RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
कुणाल ने उसे अपनी बातो के जाल में ऐसे उलझाया की उसने उसकी बात मानकर अपनी टी शर्ट और ब्रा भी उतार दी...और फोन पर ही सही, कुणाल ने उसके मोटे मम्मों पर ज़ोर-2 से किस्स करी...और उन सब बातो को सुन सुनकर अपने बेड पर आधी नंगी लेती हुई कामिनी ने अपनी चूत को तब तक मसला, जब तक वो झड़ नही गयी...
कुणाल ने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपने लंड को उसके मुँह में डालने की बातें करते हुए और उसकी कल्पना मात्र से ही वो भी झड़ता चला गया...
एक मासूम सी मोहब्बत अब वासना का रूप ले चुकी थी....
दोनो तरफ आग इतनी भड़क चुकी थी की इस वक़्त अगर वो दोनो एक दूसरे के सामने होते तो एक जबरदस्त चुदाई कर बैठते...
पर ऐसा होना अभी के लिए संभव नही था...
खासकर कामिनी के लिए, क्योंकि उसे अपने रीति रिवाजो और अपने पापा की आँखो की शर्म या डर का अच्छे से एहसास था...
पर कुणाल के लिए ऐसा कुछ नही था...
एक तो वो लड़का था उपर से उसे अपनी मंगेतर यानी कामिनी का साथ था, जो उनके मिलन का ज़रिया बनना चाहती थी...
पर अभी ये बात उसने निशु को नही बताई...
क्योंकि जो खेल आगे चलकर खेला जाने वाला था, उसमे मिलने वाला इनाम वो पहले से ही उजागर करके इस खेल का मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था..
पर जल्द ही 'कुछ' करने का वादा करके उसने फोन रख दिया...
अपनी हालत देखकर उसे भी हँसी आ गयी,
अपने बिस्तर पर नंगे होकर उसने मूठ मारी थी आज,
जो आज से पहले कभी नही किया था...
ये साली लड़किया क्या-2 करवा देती है हम लड़को से...
नहा धोकर वो बाहर आया और नाश्ता करके कुछ देर टीवी देखा..
तब तक निशु और मोंम मार्केट से आ गये..
कुणाल ने कामिनी के साथ बैठकर शाम का प्रोग्राम बनाया और करीब 7 बजे वो दोनो तैयार होकर निकल गये..
आज निशु के पापा बड़ी बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहे थे,
बड़े दिनों बाद उन्हे जुआ खेलने में मज़ा आ रहा था ,
आता भी क्यो नही, एक तो खेलने वाली सैक्सी लड़की थी उपर से वो जीत भी रहे थे,
ऐसे में मज़ा भला किसे नही आएगा..
कुणाल ने जब निशु को देखा तो उसकी नज़रों मे उसे एक प्यास नज़र आई, जो उसे ही बुझानी थी..
कामिनी ने आने से पहले ही कुणाल को समझा दिया था की बोर होने का बहाना बनाकर वो टीवी देखने के लिए अंदर वाले रूम मे चला जाए, और वहां जाकर जो कर सकता है वो करले, निशु के पापा को अगर शक हुआ या वो अंदर आने लगे तो वो उन्हे आगाह कर देगी या संभाल लेगी..
और आज तो कामिनी ने ऐसी सैक्सी ड्रेस पहनी जिसकी कुर्ती का गला काफ़ी गहरा था,
अंकल जी की नज़रें उसके मम्मों पर ही टिकी रह गयी जब वो झुक कर उनके सामने बैठी..
वो उनकी नज़रों को देखकर मन ही मन मुस्कुरा उठी..
पत्ते बाँटते हुए जब वो थोड़ी सी और झुकी तो अंकल जी की साँसे उसके कानो तक सुनाई देने लगी...
कामिनी को तो डर ही लगने लगा की कहीं ये बुड्ढा उसके मम्मे देखकर ही लुढ़क गया तो सारा खेल वही बिगड़ जाएगा, इसलिए उसे ये सब आराम-2 से ही करना था.
पहली बाजी जब शुरू हुई तो बूट का अमाउंट 50 रुपय रखा गया...
और कामिनी तो पहले से ही सोचकर आई थी की आज का दिन उसे हारना भी है और अंकल जी को अपने जाल में फँसाना भी है..
इसलिए अच्छे पत्ते आने के बावजूद वो पेक कर देती थी...
हालाँकि बीच-2 में उसने एक दो बाजियाँ दिखाने के लिए जीती भी थी पर ज़्यादातर वो हारी ही...
अगर अपने पास आए पत्तो के हिसाब से खेलती तो आज अंकल जी कंगाल हो जाने थे..
पर उसे तो अंकल को कंगाल नही करना था,
उसका मकसद तो कुछ और ही था..
कुणाल बड़ी बेसब्री से कामिनी के खेल को देख भी रहा था और उसकी अगली चाल का इंतजार भी कर रहा था...
इस बीच निशु ने उनके लिए चाय भी बनाई और कुछ स्नैक्स भी...
निशु के मन में भी आज फोन पर हुई बातों के बाद एक अजीब सी हलचल थी....
वो भी बड़ी आस भरी नज़रों से कुणाल को देख रही थी क्योंकि जब से उसने किस्स लेने की बात कही थी उसके मन में भी कुछ-2 हो रहा था..
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