RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल से अब बर्दास्त करना बिलकुल नामुमकिन हो चूका था, वो चुपके से उठा और बेड के बिलकुल करीब आ गया जहाँ उसकी माँ और छोटी बहन अपनी आँखें बंद किये अपनी बिखरी सांसो को समेटने की कोशिश कर रही थी,
कुशल को तो यकीन नही हो रहा था कि उसके पास ही उसकी मोम और छोटी सी बहन बिलकुल नंगी पड़ी है, बाजू में बिखरी हुई जुल्फ़े और अस्तव्यस्त कपड़ों में रसीले होंठ वाली अप्सरायें सोई हुई हो तो उसका लंड भला कैसे सोता रहेगा? इसी वजह से कुशल का लंड अब तनकर छत की तरफ सर किये खड़ा था,
कुशल का मन कर रहा था कि बस वो जी भर कर उन दोनों के बदन का चक्षु मर्दन करता रहे, उनकी सुन्दरता को आँखों में समालें, उनकी आँखे होंठ, गोरे गोरे गाल, कोमल उँगलियाँ, छत की ओर ताकते हुए मम्मे, और मम्मो पर एक दुसरे के काटने के निशान, एक भरी और एक बिलकुल सांचे में ढली हुई पतली कमर, एक की मांसल भरी जांघे और दूसरी की केले के तने जैसी चिकनी टाँगे, और फिर टांगो के जोड़ में उन दोनों की बेहद ही कामुक और मतवाली चूतें , जिन्हें देखकर कुशल की सांसे तक उपर निचे होने लगी.....
कुशल अपने चेहरे को उन दोनों की चुतो के और करीब ले गया ताकि उनकी खुशबू को अपनी सांसो में भर सके, जैसे ही वो थोडा सा करीब हुआ उनकी मस्त चूत की सुगंध उसके नथुनों में समा गयी....
उसने ध्यान से उन दोनों की चुतो को देखा, उसकी मोम की चूत ऐसी लग रही थी जैसे कोई गुलाब का फुल हो, और उसकी बहन की चूत तो की कली जैसी लग रही थी, जैसे कि गुलाब की कोई दो पंखुडियां आपस में चिपकी हुई हो....
अब कुशल और ज्यादा रुक ना सका और उसने धीरे से अपने होठ अपनी बहन की चूत से सटा दिए, कुशल के अधरों के स्पर्श मात्र और बेड की हलचल से प्रीती और स्मृति दोनों ही जग गये....
स्मृति – तू यहाँ क्यूँ आया, मैंने बोला था ना कि जब तक मैं ना बुलाऊ तब तक आना नही..
कुशल – मोम, प्लीज़ अब और बर्दास्त नही हो रहा, चूसने दो ना आप दोनों की चूत प्लीज़....
प्रीती – हाँ मोंम, अब और कितनी सजा दोगी भाई को....
स्मृति – ह्म्म्म....चल ठीक है तू कहती है तो इसे माफ़ करती हूँ....
कुशल – ओह थैंक्स मोम....अब तो मैं रात भर आप दोनों की चूत चूस चूस कर लाल कर दूंगा...और फिर प्यार से आप दोनों को चोदुंगा....
स्मृति – रुक रुक अभी इतनी जल्दी क्या है...
कुशल – क्या मतलब..
स्मृति – देखो मैं सोच रही हूँ कि अब आरू और सिमरन भी सब कुछ जानती है, तो उन दोनों बेचारियो को क्यों तडपाया जाये....
स्मृति की बात सुनते ही प्रीती की चेहरे पर जैसे खुसी की लहर आ गयी...
प्रीती – ओह...वाओ...ग्रेट आईडिया मोम....
पर कुशल के चेहरे पर थोड़ी सी शिकन भी आ गयी थी...जिसे स्मृति ने भांप लिया था...
स्मृति – क्यूँ कुशल, तू खुस नही है क्या...आरू पसंद नही क्या...
कुशल- ये बात नही मोम मैं तो खुद आरू दीदी को कब से चोदना चाह रहा हूँ पर ....
प्रीती – पर क्या कुशल
कुशल – मैं उनके सामने कैसे...मतलब हमने अब तक कभी कुछ किया भी नही है फिर कैसे हो पायेगा....
प्रीती – अरे तू चिंता मत कर, वो तो खुद तेरे लंड के निचे लेंटने के लिए मरी जा रही है.....
कुशल – सच में ??
प्रीती – और नही तो क्या....
कुशल – तो फिर ठीक है...बुला लो उनको निचे...
स्मृति – भई ये काम तो हमारी प्रीती बिटिया ही कर सकती है...
प्रीती – जरुर मोम...
और ये कहकर प्रीती ने अपना मोबाइल निकाला और आरू दीदी का नंबर घुमा दिया...
आरू – हेल्लो प्रीती...
प्रीती – हाँ दीदी....मैं ही हूँ..
आरू – अरे तुम दोनों निचे गये थे ना...अभी तक आये क्यों नही...हम यहाँ कब से तुम दोनों का इंतज़ार कर रहे है...
प्रीती – नही दीदी ...अब हम उपर नही आ रहे...
आरू – तो??
प्रीती – आप दोनों निचे आ जाओ मोम के कमरे में...
आरू – पर मोम के सामने कैसे करेंगे..
प्रीती – दीदी आप चिंता मत करो मोम खुद आपको बुला रही है.....
आरू – सच में???
प्रीती – हाँ दीदी..और सिमरन दीदी को भी ले आओ जल्दी से...आज तो मोम अपने हाथो से कुशल का लंड आपकी चूत में फिट करेगी देखना...
आरू – पर ये सब हुआ कैसे??
प्रीती – वो सब बाद में बताउंगी...अभी आप दोनों जल्दी से सेक्सी ड्रेस पहनकर निचे आ जाओ..हम लोग आपका वेट कर रहे है..
और ये कहकर प्रीती ने फ़ोन काट दिया...
इधर आरू और सिमरन, प्रीती की बात सुनकर खुश भी थे और हैरान भी...आखिर ये सब कैसे हो गया.... पर अब तो उनका ध्यान आने वाली चुदाई पर था... क्यूंकि प्रीती ने जिस तरह से कहा था कि उसकी मोम खुद कुशल का लंड पकडकर उसकी फुद्दी में घुसएगी... वो सुनकर आरू बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गयी.....
कुछ ही देर में आरू और सिमरन तैयार होकर बिलकुल सेक्सी ड्रेस पहन चुके थे और अब वो दोनों निचे चल दिए.....
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स्मृति – हाँ कुशल, चल अब दोबारा जाकर सोफे पर बैठ जा
प्रीती और कुशल ने आश्चर्य से मोम की ओर देखा
प्रीती – पर अभी तो आपने कहा था ना कि आप भाई को और ज्यादा सजा नही दोगी
स्मृति – हाँ कहा था
प्रीती – तो फिर अब आप दोबारा भाई को क्यों सोफे पर बैठा रही हो
कुशल भी बिच में बोल पड़ा
कुशल – हाँ मोम अब प्लीज़ और सजा मत दो ना
स्मृति – अरे उल्लू सजा नही दे रही... कुछ अलग करने का सोच रही हूँ
कुशल – अलग पर क्या
स्मृति – तू पहले जाकर बैठ तो सही...
कुशल भी मन मारता हुआ जाकर दोबारा सोफे पर बैठ गया....
अब बारी स्मृति की थी... कुशल और प्रीती दोनों ही देखना चाहते थे कि आखिर उनकी मोम क्या अलग करना चाहती है.... कुशल का लंड तो बुरी तरह फुंकार रहा था.... वो तो बस चाहता था कि दोनों में से किसी की चूत में वो लंड घुसा दे....
स्मृति अब धीरे से बेड से उतरी और बड़ी ही स्टाइल से चलती हुई कुशल की तरफ जाने लगी... स्मृति की चाल किसी मॉडल से कम नही लग रही थी बस स्मृति पूरी तरह नंगी थी..... कुशल स्मृति को इस तरह चलकर अपने करीब आता देख बुरी तरह उत्तेजित हो गया....
अब स्मृति सोफे के बिलकुल करीब आ गयी... और वो सोफे पर चढ़ गयी. अपने दोनो पैर सोफे के दोनों बाजू रख कर खड़ी हो गई. नीचे देख कर उसने कुशल के लंड की ऊंचाई नाप ली और कुशल के कंधे का सहारा लेकर अपने चुतड को निचे लाई. जैसे ही उसकी चूत कुशल के सुपाडे के बराबर ऊपर आई तो एक हाथ की पहेली दो उँगलियों से उसने अपनी चूत खोली. जितनी हो सके उतनी चूत को चौड़ी करके उसने सुपाडे के ऊपर रख दिया और धीरे से सुपाडे को चूत में समा लिया. सुपाड़े को निगलने के बाद उसकी आँख मूंद गयी और मुंह से "आ....आ......आ.......आ....ह..." निकल गयी.
वो कुछ क्षण रुकी और धीरे धीरे बड़ी सावधानी से वो कुशल के लंड पर बैठ गयी. उसकी चूत ने कुशल का पूरा लंड समा लिया था जैसे अजगर अपने शिकार को निगलता हो. इतना लम्बा और तगड़ा लंड उसकी छोटी सी चुत मे कैसे समता होगा. पक्का उसकी नाभि के पार निकल चूका होगा. इस तरफ कुशल का पूरा लंड अपनी चूत में समाये स्मृति कुशल के कंधे पर सर रख कर ढल गयी और थकी हुई आवाज़ में बोली “अभी कुछ मत करना....कुछ देर मुझे थकान उतारने दो.....”. और वो ऐसे ही पड़ी रही.
कुशल और प्रीती तो अपनी मोम के इस अंदाज़ को देखकर बिलकुल गरमा गए...... कुशल ने अब झट से अपनी मोम के बूब्स को अपने हाथो में दबोच लिया और उन्हें जोर जोर से दबाने लगा.... इधर प्रीती भी बेड से नंगी उठी...और जल्दी से चलकर कुशल और स्मृति की रासलीला में शामिल हो गयी.... प्रीती ने भी अपनी मोम के एक मम्मे को पकडकर अपने मुंह में ले लिया और झट से उसे चूसने लगी..... स्मृति तो इस दोहरे वार से अधमरी सी होती जा रही थी
तभी अचानक डोर पर किसी ने दस्तक दी.... स्मृति और प्रीती के साथ साथ कुशल के चेहरे पर भी एक हलकी सी मुश्कान आ गयी क्यूंकि उन्हें पता था कि बाहर आरू और सिमरन खड़े है.....
प्रीती खड़ी होकर दरवाज़ा खोलने की और बढ़ी पर स्मृति ने उसका हाथ पकड लिया
स्मृति – रुक प्रीती मुझे खोलने दे...और एक बात सुन
प्रीती – हाँ बोलिए मोम
स्मृति – तू मुझे उनके सामने मेरे नाम से ही बुलाएगी....और कुशल तू भी..
प्रीती – पर क्यों..
स्मृति – देख इससे उनकी झिझक बहुत ही जल्दी खत्म हो जाएगी.....समझी
प्रीती – ओके ठीक है मोम....
और ये कहकर स्मृति कुशल के लंड से खड़ी हुई... जैसे ही कुशल का लंड स्मृति की चूत से बाहर निकला एक पक्क्क की आवाज़ उन तीनो के कानो में पड़ी जिसे सुनकर उनके चेहरे पर हंसी आ गयी....
स्मृति अब तुरंत सोफे पर खड़ी हो गयी अपनी चूत में से कुशल के लंड को निकालने के बाद उसने लंड को छुपाने के लिए उसके ऊपर एक तकिया रख दिया. और अपना नाईट गाउन झट से पहनकर डोर की तरफ बढ़ गयी....
जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला सामने आरू और सिमरन खड़ी थी...जो इतनी ज्यादा सेक्सी लग रही थी जैसे कही किसी पार्टी में जा रही हो बस यहाँ वो चुदाई पार्टी में आई हुई थी....
स्मृति ने डोर पूरी तरह नही खोला था जिसकी वजह से आरू और सिमरन प्रीती और कुशल को नही देख पा रही थी....
स्मृति – वाव... गर्ल्स... तुम दोनों तो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही हो...
आरू – थ...थ...थैंक्स मोम.....
स्मृति – इतनी घबरा क्यों रही हो आरू बेटी.... अब तो हम सब एक दुसरे के राजदार है...अब तो हमे बिलकुल भी एक दुसरे से शर्मना नही चाहिए....
सिमरन – हाँ आरू.... आंटी सही कह रही है... अब तो हम सब दोस्त है.....क्यों आंटी..
स्मृति – भई ये गलत बात है ..
सिमरन – क्या..
स्मृति – एक तो तुम मुझे अपना दोस्त कह रही हो और उपर से आंटी भी कह रही हो....
सिमरन – तो मैं क्या कहूँ
स्मृति – तुम मुझे मेरे नाम से पुकारो
सिमरन – पर आंटी... ओके ठीक है मैं आपको आज से स्मृति बुलाऊगी
स्मृति – दट्स माय गर्ल....
सिमरन – थैंक यू स्मृति
स्मृति – और आरू मैं चाहती हूँ कि तुम भी मुझे मेरे नाम से बुलाओगी...
आरू – पर मोम मैं कैसे आपको नाम से बुला सकती हूँ.....,...
स्मृति – वैसे ही जैसे प्रीती और कुशल बुलाते है....
आरू – सच में????
स्मृति – तुम्हे यकीं नही अभी रुको...
स्मृति ने प्रीती को आवाज़ लगी...
स्मृति – प्रीती ................
प्रीती – हाँ.......स्मृति....
प्रीती भी अब बिलकुल नंगी जाकर दरवाजे पर पहुंच गयी..उसे इस तरह नंगा देखकर एक बार तो आरू और सिमरन थोड़े से झिझक सी गयी....
आरू को इस तरह झिझकता देख स्मृति बोली...
स्मृति – आरू, देख मैंने कहा था ना कि अब प्रीती और मैं बिलकुल पक्की सहेलिया बन गयी है.... इसलिए अब वो भी मुझे अपने नाम से बुलाती है... और हम तो अब एक दुसरे को गाली भी देते है...
आरू और सिमरन आश्चर्य से नंगी खड़ी प्रीती और अजीब अजीब बाते करती स्मृति को देख रहे थे....
स्मृति – देख आरू तू तभी इस कमरे में आ सकती है जब तू मुझे अपनी दोस्त समझने लगेगी और मुझे मेरे नाम से ही पुकारेगी...वरना तेरी एंट्री इस कमरे में नही होगी..
सिमरन – आरू यार सोच क्या रही है...अब इतना भी क्या शर्माना... चल आजा...ना...
आरू – चलो ठीक है मोम..आज से मैं आपको स्मृति ही कहकर बुलाऊगी...
स्मृति – ये हुई ना बात.. अब दोनों अंदर आ सकती हो...
स्मृति की बात सुनकर आरू और सिमरन अंदर आ गयी... पर जैसे ही वो दोनों अंदर आई.. सामने का नज़ारा देखकर उनकी चुतो से पानी की बुँदे निकलने लगी... क्यूंकि सामने सोफे पर कुशल बिलकुल नंगा लेटा था..और उसका लंड बिलकुल सांप की तरफ फुंकार रहा था...सिमरन और आरू ने अपनी जिन्दगी में कभी भी इतना मोटा और लम्बा लंड नही देखा था... दोनों के गले के थूक जैसे गले में ही अटक गया था..पर आँखों में एक चमक भी आ गयी थी कि आज की रात उन्हें इस लोडे की सवारी करने को मिलेगी...
वो दोनों अभी खड़े खड़े कुशल का लंड देख ही रही थी कि तभी स्मृति आगे बढ़ी, अपना नाईट गाउन उतारा और एक झटके में सोफे पर चढ़कर कुशल के लंड को अपनी चूत में सर्रररर से गाड दिया....
आरू और सिमरन को ये देखकर जोर का झटका लगा. उन दोनों का मुंह और आँखे फटी की फटी रह गई. एक तो इतना तगडा और लम्बा लंड था और स्मृति ने पलक झपकते ही अपनी चूत में ले लिया और ऊपर बैठ गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो!!!.
स्मृति ने कुशल के लंड पर बैठे बैठे सब को कहा "इसमे हैरान होने की कोई बात नहीं है... तुम दोनों शांत हो जाओ... और आकर बेड पर बैठ जाओ..”
स्मृति की आवाज़ सुनते ही आरू और सिमरन जैसे किसी स्वपन से बाहर आई हो,
स्मृति – तुम दोनों अब शर्माना छोड़ भी दो और मजे लो जैसे मैं और प्रीती ले रही है
प्रीती ने भी अपनी मोम की हाँ में हाँ मिलायी और बोली
प्रीती – हाँ दीदी, स्मृति सही कह रही है, अब चलो आप दोनों भी झट से अपने कपडे उतार दो, ताकि कुशल भी तो आपके जवान बदनो को देख सके, बेचारा कब से आप दोनों को नंगा देखने के लिए मरा जा रहा है... अब और मत तडपाओ उसे...
अब आराधना और सिमरन के लिए भी बर्दास्त करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, क्यूंकि सामने स्मृति अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंड सटासट अपनी चूत में अंदर बाहर करे जा रही थी..... इसलिए दोनों सहेलियों ने शर्म त्यागने में ही अपनी भलाई समझी...
कुछ ही पलो में आरू का सलवार खुल कर उसके पैरों में था. उसकी पैंटी उतरकर घुटनों में आ चुकी थी. सिमरन ने भी अपनी टाईट पेंट उतार कर बाजु में रख दी थी और उसकी पैंटी भी उसके पैरों में गिरी पड़ी थी, प्रीती तो पहले से बिलकुल बेड पर लेटी थी और अपने पैरो को फैला कर अपनी नंगी चूत को हाथों से रगड़ रही थी और उसमे उंगलियाँ डाल रही थी.
तभी अचानक स्मृति बोल उठी –
स्मृति – आरू, कुशल का लंड लेगी क्या????
स्मृति का सवाल सुनते ही जैसे वो सब होश में आये, दरअसल कुशल के इस तगड़े लंड को पाने की इच्छा तो अब सबमे थी...और इसीलिए उसे पाने के लिए सब के होंठ और गला सुख गया था.
इधर बेचारे कुशल का क्या हाल हो रहा होगा ये आप लोग अच्छे से समझ सकते है....बेचारे के सामने चार चार रस टपकाती चुते थी जो कुछ ही देर में उसके लंड को अपने अंदर गटकने वाली थी....
अब आरू और सिमरन भी बेड पर बैठ गयी और अपने पैरो को फैलाना शुरू किया
क्या गज़ब का सिन था यारो... कुशल का लंड उसकी मोम की चूत में फंसा था.. और उसकी आँखों के सामने तीन तीन जवान फुद्दियाँ नज़र आ रही थी... कुशल तो ख़ुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था......
इधर तीनो लडकियाँ अब बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी...उनकी वासना उनकी बुद्धि पर सवार हो चुकी थी. वो दिमाग का कुछ सुनना नहीं चाहती थी. उन सब की वासना की आग भड़क उठी थी..
पहले प्रीती ने, फिर आरू ने, फिर सिमरन ने एक के बाद एक शर्म को छोड़ कर सब ने अपने पैर फैलाये. पैर फैलाते ही सबकी चूत में से वो दबा हुआ रस निकल कर बाहर छलक गया
स्मृति बोली "देखो आरू तुम्हारी चूत तुम्हारा हाल बयां कर रही है.. मैं तो कहती हूँ...ऐसा मोका फिर कभी नहीं मिलेगा. कुशल का लंड भी कितना तगड़ा है....अभी सही मोका है बिलकुल ...लेलो इसे अपनी इस खूबसूरत सी चूत में वर्ना बाद में जिंदगी भर अफ़सोस करती रहोगी...”
प्रीती – पर स्मृति ..पहले तू तो मजा ले ले पूरा.....
स्मृति -"मैं तो पहले भी कई बार ले चुकी हूँ और आगे भी लेती रहूंगी....पर तुम लोगो का ये पहला मोका है.....इसलिए आज की रात तुम सब कुशल के लंड की सवारी करो और अच्छे से उसके लंड से निकली एक एक बूंद निचोड़ लो........”
ये बोलकर स्मृति अब धीरे धीरे खड़ी होकर अपनी चूत में से कुशल का लंड निकालने लगी...सबकी नजरे स्मृति की चूत पर थी. स्मृति उठती गयी उठती गयी पर कुशल का लंड था कि ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा था. सब यही सोच रहे थे की अभी लंड का सूपाड़ा निकलेगा पर जब स्मृति काफी ऊपर तक उठी तब जाके सूपड़ा स्मृति की चूत के रस में नहाया हुआ दिखा. सबका मुंह और आँखे खुली की खुली रह गयी.
स्मृति उठकर कुशल के पास बैठ गयी, कुशल अब राह देख रहा था कि कि कोई तो चुदाई के लिए उठेगी. पर कोई हिम्मत नहीं कर रहा था, आरू अपनी उंगलियाँ चूत की गहराईयों में डालने के लिए बड़ी मचल रही थी.
जब कोई पास नही आया तो आखिर कुशल खुद उठकर आरू के पास गया और उसके फैले हुए पैरों के बिच में अपने घुटनों के बल बैठ गया. बैठते ही कुशल का लंड उसकी चूत में गडी हुई उँगलियों को छु गया. लंड के छूते ही उसकी साँसे तेज हो गयी और उसने अपनी कमर को ऊपर उठा कर, चूत में से उंगलियाँ निकाल कर लंड को अपने हाथों से चूत पर दबा दिया. आरू अब कुशल के लंड को बड़े प्यार से सहलाने लगी, उसकी आँखे बंद हो गयी जैसे गहरी नींद में चली गयी हो. उसकी चूत उछल-उछल कर कुशल के लंड को टकरा रही थी. पर वो कुछ बोल नहीं पा रही थी. सबको आरू की ये हालत देखकर तरस आ रहा था...
इसलिए अब सब आरू की मदद के लिए उसके पास गए.
सिमरन ने आरू को पूछा "क्या हुआ आरू??ले ले ना अंदर?”
आरू कांपते हुए बोली "यार डर लग रहा है...इतना बड़ा कभी लिया नही"
प्रीती बोल पड़ी "दीदी...चिंता मत करो..बस एक बार दर्द होगा..फिर देखना आप मजे से सरोबार हो जाओगी...और आप तो पहले ही पापा से चुद चुकी हो...तो लंड लेने में थोड़ी आसानी भी होगी...मुझे देखो मैंने तो अपनी चूत की सिल भी इसी मोटे लंड से तुडवाई थी.....”
आरू किसी का जवाब देने की हालत मैं नहीं थी. वो तो उछल-उछल कर अपनी चूत को लंड से टकरा रही थी और अपनी चूत को कुशल के लंड पर रगड़ रही थी. ”
स्मृति बोली "आरू , ओ आरू ....होश मैं आओ..”
प्रीती बोली "आरू .. डाल दे..”
आरू ने सर हिला कर मना किया.
प्रीती बोली "जिद मत करो ना दीदी...कुछ नही होगा..आप डालो तो सही...”
अब बेचारे कुशल का धैर्य भी जवाब दे गया और वो बोला
कुशल - "आरू दीदी डालने दो ना प्लीज़... आपकी चूत बहुत सुन्दर है....."
आरू ने ये सुनते ही कुशल को अपनी बाहों में भर लिया और कुशल के लंड के सुपाडे को अपनी चूत में समाने के लिए तड़पने लगी. कुशल ने भी उसकी चूत में डालने की कोशीश की पर कुशल का लंड सरक कर यहाँ वहां चला जाता था. आरू की चूत काफी कड़क हो चुकी थी और खुलने का नाम नहीं ले रही थी. इसीलिए कुशल का लंड उसके अन्दर नहीं जा रहा था.
सबको लगा कि शायद उन्हें ही अब मामला सम्भालना पड़ेगा...
सिमरन ने कुशल को आरू के ऊपर से उठाने को कहा. कुशल के उठने पर आरू भी शरमा कर बैठ गयी... बिना देर किये प्रीती ने उसके ब्रा के हुक खोल कर आरू के स्तन को आज़ाद किया. आज़ाद होते ही दोनों स्तन अपनी अपनी जगह झूलने लगे. प्रीती ने आरू को वापस बेड पर सुला दिया और आरू के स्तन को सहलाने लागी. आरू अब अपने आपे में नहीं रही. प्रीती ने आरू के बाल खुले कर दिए. सबने आरू को कमर से जकड दिया ताकि वो उछलना बंद करे. आरू की कमर कंट्रोल में आते ही कुशल ने उसके पैर फैलाए और अपना सुपाडा फिर से उसकी चूत पर रखा. कुशल का लंड उसकी चूत में इतनी आसानी से जाने वाला नहीं था वो खुद भी ये बात जानता था..
इसलिए कुशल ने अपने दोनों हाथों से आरू की चूत को खोला और सुपाडे को उसकी चूत के कोने पर दबाया. अब सुपाडे की इधर-उधर जाने की कोई गुंजाइश नहीं थी. कुशल का सुपाडा गरम था पर आरू की चूत उससे कई गुना गरम थी. उसको कुशल का लंड ठंडा लग रहा था. उसकी चूत को कुछ ठंडा छुते ही आरू कमर से उछल पड़ी और कुशल का लंड फिर से बहार निकल गया.
अब कुशल का धैर्य जवाब दे गया..उसने फिर से आरू की कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और लंड को उसके काने ऊपर रख कर एक जोर का धक्का मारा और आरू के ऊपर गिर पड़ा. कुशल का मुंह उसके दोनों स्तन की गहराई के बिच दब गया और लंड उसकी चूत को चिर कर उसकी गहराई को नाप रहा था. आरू जोर से चीखी..आरू को काफी दर्द हो रहा था...क्यूंकि उसने सिर्फ पंकज का लंड ही अपनी चूत में लिया था पहले वो भी सिर्फ 2 -3 बार...और पंकज का लंड कुशल के मुकाबले तो काफी छोटा ही था....
आरू हिलने की हालत में नहीं थी और उसने कुशल को भी हिलने से रोक दिया... आरू की साँसे फूली हुई थी. उसका गला सुख रहा था. कुछ देर बाद वो शांत हुई और अपनी आँखे खोल कर आसपास देखा. उसने सिमरन को अपने पास खिंचा और उसके होठों को चूमने लगी. अपने हाथों से अपने स्तन को सहलाने लगी. उसके साथ प्रीती और स्मृति भी जुड़ गयी. आरू के हाथों को हटाकर दोनो ने एक-एक स्तन पर कब्ज़ा कर लिया. उसे सहलाने लगे, चूमने लगे, चूसने लगे.
प्रीती और स्मृति के के नंगे गोरे और मांसल चुतड कुशल की तरफ थे...उसने दोनों के चुतड पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा. कुशल उनके चुतडो पर हलकी हलकी थप्पड़ सी मारने लगा...फिर उसने प्रीती के चुतड को अपनी मुट्ठी में भरना शुरू किया ...उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी मखमल के कपडे को छु रहा हो...
इधर थप्पड़ पड़ते ही उनकी चुतड पर लहू उभर आया. दो चार और चमाट लगाने पर उनकी चुतड लाल हो गयी. वो द्रश्य बेहद खुबसूरत था. गोरी दूध जैसी चुतड पर लाल रंग और बिच में हल्के से काले बालों में घिरी चूत और उसके बराबर बिच में लाल चूत की पतली सी की दरार. दरार में से निकला हुआ चूत का रस उनके चूत के बालों में यहाँ वहां चिपका हुआ था. एक अदभुत नजारा था.
कुशल ने अब प्रीती की चूत की तरफ ध्यान लगाना शुरू किया...
कुशल ने अपनी पहली दो उंगलिओं को उसकी चूत पर रगडा और चूत का रस उसकी पूरी चूत पर और उसकी चुतड पर मल दिया. उसकी चूत बेहद मुलायम थी. उसमे अंगूठा डालते ही दबा हुआ रस निकल कर उसकी जांघो पर गिरा. स्मृति और प्रीती की चूतें सहलाते हुए कुशल ने अब धीरे धीरे अपने लंड को आरू की चूत से बाहर निकाला. उसकी चूत कुशल के लंड पर बड़ी मजबूती से चिपकी हुई थी. लंड निकालते हुए एसा लग रहा था की उसकी चूत कुशल के लंड को चूस रही हो. लंड निकालते ही मालुम पड़ा की उसकी चूत खुल चुकी थी और हलकी सी फट गयी थी और थोडा खून निकल आया था.
बिना कुछ देर किये कुशल ने फिर से अपना लंड उसकी चूत में गाड़ दिया. अब आरू को कुछ संतोष की अनुभूति हो रही थी. लंड का उसकी गहराईयों को छूते ही उसने कुशल की सहूलियत के लिए अपने पैर और फैलाए. कुशल ने भी लंड को फिरसे निकाला और देखा तो आरू की चूत अपना मुंह फाड़े बैठी है. अब वो भी उसकी चुदाई के लिए उतावला था और अब उसने उसकी चुदाई शुरू की.
हर एक धक्के पर वो कुशल को और जोर से करने के लिए उकसा रही थी और कुशल का लंड भी हर बार नयी गहराई को छू रहा था. एक लय से आरू चुदे जा रही थी और सिमरन के होंठ और जोर से चूस रही थी.
इस तरफ सिमरन अब आरू की चूत के पास बैठ गयी और कुशल की गोटीयों से खेलने लगी. करीब पांच मिनट में ही आरू उछल पड़ी. सब लोग बाजु हट गए और कुशल उसके ऊपर चढ़ गया. वो झडने लगी थी उसकी चूतने कुशल के लंड के ऊपर जोर की पकड़ जमा ली थी पर कुशल अभी भी उसी लय से उसकी चुदाई करता रहा.
और तभी अचानक आरू की चूत से पानी की मस्त धारा बहने लगी... एक के बाद एक सतत कई बार झड़ने से वो संतोष की सभी सीमाए पार कर चुकी थी. उसके चहरे पर एक परम शांति और परम सुख का भाव था. सबने आरू का हाथ पकड़ कर रखा था नहीं तो वो कुशल की पीठ को जरुर नोंच लेती....
अब कुशल ने आरू की चूत में से लंड को निकाल दिया. आरू अपना पूरा शरीर ढीला छोड़ कर बेड पर आँख बंद करके सो गयी. स्मृति आरू के मम्मे मसल रही थी....और उसे हवा दे रही थी....आखिर इतना बड़ा लंड जो लिया है उसने
कुशल –मोम अब आप आ जाओ
स्मृति – अरे नही...मैं तो पहले भी कर चुकी...आज इन बच्चियों की बारी है.....
सिमरन जैसे उसी पल की राह देख रही थी. उसने कुशल के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया. बड़ी बेताबी से वो पुरे लंडको चूसने लगी उसने कुशल का लंड पर से आरू का रस पूरी तरह से साफ़ कर दिया. पर शायद कुशल लंड चुसवाने के मुड में नहीं था.
कुशल – सिमरन दीदी... चुसो मत...हाँ अगर चुदवाना है तो आ जाओ निचे...
सिमरन के चेहरे का भाव कुशल का सवाल सुनकर तुरंत बदल गए. उसकी आँखों मैं मस्ती छा गयी और मुस्कुराते हुए बोली "जरुर मेरे राजा ..अब तो तेरे लंड को देखकर खुजली और भी ज्यादा बढ़ चुकी है ?”
प्रीती बोली "पर मेरा नंबर कब आएगा...”
सिमरन – तू चिंता क्यों करती है मेरी जान...आजा और मेरे उपर पेट के बल लेट जा......
प्रीती अब सिमरन के ऊपर पेट के बल सो गयी. कुशल के सामने एक के ऊपर चूत अपने पैर फैलाए लबलबाती पड़ी थी.
सिमरन बोली "चल अब सोचता क्या है? डाल न? तुझे इन्विटेशन देना पडेगा क्या?”
प्रीती बिच में ही बोली – अरे कुशल अब देखता क्या है...आज चढ़ जा आज हम दोनों के उपर...
पर कुशल शायद ये सोच रहा था कि पहले किसको चोदुं...
सिमरन से अब सहा नहीं गया. उसने कुशल को उसके लंड से पकड़ कर खिंचा और लंड के सुपाडे को अपनी चूत के दाने पर रख दिया. “चल न... टाइम पास मत कर".
अब कुशल ने प्रीती को उसकी पतली कमर से पकड़ा और सिमरन की चूत पर सुपाडा दबाया. सुपाडे के आगे नन्ही सी चूत थी. थोडा ज्यादा जोर लगाने पर सुपाडा लपक कर अन्दर घुस गया. लंड घुसते ही उसका चेहरा, जैसे पानी में देर तक डूबे रहने के बाद कोई पानी के बाहर सर निकालता है और सांस लेनेके लिए बेताब हो, वैसा था.
वो एकदम हडबडा गयी थी. उसने कुशल को थोड़ी देर रुकने को कहा. उसकी जोर जोर से सांसे चल रही थी और यहाँ प्रीती ऊपर नीचे हो रही थी. कुछ देर बाद उसकी साँसे शांत हुई और कहा "ओह प्रीती...... क्या लंड है साले का !!...जिंदगीभर का अफ़सोस रह जाता अगर....
"आ...ह...."
"कुशल थोडा धीरे.....”
“oh my god.... "
"आह... रुक...... रुक जा रे.... ”
“पूरा डाल दिया क्या?”
कुशल कुछ बोलता इससे पहले स्मृति ही बोल पड़ी – सिमरन ..अभी तो आधा ही अंदर गया है....हा हा हा
सिमरन बोली "चल झूठी....”
स्मृति बोली "ठीक है कुशल ... उसे पूरा डाल कर दिखा...”
दुसरे ही पल कुशल ने एक धक्का मारा और पूरा लंड सिमरन की चूत में समा गया. सिमरन एक जोर के झटके के साथ उछली. उसका भी गला सुखा गया और कुछ भी बोलने की हालत में न रही.
इधर कुशल ने अब सिमरन की चूत से लंड निकाला और झट से प्रीती की चूत पर रगड़ने लगा...प्रीती तो पहले से ही तैयार थी. उसे मालुम था की कितना दर्द होगा और दर्द के बाद कितना आनंद होगा. लंड का स्पर्श होते ही प्रीती को जैसे करंट लगा. वो लंड के सुपाडे को अपने हाथों से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और सुपाडे को पूरा गिला कर अपने अन्दर डाल दिया. सुपाडा अन्दर जाते ही उसके फैले हुए पैर कुशल की कमर के आसपास लिपट गए.
“आ...ह.....”
“माँ......”
“मर गयी.....”
“ओ.....ह...”
“आ.............इ..”
आखिर में प्रीती पुरे लंड को निगल कर बोली....”तू अब हिलना मत... मैं जब बोलूंगी तब ही हिलना...."
प्रीती की चूत अन्दर से लबालब हो रही थी. लंड को अन्दर से कभी जकड रही थी तो कभी छोड़ रही थी. उसका बदन जैसे मोम की कोई मूरत हो. उसके पुरे बदन को कुशल महसुस करने लगा. जैसे ये सब कुशल के लंड के लिए मर रहे थे वैसे ही कुशल भी ये सब बेहद खुबसूरत बदन को पा कर धन्य हो रहा था. अपने आप को कह रहा था की ये वक्त बस ऐसे ही थम जाए
यही सोचते हुए कुशल ने प्रीती के रुई जैसे स्तन पर हाथ रखा. प्रीती ने भी कुशल के हाथ पर अपने हाथ रख दिए और वो खुद ही कुशल के हाथों से अपने स्तन दबोच रही थी.
थोड़ी देर बाद प्रीती ने सर हिलाकर कुशल को आगे बढ़ने को कहा...कुशल ने भी अब दनादन धक्के मारने शुरू कर दिए...एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्को से प्रीती का बदन सिहर गया और साथ ही उसके निचे लेती सिमरन का बदन भी झकझोर गया....
लगभग १० मिनट में ही प्रीती की चूत का फुवारा फुट पड़ा....जैसे ही प्रीती की चूत का पानी छुटा, कुशल ने अपना लंड तुरंत निकाला और सटाक से बिना किसी वार्निंग के सिमरन की चूत में घुसेड दिया...
सिमरन के मुंह से आह निकल गयी.....
पर अब कुशल दे दना दन धक्के मारते जा रहा था और कुछ ही मिनटों में में सिमरन का भी पानी छुट गया...
अब कुशल को भी लगने लगा कि उसका पानी निकलने वाला है....इसलिए वो जोर से बोला- मेरा निकलने वाला है मोम...” और कुशल जोर जोर से मुठ मारने लगा...
कुशल की बात सुनते ही चारो कुशल के लंड के पास आकर बैठ गयी...कुशल खड़ा होकर मुठ मारने लगा...
चारो लडकियो ने अपनी अपनी जीभ बाहर निकाल ली जैसे कुशल के वीर्य को वो चखना चाह रही हों....
और अगले ही पल कुशल के लंड से वीर्य की मोटी मोटी धाराएँ निकलने लगी....और यहाँ वहां जाने लगी...
चारो लडकियों ने मिलकर कुशल के वीर्य की एक एक बूंद चट कर डाली....
आखिर में थक कर चारो वहीं लेट गये....
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इस प्रकार इस परिवार की ये चुदाई का खेल ऐसे ही चलता रहा...जल्द ही इन सबमे पंकज भी शामिल हो गया.... अब तो ये सब लोग रात को एक ही जगह सोते है...जिसके मन में जो आया वो उसके साथ चुदाई कर लेता है......
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THE END
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