Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:37 PM,
#34
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं बाथरूम के पास पहुँचा ही था कि बाजी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा खुला देखकर रुक गया और अन्दर देखा तो बाजी चादर.. स्कार्फ से बेनियाज़.. उलझे बालों और सिलवटजदा कपड़ों में नज़र आईं.. शायद वो अभी ही बिस्तर से उठी ही थीं, उनकी क़मीज़ बेतरतीब सी हालत में उनके कूल्हों से उठी हुई थी और कमर से चिपकी थी।
बाजी की रानें और कूल्हे देख कर मुझे झुरझुरी सी आई और लण्ड ने अंगड़ाई ली।
मैं बाजी के कमरे की तरफ चल दिया। 
मैं अन्दर दाखिल हुआ और आहिस्तगी से दरवाज़ा बंद कर दिया।
बाजी दोनों हाथ कमर पर टिकाए बाथरूम के सामने खड़ी थीं और नींद से बोझिल आँखें लिए हनी के बाथरूम से निकलने का इन्तजार कर रही थीं।
शावर की आवाज़ बता रही थी कि हनी नहा रही है।
मैं दबे पाँव बाजी के पीछे गया और उनकी बगलों के नीचे से हाथ गुजार कर बाजी के सीने के खूबसूरत उभारों पर रखते हुए सरगोशी में कहा- हैलो सेक्सी बहना जी.. सुबह की सलाम..
मैंने बात खत्म करके अपने होंठ बाजी की गर्दन पर रख दिए। 
बाजी ने मेरी इस हरकत पर हड़बड़ा कर आँखें खोलीं और कूल्हों को पीछे दबाते हुए मेरे हाथ अपने मम्मों से हटाने की कोशिश की और सहमी हुई सी आवाज़ में बोलीं- वसीम पागल हो गए हो क्या.. छोड़ो मुझे.. किसी ने देख लिया तो.. 
मैंने बाजी के दोनों निप्पल अपनी चुटकियों में पकड़ कर मसले और बाजी की गर्दन से होंठ हटा कर कहा- मेरी सोहनी बहना जी.. अम्मी अब्बू का रूम अभी बंद है.. शावर की आवाज़ आ रही है.. तो हनी अभी नहा ही रही है और किसने देखना है?
मैंने बात खत्म की और बाजी को अपनी तरफ घुमाते हुए उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
बाजी ने अपना चेहरा पीछे हटाने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उनकी कमर को जकड़े रखा.. जिससे वो पीछे की तरफ कमान की सूरत मुड़ गईं। 
मैंने जोरदार चुम्मी करने के बाद अपने होंठ बाजी के होंठों से अलग किए और उन्हें सीधा कर दिया.. जिससे से मेरी गिरफ्त भी ढीली हो गई।
बाजी ने मेरी गिरफ्त को कमज़ोर महसूस किया तो मेरे सीने पर हाथ रख कर पीछे धक्का दिया और झुंझलाते हुए दबी आवाज़ में कहा- इंसान बनो.. सुबह-सुबह क्या मौत पड़ी है तुमको.. अब जाओ भी.. क्यों मरवाओगे क्या?
मैंने शैतानी सी मुस्कुराहट से बाजी की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन बोलीं- वसीम खुदा के लिए जाओ।
मैंने बाजी के चेहरे पर ही नज़र जमाए हुए कहा- एक शर्त पर जाऊँगा। 
‘शर्त??!’ बाजी ने हैरत और खौफ की मिली-जुली कैफियत में कहा।
मैंने बाजी के सीने के उभारों की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा- मुझे ये दोनों देखने हैं.. 
‘तुम बिल्कुल ही सठिया गए हो.. इस वक़्त.. क्या आग लगी है तुम्हें?? 
बाजी ने अब अपनी कैफियत पर क़ाबू पा लिया था और अब उनके चेहरे पर खौफ के आसार भी नहीं थे.. लेकिन झुंझलाहट अभी भी मौजूद थी। 
मैंने मिन्नतें करते हुए कहा- प्लीज़ बाजी.. मेरी प्यारी बहन हो या नहीं?
‘बहन क्या इसी काम के लिए है?’ बाजी ने कहा और दबी सी मुस्कुराहट चेहरे पर आ गई।
मैंने कहा- चलो ना यार..
‘अगर उसी वक़्त हनी बाहर आ गई तो…ओ..?’ बाजी ने कहा और गर्दन घुमा के बाथरूम के दरवाज़े को देखने लगीं।॥
मैंने कहा- बाजी.. शावर की आवाज़ अभी भी आ रही है.. वो नहीं आएगी.. फिर भी आप अपने इत्मीनान के लिए उससे पूछ लो ना कि कितनी देर में निकलेगी।
बाजी बाथरूम के नज़दीक हुईं और ज़रा तेज आवाज़ में बोलीं- हनी और कितनी देर है.. मैं यूनिवर्सिटी के लिए लेट हो रही हूँ।
हनी ने अन्दर से आवाज़ लगाई- बस बाजी 5 मिनट और.. मैं निकलती हूँ बस.. थोड़ी देर.. 
मैंने मुस्कुरा कर बाजी को देखा और उनके क़रीब होते हुए कहा- चलो ना बाजी.. प्लीज़.. 5 मिनट बहुत हैं हमारे लिए..
बाजी ने ज़रा डरे हुए अंदाज़ में बाथरूम को देखा और फिर कमरे के दरवाज़े की तरफ गईं.. दरवाज़ा खोल कर बाहर अम्मी-अब्बू के कमरे पर एक नज़र डाली और फिर दरवाज़ा बंद करके मेरी तरफ घूम गईं और दरवाज़े पर अपनी कमर लगा कर वहाँ ही खड़ी हो गईं। 
बाजी ने क़मीज़ का दामन पकड़ा- लो.. खबीस.. देखो और जाओ यहाँ से..
और मुझसे यह कहते हुए क़मीज़ गर्दन तक उठा दी। 
मैं बाजी के क़रीब पहले ही आ चुका था। मैंने अपनी बहन के हसीन उभारों को देखा और अपने दोनों हाथों में बाजी के उभार पकड़ कर दबाए और निप्पल को सहलाने के फ़ौरन बाद ही अचानक से आगे बढ़ कर बाजी का खूबसूरत गुलाबी निप्पल अपने मुँह में ले लिया। 
मेरी ज़ुबान ने बाजी के निप्पल को छुआ.. तो बाजी ने एक ‘आअहह..’ भरी और सरगोशी से बोलीं- ये क्या कर रहे हो… कहते कुछ हो और करते कुछ हो.. देखने का कहा था और अब चूसना भी शुरू कर दिया.. हटो पीछे.. हनी बाहर आने ही वाली है।
मैंने बाजी के दोनों उभारों को हाथों में दबोचा हुआ था और बाजी का एक निप्पल मेरे मुँह में था।
मैंने कुछ देर बारी-बारी बाजी के दोनों निप्पलों को चूसा और फिर अपना मुँह हटा कर एक भरपूर नज़र से बाजी के उभारों को देखा।
मेरे दबोचने से ऐसा लग रहा था.. जैसे बाजी के जिस्म का सारा खून उनके सीने के उभारों में जमा हो गया है.. शफ़फ़ गुलाबी मम्मों पर मेरी ऊँगलियों के निशान बहुत वज़या हो गए थे।

मैंने हाथ उनके मम्मों पर ही रखे-रखे एक बार फिर बाजी को किस किया और उनके जिस्म से अलग होते हुए कहा- थैंक्स मेरी सोहनी सी बहना जी.. आई रियली लव यू। 
फिर मैंने बाजी को आँख मारी और शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा- अब ये मेरा रोज़ सुबह-सुबह का नाश्ता हुआ करेगा.. आप तैयार रहा करना.. ठीक है ना..
बाजी सिर झुका कर अपनी क़मीज़ को सही कर रही थीं और अपने राईट सीने के उभार को अपने हाथ से ऊपर उठा रखा था.. क़मीज़ सही करने के लिए..
फिर उन्होंने अपने सिर उठा कर मेरी तरफ देखा और कहा- बकवास मत करो.. अब दोबारा ऐसा सोचना भी नहीं.. मैं खामखाँ का रिस्क नहीं लूँगी समझे??
मैंने बाजी की बात को अनसुनी करते हुए मासूम बनते हुए कहा- चलें छोड़ें.. बाद में देखेंगे.. फिलहाल अगर आपकी कोई ख्वाहिश है? मेरे जिस्म की कोई चीज़ देखनी है? या कुछ हाथ मैं पकड़ना है? या कुछ चूसना है.. तो बता दें.. मैं आपकी खिदमत के लिए तैयार हूँ। 
बाजी बेसाख्ता हँसने लगीं और बोलीं- मैं समझ रही हूँ तुम किस चीज़ के लिए फटते जा रहे हो.. लेकिन मेरी ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है.. जनाब का बहुत-बहुत शुक्रिया..
बाजी की बात सुन कर मैं भी हँस दिया और बाहर जाने के लिए दो क़दम चला ही था कि बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई.. मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो हनी अपने जिस्म पर सीने से लेकर घुटनों तक तौलिया लपेटे हुए बाहर निकलती नज़र आई।
हनी को इस हाल में देख कर मेरे लण्ड ने फ़ौरन सलामी के तौर पर एक झटका खाया और मेरी नज़रें हनी की जवानी पर घूम गईं। 
हनी 2-3 क़दम बाहर आई ही थी कि मुझ पर नज़र पड़ते ही उछल पड़ी और बोली- उफ्फ़ भाईई.. आप यहाँन्न..? 
और फिर तकरीबन भागते हुए वापस बाथरूम में घुस गई.. मैं और बाजी दोनों ही इस सिचुयेशन पर कन्फ्यूज़ हो गए थे और मैं बेसाख्ता ही बोला- सॉरी गुड़िया.. वो हमारे बाथरूम में ज़ुबैर घुसा बैठा है.. और बाहर वाले बाथरूम में अब्बू हैं.. तो मैं यहाँ आ गया कि शायद खाली हो..
हनी ने बदस्तूर गुस्सैल आवाज़ में कहा- लेकिन भाई आप कम से कम मुझे बता तो देते ना.. कि आप कमरे में अन्दर हैं।
‘अच्छा मेरी माँ गलती हो गई मुझसे.. अब जा रहा हूँ बाहर..’ 
मैंने यह कहा और बाजी की तरफ देख कर अपना लेफ्ट हाथ अपने सीने पर ऐसे रखा.. जैसे मैंने अपना सीने का उभार पकड़ रखा हो और बाजी को आँख मारते हुए अपने दायें हाथ की इंडेक्स फिंगर और अंगूठे को मिला कर सर्कल बनाया और बाथरूम की तरफ आँख से इशारा करते हुए हाथ ऐसे हिलाया जैसे मैं बाजी को जता रहा होऊँ कि हनी के सीने के उभार देखे आपने? कितने मस्त हो गए हैं!
बाजी ने मुस्कुरा कर गर्दन ऐसे हिलाई जैसे मेरी बात समझ गई हों.. और फिर मुझे बाहर जाने का इशारा कर दिया। 
‘हनी बाहर आ जाओ.. वसीम.. चला गया है..’ ये आखिरी जुमला था जो मैंने बाजी के कमरे से बाहर निकल कर सुना और दरवाज़ा बंद करके बाथरूम जाते हुए हनी के बारे में ही सोचने लगा।
हनी अब वाकयी ही छोटी नहीं रही है.. जब वो तौलिया में लिपटे हुए बाहर निकली थी.. तो उसके गीले बाल और भीगा-भीगा जिस्म बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रहा था। 
मैंने बाजी को आँख मारते हुए बाथरूम की तरफ आँख से इशारा करते हुए हाथ ऐसे हिलाया जैसे मैं बाजी को बता रहा होऊँ कि हनी के सीने के उभार कितने मस्त हो गए हैं।
हनी जब तौलिये में लिपटी बाहर निकली थी.. तो उसके गीले बाल और भीगा ज़िस्म बहुत सेक्सी लग रहा था। 
तौलिये में हनी के सीने के उभार काफ़ी बड़े दिख रहे थे और जब वो वापस जाने के लिए मुड़ी थी.. तो उसके चूतड़ों की शेप भी वज़या हो रही थी और वो 3-4 क़दम ही भागी थी.. लेकिन मैंने हनी के कूल्हों का मटकना पहली बार गौर से देखा था.. जो बहुत दिलकश मंज़र था।
हनी के नंगे बाज़ू और नंगी पिण्डलियाँ.. बालों से बिल्कुल साफ और बाजी की ही तरह शफ़फ़ थीं.. बस ये था कि उसका रंग थोड़ा दबता हुआ था या फिर ये कहना ज्यादा मुनासिब है कि बाजी के मुक़ाबले में वो साँवली नज़र आती थी।
हनी का क़द तकरीबन 4 फीट 10 इंच था और उसका जिस्म भारी-भरकम नहीं था.. बल्कि वो दुबली-पतली सी थी.. लेकिन सीने के उभार बाजी से थोड़े छोटे और साइज़ में 32सी के थे, कूल्हे ना ही बहुत ज्यादा बड़े थे और ना ही बहुत छोटे.. बस मुनासिब थे।
उसकी चाल कुदरती तौर पर ही ऐसी थी कि वो चलती थी.. तो उसकी टांग दूसरी टांग को क्रॉस करते हुए पाँव ज़मीन पर पड़ता था.. बिल्कुल बिल्ली की तरह और खुद बा खुद ही उसके छोटे क्यूट से कूल्हे मटक से जाते थे। 
मैंने अपनी इन्हीं सोचों के साथ गुसल किया और नाश्ते की टेबल पर ही लैपटॉप अब्बू के हवाले करके कॉलेज के लिए निकल गया। 
दो दिन तक बाजी की प्रेज़ेंटेशन चलती रही.. जिसकी वजह से वो हमारे कमरे में नहीं आ सकीं और हमने आपस में भी कुछ नहीं किया। 
तीसरे दिन कॉलेज से वापस आकर मैंने कुछ देर आराम किया और फिर शाम को चाय के वक़्त बाजी ने भी सेक्स की हिद्दत से बोझिल आँखें लिए बता दिया कि वो आज रात को हमारे पास आएँगी। 
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