RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
कामिनी के पापा ने ही उसका इंट्रो करवाया : "अरे बेटी, ये कुणाल है, याद है ना बचपन में तुम दोनो एक ही स्कूल में पढ़ा करते थे...अब तो ये दिल्ली में एक आई टी कंपनी में इंजिनियर है..''
वो अंकल जी तो ऐसे इंट्रोड्यूस करवा रहे थे जैसे वो दोनो पहली बार मिल रहें हो.
और फिर कुणाल के साथ आई कामिनी को देखकर बोले : "और ये है इसकी मंगेतर....और इत्तेफ़ाक़ से इसका भी नाम कामिनी है... हे हे...तुम दोनो की बहुत बनेगी....जाओ इनके लिए चाय वगेरह ले आओ...''
कुणाल और कामिनी के बारे में सुनकर उसे बहुत बुरा लगा...
एक ही पल में जो बरसो पुरानी मोहब्बत फिर से जागी थी, उसका सरेआम कत्ल कर दिया गया...
वो बुझे मन से अंदर गयी और चाय बनाने लगी..
ऐसा नही था की कलकत्ता जाने के बाद वो कुणाल को भूल गयी थी...
पर बचपन की वो यादें समय के साथ-2 धुंधली होती चली गयी..
बाद में कॉलेज और फिर जॉब...
पता ही नही चला की बचपन का वो प्यार कहां दब कर रह गया.
और आज वो प्यार उजागर भी हुआ तो इस रूप में...
हालाँकि अपने शहर में वापिस आने के बाद कामिनी को विश्वास था की वो कुणाल से दोबारा मिल पाएगी..
पर उसे ये नही पता था की वो सगाई कर चुका होगा..
धीरे से ही सही पर झटका ज़रूर लगा उसके दिल को.
कुणाल को गुमसुम बैठा देखकर उसकी मंगेतर कामिनी उसके कान में बोली : "अगर वो पसंद आ रही है तो मैं बीच से हट जाती हूँ ...यू आर फ्री टू मैरी हर...मुझे कोई प्राब्लम नही है...''
कुणाल ने एक झटके में उसके चेहरे की तरफ देखा...
वो सच में सीरियस थी...
और वो ये सब शायद इसलिए कह रही थी क्योंकि वो कुणाल को ऐसे उदास नही देखना चाहती थी...
अभी भी नही और शादी के बाद भी नही.
लेकिन कुणाल भी इतना कमीना नही था...
जिस लड़की ने उसे अपना सब कुछ सौंप दिया हो और अब शादी भी पक्की हो चुकी हो उसके साथ.....
ऐसे में वो उसे धोखा नही देना चाहता था...
इसलिए उसने एक हल्का सा इशारा करके मना कर दिया..
कामिनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी.
**** दोस्तो, अब से कुणाल की मंगेतर कामिनी को बीच-2 में निशु के नाम से संभोदित करूँगा, वरना एक ही सीन में 2-2 कामिनी में कन्फ्यूसन हो जाएगी...आपको भी और मुझे भी.*****
चाय पीते हुए काफ़ी पुरानी बाते हुई उन सबके बीच...
और सबसे अहम बात जो निशु को भी पसंद आई वो ये थी की अंकल को ताश का खेल बहुत पसंद था..
वो खुद भी तो इस खेल की दीवानी थी...
बस फिर क्या था, आनन फानन में ताश का खेल शुरू हो गया वहां ..
हालाँकि वो जुए के रूप में नही था पर खेलने में काफ़ी एन्जॉय कर रहे थे वो दोनो...
उन दोनो को ताश खेलते देखकर कामिनी और कुणाल आपस में बाते करने लगे...
कुणाल ने अपने दिल की और कामिनी ने अपने दिल की सारी बातें उजागर कर दी...
कुणाल ने तो ये भी कहा की अगर वो उसे एक महीना पहले मिली होती तो वो उसी के साथ शादी करता...
पर अब जो किस्मत में है वो उसी के अनुसार अपनी लाइफ चलाएँगे..
इसी बीच निशु और अंकल के बीच काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गयी...
और जुआरियो का दिल आख़िर कब तक बिना पैसे का खेल खेलने के लिए मानता...
उन्होने 50-100 रुपय का खेल खेलना शुरू कर दिया और आधे घंटे बाद निशु करीब 700 रुपय हार चुकी थी..
कुणाल को भी विश्वास नहीं हुआ की उस जैसी मंझी हुई खिलाड़ी अंकल से कैसे हार गयी
अंकल पैसे नहीं ले रहे थे पहले पर खेल तो खेल था इसलिए कामिनी ने उन्हे ज़बरदस्ती पैसे दिए और अंकल के कहने पर दोनो ने अगले दिन भी आने का वादा किया..
आख़िर जुए के शोकीन एक ही दिन में थोड़े ही मानने वाले थे.
और इस वक़्त तो निशु के साथ-2 अंकल जी भी नही जानते थे की वो जुए का खेल उनके घर क्या भूचाल लेकर आने में वाला है.
वापिस आते हुए कुणाल के चेहरे पर काफ़ी खुशी थी...
अपने बचपन के प्यार से मिलकर उसका दिल बहुत ही रोमांटिक हो रहा था...
और उपर से सोने पर सुहागा ये हुआ की बारिश शुरू हो गयी..
और वो इतनी तेज थी की गाड़ी चलाना मुश्किल था इसलिए कुणाल ने गाड़ी रोक ली..
और ऐसे रोमॅंटिक पल को भला निशु कैसे जाने देती..
वो कुणाल की तरफ पलटी और दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गये...
भले ही निशु उसे किस्स कर रही थी पर उसके जहन में तो कामिनी और वो पल था जब उसने पहली और आख़िरी बार उसे इसी तरह की बारिश में किस्स किया था.
अपनी आँखे बंद करके कुणाल उन्ही पुराने ख्यालो में डूबता चला गया और निशु को कामिनी समझकर उसे बेतहाशा चूमने लगा...
उसके मम्मों को बुरी तरह से मसलने लगा और जब आग हद से ज़्यादा बढ़ गयी तो उसने उसके टॉप को निकाल कर पिछली सीट पर फेंक दिया, ब्रा उतारने में भी उसने देर नही लगाई और और उसे टॉपलेस कर दिया..
निशु के मोटे-2 मम्मों को चूसते हुए वो उन्हे बुरी तरह से काट भी रहा था और धीरे-2 बुदबुदा भी रहा था...
''ओह...कामिनी.......उम्म्म्ममममम.... आई लव यू कामिनी....आई लव योउ.....''
ये तो भला हो की दोनो का नाम ही कामिनी था वरना अभी के अभी उसकी पोल खुल जानी थी...
क्योंकि इस वक़्त कुणाल अपने बचपन के प्यार को याद करके ये सब बड़बड़ा रहा था..
उनकी गाड़ी एक ऐसी सुनसान सी जगह पर थी जहाँ किसी का आना संभव नही था, इसलिए अंदर का खेल काफ़ी गर्म तरीके से, बिना किसी डर के चल रहा था.
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