RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b]पंकज -" आरू, नीचे बोर हो रहा था तो सोचा कि क्यू ना आज उपर घूम आउ और अपने बच्चो के देख आउ. अक्सर मे उपर आता नही हू ना, वैसे भी कल सनडे है तो सोचा की घूम आउ".
आराधना -" ये तो आपने बहुत अच्छा किया डॅडी". आराधना अपने आप को और जगाती हुई बोलती है और उठ कर वॉश रूम की ओर जाने लगती है अपना चेहरा वॉश करने के लिए. उसने ट्राउज़र और टी-शर्ट पहनी हुई है.
पंकज -" रूम को काफ़ी क्लीन रखती हो तुम". पंकज रूम के चारो ओर देखते हुए बोलता है. इतने मे आराधना वॉशरूम मे घुस चुकी थी और बिना गेट बंद किए अपना फेस वॉश करने लगती है. उसके बाद फेस को टवल से क्लीन करते करते वो बाहर आती है
आराधना -" पापा, लड़किया हमेशा सफाई पसंद करती है और बाय्स..पूछो मत बस, एक बार कुशल का रूम देखोगे तो हैरान हो जाओगे"
पंकज -" हा हा हा हा. तो कुशल का रूम डर्टी है. क्या करे लड़को के पास टाइम ही नही होता". पंकज ने स्माइल करते हुए कहा
आराधना -" क्या? लड़को के पास टाइम नही होता और गर्ल्स फ्री रहती है. कमाल है डॅडी आप भी. मेरी तारीफ करने की बजाय कुशल को फेवर कर रहे हो". आराधना ने बनावटी गुस्से मे कहा
पंकज -" तारीफ तो आज मे तुम्हारी बहुत कर चुका हू". पंकज का इशारा साड़ी वाले इन्सिडेंट की तरफ था. ये सुनकर सिमरन शरमा जाती है.
आराधना -" मोम सो गयी क्या?" आराधना बात टालते हुए बोलती है
पंकज -" आज कल तुम्हारी मोम के पास टाइम ही कहाँ है मेरे लिए. उसके पास जाता हू तो पता नही क्यू दूर भाग जाती है". पंकज ने स्माइल करते हुए कहा. अब आराधना बेड के सामने चेर पर, टाँग पर टाँग रख कर बैठ जाती है.
आराधना -" तो आप ही मम्मी को परेशान करते होंगे तभी तो आपके पास से भागती है". आराधना ने हंसते हुए कहा
पंकज -" शादी के बाद तो पति का फ़र्ज़ है परेशान करना". पंकज ने बहुत लो वाय्स मे कहा
आराधना -" क्या कहा".
पंकज -" कुच्छ नही, मे तो बस ये कह रहा था कि तुम अपनी मम्मी का फेवर क्यू कर रही हो. तुम्हारी फ्रेंड सिमरन ही अच्छी है जो मेरा फेवर करती है. वो तो मज़ाक मे कह भी रही थी अंकल कहीं आंटी को कोई और तो नही मिल गया". पंकज ने ऐसे ही कह दिया
आराधना -" आप सिमरन की बात ना सुना करे. उसके विचार हमारे घर से नही मिलते हाँ लेकिन दिल की अच्छी लड़की है"
पंकज -" हाँ उसके दो बड़े बड़े दिल बहुत अच्छे है." पंकज ने फिर से साइड मे मूँह करके बहुत लो वाय्स मे कहा
आराधना -" क्या कहा आपने अभी "
पंकज -" कुच्छ नही, मे तो बस ये कह रहा था कि वाकई मे अच्छी लड़की है तुम्हारी फ्रेंड."
आराधना -" ज़्यादा अच्छी भी नही है डॅडी. पता है उसका एक बॉय फ्रेंड भी है". आराधना ने उसे ऐसे बताया जैसे कोई सीक्रेट बता रही हो
पंकज -" सच मे". पंकज ने ऐसे रिक्ट किया जैसे कुच्छ जानता ही नही
आराधना -" हाँ डॅडी, और पता है वो उससे अकेले मे भी मिलती है". आराधना की आँखे बड़ी बड़ी हो रही थी ये बताते हुए. वो ऐसे बता रही है जैसे पता नही कितना बड़ा सीक्रेट बता रही है
पंकज -" अकेले मे यानी कहाँ". पंकज ऐसा रिक्ट कर रहा है जैसे कुच्छ समझ ही नही पा रहा
आराधना -" पता है डॅडी, वो ऐसी जगह मिलती है बॉय फ्रेंड से जैसे किसी के घर या फ्लॅट मे". आराधना उसे बहुत सीरीयस होते हुए बताती है लेकिन ये नही बताती कि कल सिमरन उनके ही घर पर अपने बॉय फ्रेंड को लाने वाली है.
पंकज -" अच्छा, ऐसा करती है वो. वो तो बहुत खराब लड़की है". पंकज ने भी उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा
आराधना -" वो तो डॅडी स्मोकिंग, ड्रिंकिंग सब करती है. लड़कियो वाली कोई बात नही है उसमे." आराधना ने कॅरी ऑन रहते हुए कहा
पंकज -" लेकिन उसके लिप्स को देख कर नही लगता कि वो स्मोकिंग करती है. एक दम पिंक लिप्स है उसके." पंकज आराधना का रिक्षन देखना चाहता था
आराधना -" ढेर सारी लिपस्टिक पोत के रखती है अपने होंठो पे. तभी तो पिंक लगते है". आराधना ने भी थोड़ा और ज़ोर देते हुए कहा
पंकज -" लेकिन कहीं तुझे मे भी तो बुरा नही लगता क्यूंकी स्मोकिंग तो मे भी करता हू". पंकज ने फिर से उसका रिक्षन जान ने के लिए ये बात कही
आराधना -" डॅडी स्मोकिंग करना तो बना ही मर्दो के लिए है. आप तो डॅशिंग लगते हो लेकिन सिमरन पे मुझे बहुत गुस्सा आता है जब वो स्मोकिंग करती है लेकिन वो अपने आप को फिल्मी हेरोयिन से कम नही समझती".
पंकज -" आज कल तो बेटी हर दूसरी लड़की स्मोकिंग करती नज़र आती है लेकिन शुक्र है कि हमारी बेटी इन सब चीज़ो से दूर है". ये बात कहते हुए पंकज उठता है और जाकर आराधना के प्यार से गाल खींच देता है
आराधना -" डॅडी मे हमेशा घर का ख्याल रखूँगी और कोई ऐसा काम नही करूँगी जो मेरे मा बाप को अच्छा ना लगे". पंकज उसकी इस बात से बहुत इंप्रेस हुआ और उसकी सर पर हाथ फिराता हुआ बाहर जाने लगता है.
आराधना -" अरे डॅडी, कहाँ चले. बैठो ना थोड़ी देर और." आराधना चेर से खड़े होते पंकज से बोलती है
पंकज -"नही बेटा अब रात बहुत हो गयी है, अब मुझे चलना चाहिए". ये कहते हुए पंकज बाहर जाने लगता है. बाहर जाते हुए पंकज ये सोचता है कि क्यू ना प्रीति और कुशल से भी मिलता चलु और उन्हे अच्छा लगेगा. और वो बाहर निकलते हुए आराधना को इशारे मे बताता है कि वो प्रीति के रूम की तरफ जा रहा है.
पंकज प्रीति के रूम की तरफ चल देता है. प्रीति के रूम के बाहर आकर वो गेट को नॉक करता है.
" तू आ गया फिर, चाहे तू कितनी भी ट्राइ कर ले मे नही दूँगी तुझे". प्रीति का गेट अंदर से बंद था और उसे ये लगा कि शायद कुशल गेट नॉक कर रहा है इसलिए उसने ऐसा बोला.
" क्या नही देगी बेटा क्या हो गया". पंकज गेट के बाहर से ही बोलता है और गेट को फिर आए नॉक करता है.
ऊऊहह, फक्क्क डॅडी... प्रीति अपने मन मे बोलती है. दर असल वो बहुत घबरा गयी थी.
" वो...वो डॅडी कुशल बहुत परेशान करता रहता है. ज़रा रुकिये मे चेंज कर रही हू और अभी गेट खोलती हू." प्रीति की स्पीड ऐसे हो गयी थी जैसे कोई एलेक्ट्रिक मशीन. वो तुरंत पूरे कपड़े पहनती और गेट खोलती है. गेट खोलते ही वो पंकज को हेलो डॅडी बोल कर ग्रीट करती है. पंकज उसके रूम मे अंदर की ओर जाते हुए बोलता है -
पंकज -" कैसे परेशान कर रहा है ये नालयक कुशल. क्या माँग रहा है तुझसे".
प्रीति - वो वो डॅडी..... मेरा वीडियो गेम." प्रीति को कुच्छ समझ नही आता तो वो ऐसे ही बोल देती है
पंकज -" बेहद नालयक हो गया है ये कुशल. वो तेरा वीडियो गेम क्यू माँग रहा है जब उसको भी मेने दिलाया हुआ है. कुशल कुशल" वो दो तेज आवाज़ लगाता है कुशल को बुलाने के लिए. कुशल जैसे ही ये आवाज़ नीचे सुनता है उसे तो ऐसे लगता है जैसे भूचाल आ गया हो.
" कहीं प्रीति ने मेरी शिकायत डॅडी से तो नही कर दी". कुशल अपने मन मे सोचता हुआ उपर भागता है. उसे आशा थी कि डॅडी आराधना दीदी के रूम मे होंगे लेकिन जैसे ही वो उधर आता है तो देखता है आराधना दीदी तो अपने रूम मे अकेली है. उसके पाँव तले से ज़मीन खिसक जाती है. उसको कदम रुक जाते है, उसको ऐसा लगा जैसे किस्मत ने क्या खेल खेल दिया उसके साथ. " हे उपरवाले आज बचा ले, अपनी बीवी की भी चूत नही मारूँगा मे". कुशल उपरवाले से हाथ जोड़ कर प्राथना करता है. इतने मे एक बार फिर से आवाज़ आती है कुशल. ये आवाज़ उसके डॅडी की ही थी जो प्रीति के रूम से आ रही थी.
कुशल धीरे धीरे कदम बढ़ाता हुआ आगे पहुँचता है. उसके चेहरे पे पसीने आ चुके थे. और प्रीति के रूम के बाहर जाकर खड़ा हो जाता है, अंदर उसके डॅडी और प्रीति थे. डॅडी आगे के साइड खड़े थे और प्रीति उनके पीछे यानी कि पंकज की पीठ थी प्रीति की तरफ.
" जी डॅडी". कुशल मरी हुई आवाज़ मे बोलता है.
पंकज -" क्यू परेशान कर रखा है तूने प्रीति को". पंकज की ये बात सुनते ही तो कुशल का तो जैसे किसी लड़की ने रेप कर दिया हो ऐसी सिचुयेशन हो जाती है. प्रीति की भी हालत खराब थी कि कहीं कुशल कुच्छ और समझ के कुच्छ बोल ना दे
कुशल -" मेने... मेने क्या किया".
पंकज -" तो जब प्रीति अपनी कोई चीज़ नही देना चाहती तो तू क्यू ज़बरदस्ती माँगता रहता है". ये बात सुन कर कुशल का चेहरा शरम से गढ़ जाता है. उसको ऐसा लगा कि जैसे जिंदगी मे कोई भूचाल आ गया हो.
" और डॅडी मेने कई बार मना किया है कि मे अपना वीडियो गेम नही दूँगी". कुशल इससे पहले कुच्छ बोले, प्रीति ने हिंट दे दिया कि वीडियो गेम की बात चल रही है. " वीडियो गेम???" कुशल सोचने पे मजबूर हो जाता है और जैसे कि उसे सब समझ आता है वो खुशी से पागल हो जाता है.
" डॅडी, वीडियो गेम, ऑश वीडियो गेम. हाँ मे इसके पीछे पड़ा रहता हू कि दे मुझे क्यूंकी प्रीति का वीडियो गेम मुझे सबसे अच्छा लगता है". कुशल प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है. वो सारी सिचुयेशन समझ चुका था. जब वो ये बात बोलता है कि उसे प्रीति का वीडियो गेम सबसे अच्छा लगता है तो ये सुनकर प्रीति को ऐसे लगा जैसे वो ही मिस वर्ल्ड है.
पंकज -" लेकिन तुझे भी तो दिलाया है ना मेने वीडियो गेम".
कुशल -" पता नही क्यू मुझे डॅडी प्रीति का ही अच्छा लगता है. बस एक बार लूँगा फिर दोबारा ज़िद नही करूँगा डॅडी". कुशल ने बनावटी अंदाज़ मे प्रीति की तरफ देखते हुए कहा
पंकज -" ठीक है तो, प्रीति एक बार दे देने मे कोई बुराई नही है". पंकज प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है. इस बात का मतलब समझ कर
प्रीति -" डॅडी मुझे पूरा यकीन है कि एक बार अगर इसे अपना वीडियो गेम दिया तो मेरा गेम दोबारा खेलने के लायक नही रहेगा." प्रीति ने नॉटी स्टाइल मे कुशल की ओर देखते हुए कहा. इससे पहले कि पंकज कुच्छ बोलता, कुशल ही बोल पड़ता है
कुशल -" डॅडी मे प्रॉमिस करता हू कि बहुत प्यार से खेलूँगा. इसके वीडियो गेम पे खरॉच तक नही आने दूँगा. बिल्कुल अपना गेम समझ कर ही खेलूँगा".
पंकज -" ठीक है, ठीक है. अब बहुत हुआ, प्रीति जब तेरा दिल करे एक बार अपना वीडियो गेम कुशल को दे दियो". पंकज प्रीति को ऑर्डर देता हुआ बोलता है.
प्रीति कुशल की तरफ शार्प आइज़ से देखती है और पूछती है " बस एक बार हाँ???" ये बात सुनकर को तो जैसे कुशल की लॉटरी लग गयी हो. वो अपने डॅडी के फ़ैसले से बहुत हॅपी था और आइ लव यू डॅडी कह कर अपने डॅडी से चिपक जाता है.
पंकज -" और दोनो लड़ा कम करो, अब बड़े हो गये हो, ठीक है". कुशल और प्रीति दोनो जी डॅडी कह कर बात मान लेते है. अब पंकज बाहर जाने लगता है, लेकिन कुशल का बाहर जाने का इरादा नही था. प्रीति मौके का फ़ायदा उठाते हुए बोलती है कि चल कुशल अब तू भी सोने जा क्यूंकी मुझे भी नींद आ रही है. पंकज भी जाते जाते कुशल से बोलता है कि जाकर सो जा अब कल सनडे है शॉपिंग करने चलेंगे.[/b]
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