RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b]आराधना और सिमरन कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर आ जाती है. सिमरन की न्यू कार होंडा आराधना के घर के बाहर ही खड़ी थी जो हाल मे ही सिमरन के फादर ने उसे बर्तडे गिफ्ट दी थी. सिमरन डोर खोलती है और अंदर बैठती है, फिर सीट बेल्ट लगाती है और कार स्टार्ट करती है. दूसरी साइड से आराधना भी डोर ओपन करके बैठ जाती है. सिमरन कार का एसी ऑन करती है और ड्रॉयर से सिगरेट का बॉक्स निकाल कर एक सिगेरेट अपने लिए निकालती है. और एक सिगेरेट आराधना को भी ऑफर करती है.
आराधना -" तू जानती है ना कि मे स्मोकिंग नही करती". आराधना ने गुस्से मे रिप्लाइ किया.
सिमरन- " ओके, ओके लेकिन गुस्सा क्यू हो रही है. तू नही करती बट आइ लाइक स्मोकिंग. लेकिन बता ना कि तेरा मूड क्यू ऑफ है".
आराधना -" तू ऐसे कपड़े पहन कर घर क्यू आती है".
सिमरन -" तो क्या बुर्क़ा पहन कर आउ?"
आराधना- " तुझे पता है कि ना की मेरे घर मे जवान भाई है और मेरे डॅडी भी है. तुझे ऐसे कपड़े पहन कर नही आना चाहिए."
सिमरन - " मुझे तो लगता है कि तेरे डॅडी को मेरे कपड़े पसंद आए, भाई को भी बुला कर दिखा दे उसका भी रेयेक्सन देख लेते है".
आराधना- " मेरे डॅडी को ऐसे कपड़ो मे कभी लड़किया पसंद नही आती."
सिमरन-" मेरी जान ये जितने भी शरीफ डॅडी होते है ना, मौका मिलते ही चौका मार देते है. हा हा हा हा". आराधना को सिमरन की इस बात पेर गुस्सा आ जाता है और कार का गेट खोलने की कोशिश करने लगती है. तभी सिमरन सारे डोर लॉक कर देती है.
सिमरन- " सॉरी स्वीटी, चल अब कॉलेज चलते है. गुस्सा थूक दे". सिगेरेट फेंकने के बाद सिमरन गाड़ी कॉलेज की तरफ बढ़ा देती है.
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प्रीति अब तक सोकर उठ चुकी है और उठते ही उसे बेड टी चाहिए. स्मृति उसके लिए बेड टी लेकर उसके रूम मे जाती है, उसके सिल्की बालो मे हाथ फिरते हुए जगाती है. प्रीति उठ कर पीठ के बल बैठ जाती है. उसके बाद स्मृति नीचे चली जाती है. चाइ की एक दो चुस्की लेने के बाद, उसकी नींद थोड़ी सी खुलती है और उसे महसूस होता है कि फर्स्ट फ्लोर की गॅलरी पे कुच्छ धम्म धम्म जैसा साउंड हो रहा है. वो आँखो को थोड़ा और खोलती है तो देखती है कि कुशल फर्स्ट फ्लोर गॅलरी मे एक्सर्साइज़ कर रहा है. उसने बस एक शॉर्ट पहना हुआ है और कुच्छ नही. चेस्ट पूरी पसीने मे लथ पथ थी. वो जैसे कूद रहा था, उसका वो पार्ट भी ऐसे ही कूद रहा था. प्रीति की निगाहे जैसे ही वहाँ पड़ती है उसके हाथ से चाइ का कप छूट ही जाता बस बच गया पता नही कैसे. स्ट्रॉंग बाइसेप्स, मस्क्युलर बॉडी और शॉर्ट मे एक्सर्साइज़ करते हुए उसे देख कर प्रीति की तो नींद ही उड़ गयी. उसे कल का इन्सिडेंट याद आ गया जब कुशल ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया था.
गुस्सा भी आ रहा था और दिल मे एक हलचल भी हो रही थी. वो चाइ का कप हाथ मे लिए बाहर जाती है.
प्रीति - " गुड मॉर्निंग ब्रो".
कुशल - " हे भगवान, मेरी बहन की तबीयत तो ठीक है जो इतने प्यार से गुड मॉर्निंग बोल रही है"
प्रीति - "चल अपना गुड मॉर्निंग वापिस लेती हू. वैसे कल तू सही कह रहा था कि तेरे पास कपड़ो की कमी है". प्रीति कुशल की चेस्ट की तरफ देखती हुई बोलती है.
कुशल - " जो ढका होना चाहिए वो ढका हुआ है, फिर तुझे क्यू लगता है कि मेरे पे कपड़ो की कमी है".
प्रीति -" क्या ढका होना चाहिए".
कुशल-" बताउ या दिखाऊ".[/b][/b][/b][/b]
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