Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
पहली नज़र की प्यास
दोस्तो जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूँ मुझे कहानी लिखने का एबीसी भी नही पता हाँ पर नेट से आपके लिए कई अच्छी कहानियाँ ज़रूर पोस्ट कर दूँगा जिन्हें पढ़ कर आपको आनंद आएगा . दोस्तो इसी शृंखला में ये तीसरी कहानी स्टार्ट कर रहा हूँ
आशा है आप अपना साथ बनाए रखेंगे .
हमेशा की तरहा आज भी कुणाल अपने दोस्त जय के साथ दिल्ली के एक पब में बैठा बियर पी रहा था की अचानक उसे एक आवाज़ सुनाई दी..
"कामिनी.....ओ कामिनी......कम ओंन.....लेट्स प्ले वन मोर गेम ....''
ये एक ऐसा नाम था, जिसके साथ कुणाल का बचपन से ही एक अलग ही तरह का लगाव था...
इसलिए खुद ब खुद उसकी नज़रें उसी तरफ घूम गयी जहाँ से उस 'कामिनी' को बुलाया जा रहा था...
वो क्लब के डांस फ्लोर पर अपनी एक और फ्रेंड के साथ नाच रही थी.
एक पिंक कलर की सिंगल ड्रेस कयामत लग रही थी...
एकदम दूध से नहाई हुई...
मांसल जांघे...
भरी हुई छातियाँ...
और सबसे ख़ास बात, उसका आलिआ भट्ट जैसा छोटा सा क्यूट सा फेस.
जिसे देखकर वो एक बार फिर से 'अपनी' कामिनी के ख़यालो में डूब गया..
वो भी ऐसी ही लगती थी.
कामिनी उसके बचपन की साथी...
उसके हर दुख दर्द का इलाज...
उसकी जिंदगी का पहला प्यार
वो उसकी सब कुछ थी...
आज भी उसके साथ बिताए हर पल याद थे कुणाल को...
हालाँकि वो दोनो ही उस वक़्त 14 साल के थे , यानी 10 साल पुरानी बात थी ये...
उन दिनों उन दोनो की नादान मोहब्बत को परवान चढ़ना शुरू ही हुआ था की उसके पिता का ट्रान्स्फर कलकत्ता हो गया...
उसके बाद उसकी कोई खबर नही आई..
कुणाल भी ग्रॅजुयेशन के बाद दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहाँ से उसने कंप्यूटर इंजिनियरिंग की, और आज वो नेहरू प्लेस की मल्टिनॅशनल कंपनी में आई टी मैनेजर था.
और हर वीकेंड की तरह आज भी वो अपने दोस्त के साथ बियर पीने पब में आया था, जहां उसे ये कामिनी दिखाई दी.
उसे देखकर वो ये तो समझ ही गया की ये उसकी वाली कामिनी नही है, वो इतनी गोरी नही थी...
और ना ही उसका चेहरा उससे मिलता जुलता था.
पर एक बार उसे देखकर वो अपनी वाली कामिनी को भूल जरूर गया था.
इतनी खूबसूरत लड़की शायद ही उसने देखी थी दिल्ली आने के बाद..
वो तितली की तरह उड़ती हुई उसके करीब से निकल गयी और सीधा जाकर अपने सहेलियो के बीच बैठ गयी..
वो शायद कॉलेज के लड़के-लड़कियो का कोई ग्रूप था...
बीच में एक बड़ा सा केक भी रखा था, यानी वो किसी का बर्थडे सेलेब्रेट करने आए थे वहां ..
करीब 10 लोगो का ग्रूप था..
लड़के लड़किया सब बियर और दारू पी रहे थे.
कुणाल को उस लड़की की तरफ घूर कर देखते हुए उसका दोस्त जय बोला : "भाई...आज सूरज कौनसी दिशा से निकला था जो तू ऐसे काम कर रहा है...आज से पहले तो मैने तुझे कभी भी किसी लड़की की तरफ देखते हुए नही देखा...फिर आज क्या हुआ..तू जानता है क्या उस लड़की को...''
निखल ने सिर हिला कर मना कर दिया..
और बोला : "नही यार...पर उसे देखकर किसी की याद आ गयी...''
जय :"अब ये मत बोलियो की तेरी वो गाँव वाली गर्लफ्रेंड की याद आ गयी...यार, तेरी वो स्टोरी सुन सुनकर तो मैं पक चुका हूँ.''
कुणाल ने हंसते हुए अपना ग्लास खाली किया और बोला : "हाँ, याद तो उसी की आई है पर इसे देखकर पता नही क्यों कुछ-2 हो रहा है दिल में ...''
जय : "अबे साले ...ये लड़की तो मेनका निकली, इसने तो हमारे विश्वामित्र की तपस्या भी भंग कर दी है...अब तो पता लगाना ही पड़ेगा की ये कौन है...''
इतना कहकर जय ने भी अपने ग्लास का बॉटम उप किया और उठकर उनकी तरफ चल दिया..
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