RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
केवीन ने ऐसे ही किया... भाभी को मेरी तरफ किया और पीछे से सट गया... भाभी के मस्त मम्मे केविन के हाथो में थे... जो उसे मस्त पीस रहा था... भाभी के गले को चूम रहा था.. एक हाथ से भाभी का मुह पीछे करके किस देने लगा तो भाभी ने भी साथ दिया... मुझे जलन सी हुई की मैं ये सुंदर बदन से दूर क्यों हूँ? मैंने भी आगे बढ़ कर एक मम्मा केविन के हाथो से दूर करवाया और मैं चूस ने लगा... भाभी की सांसे तेज़ चल रही थी और हमारी वासना सर चढ़कर बोल रही थी... भाभी के बदन का यही तो जादू है...
पर हमारी खुशिया ज़्यादा देर तक नहीं रही, फिर से डोर बेल बजी...
भाभी: चलो आज हमारा दिन नहीं है, मैं अंदर जाती हूँ आप दोनों देख लो कौन है...
मैं: रण्डी पहले देख के कौन आया है, क्योकि बबलू के हिसाब से घर में तू अकेली है...
भाभी: चलो पहले मेरे मम्मे को छोडो दोनों इनको ढकना पड़ेगा...
केविन: तू ब्लाऊज़ पहनके ही खोल सिर्फ निचे से टुटा है... ऊपर के दो बन्द कर दे...
भाभी: और पूछे के ये कैसे हुआ है तो?
मैं: रण्डी तुजे सब पता है... सम्भाल लेना... पहले देख के कौन है...
हम दोनों वापस छिप गए, भाभी को ब्लाऊज़ पहनने में मदद नहीं की हमने... भाभी ने वापस दरवाजा खोला, देख लिया था के प्रताप ही है...
भाभी: हा बोलो अभी क्यों आये हो?
बबलू: मेमसाब ये कैसे हुआ?
बबलू ने आते ही भाभी का ब्लाउज़ देखा...
भाभी: तुजे काम क्या है, क्यों बारबार आ रहा है?
बबलू: अरे मेमसाब, मुझे भी नहीं आना था पर आज शाम सोसाइटी की मीटिंग है तो सेक्रेटरी साहब ने बोलने को बोला था तो आया हूँ...
भाभी: वो तो इंटरकॉम से भी बोल सकते थे...
बबलू: अरे मीटिंग एजेंडा देना था मेमसाब, ये कागज़... बाकि टेंसन मत लो लड़का जो आया वो अभी घर में ही है मुझे पता है... मैं नहीं बोलूंगा किसी से... लगे रहो...
ये नया था इसीलिए मेरे बारे में उनको नहीं पता था... पर कुछ ज़्यादा ही चालाक था...
भाभी: कोई नहीं है चल भाग यहाँ से...
करके भाभी ने दरवाजा बंद कर दिया था... अब सब मज़ा किरकिरा हो चूका था... हम सब थोड़े टेंसन में थे...
मैं: ये साला भांडा फोड़ देगा...
भाभी: तो और क्या कर सकते है?
केविन: शायद तू अपने बदन से उसे खेलने भी दे एक दफा तो उसकी हवस से वो हर बार तुज पे चढ़ने आएगा...
भाभी: पर उसे वही करना है जो एक मर्द चाहता है...
मैं: नहीं नहीं फिर तो उसे सिर्फ तू चाहिए होगी, क्योकि एक बार तेरी चूत मिल गई तो फिर उसके बाद वो अपनी बीवी को भी भूल जाएगा...
भाभी: छोड़ सारा मज़ा किरकिरा हो गया...
केविन: उसे वैसे भी पता है की मैं घर में हूँ तू इस हाल में है, तो आना मज़े करे... बिंदास हो कर... कल कुछ हुआ और तू ना मिली उसके बाद तो? मुझे तो तेरे बदन से सुख चाहिए आज...
भाभी: हा हा हा..... समीर तुजे कुछ चहिए या नहीं? तो केविन को मज़े करवाती हु... तू बैठ के चिंता कर...
मैं: क्यों? मैंने गुनाह किया है क्या? मैं भी चोदुंगा तुजे, मैं गांड मारूँगा आज और सुजा भी दूंगा...
केविन: नहीं नहीं आज तो ये गांड मेरी है...
मैं: नहीं मैंने पहले बोला तो मेरी है...
भाभी: रुको रुको, बारी बारी से मार लेना..
केविन: नहीं मेरी जान, अगले लेवल के सेक्स के लिए तैयार हो जा... आज दोनों लण्ड तेरी गांड में एकसाथ घुसेंगे... और चूत में भी... हम दोनों....
भाभी: नहीं नहीं दोनों एक साथ नहीं दर्द होता है...
मैं: अरे तुजे किसीने पूछा नहीं है बताया है...
हम दोनों भाभी को मसलने शुरू हो गए थे... अब की बार मैंने भाभी का दो हुक पर टिका ब्लाउज़ वापस तोड़ के फाड़ दिया... और देरी न करते हुए... घाघरा भी उतार दिया , भाभी ने पेंटी नहीं पहनी थी तो अब हम दो के बिच भाभी नंगी थी... हम दोनों वापस भाभी के बदन से खेलने में लगे थे.... औरत अगर साथ दे तो कितना मज़ा आये वो तो चोदने वाला ही जानता है... भाभी पुरे बदन पे हमारे हाथ और होठ चल रहे थे... हम दोनों ने भाभी के बदन से कितनी बार खेला था पर हर बार भाभी की पेशकश हमे अधूरा ही महसूस करवाती थी...
मैं: भाभी तेरे बदन की महक है न? वो बस मदहोश कर देती है...
भाभी: हा देवरजी जानती हूँ... तभी तो आपको खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ती हूँ...
केविन: कई औरतो को चोदा है, रंडिया भी कुछ नहीं है तेरे आगे....
भाभी: आह.... वैसे तो.... उम्म्म्म तुम लोगो की रण्डी ही तो बन गई हूँ.... आउच, जोर से दबा न मम्मे को...
केविन: भोसडीकि तेरी यही आदत और अंदाज़ सबसे अलग है.. तू अपने आपको पूरा इस्तेमाल करवाती है... प्रताप को तू चाहिए... बोल करे कुछ इंतेज़ाम?
भाभी: वो तो मुझे भी चाहिए... आआआआआह... काट निप्पल को... पर डर इस बात का है की वो फिर कुछ भी कर सकता है...
मैं: अरे कुछ भी करे साली तू सब पर भरी पड़ती है...
भाभी: अरे चुदने से परहेज़ नहीं है... वो तो कुछ भी कर ले... पर डर है की किसीको बोल न दे... नहीं नहीं दोनों दो दो ऊँगली मत डालो चूत में... तिन नहीं प्लीज़ प्लीज़... आउच.... आह.... रुकना मत बस... करते रहो...
अब वापस से डोरबेल बजी....
केविन: साला मादरचोद बबलू तो गया काम से...
भाभी: चलो चलो दूर हटो... वो वैसे भी गया है काम से....
केविन: ऐसे ही खोल न दरवाज़ा....
भाभी: पागल है? नहीं
मैं: पर कुछ सेक्सी सा पहन के खोल, जिसमे तेरे बदन की नुमाइश हो... तब तक भले बेल बजाए... चला गया अगर तो ठीक वरना लॉटरी लगेगी साले की...
भाभी: ह्म्म्म्म ब्लाउज़ तो फाड़ दिया आप दोनों ने मिलके.... चल आती हूँ....
भाभी ने जाकर साडी उठाई और खाली साडी लपेट के कुछ ऐसे अपना जलवा दिखाने दरवाजे पर पहुंची...
भाभी ऊपर से पूरी नंगी थी...! और पीछे से वो हमे पता चल रहा था... हम वापस अपनी जगह... भाभी ने दरवाजा खोल कर...
भाभी: क्या है रे तू घडी घडी क्यों आता है?
बबलू: डिस्टर्ब कर रहा हूँ क्या?
भाभी: हा तो काम होता है मुझे, खाली नहीं बैठी हूँ तेरे जैसे... काम नहीं क्या तेरे को?
बबलू: आपको देखने को मन होता है... क्या करू?
भाभी: तू मुझे भी अपने साथ साथ मरवाएगा...
बबलू: क्या मेमसाब मिलने आता हूँ तो प्रॉब्लम... अकेली है तो आपका अकेलापन दूर करने आ रहा हूँ... अंदर आउ क्या?
भाभी: आजा... पर काम क्या है तेरे को?
बबलू: बस थोड़ी देर बाते करेंगे और चला जाऊंगा...
भाभी: थोड़ी देर मतलब ज्यादा से ज्यादा पंद्रह मिनिट ठीक?
बबलू: ये भी चलेगा, कोई बात नहीं...
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