RE: Chudai Story ज़िंदगी के रंग
मोना वैसे ही खर्राटे मार के सोती रही. जवानी की नींद की बात ही कुछ और होती है सफ़र से मोना तो थॅकी भी हुई थी. बंसी कुछ देर वैसे ही हाथ उसकी गांद पे रख के खड़ा गौर से मोना की तरफ देखता रहा पर जब यकीन हो गया के वो अभी तक सो रही है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी. "क्या मस्त गरमा गरम गांद है साली की और टाइट भी बहुत लगती है. इसको देख के वैसे भी लगता है के अभी इसने किसी से चुदाई नही करवाई. ये सब काम भी मुझे ही करना पड़ेगा." बंसी ने अब दूसरा हाथ भी उसके दूसरे चूतर पर रख दिया. उसका लंड तो आसमान को छू रहा था अब. दिल तो उसका कर रहा था के अभी मोना की सलवार उतार के उसकी कुँवारी गांद को टिका कर चोदे लेकिन उससे पता था के अगर ये जाग गयी तो कहीं लेने के देने ना पड़ जाए क्यूँ के साला डॉक्टर भी घर पे था अब. वो धीरे धीरे मोना की गांद पे हाथ फेरने लगा. "उम्म्म" मोना के मूह से नींद मे निकला पर वो अभी भी नींद मे थी. सच तो ये है के उसने जो आज देखा वो ही उसको सपने मे आ रहा था मगर ममता की जगा वो लेटी हुई थी और बंसी उसकी टाँगों मे घुसा हुआ था. इस सपने को देखते हुए बंसी जो धीरे धीरे उसकी गांद पे हाथ फेर रहा था उससे उसको नींद मे और भी माज़ा आ रहा था. मोना ने शलवार के नीचे जो लाल रंग की पॅंटी पहनी थी वो बंसी को हल्की हल्की नज़र आ रही थी. मोना की टाँगें थोड़ी खुली हुई थी जिसका फ़ायदा उठा के बंसी धीरे धीरे हाथ फेरते हुए उसकी टाँगो के बीच मे ले गया. जैसे ही उसने वहाँ धीरे से अपनी उंगली से छुआ तो मोना के मूह से "उम्म्म" की आवाज़ निकली. "लगता है साली को माज़ा आ रहा है." ये सौच कर बंसी ने अपनी उंगली आहिस्ता आहिस्ता वहाँ फेरनी शुरू कर दी. वहाँ सपने मे मोना देख रही थी के उसकी टाँगे बंसी के कंधौं पर हैं जैसे कुछ देर पहले ममता की थी और बंसी का लंड मोना के अंदर बाहर हो रहा है. बंसी उंगली फेरते हुए जो मोना की गांद की गर्मी महसूस कर रहा था उसने उसको मोना का दीवाना बना दिया था. थोड़ी देर मे उसने महसूस किया के मोना की शलवार वहाँ से थोड़ी सी गीली होने लगी थी और वहाँ से एक अजब सी भीनी भीनी खुसबु आ रही थी. वो अपना चेहरा उसकी गांद के पास ले गया पर साथ साथ वैसे ही उंगली फेरता रहा धीरे धीरे. "वाह क्या मस्त खुसबु है इसकी तो. दिल करता है शलवार उतार के इसकी चूत को अच्छी तरहा चातु. जिस की खुसबु ऐसी है उसका मॅज़ा कैसा होगा?" ये सौच कर वो अपनी उंगली जिसे वो मोना की चूत पे फेर रहा था अपने मुँह मे ले गया. "वाह क्या मस्त माल है ये! एक यह है और एक वो किसी सेकेंड हॅंड ट्रॅक्टर की गांद वाली ममता. उंगली फेरने का इतना मज़ा है तो लंड से छूने का कितना होगा? अब तक वो हवस मे पागल हो चुका था और उसने अपना लंड पाजामे मे से बाहर निकाल लिया.
इससे पहले के वो मोना का पास जाता नीचे से ममता ने ज़ोर से आवाज़ मारी "आरे बंसी कहाँ मर गया है टू? मोना जल्दी आओ" बंसी जल्दी से कमरे से बाहर लंड पाजामे मे कर के निकल गया. मोना शोर से आहिस्ता से उठ गयी. धीरे धीरे जब वो होश मे आई तो उसे कुछ अजीब सा लगा फिर जब टाँगों मे कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो अपना हाथ वो वहाँ ले गयी. "आए भगवान ये क्या हो रहा है?" वो परेशान हो कर सौचने लागी. "मेडम अब आ भी जाओ नीचे" ममता की गुस्से से भरी आवाज़ उसे आई. "जी आंटी अभी आई" ये कह कर उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया और जल्दी से अपने कपड़ा और पॅंटी बदलने लगी.
ममता:"ये कोई हरकते हैं क्या घर मे रहने वाली? कॉलेज से आ कर म साहब कुत्ते बेच के सो रही है. हम इसके नौकर लगे हुए हैं ना जो खाना बना कर इंतेज़ार कर रहे हैं."
डॉक्टर साहब."आरे अब बस भी कर दो. बेचारी का पहले दिन था कॉलेज मे थक गयी होगी."
ममता:"आप को बड़ी फिकर हो रही है "बेचारी" की. खेर तो है ना? इससे पहले के वो कुछ जवाब दे पाते मोना वहाँ भागी भागी आ गयी.
क्रमशः................
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