vasna kahani आँचल की अय्याशियां
12-08-2018, 01:02 PM,
#21
RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
होटेल से बाहर निकलकर आँचल अंकुर की कार में बैठ गयी. कार ड्राइवर उसे ब्रीच कैंडी ले गया. वहाँ शॉपिंग करने में आँचल को बहुत मज़ा आया. शॉप्स भी अच्छी थी और धक्कामुक्की बिल्कुल नही थी. आँचल ने कुछ इंपोर्टेड ब्रा ,पैंटीज और हैंडबैग्स खरीदे. आँचल ने मन ही मन यहाँ शॉपिंग करने का सुझाव देने के लिए अंकुर को धन्यवाद दिया. जब उसकी शॉपिंग खत्म हुई तो दोपहर के 1 बज गये थे. आँचल कार में बैठकर ओबेरॉय होटेल की तरफ चल दी जहाँ उसे अंकुर के साथ लंच करना था.

कॉफी शॉप में आँचल ने देखा अंकुर अभी नही पहुँचा था. आँचल वहाँ बैठकर उसका इंतज़ार करने लगी. थोड़ी ही देर में अंकुर वहां पहुँचा और आँचल को अपना इंतज़ार करते पाकर, आँचल की ओर देखकर मुस्कुराया. आँचल के पास पहुँचकर अंकुर ने उसके गाल पर किस करके विश किया. आँचल ने उसके पौरुष की गंध को महसूस किया. अंकुर को देखकर आँचल को सुनील के कजिन समीर की याद आती थी. दोनो ही लंबे चौड़े , हैंडसम और कॉन्फिडेंट थे. सबसे पहले आँचल को समीर ने ही सिड्यूस किया था. इसलिए वो उसे भूली नहीं थी. 

आँचल के बगल में ना बैठकर अंकुर उसके सामने टेबल के दूसरी तरफ बैठ गया. लंच के दौरान अंकुर उससे एक जेंटलमैन की तरह व्यवहार करते रहा और मुंबई की बातें , ख़ासकर अपनी गुज्जु कम्यूनिटी के हँसी मज़ाक के किस्से सुनाता रहा.

आँचल को महसूस हुआ कि अंकुर की पर्सनालिटी से वो अंकुर की तरफ आकर्षित हो रही है. अंकुर की हल्की फुल्की बातों पर वो खुलकर हंस रही थी. अंकुर का साथ उसे बहुत पसंद आ रहा था. 

अंकुर ने बताया कि उसके बड़े भाई गुल्मोहर ने शाम को फिल्म शूटिंग देखने का इंतज़ाम करवा दिया है. एक प्राइवेट बंगले में शूटिंग हो रही थी और आँचल को लेने 6 pm पर कार उसके होटेल आ जाएगी. फिर अंकुर ने कहा की उसको आँचल के साथ लंच करके बहुत अच्छा लगा और जब वो दोबारा मुंबई आएगी तो वो उससे ज़रूर मिलेगा.

आँचल का अंकुर के साथ अच्छा टाइम पास हो रहा था, अंकुर के जाने की बात सुनकर वो उदास हो गयी. वो बाकी दिन भी अंकुर के साथ बिताना चाह रही थी क्यूंकी सुनील तो पुणे गया था और रात को लौटने वाला था. तब तक तो वो होटेल में अकेले बोर हो जाएगी.

आँचल बोली,” मैं जुहू बीच देखना चाहती हूँ, लेकिन अकेले जाकर क्या करूँगी. अगर आप साथ चलो तो….”
अंकुर ने मना करके आँचल का दिल दुखाना ठीक नही समझा और साथ चलने की हामी भर दी. दोनो कार में बैठकर जुहू बीच की तरफ चल दिए. 

कार की बैकसीट में अंकुर आँचल से थोड़ी जगह छोड़कर बैठा था. आँचल सोचने लगी इसकी जगह कोई और होता तो अब तक मुझसे सटकर बैठकर, इधर उधर हाथ फिराने लगता. ये उसके लिए नया अनुभव था क्यूंकी अब तक तो सभी मर्द उससे चिपटने को उतावले रहते थे. वो सोचने लगी कहीं ये गे तो नही ? या फिर शर्मीला ? आख़िर ये मुझसे दूरी क्यूँ रख रहा है. कॉफ़ी शॉप में भी बगल की सीट खाली होते हुए भी सामने बैठा , यहाँ कार में भी अलग हटके बैठा है. वो अंकुर की तरफ आकर्षित थी लेकिन अंकुर एक जेंटलमैन की तरह बिहेव कर रहा था.

आँचल ने सोचा अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा. इस हैंडसम बंदे को सिड्यूस करती हूँ. आँचल बहाने से थोड़ा खिसक गयी अब दोनो की टाँगे सट गयी थी. फिर वो अपने हाथ से बाल पीछे को करने लगी जिससे उसकी छाती आगे को तन गयी , वो चाहती थी की ऐसा करने से उसके पतले कपड़े के ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को मचलती चूचियों का हिलना डुलना अंकुर को दिखे.

अंकुर ने आँचल को छूने का कोई प्रयास नही किया लेकिन आँचल ने तिरछी नज़रों से देख लिया की उसके पैंट में तंबू बनने लगा है. आँचल मन ही मन मुस्कुरायी. मादक आँचल के रूप के जादू से कोई मर्द नही बच सकता था.

आँचल ने अपने बालों से हाथ हटाकर नीचे लाते हुए अपनी बाँह अंकुर की बाँह से छुआ दी. फिर बातें करते हुए कार की खिड़की से बाहर किसी बिल्डिंग या किसी और चीज़ की ओर इशारा करते हुए अपना बदन अंकुर के और करीब झुका दे रही थी.

[आँचल को पता नही था लेकिन पहली रात को डिनर के बाद दोनो भाइयों में आँचल की खूबसूरती को लेकर बातें हुई थी.
गुल्मोहर बोला,” सुनील की बीवी इतनी खूबसूरत होगी ये तो मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था. इस साली को तो मैं हाथ से जाने नही दूँगा. शाम को शूटिंग दिखाकर आँचल को मैं ज़रूर चोदूँगा.”
फिर उसने सुनील के साथ पुणे जाने का प्रोग्राम बहाना बनाकर कैंसिल कर दिया और अपने मैनेजर को सुनील के साथ पुणे भेज दिया और ये हिदायत भी दे दी की रात 11 बजे से पहले पुणे से लौटना नही. सुनील को पुणे में ही ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रोकने की उनकी ये चाल थी.]

लेकिन यहाँ कार में तो उल्टा हो रहा था. अंकुर सोचने लगा ये तो खुद मेरा ही शिकार कर रही है. दोनो भाइयों में हमेशा बड़े की ही चलती थी अंकुर का नंबर गुल्मोहर के बाद ही आता था. इस बार भी गुल्मोहर ने शूटिंग के बाद आँचल को फँसाने का प्लान बनाया था . गुल्मोहर जब आँचल को चोद लेता फिर उसके बाद अंकुर को चांस मिलता. अंकुर सोचने लगा हमेशा मलाई बड़ा भाई खा जाता है मुझे बची खुची जूठन खानी पड़ती है. लेकिन इस बार मैं ऐसा नही होने दूँगा. भाड़ में गया बड़े भाई का प्लान. अभी मेरे पास अच्छा मौका है , इस बार पहले मैं मलाई खाऊंगा .

कुछ देर बाद आँचल ने अंकुर की ओर झुकते हुए एक बिल्डिंग की ओर इशारा किया और उसके बारे में पूछा. अंकुर ने आँचल के कंधों पर हाथ रख दिया और अपना चेहरा आँचल के करीब लाकर उसको बिल्डिंग के बारे में बताने लगा. बताते हुए उसने आँचल के कंधे को पकड़कर थोड़ा अपने और नज़दीक़ कर लिया और आँचल को देखकर मुस्कुराया.

आँचल खुश हो गयी . चलो आख़िर इसने कुछ तो हरकत की. शायद अब लाइन में आ रहा है. वो भी अंकुर को देखकर मुस्कुरायी. फिर नीचे उसकी पैंट में बने तंबू को देखा. हम्म्म ...… इसका भी लंड बड़ा ही लग रहा है.

अंकुर ने देख लिया आँचल बीच बीच में उसके पैंट की तरफ देख रही है. वो सोचने लगा इसका चुदाई का बहुत मन हो रहा है. अब अंकुर की हिम्मत बढ़ गयी . वो आँचल की गर्दन और कंधे सहलाने लगा. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर उसने दूसरा हाथ आँचल की साड़ी के पल्लू के अंदर डाल दिया. और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. अपनी चूचियों पर अंकुर के हाथ के स्पर्श से आँचल के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली. 
अंकुर धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको मसलने लगा. आँचल अपने होठ को दाँत में दबाकर सिसकारियाँ रोकने का प्रयास करने लगी.

फिर अंकुर ने आँचल के रसीले होठों का चुंबन ले लिया और बोला,” भाभी आप बहुत ही मादक हो , बहुत ही सेक्सी…”

आँचल उत्तेजित होकर बोली,” अंकुररर..…” और उसे अपने होठों का चुंबन लेने दिया.

अंकुर ने आँचल के होठों का चुंबन लेना जारी रखा. आँचल ने अपना मुँह खोल दिया और उसकी जीभ को अंदर आने दिया. अंकुर अपनी जीभ आँचल के मुँह में घुमाने लगा और दोनो हाथों से आँचल की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. आँचल के कड़े हो चुके निपल्स को वो महसूस कर रहा था. और उन्हे चूसने के लिए उतावला हो रहा था. सोच रहा था कल रात से ही इस औरत ने मुझ पर जादू कर दिया है.

अंकुर के किस करने और चूचियां मसलने से आँचल की चूत गीली होने लगी. थोड़ी देर बाद अंकुर ने चुंबन खत्म किया , आँचल गहरी साँसे लेने लगी. फिर अंकुर ने ब्लाउज और ब्रा को ऊपर को खींच दिया जिससे आँचल की चूचियां थोड़ी बाहर को आ गयी . और हाथों से चूचियों को पकड़कर निपल को भी बाहर निकाल लिया. ज़ोर से ऊपर खींचने से पतला ब्लाउज फट गया.

ड्राइवर ने रियर व्यू मिरर में आँचल की गोरी चूचियां और तने हुए निपल देखे. उसका ध्यान भंग हो गया और उसने कार की स्पीड कम कर दी. अब उसका इंटरेस्ट कार चलाने में कम और पीछे देखने में ज़्यादा हो गया. आँचल के मादक जिस्म को देखने का मौका वो भी छोड़ना नहीं चाहता था.

अंकुर ने अपना मुँह निपल पर लगाकर उसे चूसना शुरू कर दिया. आँचल अब ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. और उत्तेजना में उसने अंकुर के लंड को पैंट के बाहर से पकड़ लिया. फिर वो उसकी पैंट की ज़िप खोलकर लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. तभी मोबाइल की घंटी बज गयी. 

अंकुर ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ गुल्मोहर था. अंकुर ने गुजराती में उसको सब बता दिया. 

अंकुर बोला,” मैं तुमसे बात कर रहा हूँ और ये मेरा लंड ज़िप से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है. आँचल को सिड्यूस करने के लिए बाहर घुमाने फिराने की ज़रूरत नही है, इसको मैं सीधे होटेल के कमरे में ला रहा हूँ वहीं मैं इसकी जमकर चुदाई करूँगा. तुम भी होटेल आ जाओ.” 

फिर साथ में ये बताना नही भूला,” जब तक तुम होटेल पहुचोगे मैं इसे चोद चुका होऊंगा ( इस तरह तुमसे आगे निकल जाऊंगा …).”

आँचल गुजराती नही समझती थी , उत्तेजना में उसे मतलब भी नही था कि अंकुर किससे और क्या बात कर रहा है. उसकी आँखे झूम रही थी. उसने देखा ड्राइवर मिरर से उसी को घूर रहा है. आँचल ने भी बेशर्मी से उसको घूरा और सिसकारियाँ लेती रही, अंकुर फोन पर बात करते समय भी उसके निपल मसल रहा था. आँचल उत्तेजना से कांप रही थी और उससे एक सिंपल सी पैंट की ज़िप भी नही खुल पा रही थी.

फोन बंद करने के बाद अंकुर ने अपनी ज़िप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया . अंकुर का लंड देखकर आँचल ने सिसकारी ली. उसको एक रगड़कर चुदाई की ज़रूरत थी और अंकुर का बड़ा और मोटा लंड चुदाई के लिए बिल्कुल पर्फेक्ट था. आँचल झुकी और लंड मुँह में ले लिया. दूसरे हाथ से उसकी गोलियों को सहलाती हुई वो मज़े से लंड चूसने लगी. अंकुर आनंद से आहे भरने लगा.

आँचल के नीचे झुकने से ड्राइवर को फ्री शो दिखना बंद हो गया. उसका मूड खराब हो गया. हद है. 

आँचल अब तक लंड चूसने में एक्सपर्ट हो चुकी थी. जैसे ही उसे लगता की अब अंकुर झड़ जाएगा वो लंड चूसना बंद कर देती , कुछ पलों बाद फिर चूसने लगती और फिर बंद कर देती. इस तरह उसने लंड चुसाई लंबी खींच दी.

अंकुर मज़े से पागल हुआ जा रहा था, किसी ने मेरा लंड ऐसा नही चूसा जैसा ये साली सेक्सी कुतिया चूस रही है. आँचल के खेल से वो तड़पने लगा और बोला, “ भाभी प्लीज़ मुझे झड़ने दो, रुक मत जाओ, चूसती रहो.”
आँचल मज़े ले रही थी , देखो किसी बच्चे की तरह मेरी खुशामद कर रहा है.

आँचल को रुका हुआ देखकर अंकुर ने खुद ही अपनी गांड उठाकर आँचल के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में उसने आँचल का मुँह अपने वीर्य से भर दिया.

“ भाभीईईईई….” कहते हुए उसने वीर्य की धार आँचल के मुँह में छोड़ दी और लंड से वीर्य निकलता रहा और आँचल के मुँह में जाता रहा.

आँचल जितना वीर्य निगल सकती थी उसने निगल लिया , फिर उसने अपना चेहरा उठाया और लंड से निकलता वीर्य उसके चेहरे , बालों और साड़ी में गिर गया.

ड्राइवर ने आँचल के खूबसूरत चेहरे को वीर्य से सना हुआ देखा , इस नज़ारे से उसका लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो गया और कार उसके कंट्रोल से बाहर होकर इधर उधर होने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने अपने ऊपर काबू पाया और कार को कंट्रोल किया.

अंकुर ने आँचल के चेहरे पर वीर्य लगा देखकर अपने रुमाल से साफ करने की कोशिश की. आँचल मदहोश थी , उसे अब अपनी चूत में एक मोटा लंड चाहिए था. अंकुर ने आँचल से कहा, की हम तुम्हारे होटेल पहुँचने वाले हैं और उसके फटे ब्लाउज और ब्रा से जैसे तैसे उसकी चूचियां ढक दी. और साड़ी के पल्लू को आगे कर दिया.

होटेल पहुँचकर अंकुर ने आँचल की कमर में हाथ डाला और रिसेप्शनिस्ट से कमरे की चाभी माँगी. होटेल के स्टाफ ने आँचल को उत्तेजित हालत में देखा. वो समझ गये की इसका पति तो पुणे गया हुआ है , आज ये जमकर चुदने वाली है.
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