RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गाँव पहुचने के बाद भी हमे गोपाल का बहुत इलाज करवाया…पर उनका घाव कम होने के बजाय और बढ़ता जा रहा था…एक महीने के अंदर हमारी सारी खेती की ज़मीन भी बिक गयी…पर कोई राहत नही मिली…अब घर के हालत बहुत बुरे हो चुके थी…और दो महीने के बाद मेरे पति गोपाल के मौत हो गयी…मे अब बिकुल अकेली पड़ गयी थी…अब सिर्फ़ एक घर ही बचा था….पर घर चलने के लिए पैसे नही थे…मे अपने माता पिता के घर आ गयी…पर वहाँ भी मेरी भाभी ने मुँह फूला लिया…मे ज़िल्लत की जिंदगी नही जीना चाहती थी…जब मुझे हर तरफ से दुतकार दिया गया तो मेने फिर से लुधियाना आने का मन बना लिया…क्योंकि लुधियाना मे मेने बहुत सी हमारी साइड की औरतों को काम करते देखा था…मेने मन मे ठान लिया था..कि मे किसी पर बोझ नही बनूँगी…और मे फिर से नेहा के साथ लुधियाना आ गयी….पर जब मे लुधियाना पहुचि तो मेरे पास महज 300 रुपये बचे थे…जो मेरे पिता जी ने मुझे लुधियाना आने से पहले दिए थे….
मे लुधियाना तो आ गयी थी…पर अब मेरे सामने ये सवाल था…के मे जाऊ कहाँ….मेरे दिमाग़ मे वीनू दीदी के पास जाने का विचार आया…और मे रिक्क्षा पकड़ कर नेहा के साथ वीनू दीदी के घर पर आ गयी….पर जब हम वहाँ पहुचे तो उनके घर को ताला लगा हुआ था….मेने पड़ोस के घर आके डोर नॉक किया…..और एक आंटी बाहर आई…जिसे मे थोड़ा बहुत जानती थी…
आंटी: अर्रे रचना तू…वापिस आ गयी….और कैसी हो
मे: मे ठीक हूँ आंटी पर ये वीनू दीदी कहाँ गयी हैं….
आंटी: उसका तो नाम ना ले चल अंदर आ
मे नेहा को साथ लेकर अंदर आ गयी…आंटी ने हमे बैठा दिया…और चाइ नस्ता करवाया…
आंटी: ओर्र बताओ सब ठीक ठाक है…(और तुम्हारा पति कहाँ हैं )
मेरे आँखों मे आँसू आ गये…मेने उन्हे सब बात बता दी…
आंटी: ओह्ह सॉरी रचना मुझे पता नही था…वैसे तुमने अच्छा किया जो तुम गाँव चली गयी…अगर यहाँ रहती तो पोलीस वाले उस रांड़ वीनू के साथ-2 तुझे और तेरी बेटी को भी उठा कर जैल मे डाल देते…
मेरे पैरो के तले से जामीन खिसक गयी….
मे: क्यो पर क्यों
आंटी: अर्रे तुम्हें नही पता…वो औरतों के जिस्मों का धंधा करती थी….सुन अब तू उसके बारे मे किसी से बात भी ना करना…एक हफ्ते पहले उसके घर पर रेड पड़ी थी…उसके साथ कुछ और लोगों को भी पोलीस उठा कर ले गयी…अच्छा हुआ तू यहाँ नही थी…
आंटी के बातें सुन कर मेरे ऊपेर फाड़ टूट पड़ा…अब मेरे पास और कहीं जाने के कोई जगह भी नही थी….मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था…कि अब मे क्या करूँ…गाँव भी वापिस नही जा सकती थी…और जाकर करती भी क्या….आंटी मेरे उदास चहरे को देख कर मेरी परेशानी समझ गयी….
आंटी: देख रचना मे तुम्हें 2-3 दिन अपने घर पर रख सकती हूँ…अगर तू यहाँ रहना चाहती है तो….उसके बाद तू कोई काम ढूँढ ले…और अपने लिए कोई रूम रेंट पर ले ले….
क्रमशः.................
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