RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं सोच रही थी की, मुझे, कुछ ना कुछ कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी.
वो बोला, मैं आराम से, तेरी गांद दबो-चुँगा, कोई जल्दी-जल्दी मत करना. मैने शरम और गिल्ट से अपनी नज़रे झुका ली और चुप-चाप खड़ी रही.
वो मेरे पीछे आ कर, खड़ा हो गया और अपने दोनो हाथो मे, मेरे नितंबो का एक-एक भाग थाम लिया और बोला, कब से तम्माना थी तेरी गांद पर हाथ फिराने की, कसम से तेरी गांद बड़ी कातिल है साली, जब भी तुझे मार्केट मे, देखता था, यही तम्माना होती थी कि, तेरी गांद को हाथो मे थाम कर, देखु कि, कैसी मुलायम है तेरी गांद. मैं तेरी गांद छूने को, तरसता रहता था, और तू अपनी गांद छलकती हुई चलती जाती थी. तू बहुत कमिनि चीज है.
मैने उसे कहा प्लीज़ कुछ मत बोलो मुझे शरम आती है, बस चुप-चाप छूते रहो. पर उसने मेरी बात नही मानी. वो तरह तरह से मेरे नितंबो को छू रहा था और गंदी-गंदी बाते बोल रहा था.
मैं ये सब सुन कर शरम से लाल हो गयी , और चुप-चाप नज़रे झुकाए वाहा खड़ी रही ताकि वो मेरे नितंबो से खेल कर, खुस हो कर, अपना जी भर कर, वाहा से हमेसा के लिए चला जाए.
उसने अचानक, बड़े ज़ोर से मेरे नितंबो को दबो-चा और मेरे मूह से अचानक निकल गया, आई… आराम से दबो-चो, दर्द होता है.
मैं वाहा चुपचाप, शर्मिंदगी से, नज़रे झुकाए खड़ी रही, और वो बड़ी बेशर्मी से मेरे, नितंबो से खेलता रहा.
मैं घबरा रही थी कि, कही किसी ने कुछ, देख लिया तो मेरा क्या होगा, मेरा परिवार बीखर जाएगा.
ये तो अछा था कि, बारिश बहुत तेज, हो रही थी, आस पास के सभी लोग घरो मे थे. मैं सोच रही थी कि, ये बदमास लड़का कब रुकेगा.
चारो तरफ अंधेरा था, जिस से मुझे बहुत डर लग रहा था. सुक्र है, मैं अपने किचन की, लाइट जला कर छोड़ आई थी. खिड़की से रोस्नी जहा हम खड़े थे वाहा तक पहुँच रही थी. ज़्यादा तो नही थी, पर मेरा डर कम करने को काफ़ी थी.
अचानक मैं चीख पड़ी ‘आईईईईई’, ये क्या किया. बदमास बिल्लू ने, मेरे नितंबो के दाए भाग पर काट खाया था. मैने कहा, बिल्लू दुबारा ऐसा मत करना. वो बोला, सॉरी, ग़लती से दाँत लग गये.
अचानक अपने सामने मुझे, झाड़िया हिलती हुई दीखाई दी. मेरा ये सोच कर, बुरा हाल हो गया कि, कही कोई, यहा आ तो नही रहा.
पर मैने सोचा इस बारिश मे यहा झाड़ियो मे किसी का क्या काम. मैने बिल्लू को कहा, बिल्लू रुक जाओ, वाहा झाड़ियो मे कोई है.
बारिश की आवाज़ मे शायद उसने कुछ नही सुना. तभी एक कुत्ता, झाड़ियो से उभरा, और हमे वाहा देख कर रुक गया.
मुझे कुत्ते को देख कर, चैन मिला क़ि सुक्र है वाहा कोई और नही था, पर मुझे हँसी आ गयी कि कुत्ता सामने खड़ा है और ये बिल्लू खुद कुत्ते की तरह मुझे काट रहा है.
वह कुत्ता, हुमे घूरते हुवे, वाहा से आगे गुजर गया. मैं डर रही थी कि कही वो हमारी तरफ ना, आ जाए.
बिल्लू अपने काम मे लगा हुवा था. अचानक वह रुक गया, और मैने महसूस किया कि, उसके हाथ मेरे नितंबो पर नही है. मैने सोचा चलो काम ख़तम हुवा, अब मैं घर जा सकती हू.
पर मैने, पीछे मूड कर देखा तो, चोंक गयी. बिल्लू अपने दोनो हाथो से, अपने पॅंट की, ज़िप खोल रहा था.
जैसे ही, मैने पीछे देखा, उसने मेरी तरफ बड़े ही, वहसी तरीके, से देखा. मैं सहम गयी, और इस से पहले कि, मुझे उसका लिंग दीखाई दे, मैने अपनी गर्दन वापस सामने घुमा ली.
मैं उसका लिंग नही देखना चाहती थी. उसे देखने के कारण ही तो मैं इस मुसीबत मे पड़ गयी थी.
मुझे खुद पर, शरम आ रही थी कि, मैं अपने ही घर के पीछे, यहा झाड़ियो मे, इस लड़के के हाथो का खिलोना बने खड़ी थी. पर मुझे संतोस था कि आज ये कहानी यही ख़तम होगी.
मैने बिल्लू को कहा, बिल्लू देखो, अब बहुत हो गया. मैं काफ़ी देर से यहा खड़ी हू. मैं घर से ईतनी देर तक, बाहर नही रह सकती, मेरे पति उठ गये तो क्या सोचेंगे.
पर वो कुछ नही बोला. एक मिनूट हो गया, और मुझे अपने नितंबो पर, कुछ महसूस नही हुवा. मैने पीछे मूड कर देखा, तो वो अभी भी अपनी पॅंट की ज़िप खोलने मे लगा था.
उसकी ज़िप शायद अटक गयी थी. मैं सोच रही थी कि चलो अछा हुवा.
वो बोला, मेरी मदद करो ना, देखना ये अटक गयी है. वह परेशान दीख रहा था. मैने कोई जवाब नही दीया.
मैने कहा बिल्लू, अब मैं जा रही हू, और वो बोला एक मिनूट-एक मिनूट, बस खुल गयी. मैने तुरंत अपनी गर्दन आगे घुमा ली.
मैने बिल्लू से कहा, प्लीज़ इसे, पॅंट के अंदर ही रखो.
उसने फिर से, दोनो हाथो से, मेरे नितंबो को थमा, और मेरे नितंबो के बीच अपना लिंग लगा कर धक्के मारने लगा.
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