RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैंने गाडी स्टार्ट की, मेरा दिल ज़ोरो से धड़क रहा था... गाड़ी हाइवे पर सिर्फ १० मिनिट में पहोच जाती है... पर मेरे लिए १० घंटे समान हो रहा था... वहा मैं रुकना चाहता था... पर मेरे हाथ रुक नहीं रहे थे... मैं भाभी की और देखने की कोशिश कर तो रहा था... पर... जो चाहिए था वो मुझे मिलने वाला था शायद, उसके लिए मैं इतना एक्साइट हो रहा था के कुछ समज नहीं आ रहा था... क्या करूँ? रूकू? या कल कॉलेज में और एक बंक मार के पूरा दिन घर पे रहूँ? मैं ये पहला मिलन यादगार बनाना चाहता था... हर कोई चाहेगा... मैं भी चाहता था....
क्या करू...?
भाभी: समीर?
मैं: हम? कल घर पे? मेरी फटी पड़ी है...
हम दोनों हँसने लगे...
भाभी: जैसी इच्छा, वरना यहाँ इन सुमसाम वीराने में कोई है नहीं...
मैं: आर यू स्योर?
भाभी: तुजे क्या पसंद है...?
मेरा हाथ गाड़ी के गियर पर था... भाभी ने हलके से छुआ और मेरी इच्छा पूछी थी... मेरी धड़कने जवाब दे रही थी... मैं भाभी के ठन्डे हाथ को महसूस कर रहा था... मेरा पेंट भी.... करू ना करू सोचते हुए मैंने अचानक से गाडी को ब्रेक मारी, और रुक दी... मैंने भाभी की और देखा उसने मेरे सामने... उसकी नज़रे जुकी... और मैंने भाभी के हाथ को पकडे उसको सहलाने लगा... दबा ने लगे... भाभी ने खुद से साड़ी का पल्लू गिरा दिया... मुझे साडी का पल्लू हटते ही... क्लिविज के दर्शन हुए... मैं मस्ती में था... भाभी भी... मुझे समज ही नहीं आ रहा था के कल तक जो भाभी नंगी दिख रही थी, आज वो मेरे पास है... मैं बस हाथ को पकडे रख्खा था... भाभी मेरा अब तक पूरा साथ दे रही थी... पल्लू गिरने से जो मम्मे का भाग था वो साँसों के कारन फूलता तो बहार आते साफ़ दिख रहा था... अब दोनों में से किसीको गलत नहीं लग रहा था... धीमे धीमे मैंने भाभी का हाथ छोड़ा और भाभी की बाहो पर ऊपर हाथ चलाना स्टार्ट किया... भाभी के हाथो पर जहा ब्लाउज़ स्टार्ट होता है वह जगह तक मैं अपना हाथ ऊपर निचे रगड़ ने लगा.. भाभी की वासना जागती रही और मैं मखमल के चादर पर जैसे अपना हाथ चला रहा हूँ वैसा लग रहा था... पूरा अँधेरा था रस्ते पर, उर हलकी हलकी दूर दूर रही लाइट्स कुछ मज़ा दे रही थी... भाभी वो लाइट्स में भी बहोत खूबसूरत दिख रही थी... मैंने वासना से भाभी को पहली बार नहीं छुआ था पर हा... एक अधिकार से जरूर पहेली बार छुआ था...
मैं ये अँधेरे को और महसूस करना चाहता था... मैं ये भी तो चाहता था के कुछ भाभी भी करे... ऐसे ही पड़ी न रहे... और इतने में ही एक ट्रक वह जगह से निकला और उनकी लाइट्स हम पर पड़ी... हमने अपने आप को ठीक किया पर ट्रक तो वहा से चला गया... ये डर भी मीठा लगा... हम दोनों एक दूसरे को देख के हँसने लगे और भाभी ने अपनी बाहे फैला कर मुझे गले लगाने के लिए न्योता दिया हँसते हुए... जो मैंने हस्ते हुए स्वीकार कर के उसके हाथो पर अपनी उंगलिया को चलाते हुए आगे बढ़ कर स्वीकार किया... और उसे गले लगा लिया... बिच में गियर बॉक्स था जो मुझे अच्छे से गले लगने में ग्रहण दे रहा था... मैंने गले लगा के भाभी की धड़कनो को महसूस किया, उसके मम्मे जो मेरी छाती पर दस्तक दे रहे थे वो अजीब महसूस हुआ... और मेरे हाथ भाभी की पीठ पर ब्लाउज़ पर घूमते घूमते निचे जा रहे थे की मैंने उसको अपनी और ठीक से खीचा, वो एक और तो हुई पर परेशानी तो उसे भी हो रही थी... और मैंने उनकी और देखा... वो निचे जुकी आँखों से मुस्कुरा रही थी और उसका चहेरा ऊपर करके कुछ भी और नहीं सोचा, अपने आप को रोक नहीं पाया और भाभी के गुलाबी होठो पर मेरे होठ रख दिये... ये मेरा पहला अनुभव था चुम्बन का... कितना मधुर और स्वादिस्ट लग रहा था... मैंने भाभी के सर को और जोर देकर उसे जोर जोर से किस किये जा रहा था, मुझमे पागलपन बढ़ते ही जा रहा था... मैं अपने आपको रोकने में असमर्थ था... और अचानक भाभी के हाथ मुझे अपनी और खिचे जा रहे थे... मुझमे उस पर चढ़ने को आमंत्रण दे रहे थे.... मैं उसे गाल पर, होठ पर, माथे पर, गले पर किस किये जा रहा था... वो मुझे खीच रही थी... पर गाड़ी में बहुत छोटी जगह थी... तो मैं खुद से कुछ अच्छे से कर नहीं पा रहा था... गले पर किस कर के जैसे मैं निचे और गया के भाभी ने मुझे रोक दिया... "ज़रा सबर करो राजा" कहके उसने मेरे हाथ को उसके मम्मे पर टिका दिए...
भाभी: इसे फिल करो समीर... सहलाओ इसे कैसा लग रहा है...
मैं आखे बंध करके सहलाये जा रहा था... ब्लाउज़ के ऊपर तो वे कड़क नज़र आ रहे थे... पर उठी हुई निप्पल मुझे और दीवाना कर रही थी... मैंने थोडा दबाया तो भाभी ने "आह..." करके स्वागत किया...
मैं: उतारू क्या?
भाभी: (मेरा हाथ दूर करते हुए) यहाँ? बिलकुल नहीं... यहाँ कोई भी आ सकता है, और कुछ भी हो सकता है... सुमसान इलाका है... थोड़े पल के मज़े ख़राब हो जायेगे ज़िन्दगी भर... चलो गाडी स्टार्ट करो... घर चले जाते है...
बात भाभी की थी तो बिलकुल आसान और समझने के लायक... पर मेरे गले वो थोड़ी उतरेगी? मेरा लंड जो कड़क हो चूका था उसका हिसाब तो करना पड़ेगा ना... पहेली बार जब किस करके भाभी को मैं भीच रहा था तब... मेरा ऑलमोस्ट हो जाने वाला था... पर मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक के रखा... तो आप समज ही सकते है की मेरा क्या हाल हो रहा होगा? पर भाभी की बात मुझे सही तो लगी... मम्मे एक बार भले ऊपर से ही दबा लो तो फिर जो सुख मिलता है वो कुछ अलग ही होता है... इसीलिए भैया घर पर आते ही सबसे पहले भाभी के मम्मे जरूर दबाते है.. जैसे पहले मैंने बताया था...
भाभी के बाल बिखर गए थे वो उसने बंधना चाह रहे थे की मैंने रोके, क्योकि खुले बाल में क्या गज़ब ढा रही थी वो... मैं और वो एकदूसरे तो तके जा रहे थे.. पर किसी के आ जाने का डर भी था... आसपास खेत थे कोई जानवर भी आ सकते है...
मैं: अब क्या करे?
भाभी: चलो घर ही चलते है... तेरे भैया को देती हूँ... उससे मेरा काम तो हो जायेगा... हा हा हा...
मैं: याद रहे कल तू घर ही है...
भाभी: हा। अभी पता चल गया के कितना आता है तुजे... सब सिखाना पड़ेगा तुजे...
मैं: पर एक बार सिख गया तो फिर खैर नहीं तेरी...
भाभी: हा हा... अभी तो सबर करो तुम...
मैंने गाडी चला दी... मैं और भाभी का ये पहला था... भाभी भी पहली बार बहार आई थी... उसे भी भैया को ऐसे राह तके रहने देना पसंद नहीं था।
रस्ते भर हम एकदूसरे को छूते रहे... मैं अब भाभी के मम्मो को मसल था पूरी ताकत से और वो भी हक़ से... मैंने बहोत मज़े किये रस्ते भर.... घर पहोचते ही हम लोग गाड़ी से बहार निकले लिफ्ट में गए... हम रहते तो थे पहले माले पर, पर हम हमारे दसवे माले तक गए और पूरी लिफ्ट एकदूसरे को एकदूजे में समां ने के लिए किस करते रहे... मैंने भाभी को खड़े खड़े दबा दिया था... भाभी ने मेरा ख्याल रखा और मेरा लंड पहली बार अपने हाथो से दबा दिया और मुझे जड़ने के लिए साथ दिया... मैं अपने आप को रोक ही नहीं पाया और भाभी के हाथो की ताकत पर मैं दसवे माले से जब पहले माले तक पहोचा तब तक जड़ गया... तब मुझसे भाभी का मम्मा और जोरो से दब गया... और भाभी चिल्ला पड़ी... और हम दोनों हँसने लगे... और मेरे चहेरे पर ख़ुशी छा गई... मेरा पेंट गिला हो गया था अंदर से तो मैंने अपना शर्ट बहार निकाल लिया और ढकने की खोटी कोशिश करी... और जब भाई ने डोरबेल बजाया... मुझे सुसु आई है करके मैं जल्द ही अपने बाथरूम में चला गया... और फ्रेश होकर ही बाहर आया... हम सबने प्रसंग के बारे में थोड़ी बात की और फिर सब अपने अपने रूम में जाके सो गये...
मैं उस रात को देखने नहीं गया... क्योकि मैं कल वो खुद करने वाला था भाभी के साथ....
मुझे नींद काफी देर तक नहीं आयी क्योकि मैं उत्तेजना में अपना भान भूल चूका था... और तभी भाभी का मेसेज आया... "सो जाना... गुड नाईट... स्वीट ड्रीम... एंड हा आई लव यु"... रिप्लाय मत करना.... तकरीबन २ बजे थे... मतलब भाई २ बजे तक भाभी को चुद रहे थे... या फिर उसकी जब नींद खुली मुजे याद किया... मैं तो पहला वाला ऑप्शन नहीं मानुगा... क्यों मानु के मेरा प्यार किसी और के निचे देर तक घिसा जा रहा था... और दर्द ना बढे इसलिए पुछुगा भी नहीं...
एक तरफ प्यार था और एक तरफ हकीकत भी... ऐसा खयालातों के बिच कब नींद में चला गया पता नहीं चला... सुबह आँख खुली बड़ी देर के बाद... करीबन १० बज चुके थे... भैया तो ९:४५ को चले जाते है... और में एकदम चोक के खड़ा हुआ... भाभी कहा है? और भैया गये के नहीं? मैं जल्दी से उठा और घर में ढूंढ ने लगा...
मैं: भाभी? ओ भैया? कहा हो आप सब लोग?
किसीका जवाब नहीं आया... मैं किचन गया.. फ्रिज पर कुछ चिपकाया पड़ा था कागज, और उसमे कुछ् लिखा था...
"मेरे प्यारे देवर जी पता था मुझे ढूंढो गे... और ये भी पता था के किचन तक जरूर आओगे... तो आप को बता दू के जाओ पहले मुह धोके आओ और नहाना भी खत्म कर ही देना... बाद में मिलते है.. तुम्हारी प्यारी और सेक्सी भाभी"
मैं चला अब नहाने... मुह भी धोना बाकी था... भाभी मुझे कितना जानती थी... जैसे ही बाथरूम में पहोचा.. अंदर आईने में एक और चिठ्ठी थी... मैं ब्रश कर रहा था...
"हा हा हा... पहले ब्रश तो अच्छे से कर लो, मुझे पता था के तू पहले पढ़ेगा... चल तेरी मर्जी... अच्छे से मुह धो के... अच्छे से नहा लेना... और फिर मेरे रूम मैं आ जाना..."
अरे वाह... अब तो मैं और बरदास्त कर नही पा सकता था... जैसे ही मैंने मेरे बाथरूम का दरवाजे को खोलने चाहा... वहा लिखा था...
"पता है की तू नहीं ही मानेगा... जाओ नहाओ पहले..."
अरे भाभी... ठीक है चलो नहा लेता हूँ... और क्या... मैंने जैसे तैसे नहाना खत्म किया... मेरा लौड़ा खड़ा हो चूका था... पर अगर मैं उनको छूता तो फिर मुठ मार के ही मानता... मैंने जल्दी से नहा लिया और फिर.. धीरे से बहार कपडे पहने और भाभी के रूम की तरफ जाने लगा.. दरवाजा धीरे से खोला तो अंदर कुछ दिखाई नहीं दिया... मैं थोडा निराश जरूर हुआ... पर अब मुझे अगला सुराग ढूँढना है... अभी तक वही हुआ था... मैं धीमे धीमे रूम में घुसा और सब जगह ढूंढने लगा... पहले आईने पर गया... कुछ नहीं दिखाई दिया... फिर पलंग पर देखा... और फिर अलमारी की और ध्यान गया... वहा लिखा था कुछ् छोटे टुकड़े पर...
"इंतज़ार की घड़िया खत्म करनी है तो आईने वाले कपबर्ड को खोलो"
क्या भाभी कपबर्ड मैं है? क्यों? ऐसा क्या है... मैं धीमे पगले आगे बढ़ा उसकी और... धीरे धीरे मैंने वो कपबोर्ड खोला... और भाभी... मुझे कुछ् ऐसी मिली...
वाह क्या नज़ारा था... मैं वहीँ कपबर्ड मैं घुस गया और अपने बदन को उनसे मिलाने की कोशिश करने लगा... मैं भाभी को चूमे जा रहा था... भाभी मुझे पूरा साथ दे रही थी...
भाभी: आह... धीमे... पूरा दिन पड़ा है... और कितना सोते हो तुम? आउच... नहीं मत खीचना... अभी अनरेप नहीं होना मुझे रुको... छोडो चलो बाहर निकलो...
मैं चुपचाप बाहर निकला उनके पीछे पीछे... अरे पीछे से तो वो पूरी नंगी ही थी। गांड की दरार में फसी तंगी लिंगरी की डोरी... मुझे तो ये सोच भी नहीं आई के भाभी ने ये कब खरीद कर ली? पर मेरा तो काम बन रहा था... भाभी पलंग पर जाके बैठ गई... मेरी जबरदस्ती में भाभी का मेरे साइड वाला लेफ्ट मम्मे की निप्पल बाहर आ गया था... और राईट वाला पूरा मम्मा दिख रहा था... भाभी ने एक कातिल स्माइल दिया और... धीरे से दोनों ही मम्मे को एक एक करके अंदर वापस ढक दिया...
भाभी: भारी उतावले हो तुम... चलो आओ... बैठो यहाँ पर...
मैं चुप चाप आके बैठ गया...
भाभी: देखो शांत रहो वर्ना यही सब में ठंडे हो जाओगे.. शांति...
मैं: भाभी... (ऐसे करके मैंने लिंगरी के बो को खोलने की कोशिश कर ही रहा था के भाभी ने फिर रोका)
भाभी: एक चपत लगाउंगी.. बोलाना सब्र करो...
मैं: पर...
भाभी: (थोडा गुस्सा हुई) हा कर ले जो करना है... धनाधन पेल के चला जा...
मैं: अरे नहीं नहीं.. वो आपका निप्पल अभी भी थोडा बाहर है...
भाभी: (थोडा इठलाके) हां तो? (और उसे भी अंदर ढक दिया)
मैं: अब?
भाभी: पहले कभी कुछ किया है किसीके साथ?
मैं: नहीं वर्जिन हूँ
भाभी: चलो तो फिर मजा आएगा...
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