RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
उसका वो नीला रंग भी उतरने लगा सबमे जैसे एक ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी दिव्या ने मुस्कुराते हुए मोहन को अपनी गोद में लिटाया और उसको पानी पिलाने लगी कुछ ही देर में मोहन की आँखे खुल गयी
उसने थोडा और पानी माँगा पर ये क्या वैसा ही पानी उतना ही ठंडा शर्बत सा मीठा पानी मोहने ने उस मटके को अपने मुह से लगाया उअर गतागत सारा पानी पी गया
देवनाथ ने उसे अपने सीने से लगा दिया पिता जी आँखों से करुना की धार छूट पड़ी महादेव ने जीवनदान दे दिया था उस इन्सान को जिसने दुसरे के लिए निस्वार्थ अपने प्राण देने का निश्चय किया था
माहराज चंद्रभान ने उसी पल मोहन को अपना आधा राज्य देने की घोषणा कर दी पर उसको इस मोह माया से क्या लेना था उसने मना कर दिया पर संयुक्ता ने मोहन को महल में नोकरी देने का कहा उसने अपने पिता की तरफ देखा
उन्होंने हां कहा तो वो मान गया
चलो सब राजी ख़ुशी निपट गया था राजकुमार पृथ्वी के राज्याभिषेक का समय हो चला था तो रजा ने सबको महल आमंत्रित किया जश्न था और भोज भी पर मोहन के मन में वो बात खटक रही थी की आखिर मटके में वैस ही पानी कहा से आया जैसा की मोहिनी की मश्क में होता था फिर उसने सोचा की जब वो मोहिनी से मिलेगा तो पूछ लेगा
महाराज चंद्रभान मोहन के बहुत आभारी थे जश्न में उन्होंने उसे अपने पास स्थान दिया जो की एक बंजारे के लिए बहुत बड़ी थी मोहन इधर महल की चका चौंध से बहुत खुश था ऐसा नजारा उसने पहले कभी नहीं देखा था महाराज ने नाजाने कितना ही धन राजकुमारी और मोहन पर वार के दान किया
रात बहुत बीत गयी थी जब जश्न ख़तम हुआ मेहमान कुछ चले गए कुछ मेहमानखाने में रुक गए महाराज भी सोने चले गए थे मौका देख कर संयुक्ता ने मोहन को अपने कमरे में बुला लिया कुछ खास बांदियो को ही पता था और सख्त हिदायत थी की अंदर किसी को ना आने दिया जाये चाहे कोई भी हो
किवाड़ बंद होते ही संयुक्ता ने मोहन को अपनी बाहों में ले लिया और चूमने लगी बेतहाशा फिर बोली- मोहन तुम तो हमारी जिन्दगी में किसी फ़रिश्ते की तरह आये हो पहले तुम ने हम पर एहसान किया हमारी अनबुझी प्यास को बुझा कर और अब तुमने हमारी बेटी को बचाया हम अपना सब कुछ भी तुम पर वार दे तो भी कम है
पर हम जानते है की तुम्हे लालच नहीं जो इन्सान आधे राज्य को ठुकरा दे वो कोई विरला ही होगा
मोहन- मालकिन मैंने अपना फर्ज़ निभाया था एक राजकुमारी के लिए मेरे जैसे मामूली प्रजा की जान क्या अहमियत रखती है भला मैं खुश हु इस राज्य को राजकुमारी वापिस मिल गयी
“ओह मोहन सच में तुमने हमे मोह लिया ”
संयुक्ता ने फिर कुछ नहीं कहा बस अपने रसीले होंठो को मोहन के होंठो पर रख दिया जिस आग को उसने बहुत दिनों से दबा रखा था वो अब भड़क गयी थी बिस्तर पर आने से पहले ही दोनों नंगे हो चुके थे
मोहन के लैंड को अपनी जांघो में दबाये वो अपनी छातियो को कस कस के दबवा रही थी उसकी चूत का पानी मोहन के लंड को भिगो रहा था दो दो किलो की चूचियो को मोहन कस कस के दबा रहा था पल पल रानी कामुकता में और बहती जा रही थी मोहन उसके गोरे गालो को किसी सेब की तरह खा रहा था
संयुक्ता तो जैसे बावली होगई थी मोहन की बाँहों में आते ही पर इतना समय भी नहीं था की वो खुल के सम्भोग का मजा उठा सके थोड़ी देर में ही भोर हो जानी थी तो उसने मोहन से जल्दी करने को कहा मोहन ने उसे बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर चढ़ गया रानी ने अपनी तांगे उठा कर मोहन के कंधो पर रख दी
उसने लंड को चूत पे लगाया और एक करारा प्रहार किया और संयुक्ता अपनी आह को मुह में नहीं रख पायी एक बार फिर से मोहन का लंड उसकी चूत को फैलाते हुए आगे सरकने लगा और जल्दी ही बच्चेदानी के मुहाने पर दस्तक देने लगा रानी अपनी छातियो को मसलते हुए चुदाई का मजा लेने लगी
हर धक्के पर वो उछल रही थी मांसल टांगो को मजबूती से थामे मोहन रानी को दबा के चोद रहा था अगर महल ना होता तो संयुक्ता अपनी आहो से कमरे को सर पे उठा लेती थोड़ी देर बाद उसने मोहन को पटका और उसकी गोद में बैठ कर चुदने लगी अब लंड बहुत अंदर तक चोट मार रहा था संयुक्ता की चूत ने लंड को बुरी तरह कस रखा था
“शाबाश मोहन तुमने तो हमारा दिल खुश कर दिया है अपनी बना लिया है तुमने हमे शबह्श बस थोड़ी रफ़्तार और्र्र आः
हाआआअह्ह्ह्ह ओह मोहन बस मैं गयी गयी गयीईईईईईईईईईईई ”
संयुक्ता मस्ती में चीखते हुए झड़ने लगी उसका बदन किसी लाश की तरह अकड़ गया मोहन ने उसे अपनी बाहों में जोर से कस लिया रानी की हड्डिया तक कांप गयी और कुछ देर बाद मोहन ने भी अपना पानी चूत में ही छोड़ दिया
पर संयुक्ता कहा कम थी भोर होने तक दो बार वो मोहन से चुद चुकी थी
फिर मौका देख कर उसने मोहन को अपने कमरे से बाहर कर दिया मोहन इस बात से बड़ा खुश था की महारनी की चूत मिल रही है जबकि महारानी इसलिए खुश थी की मोहन महल में ही रहेगा तो जब चाहे चुदवा लेगी उसने महाराज को अपनी बातो में लेकर मोहन को अपना निजी अंगरक्षक बना लिया
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