पर ढीली की और वो मुझे फिर से चोदने लगा. और कोई १० / १२ धक्कों के बाद वो भी आनंद के कारण चिल्लाया ..." जूली.इ इ इ इ .............. "

और एक जोरदार धक्के के साथ उस के लंड ने अपने प्रेम रस की बरसात मेरी चूत के अन्दर करनी शुरू करदी. उस का लंड मेरी चूत को अन्दर से अपने प्रेम रस से भरने लगा. उस ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उस का लंड नाच नाच कर मेरी चूत में अपने पानी का फव्वारा छोड़ रहा था. मैंने उस के लंड को अपनी चूत मे जकड़ लिया और पीछे हो कर, उसकी छाती पर अपनी पीठ टिका कर उस के ऊपर, उस के जैसे अधलेटी हो गई.

हम दोनों ही खुश थे क्यों की मेरे विदेश जाने और उस के दिल्ली जाने के पहले हम एक शानदार और यादगार चुदाई कर चुके थे.

हम कुछ देर यूँ ही पड़े रहे और उस का लंड नरम होने लगा था, उस के लंड का मेरी चूत में छोड़ा हुआ प्रेम रस मेरी चूत से वापस बाहर निकलना शुरू हो गया था. मेरे थोड़ी सी गांड हिलाते ही उस का नरम पड़ता लंड मेरी चूत से बाहर निकल आया. इस के साथ ही उस के लंड का काफी सारा पानी मेरी चूत से बाहर निकल आया.

मैं उठ कर ड्राईवर सीट पर आ गई और कार के देश बोर्ड से टिश्यू पेपर निकाले ताकि मैं अपनी चूत पूँछ सकूँ और कुछ टिश्यू पेपर रमेश को भी दिए ताकि वो भी अपना लंड साफ़ कर सके और जहाँ जहाँ उस के लंड से निकला पानी गिरा था, वो भी साफ़ कर सके.

इतनी देर चुदवाने के बाद मैं अब मूतना चाहती थी. बाहर अभी भी बरसात हो रही थी तो मैंने रमेश को कहा की मुझे मूतना है और उस से पुछा की क्या कार में छतरी है तो उस ने कहा की नहीं है और उस ने कहा की वो भी मूतना चाहता है. हम दोनों साथ में हंस पड़े. उस ने मुझसे कहा की वो कार के बाहर जाए बिना ही, कार के अन्दर से बाहर मूत सकता है. एक मर्द होने का ये फायदा है. और उस ने अपनी तरफ का कार का दरवाजा थोड़ा खोला और अपने लंड को पकड़ कर, लंड से मूत की धार बाहर फेंकता हुआ, कार में सीट पर बैठा बैठा ही मूतने लगा. उस के लंड से मूत की तेज धार निकल रही थी जो दूर तक जा रही थी. बिना कार में मूत की एक भी बूँद गिराए उस ने अपना मूतना पूरा किया और कार का दरवाजा वापस बंद करते हुए बोला की "बरसात बहुत जोर से हो रही है. वापस जाते समय रास्ते में जो भी पहला होटल मिलेगा, वहां मैं गाडी रोक दूंगा और तुम वहां आराम से मूत लेना. "

मैं बोली " मैं भी यहाँ तुम्हारी तरह मूतने की कोशिश करती हूँ. "

वो हंस पड़ा और बोला " ओक ! ठीक है. कोशिश करो पर कार के अन्दर मत मूत देना. "

मैंने कार का ड्राईवर साइड का दरवाजा खोला, अपने पैर कार की बाहर की तरफ घुमाए, पैर चौड़े किये, अपनी चूत के होठों पर दोनों तरफ दो उँगलियाँ रखी और अपने गांड उठाली और जोर लगा कर तेजी से अपना मूत बाहर फेंकने लगी. मेरी उँगलियों का दबाव मेरी मूत करती चूत पर होने की वजह से मेरे मूत की धार बाहर तक जा रही थी. मैंने इस काम को सफलता पूर्वक कर लिया और फिर से टिश्यू पेपर से अपनी चूत साफ़ की. मेरे मूत की कुछ बूँदें नीचे, कार के दरवाजे / सीट के पास गिरी थी पर बाहर होती बरसात का पानी भी उन पर गिरा था सो अपने आप ही सफाई हो गई थी.

मेरे पैर भी थोड़े बरसात के पानी से मूतने के समय गीले हो गए थे. मैंने अपनी चड्डी और जीन पहनने के पहले अपने पैरों को भी पूंछा. उस ने मेरी ब्रा का हुक पीछे से लगाया और अपने कपड़े पहनने लगा. मैंने अपने टॉप के खुले हुए बटन बंद किये.

हम अब घर जाने के लिए तैयार थे. हम दोनों ही एक मजेदार चुदाई बाहर होती बरसात में कार के अन्दर कर चुके थे और वो भी हाइवे के पास, बिना किसी को पता चले. ये एक बहुत ही रोमांचक और याद रहने वाली चुदाई थी.

हम दोनों वापस अपने घर की तरफ कार में बीअर पीते हुए चल पड़े.

क्रमशः..........................
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