RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने बिल्लू को कहा ठीक है, कल सुबह चलेंगे.
वो बोला, मैं रिक्सा लेकर तेरे घर आ जाउन्गा. तुम तैयार रहना.
मैने कहा नही, तुम वाहा मत आना. मैं यही गार्डेन में आ जाउन्गि. यहा से हम साथ चलेंगे.
वो बोला, ठीक है.
मैने पूछा, पर हम क्या बात करेंगे तुम्हारे बापू से.
वो बोला, उनसे माफी माँग लेंगे और क्या, और बोलेंगे की आगे से ऐसा नही करेंगे.
मैने पूछा अगर वो नही माने तो ?
वो बोला, हम एक कॉसिश तो कर सकते है.
मैने सोचा, इसके अलावा हमारे पास चारा भी क्या है.
मैने बिल्लू से कहा कि मैं चलती हू, कल यही मिलेंगे.
वो बोला मेरा रिक्सा यही पास में ही खड़ा है मैं तुझे छोड़ दूँगा.
मैने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं चली जाउन्गि
वो बोला, तुझे क्या हो गया, उस दिन तो बहुत मज़े कर रही थी मेरे साथ,
मैने कहा, तुमने मुझे बड़ी चालाकी से फसाया था. मैं कुछ भी नही करना चाहती थी.
वो बोला, पर मैने डालते हुवे पूछा था, कि डालु या नही. मैने तेरी मर्ज़ी के बिना कुछ नही किया था.
मैं कुछ नही बोल पाई.
वो बोला, जब मैने पूछा था कि निकाल लू या मार लू तो तूने ही कहा था कि मार लो. इस मे मेरी चालाकी कहा से आ गयी.
मैने कहा चुप रहो, तुम खूब आछे से जानते हो कि किसकी ज़्यादा ग़लती है. मेरी ग़लती इतनी थी कि मैने तुम्हे वक्त रहते थप्पड़ नही मारा. वरना आज मैं इस हालत में नही होती.
वो बोला, थप्पड़ मार तो दिया तूने.
मैने पूछा तो क्या तुम उसका बदला ले रहे हो
वो बोला, मैं क्या बदला लूँगा, मैं तो खुद इस सब से परेसान हू.
मैने कहा ठीक है, अब बात करने का कोई फ़ायदा नही, मैं चलती हू.
उसने मेरा हाथ थाम लिया और बोला, आज तू बहुत सुंदर लग रही है.
मैने उसका हाथ झटक दिया और बोली कि, अब इस सब का कोई फ़ायदा नही.
और मैं वाहा से चल दी.
उसने पीछे से आवाज़ लगाई, कल 10:30 पर यहा आ जाना
मैने गार्डेन से बाहर आ कर ऑटो किया और सीधी घर आ गयी.
रास्ते भर मुझे ये विचार सताता रहा कि क्या, बिल्लू के बापू से मिलना ज़रूरी है.
पर जैसा कि बिल्लू कह रहा था ऐसा लग रहा था कि वो किसी भी वक्त संजय से मिलने घर आ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि वो संजय से मिलने क्लिनिक चला जाए.
मेरे पास कल बिल्लू के घर जाने के अलावा कोई चारा नही था.
अगले दिन मैं 10 बजे बिल्लू के घर जाने के लिए, घर से चल दी. मैं ठीक 10:30 बजे गार्डेन में पहुँच गयी.
बिल्लू वाहा पहले से मेरा इंतेज़ार कर रहा था. मुझे देख कर वो मेरे पास आया और बोला, चलो बाहर मेरा रिक्सा खड़ा है, उशी में बैठ कर चलते हैं
मैने पूछा कि क्या तुम्हारे बापू को पता है कि तुम मुझे लेकर घर आ रहे हो.
वो बोला, नही, अगर पता होता तो वो कभी ना मिलता.
मैं घबरा रही थी कि आख़िर अब क्या होगा.
हम कोई 25 मिनूट चलने के बाद एक स्लम एरिया मे आ गये. चारो और गंदगी और कूड़ा करकट फैला था.
थोड़ा चलने के बाद बिल्लू ने रिक्सा एक पुराने से घर के बाहर रोक दिया.
मैने पूछा, यही है तुम्हारा घर.
वो धीरे से बोला हां.
मैं रिक्से से उतर गयी और चारो और देखने लगी.
सभी लोग मुझे वाहा अजीब सी नज़रो से देख रहे थे.
बिल्लू बोला, चलो अंदर चलते है, लोग हमे देख रहे है.
मैं घबराते हुवे बिल्लू के पीछे, पीछे घर के अंदर आ गयी.
घर मे कोई नही था.
मुझे पूरा यकीन हो गया कि ये बिल्लू मुझे यहा बहला फुसला कर लाया है,
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