RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मुझे नींद नही आ रही थी... सामने भाभी की सेक्सी बॉडी को देखने के बाद वो भी उन्ही की मंजूरी के बाद... पर अब कल कैसे बात करू? भाभी का क्या क्या रिएक्शन आयेगा... वो सोचता रहा... मैंने कुछ कुछ निकाले पॉइंट्स जो वैसे तो कुछ कहने योग्य नहीं थे... पर कुछ तो चाहिए? बात आगे बढ़ानी ही थी.... देर रात को नींद तो आ गई... मुझे अब भाभी को चोदना ही था... देखने में कोई मज़ा नहीं था... ये मैंने मन बना ही लिया था...
दूसरे दिन... सामने सामने ही बाते हुई...
भाभी: क्यों देवर जी जल्दी में थे क्या? जो निकल लिए थे?
मैं: अरे आप जैसे हुश्न की परी हो तो क्यों भला जल्दी हो? पर मेरे पास आप के ब्रा पेंटी के अलावा कुछ था।नहीं तो मैं वहा अकेला अकेला थक गया...
भाभी: वही तो... अब बताओ मेरा क्या हाल होता होगा?
मैं: हा... वो तो है... वैसे वो लिंगरी ली कहा से थी?
भाभी: अरे वो तो भैया ने ही दी थी...
मैं: अच्छा... भाभी एक बात पुछु?
भाभी: हा बोल....
मैं: आप... सॉरी तू अपना बदन दिखाने के लिए और सेक्स दिखाने के लिए तैयार क्यों हो गई?
भाभी: देख ये तेरे मेरे बीच की बात है... (वो सोच समजकर बोली) देख.... तू वैसे भी मुझे इसी नज़रो से देखता है... कभी कबार तुजे मैंने बाल्कनी में देखा है... माँ बाप है नहीं और मेरी कुछ कम्प्लेंट कर देने पर आप दोनों भाई अलग हो जाओगे तो फिर दुनिया मुझे ही कोसेगी... अब मुझे ही ये डिसीज़न लेना पड़ा... की चलो यही करते है... तो तू अपना दिमाग अपने तक रख्खेगा... कभी कबार अगर तू बाल्कनी मैं आए और भाई देख लेता तेरा तो? उससे अच्छा है की मुझे पता है... मैं संभाल सकती हूँ...
भाभी काफी कुछ बोल गई... और इसमें परिवार की भावना छलकाइ दी... मुझे अच्छा भी महसूस हुआ और एक औरत पर तरस भी आया.. पर इससे मेरा प्यार कम थोड़ी हो जाता? मुझे करना है तो करना ही था...
मैं: भाभी प्लीज़ एक बार मुझे गले लगाओ न?
भाभी: उहू... पहले रेटिंग्स तो सजेशन दो तभी... वो भी कुछ अच्छी लगेगी तो...
मैं: हमारी दोस्ती में मैं एक और छूट लेने जा रहा हूँ के मुझे साफ साफ़ बोलना पड़ेगा ठीक है? छूट है?
भाभी: मममम ओके... पर तू.. तू बोल भूल क्यों जाता है?
मैं: ठीक है भाभी... पहले तो तूने लिंगरी क्यों पहनी? तुजे टॉवेल ओढ़े आना था.. ऐसे (मैंने पिक्स दिखाई मोबाईल में) कुछ ऐसे बहार आना था तुजे..
भाभी: ह्म्म्म ये ज्यादा सेक्सी लग रहा है... सही है और?
मैं: दूसरा ये के भाई के लंड को ही चूसती रही...
भाभी: तो और क्या करू?
मैं: अरे बुद्धू गोटे भी तो चूस लेती... कुछ ऐसे... (मैंने फिर मोबाईल दिखाया)
भाभी: ह्म्म्म ये भी सही है... और?
मैं: ओके तूजे गांड भी चाटनी चाहिए। भैया तेरी चाटते है की नहीं?
भाभी: हा, मेरी मारते वख्त चाटते है...
मैं: हा तो तुजे भी तो चाटनी चाहिए के नहीं?
भाभी: ये दिमाग में कभी नहीं आया... तेरे भाई को पसंद आएगा क्या?
मैं: हा हा क्यों नहीं देख ये...
भाभी के चहेरे पर लाली तो छा गई थी और मेरा यहीतो काम था...
भाभी: और?
मैं: आपने ना कभी ये ट्राय नहीं किया होगा... (ऐसा बोल के मैंने एक मस्त चौका मारा)
मैंने जट से दिखाकर मोबाईल ले लिया...
भाभी: है... दिखा दिखा दिखा... क्या था वो?
मैं: (शरारती स्माइल देते हुए) हा हा... सजेशन...
भाभी: बताना प्लीज़...
मैं: ठीक है...
मैंने भाभी को दिया... भाभी इतना ही बोली...
भाभी: है भगवान... इतना एकसाथ?
मैं: हां तो डर गई?
भाभी: ये सब ग्राफिक्स का कमाल है.. ऐसा हो ही नहीं सकता...
भाभी भले ही बोली थी पर उसकी आँख तो इसी फोटो पर टिकी थी...
मैं: अरे ये सब रियल है... तू पोर्न नहीं देखती या पहले नहीं देखि?
भाभी: ना बाबा नहीं देखि...
मैं: तो चल दिखाऊ?
थोड़ी आनाकानी की पर फिर वो दोपहर के खाने के बाद के लिये मान गई पर शर्त ये रख्खी गई की दोनों अलग अलग सोफे पर जगह बना कर बैठेगे... पास नहीं... मैं मान गया... वो दुरिया मैं मिटा दूंगा उतना मुझे विश्वास था...
दोपहर के खाने के बाद, भैया का फोन आया और हमारे एक रिश्तेदार के घर उनके एक प्रसंग के कारन हमे वहा जाने के लिए भैया ने बोला... मुझे भी जाना था... मैं निराश तो हो गया पर चलो जो भी है...
हम दोनों हमारी गाडी में निकल गए... भाभी ने मस्त साडी पहने तैयार हुई थी। जिसमे एकदम हॉट लग रही थी... बिलकुल ऐसी
हमारा रास्ता कुछ १ घंटे का था, चुपचाप बैठे थे की मैंने पूछा...
मैं: क्या तेरा शादी से पहले कोई चक्कर था क्या?
भाभी: क्यों? क्या बकवास करते हो? ऐसा क्यों सोचते हो? में थोड़ी घुलमिल क्या गई तुम तो बस मेरे केरेक्टर पर सोचने लगे?
मैं: अरे अरे आप तो गुस्सा हो गई...
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