Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:34 PM,
#10
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
कुछ देर टाइम पास करने के लिए स्नूकर क्लब की तरफ चल दिया। मेरा जेहन बहुत कन्फ्यूज़ था। मेरा जेहन अपनी सग़ी बहन.. जो बहुत पाकीज़ा.. लायक और शरीफ थी.. का ये रूप क़बूल नहीं कर रहा था। अपनी बहन जिसके मम्मों को मैंने कभी दुपट्टे के बगैर नहीं देखा था.. अभी उन मम्मों पर सजे खूबसूरत निपल्स को चुटकी में मसलता हुआ देख कर आ रहा था। हाँ वो थे तो क़मीज़ में छुपे.. लेकिन शायद ब्रा से बेनियाज़ थे। 
मेरी बहन जो कभी हमारे सामने ज्यादा देर बैठती नहीं थी.. उसकी वाइट सलवार में छुपी रान और कूल्हे का निचला हिस्सा मेरी नज़रों में घूम रहा था। 
‘भाई साहब चना चाट खाओगे.. बिल्कुल ताज़ा है..’ 
इस आवाज़ पर मेरी सोचों का सिलसिला टूटा.. तो मुझे पता चला कि मैं जा तो स्नूकर क्लब रहा था.. लेकिन पहुँच गया था अपने एरिया में बने एक पार्क में.. शायद मैं सोचने के लिए तन्हाई चाहता था और मेरा जेहन मुझे यहाँ ले आया था।
सारा दिन घर से बाहर गुजारने के बाद जब मैं घर पहुँचा.. तो रात के 9 बज रहे थे।
घर में घुसते ही अब्बू की आवाज़ ने मेरा इस्तक़बाल किया- अमां यार कहाँ थे बेटा.. सारा दिन तुम्हारा सेल फोन भी ऑफ मिल रहा है। 
मैंने उनके सामने वाली कुर्सी पर डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए यूँ ही कुछ बहाना बनाया और बात को टाल दिया। 
अम्मी ने कहा- खाना खा कर जल्दी सो जाना.. सुबह 5 बजे तुम्हें सलमा खाला के साथ गाँव जाना है। ज़ुबैर शाम 4 बजे ही इजाज़ (सलमा खाला के शौहर) के साथ गाँव चला गया है।
मैंने अब्बू की तरफ सवालिया नजरों से देखा.. तो उन्होंने तफ़सील से बताया कि वहां हमारी कुछ ज़मीने हैं.. जो तुम्हारे और ज़ुबैर के नाम पर हैं। उनके साथ ही हमारी खाला की भी ज़मीन है। बस उन्ही का कुछ मसला था.. जिसकी तफ़सील बयान करके मैं आप लोगों को बोर नहीं करना चाहता।
तभी अम्मी ने कहा- तुम्हारा बैग रूही ने तैयार कर दिया होगा। अपना जरूरी सामान जो साथ ले जाना चाहो.. वो भी रूही को दे देना.. वो रख देगी..। 
रूही बाजी का नाम सुनते ही मुझे आज सुबह का देखा हुआ सीन याद आ गया और फ़ौरन ही मेरे लण्ड ने रिस्पोन्स में मुझे सैल्यूट दे दिया। 
मैं खाना खा चुका था.. मैंने अम्मी-अब्बू को खुदा हाफ़िज़ कहा और उन्हें कह दिया कि मैं सुबह सलमा खाला को उनके घर से ले लूँगा और सीढ़ियों की तरफ चल दिया।
मैंने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि ऊपर से रूही बाजी आती दिखाई दीं।
उन्हें देख कर मेरा दिल ज़ोर से धड़का और फिर जैसे मेरी धड़कन रुक सी गई। उन्होंने सुबह वाला ही सूट पहन रखा था और वो ही स्कार्फ बाँधा हुआ था.. डार्क ब्लू कलर का और एक बड़ी सी ग्रे रंग की चादर उन्होंने अपने पूरे जिस्म के गिर्द लपेट रखी थी।
लेकिन वो बड़ी सी चादर भी बाजी के सीने के बड़े-बड़े उभारों को मुकम्मल तौर पर छुपा लेने में नाकाम थी। जब वो मेरे सामने पहुँचीं और मेरी नजरों से उनकी नज़र मिलीं तो मेरी नज़रें फ़ौरन झुक गईं.. 
लेकिन इस एक नज़र ने मुझे ये बता दिया था कि बाजी की नजरों में भी अब वो दम नहीं था कि वो मुझसे आँख मिला सकतीं।
उनकी नज़र भी फ़ौरन ही झुकी थी।
आख़िर उनके दिल में भी चोर बस ही गया था।
मैं गाँव में 5 दिन गुजार कर आज ही वापस पहुँचा था और सलमा खाला को उनके घर छोड़ कर बस अपने घर में दाखिल हुआ ही था कि सामने डाइनिंग हॉल में ही अम्मी बैठी हुई मिल गईं। उन्होंने सलाम का जवाब दिया और मेरा माथा चूमने के बाद पहला सवाल ज़ुबैर के बारे में किया कि वो कहाँ है?
तो मैंने बताया कि वो भी कल आ जाएगा। 
मेरा जवाब खत्म होते ही अम्मी ने दूसरा सवाल दाग दिया- गाँव के जिस काम के लिए हम गए थे.. उसमें क्या हुआ?
मैंने सिर्फ़ इतना ही जवाब दिया- सब काम खैरियत से निपट गया है। तफ़सील आप सलमा खाला से ही पूछ लेना। 





मुझे पता था कि अगर मैंने यह बात शुरू कर दी… तो अम्मी सारा दिन ही गुजार देंगी। हरेक बंदे के बारे में मालूम करके ही सुकून से बैठेंगी। इसलिए ये बात सलमा खाला के सिर डाल कर मैंने बात ही खत्म कर दी।
दोनों बहनों को बातें करने का भी बहुत शौक है.. आपस में सब मालूमत का तबादला भी कर लेंगी।
मैं उठा ही था कि अम्मी ने हुकुम दिया- मेरे कमरे से बुर्क़ा ला दे.. मैं अभी जाती हूँ सलमा के पास..
मैंने बुर्क़ा ला कर दिया और पूछा- अब्बू कहाँ हैं..?? 
अम्मी बताने लगीं- तुम्हारे अब्बू को तो ऑफिस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं.. आज इतवार था.. छुट्टी आराम करने के लिए होती है.. लेकिन उनके ऑफिस वालों ने कोई पार्टी अरेंज की हुई है.. जिसमें फैमिली लंच और कोई मैजिक शो का इंतज़ाम भी है.. जो रात तक चलेगा।
मैंने अम्मी से सिर्फ़ अब्बू के बारे में ही पूछा था लेकिन उन्होंने हस्बे-आदत सब का बताना शुरू कर दिया।
साथ ही यह भी बता दिया कि वो निकम्मी हनी भी मैजिक शो का नाम सुन कर उनके साथ जाने को तैयार हो गई, उसे भी साथ ले गए हैं.. और रूही की तो ये मुई पढ़ाई ही जान नहीं छोड़ती। कोई थीसिस लिख रही है.. सुबह 9 बजे ऊपर जाती है स्टडी रूम में.. तो रात तक वहाँ ही होती है।
आगे बोली- अभी तुम्हारे आने से एक मिनट पहले ही ऊपर गई है। मैं अपने घुटनों के दर्द की वजह से ऊपर जा नहीं सकती। बस नीचे से आवाजें मारती रहती हूँ। कभी सुन ले तो जवाब दे देती है.. नहीं तो खुद ही खामोश हो जाती हूँ और अब तो उसने घर में भी अबया पहनना शुरू कर दिया है.. 24 घंटे अबया पहने रहती है। 
अम्मी ने रूही बाजी के बारे में जो बात कही.. उसने मेरे दिमाग में लाल बत्ती जला दी थी।
ये बात खत्म करने तक वो बुर्क़ा और नक़ाब पहन चुकी थीं। मुझे हाथ से दरवाज़ा बन्द करने का इशारा करते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी।
मैंने उनके पीछे चलते हुए कहा- आप ऑटो लॉक क्यूँ नहीं लगा कर जाती हैं, कुल 6 नंबर का तो कोड है.. 6 बटन ही दबाने होते हैं ना।
तो वो बाहर निकलते हुए चलते-चलते बोलीं- जब तुम लोगों में से कोई पास नहीं होता.. तो खुद ही लॉक करती हूँ। अब बंद कर लो दरवाजा और घर का ख़याल रखना, मैं खाना सलमा के पास ही खाकर आऊँगी।
अम्मी के जाने के बाद मैंने दरवाज़ा लॉक किया और ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।
मैं ऊपर आखिरी सीढ़ी पर था जब मैंने बाजी को स्टडी रूम से निकलते देखा, वो निकल कर स्टडी रूम का दरवाज़ा बंद कर रही थीं।
पहली ही नज़र में मैंने जो चीज़ नोटिस की.. वो सना बाजी का गहरे काले रंग का सिल्क का अबया था.. जिसकी लंबाई इतनी थी कि बाजी के पाँव भी उसी अबाए में ही छुपे हुए थे और स्लेटी रंग का स्कार्फ उन्होंने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाँध रखा था।
मैं बगैर कुछ सोचे-समझे दबे पाँव नीचे की तरफ चल पड़ा।
मैं बाजी का सामना नहीं करना चाह रहा था। नीचे पहुँच कर मैं डाइनिंग हाल में ही खड़ा हो गया और बाजी के नीचे आने का इन्तजार करते हुए अपनी सोच में अपने आपको सिरज़निश करने लगा कि बाजी वाक़यी स्टडी रूम में होती हैं और मैं अपनी सग़ी बहन.. अपनी पाकीज़ा और लायक बहन के बारे में कैसी बातें सोच रहा हूँ।
दो मिनट बाद मैंने सोचा कि बाजी को अब तक नीचे आ जाना चाहिए था और इसी सोच के साथ ही मैंने ऊपर की तरफ अपने क़दम बढ़ा दिए।
ऊपर पहुँच कर मैंने पहले स्टडी रूम के दरवाज़े को देखा.. लेकिन वो बाहर से लॉक था।
फिर मैंने अपने कमरे के दरवाज़े पर दबाव डाल कर देखा लेकिन वो अन्दर से लॉक था।
मैं स्टडी रूम की तरफ गया और खिड़की के रास्ते शेड से होता हुआ अपने कमरे की खिड़की तक पहुँच गया और मैंने नीचे झुके-झुके ही खिड़की पर दबाव डाला। वो हमेशा की तरह आज भी अनलॉक ही थी। मैंने अन्दर नज़र डाली तो रूम खाली था। लेकिन उसी वक़्त बाथरूम का दरवाज़ा खुला और रूही बाजी बाहर आईं और सीधी कंप्यूटर की तरफ बढ़ गईं। 
उनकी बेताबी.. उनके हर अंदाज़ से ज़ाहिर थी। वो कुर्सी पर बैठीं और कंप्यूटर ऑन करने के बाद डाइरेक्ट हमारे पॉर्न मूवीज वाले फोल्डर तक पहुँची और उन्होंने एक मूवी ओपन कर ली। जब मूवी ओपन हुई तो मैंने देखा ये मूवी नंबर 109 थी और हमारे कम्प्यूटर में टोटल 111 मूवीज थीं। 
जिसका मतलब ये था कि बाजी ने पिछले 5 दिनों में तकरीबन सारी ही मूवीज देख डाली थीं।
अब मूवी स्टार्ट हो चुकी थी और एक जोड़ा किसिंग कर रहा था!
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RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - by sexstories - 11-18-2018, 12:34 PM

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