RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी पानी लेने के लिए अंदर गई... हमे यहाँ से दिख नहीं सकता था वो स्वाभाविक था पर सुन बहोत अच्छे से रहे थे... भाभी के बदन से जब से वाकेफ हुए है, तब से ये क्या कर सकती थी ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था... भाभी की साड़ी फर्श पर थी... वो भाभी ने जुक के उठाया और अपनी गदराई गांड के विज़ुअल दर्शन करवाए... भाभी पानी लेकर आई... तब तक वैसे सिक्यूरिटी वाला अंदर आ चूका था... दरवाजा तो खुल्ला ही था...
सेक्युरिटी: मेमसाब अगर बुरा न मानो तो बैठ के पानी पिऊ?
भाभी: हा आ जाओ वो वाले सोफे पर बैठ जाओ...
बैठने की ज़रूरत नहिं थी, ना ही बिठाने की... पर भाभी कुछ अलग अंदाज़ में थी... एक तो हमने उनकी आग वैसे भी भड़का दी थी... सिक्योरिटी को हमारे वाले सोफे पे बिठाया...
भाभी: क्या नाम है तेरा...
सिक्यूरिटी: बबलू
भाभी: बबलू?
सिक्यूरिटी: वैसे नाम तो प्रताप है पर यहाँ सब लोग प्यार से बबलू बुलाते है...
बबलू की नज़रे भाभी के ब्लाउज़ में ही गडी थी... भब्जि ने जैसे अचानक ध्यान गया हो वैसा नाटक किया और अपना ब्लाउज़ का हुक ठीक कर के बन्द कर दिया.... भोलू की आँखे साडी पर थी जो फर्श पे पड़ी थी...
भाभी: वो मैं कपड़े ठीक कर रही थी...
बबलू: अरे नही नहिं घर में तो सब हल्के कपड़े ही पहनते है न?
भाभी: और पानी लाउ?
बबलू: हा प्लीज़...
खाली खाली पानी पिने का नाटक कर रहा था... भाभी ने ग्लास लेते वख्त बबलू ने हल्का सा छु जरूर लिया था... भाभी वापस पानी लेने अंदर गई और आते टाइम वापस ब्लाउज़ ला पहला हुक खोल के आई... साड़ी फर्श से उठाकर एक साइड रख दी पर लपेटी नहीं... पानी देने वख्त जानबूजकर जुकी...
बबलू: ये वापस खुल गए है...
काफी तेज़ और बेहिचकिच था ये जवान... बॉडी बिल्डर था... एकदम बोलता था...
भाभी: फीता ढीला हो गया है तो बार बार खुल जाता है...
भाभी ने वापस बन्द करने जा ही रही थी के...
बबलू: रहने दीजिए न... अच्छा लग रहा है... काफी सुंदर लग रहा है ये दृश्य... आप बहोत खूबसूरत है...
भाभी: तेरी शादी नहीं हुई है?
बबलू: हो तो गई है... एक बच्चा भी है पर आप बहोत खूबसूरत है...
भाभी: (थोडा गुस्सा होकर) तुजे पता भी है के तू क्या बकवास कर रहा है?
बबलू: मेमसाब बस मुझे मुह पे बोलने की आदत है... आप जो दिखा रही है उनकी तारीफ नहीं करूँगा तो आपको भी ऐसा लगेगा के किसी नामर्द को बताया... और मैं नामर्द नहीं हूँ...
भाभी इस स्ट्रोक पर हस पड़ी... और हँसी के साथ मम्मे भी थिरकने लगे... साले को पटाना मस्त आ रहा था...
बबलू: मस्त है... लाजवाब है...
भाभी: बस बस...
बबलू: अरे मेमसाब इसमें क्या शरमाना... चलो में आपके ऐसे दीदार देखने हररोज़ आया करूँगा.. ता के आपके हुश्न के जलवे को कोई तो मिल जाये आपको... और आपका दर्द दूर हो जाए...
साला शायद मान रहा था के भाभी को ठंडा करने के लिए कोई नहीं है पर इनको क्या पता के ये लावा जैसी है...
बबलू: एक छोटा अहसान कर देना...
भाभी: और वो क्या?
बबलू: इतने से नही थोड़े ज्यादा दिखा देना..
भाभी: और?
बबलू: हा... एक हुक और खोल देंगे तो बहोत मजा आएगा... आपको दिखाने में और मुझे देखने में...
भाभी: लो चलो ये ख्वाहिश आपकी अभी पूरी कर देते है...
भाभीने तुरन्त ही अपना दूसरा हुक खोल के मम्मे को और आज़ाद किया...
बबलू: हा अभी मज़ा आया न? एकदम भरे हुए है... मस्त...
भाभी: अभी तू लाइन क्रॉस कर रहा है...
बबलू: अरे मेमसाब ये लाइन देख कर ही तो लाइन क्रॉस करने को जी चाहता है... वैसे कल आपने कुछ् नहीं पहना था न गाडी में?
भाभी: अपने काम से काम रख, ज्यादा होशियार मत बन...
बबलू: आपको पसंद है वही हो रहा है... आपका बदन है, आपको दिखाना अच्छा लग रहा है... तो कोई तो चाहिए न देखने को...
भाभी: चल जा अभी यहाँ से... और मत आना कभी यहाँ से वरना शोर मचा दूंगी मैं...
बबलू: उसमे भी बरबादी तो आपकी ही है... मुझे तो और कही जॉब मिल जाएँगी... चलो मुझे क्या आपको जो दिखाना है वो देखने के लिए कोई नहीं तो... मैं निकल जाता हूँ...
भाभी थोड़ा मुस्कुराई जरूर.... प्रताप की बाते ही कुछ मज़ेदार बड़ी बेख़ौफ़ थी, भाभी को कल अधनंगी देखने के बाद प्रताप ने भाभी की इमेज अपने मनमे बना दी थी और इसीलिए वो जानता था के पट जाये तो ठीक वरना ब्लैकमेल कर सकता है, ये बातो से जलक रहा था...
भाभी: नहीं दिखाना कुछ मुझे किसीको भी अब जाओ जल्दी कोई आ जाएगा...
बबलू: ठीक है मेमसाब पर पर एक बाद याद रखना मुह बंद रखने के लिए मुझे कुछ तो चाहिए...
ऐसा बोल के वो घर से निकल गया... और हम दोनों बाहर निकले....
केविन: बहनचोद कर और ब्लाउज़ ढीला... क्या ज़रूर थी उनको अपने जलवे दिखाने की साली मादरचोद... सुबह तो डर रही थी और अभी बड़ी गुदगुदी हो रही थी साली छिनाल?
भाभी: देख वो वैसे भी नहीं जाने वाला था, सुना नहीं आखिर में उसने अपनी मन की बात बोल ही दी... और वैसे भी ये मेरा बदन है, मैं डिसाइड करुँगी, क्या करना है क्या नहीं ओके?
मैं: मुझे डर है कुछ गलत ना हो जाए बदनामी न हो जाए...
केविन: वाह मादरचोद ये साली रण्डी शादीशुदा होकर भी एक गुमनाम कॉलगर्ल बन चुकी है और तू है की डर रहा है?
भाभी: एक औरत का शरीर मर्द को भोग लगाना ही सबसे अच्छा चढ़ावा है... तू ऐश कर कुछ नहीं होता... कल भी मज़ा आया न?
मैं: ह्म्म्म पर थोडा डर ज़रूर लग रहा है...
भाभी: केविन, लगता है के देवर जी को फिर से मम्मे दिखा के उकसाने का टाइम आ गया है... चल तो देख ज़रा के तुजे हुक खोलना आया के नहीं...
केविन: अरे मेरी जान मैं तो खोलने में क्यों वख्त बरबाद करू?
केविन ने ब्लाउज़ को हुक की जगह के अंदर हाथ दाल के जोर से ब्लाउस खीच के फाड़ दिया.... और अपने एकदम करीब लाकर उनके नंगी पीठ को अपने हाथ से सहलाने लगा.. भाभी ऊपर से पूरी नंगी थी और केविन से चिपकी थी, अपने बदन से मज़े करवा रही थी... हलके से केविन ने मेरी और देखा और आँख मारके बोला...
केविन: चल अभी तो कर ले मज़े करवा रही है तो... सिर्फ दो जन मिल बाँट के खाएंगे... मज़े करेंगे....
केविन ने पीठ में अपने मजबूत हाथो से चिमटी काटी... भाभी आउच कर उठी...
भाभी: तू मुझे समीर के सामने आने दे, और पीछे से मज़े कर मेरे मम्मे से, समीर को मेरे मम्मे मना लेते है जल्दी से...
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